घमंडी मुर्गा – Ghamandi Murga
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – घमंडी मुर्गा – Ghamandi Murga – Highbrow Cock
दुनियाँ चले ना मेरे बिना
एक बार एक मुर्गा होता है। वह रोज सुबह जल्दी उठता और जोर से बांग देता कूकडू-कू। उसकी बांग से सभी लोग उठ जाते और थोड़ी देर में सूरज भी निकल जाता। उसे एसा करते करते कई साल बीत गए। एक बार उसके मन में विचार आया कि मेरे बांग देने पर ही लोग उठते है और सूरज निकलता है।
यदि में बांग ही ना दूँ तो सूरज न निकले, दिन ही हो और लोग सोते ही रह जाए। ये सोच कर उसे अपने ऊपर अभिमान हो गया। वो समझने लगा कि उसके कारण ही दुनियाँ चल रही है। अब वो अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता।
एक बार एक बूढी अम्मा ने अपने घर के सामने गेहूँ सुखाने के लिए रखे थे। मुर्गा वहां जाकर गेहूं खाने लगा। वह खा कम और गिरा ज्यादा रहा था। तभी बूढी अम्मा ने उसे देख लिया और उसने उसे वहां से भगा दिया। मुर्गे को गुस्सा आया, लेकिन वह वहां से चला गया।
कुछ दूर जाने पर उसने देखा कि खेल के मैदान में कुछ बच्चे खेल रहे है। तो मुर्गे महाशय भी वहां पहुँच गए और बच्चों के बीच बीच में दौड़ने लगे जिससे बच्चों का खेल ख़राब होने लगा तो उन्होंने भी उसे वहां से भगा दिया। अब तो मुर्गे को बहुत गुस्सा आ गया। उसने सोचा यहाँ के लोगों ने मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है, अब मैं इन्हें मजा चखाऊंगा।
मेरी बांग के बिना कैसे उठोगे?
अब कल मैं सुबह-सुबह बांग ही नहीं दूंगा जिससे न तो सूरज उगेगा और न ही ये गाँव वाले उठ पाएंगे। जब गाँव वालों का कोई भी कार्य समय पर पूरा नहीं होगा तो सब बड़े परेशान होगे। तब इन लोगों को मेरी अहमियत मालूम चलेगी।
तो बस फिर क्या था, अगले दिन मुर्गे ने बांग नहीं दी। वह बहुत देर तक सोता रहा। उठने के बाद उसने सोचा कि चलों गाँव वालों के मजे ले कर आता हूँ। अभी तक तो सब सो रहे होंगे, इतना सोच कर वह सर तान कर अपने घर से बाहर निकला।
लेकिन यह क्या गाँव के सारे लोग तो उठ कर अपने-अपने काम कर रहे थे और सूरज भी निकल कर काफी ऊपर आ गया था। मुर्गे को अपनी गलती का अहसास हो गया था। उसे पता चल गया था कि दुनिया उसके ऊपर निर्भर नहीं है।
वह अपना सा मुंह लेकर वापस अपने घर चला गया और दुसरे दिन से फिर सुबह-सुबह बांग देने लगा।
सीख
हमे कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। दुनियां में सभी कि अपनी-अपनी जगह और अहमियत होती है, और हमे बिना घमंड करे अपना कार्य पूरी ईमानदारी के साथ करते रहना चाहिए।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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