कंगारू मदर केयर -Kangaroo Mother Care
भारतवर्ष में जन्म लेने वाले लगभग 8 लाख नवजात शिशिओं कि मृत्यु जन्म से लेकर एक महीने के अन्दर हो जाती है। इनमें से कुछ शिशुओं कि मृत्यु जन्मजात गंभीर बीमारियों के कारण होती है। लेकिन कई शिशु ऐसे होते है जो जन्म लेने के पश्चात बाहरी वातावरण से सामंजस्य नहीं बैठा पाते और ठंडा बुखार या इन्फेक्शन के कारण मृत्यु का ग्रास बन जाते है।
इन नवजात शिशुओं में से कई शिशुओं को इन्क्युबेटर में रखकर बचाया जा सकता था, लेकिन केवल भारत वर्ष में कई माता-पिता ऐसे है जो अस्पताल का खर्च वहन नहीं कर पाते और अपने जिगर के टुकड़े को मौत के मुंह में जाता देखते रह जाते है।
ऐसी स्थिति में समय से पहले जन्म लेने वाले, कम वजन और न्यूट्रीशन की कमी वाले नवजात शिशुओं के लिए कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care – KMC) तकनीक एक वरदान साबित हो सकती है।
इस विधि में कोई खर्चा नहीं होता, केवल नवजात शिशु को सीने से लगाकर रखने से ही कई शिशुओं की जान बचाई जा सकती है। बिना एक भी रुपया खर्च करे इस विधि से नवजात शिशु की देखभाल घर पर रहकर ही की जा सकती है।
इस तकनीक को अमीर से लेकर गरीब सभी अपना सकते है। इस तकनीक से देखभाल करने पर बच्चे का विकास सही ढंग से होता है। वे आगे जाकर शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत होते है।
कई अभिभावकों में नवजात शिशुओं की देखभाल से सम्बंधित शिक्षा व जागरूकता का भी अभाव होता है। इस तकनीक का ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण कई अभिभावक इस तकनीक के बारे में ज्यादा नहीं जानते, इसलिए आज हम इस लेख में आपको नवजात शिशुओं के लिये वरदान कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) तकनीक के बारे में कुछ जानकारी प्रदान कर रहे है।
क्या है कंगारू मदर केयर (KMC)?
जैसा कि नाम से ही पता चलता है माँ द्वारा बच्चे की कंगारू की तरह से देखभाल। जैसे कंगारू अपने बच्चे को अपने पेट में बनी थैली में रखता है, जिससे उसके शरीर में गर्माहट बनी रहती है और वह बाहरी खतरों से भी बचा रहता है।
उसी तरह “कंगारू मदर केयर” विधि में माँ भी अपने नवजात शिशु को कंगारू की तरह अपने सीने से चिपकाकर रखती है, जिससे नवजात शिशु को माँ के शरीर की गर्माहट और अपनापन मिलता है, और शिशु मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है।
यह तकनीक कोई नई नहीं है, हमारे कई बुजुर्ग भी नई माओं को अपने शिशु को सीने से लगाकर रखने की सलाह देते है। अब तो डाक्टरों ने भी इस विधि को प्रमाणित कर दिया है और दुनियां भर में इस विधि के चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिले है।
“कंगारू मदर केयर” विधि से स्वस्थ हुए बच्चों के बारे में जानकारी
जब बच्चा जब जन्म लेता है तो उसका शरीर बाहरी वातावरण का अभ्यस्त नहीं होता। गर्भाशय में उसे अपनी माँ से एक समान गर्मी मिलती रहती है, लेकिन गर्भाशय से बाहर आते ही वातावरण एकदम से बदल जाता है। इस कारण जन्म के पश्चात् उसके बीमार होने की सम्भावना बनी रहती है।
उसे बाहरी वातावरण से सामंजस्य करवाने तथा बिमारियों से बचाने में कंगारू मदर केयर तकनीक बहुत ही लाभदायक होती है। यदि इस विधि का उपयोग सही तरीके से ज्यादा से ज्यादा किया जाए तो कई नवजात शिशुओं की जान बचाई जा सकती है। कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) केवल नवजात शिशु के लिए ही नहीं माँ के लिए भी फायदेमंद है।
किसे और क्यों दी जाती है कंगारू मदर केयर (KMC)?
कंगारू मदर केयर वैसे तो सभी बच्चों को दी जा सकती है लेकिन प्री-मैच्योर शिशु (Pre-Machyor-Baby) अर्थात ऐसे शिशु का जन्म तय समय से पहले ही हो जाता है, जो शिशु जन्म के समय बहुत जयादा कमजोर होते है, जिस बच्चे को जन्म के बाद पीलिया हो गया हो या जिनका वजन जन के समय 2.5 किलो से कम होता है।
इन शिशुओं को सामान्य शिशुओं से ज्यादा प्यार और देखभाल की आवश्यकता होती है, क्योंकि ये शिशु सामान्य शिशुओं की तुलना में ज्यादा कोमल व कमजोर होते है ओर इन्हें बाहरी संक्रमण (Infection) और बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है।
ऐसे नवजात शिशुओं को कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) तकनीक की ज्यादा आवश्यकता होती है। यह तकनीक कमजोर शिशुओं की देखभाल का एक कारगर और आसान तरीका है जो ऐसे शिशुओं के शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक है।
इन्क्युबेटर और कंगारू मदर केयर (KMC)
प्री-मैच्योर शिशु (Pre-Machyor-Baby) अर्थात ऐसे शिशु का जन्म तय समय से पहले ही हो जाता है, जो शिशु जन्म के समय बहुत जयादा कमजोर होते है, जिस बच्चे को जन्म के बाद पीलिया हो गया हो या जिनका वजन जन के समय 2.5 किलो से कम होता है, उनकी जान बचाने के लिए उन्हें अस्पताल में इन्क्युबेटर में रखकर गर्माहट दी जाती है, जिससे उन्हें बाहरी वातावरण से समंजस्य करने में सहायता मिल सके और इन्फेक्शन से बचाया जा सके। लेकिन इसका खर्च बहुत ज्यादा होता है।
वहीं कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) एक ऐसी तकनीक है जिसमें कोई खर्चा नहीं होता तथा कई शोधो से भी यह निष्कर्ष निकाला जा चुका है कि कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) तकनीक इन्क्युबेटर से ज्यादा प्रभावशाली है। इसमें नवजात शिशु को गर्माहट के साथ-साथ माँ का अपनत्व भी मिलता है, जिससे नवजात शिशु जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
शोध के अनुसार कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) तकनीक से नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में लगभग 35-40% की कमी, ठन्डे बुखार में लगभग 70-75% कि कमी तथा 65-70% कम इन्फेक्शन होता है। आजकल चिकित्सक (Doctor) भी इस विधि से ईलाज की सलाह देने लगे है |
रोग प्रतिरोधक क्षमता और कंगारू मदर केयर (KMC)
जैसे ही बच्चा जन्म लेता है, वातावरण में उपस्थित अच्छे और बुरे दोनों तरह के बैक्टेरिया (Bacteria) उसके शरीर से चिपक जाते है। जब माँ अपने बच्चे को छाती से चिपका कर रखती है तो सांस के द्वारा माँ और बच्चे दोनों के Bacteria एक दूसरे में Transfer होते है। जब बच्चे को संक्रमित करने वाले Bacteria श्वास के द्वारा माँ के शरीर में प्रवेश करते है तो माँ का शरीर उन Bacteria के खिलाफ Antibiotic Cells बना लेता है। ये Antibiotic Cells दूध के माध्यम से बच्चे तक भी पँहुच जाते है। जिससे उसमें रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) का विकास होता है और वह संक्रमण से बचा रहता है।
चिकित्सकों के अनुसार मां की छाती के आसपास माइक्रोबायोन बैक्टेरिया (Microbione Bacteria) होते हैं। यह अच्छे Bacteria होते हैं, जो संक्रमित करने वाले Bacteria को खत्म करने में सहायक होते है। श्वास द्वारा ये बैक्टेरिया माँ से बच्चे में ट्रांसफर होते है, और बच्चे के शरीर पर मौजूद खराब या संक्रमित करने वाले बैक्टेरिया के लिए Antybody की तरह काम करते है और नवजात को संक्रमण से बचाने में सहायक बनते है।
कौन कर सकता है कंगारू मदर केयर (KMC)?
कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care) नवजात की माँ या परिवार का कोई भी सदस्य जैसे दादी, मौसी, बुआ उसके पिता, या कोई अन्य। पर यह ध्यान देना जरूरी होता है कि KMC देने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का कोई भी संक्रमण ना हो।
कैसे दी जाती है कंगारू मदर केयर (KMC)?
कंगारू मदर केयर (KMC) में नवजात शिशु की देखभाल के लिए माँ को अपने बच्चे को कंगारू की तरह अपने सीने से लगाकर रखना होता है और यदि बच्चा ज्यादा कमजोर हो, तो स्तनपान भी इसी स्थिति में कराया जाता है।
बच्चे के शरीर पर नेपी के अलावा कोई कपडा नहीं होता और माँ की छाती पर भी कोई कपडा नहीं होता। इसके लिए माँ को सामने से खुलने वाले वस्त्र पहनने चाहिए। बच्चे की त्वचा और माँ की त्वचा का आपस में स्पर्श होना चाहिए, जिससे बच्चे को माँ के शरीर की गर्मी मिलती रहे।
कंगारू मदर केयर (KMC) का सही तरीका :-
- नवजात शिशु को माँ की छाती (स्तनों के बीच में) पर सटाकर उल्टा इस तरह सुलाया जाना चाहिए कि उसका सर माँ के चेहरे की तरफ रहे और पैर पेट पर।
- नवजात शिशु को माँ के शरीर का स्पर्श लगातार मिलता रहे, इसलिए माँ कि छाती पर और नवजात शिशु के शारीर पर कपडा नहीं होना चाहिए |
- नवजात शिशु को छाती पर उल्टा लिटाने के बाद उसके उपर कम्बल या कोई गर्म कपडा ओढा देना चाहिए। चाहे तो माँ व बच्चे दोनों को कपडे में लपेट सकते है |
- नवजात शिशु के सिर को छाती पर इस प्रकार रखना चाहिए, जिससे उसे सांस लेने में कठिनाई ना हो व माँ अपने शिशु को देख सके |
- नवजात शिशु का कोई भी अंग जैसे हाथ या पाँव दबे हुए या मुड़े हुए नहीं होने चाहिए |
कितनी देर देनी चाहिए कंगारू मदर केयर (KMC)?
वैसे तो इसका कोई नियम नहीं है लेकिन बच्चे की स्थिति के हिसाब से आधे घंटे से लेकर पूरे 24 घंटे तक KMC दी जा सकती है।
नवजात का स्वास्थ्य सही हो तो भी उसे दिन में तीन से चार बार KMC दी जा सकती है। इससे उसका विकास (Growth) तेजी से होगा।
नवजात का जन्म समय से बहुत पहले हो गया हो, उसका वजन बहुत कम हो तो नवजात स्थिति के अनुसार चिकित्सक की सलाह पर समय सीमा बढ़ाई या घटाई जा सकती है।
सात माह या उससे पहले जन्म लेने वाले नवजात शिशु, जिसका वजन 2.5 किलो से कम हो उसे लगातार कंगारू मदर केयर (Kangaroo Mother Care देते रहना चाहिए। केवल नेपी बदलने के लिए ही बच्चे को छाती से दूर करें। यहाँ तक कि स्तनपान भी इसी स्थिति में कराया जाना चाहिए।
कंगारू मदर केयर (KMC) से नवजात को होने वाले लाभ
- माँ की छाती पर शिशु माँ के दिल की धड़कन सुन पाता है, जिससे वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है। उसका मानसिक विकास होता है।
- इस तकनीक में नवजात आसानी से सांस ले पाता है, जिससे उसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन मिलती रहती है।
- बाहरी तापमान में उतार-चढाव से नवजात शिशु को अल्पताप (Hypothermia) हो सकता है। लेकिन माँ के साथ कपडे से लपेटे हुए होने से उसे लगातार गर्मी मिलती रहती जिससे बाहरी तापमान में उतार-चढाव का उस पर असर नहीं होता |
- नवजात शिशु का वजन बढ़ता और उसका शारीरिक विकास तेजी से होता है |
- माँ के साथ कपड़े में लिपटे होने के कारण बाहरी कीटाणुओं से उसकी रक्षा होती है और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। इस कारण कई बीमारियों से उसकी सुरक्षा हो जाती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) का विकास होता है और वह संक्रमण से बचा रहता है।
- नवजात शिशु डरकर चौंकता नहीं है, कम रोता है और पर्याप्त नींद लेता है। जिससे उसका
कंगारू मदर केयर (KMC) से माँ को होने वाले लाभ
- बच्चे को जाम देने के बाद कुछ माएं अवसाद (Postpartum Depression) में चली। KMC तकनीक में नवजात माँ के बिल्कुल नजदीक रहने से उसे अपनत्व का एहसास होता है, जो उसे तनाव मुक्त करने में मदद करता है।
- कई बार प्रसव के दौरान माँ के शरीर से अत्याधिक खून का बहाव हो जाता है। बच्चे को छाती पर ऱखने से माँ के अंदर ऑक्सिटोशिन (Oxytocene) नामक हार्मोन बनता है। जिससे माँ का गर्भाशय और प्लेसेंटा सिकुड़ता है और मां के शरीर से खून का बहना काफी हद तक कम हो जाता है। यह हार्मोन मां और बच्चे दोनों में एक दूसरे के लिए लगाव बढ़ाने में भी मददगार होता है।
- बच्चे को छाती से चिपका कर ऱखने से माँ के अंदर बनने वाले ऑक्सिटोशिन (Oxytocene) नामक हार्मोन के कारण माँ और बच्चे में मानसिक व भावनात्मक सम्बन्ध प्रगाढ़ होता है |
- मां और बच्चे दोनों में एक दूसरे के लिए लगाव से माँ के स्तनों में दूध ज्यादा उतरता है |
- श्वास द्वारा Becteria बच्चे से माँ में ट्रांसफर होने से माँ के दूध में Anty-Body का निर्माण होता है।
विश्व में मान्यता
सन् 2014 में संयुक्त राष्ट्र में ENAP (Every New Born Action Plan) नाम की पॉलिसी पास की गई। जिसके अंतर्गत तहत माता पिता को हर नए जन्में बच्चे की जान बचाने के लिए क्या करना चाहिए, इसकी गाइडलाइन बनाई गई।
भारत उन पहले देशों में एक है जिसने इस पॉलिसी को 2014 में ही INAP (Indian New Born Action Plan) के नाम से इस लागू किया कर दिया था। कंगारू मदर केयर (KMC) इसी Policy का एक महत्पूर्ण भाग है।
भारत सरकार KMC के प्रति काफी गंभीर है, क्योंकि भारत जैसे विकासशील देश के लिए ये तकनीक वरदान साबित हो सकती है। इसलिए भारत सरकार द्वारा KMC की पूरी गाइडलाइन जारी की जा चुकी है।
भारत सरकार द्वारा KMC के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकारों को फंड भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिससे इस तकनीक की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पँहुच सके और कई नवजातों को असमय काल का ग्रास बनने से बचाया जा सके।
लेकिन अभी भी कई राज्यों द्वारा इसके लिए उदासीनता बरती जा रही है। ये Hind Gyan Amrit का एक छोटा सा प्रयास है जिससे इस तकनीक की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पँहुच पाए। इसमें हमें आप सभी के सहयोग की आवश्यकता होगी।
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