घणी दूर से दोड़्यो आयो, गाडुली के लार,
नरसी भगत का भजन
(तर्ज – बार-बार तोहे क्या समझाए पायल की झनकार ……… )
घणी दूर से दोड़्यो आयो, गाडुली के लार,
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा, जाणों है नगर अंजार ।। टेर ।।
नरसी बोल्या, म्हारे सागे, काई करसी,
ओढ़ण कपडा नाय, बठे सियां मरसी,
टूटी गाड़ी बैल पुराना, पैदल जावे हार ।। 1 ।।
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा……….
ध्यान दासजी कहवे, तूमड़ा फोड़ेगो,
ज्ञान दासजी कहवे, गाडुली तोड़ेगो,
घणी भीड़ सु टूटे म्हारों, ईकतारा रो तार ।। 2 ।।
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा……….
नानी बाई रो भात, देखबा चालूंगों,
पूण-पावलो थाली, माईने डालूँगो,
चार-पाँच दिन चोखा जीमण, जीमूँ जीमणवार ।। 3 ।।
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा……….
जुड़े ऊपर बैठ हाँकस्यूं में नारा,
थे करज्यो आराम, दबास्युं पग थारा,
घड़ी चार में भक्तां थाने, घालू नगर अंजार ।। 4 ।।
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा……….
भोले से भक्तां रे, भाव जद जाग्यायो,
के बिगड़े है बैठ, लेर जद भाग्यायो,
किसनो खाती करणे लाग्यो, मोड्या री मनवार ।। 5 ।।
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा……….
टूट्योड़ी गाड़ी भी, आज विमान बणी,
नरसी गावै भजन, सुणे खुद श्याम धणी,
सूरया सगला पीठ थपेड़े, जीतो रह मोट्यार ।। 6 ।।
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा……….
घणी दूर से दोड़्यो आयो, गाडुली के लार,
गाड़ी में बिठा ले रे बाबा, जाणों है नगर अंजार ।।