कबूतर और मधुमक्खी – Kabutar Or Madhumakkhi
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – कबूतर और मधुमक्खी – Kabutar Or Madhumakkhi – The Pigeon and The Bee
सुंदरवन में एक नदी के किनारे एक पीपल का पेड़ था। उस पर एक कबूतर रहता था। एक बार वह अपने घोंसले में बैठा हुआ था। तभी एक मधुमक्खी उड़ते-उड़ते अचानक नदी में गिर गई। उसके पंख गीले हो गया। उसने नदी से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन वह निकल नहीं सकी।
जब उसे लगा कि वह डूब जाएगी तो उसने मदद के लिए आवाज लगाना शुरू कर दिया, “मैं नदी में डूब रही हूँ, कोई मेरी मदद करों”। उसकी आवाज जब कबूतर के कानों में पड़ी तो उसने आवाज की दिशा में देखा। उसने देखा कि एक मधुमक्खी पानी में डूबते हुए मदद की गुहार लगा रही है।
कबूतर की समझदारी
उसने सोचा कि मधुमक्खी की मदद कैसे करूँ? यदि मैं उसे अपनी चोंच से पकड़कर निकालने की कोशिश करूँगा तो उसके पंख टूट जाएंगे और वह कभी भी उड़ नहीं सकेगी। तभी उसके दिमाग में एक उपाय आया। उसने झट से पीपल के पेड़ का एक पत्ता तोड़ा और मधुमक्खी के पास डालते हुए बोला, “प्यारी मधुमक्खी, जल्दी से इस पत्ते पर चढ़ जाओं।”
मधुमक्खी ने पत्ते को देखा और वह उस पत्ते पर बैठ गई। थोड़ी देर तक वह पत्ते के साथ बहती रही। जब उसके पंख सूख गए, तब वह उड़ कर कबूतर के पास गई और उसे धन्यवाद देते हुए बोली, “धन्यवाद मित्र, आज तुमने मेरे प्राण बचाए है। मैं तुम्हारा यह अहसान कभी नहीं भूलूँगी। जब भी समय आएगा मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगी।”
इतना कहकर मधुमक्खी उड़कर वहाँ से चली गई। अब वे दोनों दोस्त बन गए थे। दोनों रोज दोपहर को मिलते और ढेर सारो बातें करते। एक बार मधुमक्खी अपने मित्र कबूतर से मिलने जा रही थी, तभी उसने देखा कि एक शिकारी अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना लगा रहा है। कबूतर इस बात से अनजान आराम से पेड़ पर बैठा हुआ है।
भलाई का बदला
अपने दोस्त की जान खतरे में देख कर मधुमक्खी ने आव देखा ना ताव, वह तेजी से उड़ते हुए शिकारी की तरफ गई और उसके हाथ पर काट खा लिया। शिकारी दर्द से तिलमिला उठा। उसका निशाना चूक गया। गोली की आवाज सुनकर कबूतर का ध्यान भी शिकारी की तरफ चला गया। इससे पहले कि शिकारी दूसरा निशाना लगाता वह वहाँ से उड़ गया। शिकार मन मसोज कर वहाँ से चला गया।
शिकारी के जाने के बाद कबूतर ने मधुमक्खी को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया। मधुमक्खी ने कहा, “इसमें धन्यवाद की क्या बात है मित्र, एक दिन तुमने अनजान होते हुए भी मेरे जान बचाई थी। मैंने तो बस उसी का ऋण उतारा है। और अब तो हम मित्र है, अपनी आँखों के सामने मैं अपने मित्र को मरते हुए कैसे देख सकती थी।”
इसके बाद कबूतर और मधुमक्खी पहले की तरह ही हिलमिलकर रहने लगे। अब तो उनकी दोस्ती और भी गहरी हो गई थी।
सीख
- भलाई का बदला भलाई से ही मिलता है।
- आप किसी के साथ जैसा बर्ताव करोगे तो वह भी तुम्हारे साथ वैसा ही बर्ताव करेगा। “जैसी करनी वैसी भरनी”
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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