कर सेवा गुरु चरणन की, युक्ति यही
गुरुजी का भजन
(तर्ज – घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अखियन की…….)
कर सेवा गुरु चरणन की, युक्ति यही है भव-तरणन की ।।टेर।।
गुरु की महिमा है भारी, वेग करे भव जल पारी,
विपदा हरे ये तन-मन की ।। 1 ।।
कर सेवा गुरु चरणन की…………
मन की दुविधा दूर करे, ज्ञान भक्ति भरपूर करे,
भेद कहे शुभ कर्मन की ।। 2 ।।
कर सेवा गुरु चरणन की…………
भेद भरम सब मिटा दिया, घट में दर्शन कर दिया,
ऐसी लीला दर्शन की ।। 3 ।।
कर सेवा गुरु चरणन की…………
गुरु दयालु होते है, मन के मेल को धोते है,
मोह हटावे विषयन की ।। 4 ।।
कर सेवा गुरु चरणन की…………
गुरु चरणों में झुक जावें, भक्त कहे नित गुण गावें,
करूं वंदना चरणन की ।। 5 ।।
कर सेवा गुरु चरणन की…………
कर सेवा गुरु चरणन की, युक्ति यही है भव-तरणन की ।।