घृतान्ध ब्राह्मण – Gritandh Brahmin
पंचतंत्र की कहानियाँ – तीसरा तंत्र – कोकोलूकीयम – घृतान्ध ब्राह्मण – Gritandh Brahmin
देवास नगर में एक यज्ञदत्त नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी मोहिनी के साथ रहता था। वह लोगों के यहाँ पूजा-पाठ करवा कर अपनी आजीविका चलाता था। उसकी पत्नी मोहिनी उससे बिल्कुल प्रेम नहीं करती थी। उसी नगर में उसका प्रेमी बलदेव रहता था।
मोहिनी रोज घी-शक्कर के तरह-तरह के पकवान लड्डू, घेवर आदि बनाती और यज्ञदत्त के जाने के बाद ले जाकर बलदेव को खिला देती थी। कई दिनों तक उसको ऐसा करता देख एक दिन यज्ञदत्त ने मोहिनी से पूछा,
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – प्रिये, तुम रोज-रोज घी-शक्कर के पकवान बनाती हो, लेकिन मुझे तो तुमने कभी ये पकवान खाने के लिए नहीं दिए। आखिर तुम इन पकवानों का क्या करती हो?
🤷🏻♀️ मोहिनी – मैं आपकी लंबी उम्र के लिए देवी का उपवास करती हूँ। इसलिए मैं नित्य नए-नए पकवान बनाकर पास ही देवी के मंदिर में ले जाकर भोग लगाती हूँ और वहीं प्रसाद बाँट देती हूँ।
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – यह तो बड़ी अच्छी बात है।
कैसी पूजा?
यह सुनकर उसने मन में सोचा कि यज्ञदत्त ने उस पर विश्वास कर लिया है। अब मुझे इसे दिखाने के लिए रोज मंदिर जाना देगा, जिससे इसे मुझ पर शक ना हो। इसके बाद से वह यज्ञदत्त के सामने ही पकवान लेकर मंदिर जाने लगी।
लेकिन उसे यह सब झंझट लगने लगा। वह मंदिर में जाकर देवी की पूजा करके प्रार्थना करती कि उसका पति अंधा हो जाए तो वह आराम से अपने प्रेमी से मिल सके। एक दिन यज्ञदत्त यह सोचा कि मोहिनी रोज मंदिर में देवी की पूजा करने जाती है और नित्य नए पकवानों का भोग लगाती है। लेकिन इसने आज तक मुझे कभी प्रसाद नहीं खिलाया। मुझे छिप कर यह देखना चाहिए कि मोहिनी देवी की पूजा कैसे करती है और नित्य नए पकवानों का प्रसाद किसे बांटती है?
यह सोच कर अगले दिन ही वह मोहिनी के मंदिर जाने से पहले मंदिर चला गया और वहाँ देवी की मूर्ति के पीछे जाकर बैठ गया। थोड़ी देर में मोहिनी पकवानों का थाल लेकर मंदिर में आई। उसने हमेशा की तरह देवी की पूजा करने के बाद प्रार्थना करते हुए कहा,
🤷🏻♀️ मोहिनी – माँ, मैं ऐसा क्या करूँ कि मेरा पति अंधा हो जाए?
यह सुनकर यज्ञदत्त को बहुत दु:ख हुआ। वह जानना चाहता था कि उसकी पत्नी उसे अंधा क्यों करना चाहती है, इसलिए वह आवाज बदल कर बोला,
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – मैं तुम्हारी पूजा से बहुत प्रसन्न हूँ बेटी। यदि तुम रोज अपने पति को घी से बने घेवर खिलाओगी तो एक माह पश्चात् वह अंधा हो जाएगा।
देवी प्रसन्न हो गई
यह सुनकर मोहिनी बहुत प्रसन्न हुई। उसने सारे पकवान ले जाकर अपने प्रेमी बलदेव को खिलाए और घर आ गई। अगले दिन उसने घी के घेवर बनाकर अपने पति को परोसे। यह देखकर यज्ञदत्त ने उससे पूछा,
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – आज क्या बात है प्रिये, आज देवी को भोग ना लगाकर मुझे घेवर खिला रही हो।
🤷🏻♀️ मोहिनी – मेरा व्रत पूर्ण हो गया है महाराज, देवी ने मुझ पर प्रसन्न होकर वरदान दिया है कि यदि मैं रोज आपको घी के घेवर खिलाऊँगी तो आपकी उम्र लंबी हो जाएगी।
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – अच्छा तो ऐसी बात है।
अब तो मोहिनी रोज घी के घेवर बनाती और यज्ञदत्त को खिलाती। यज्ञदत्त भी बड़े मजे लेकर घी के घेवरों का आनंद लेता। कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन यज्ञदत्त ने मोहिनी से कहा,
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – मोहिनी, आज मेरी आँखों में क्या हो गया है? सुबह से ही मुझे कुछ साफ-साफ नजर नहीं आ रहा है।
यह सुनकर मोनिनी बहुत प्रसन्न हो गई लेकिन अपनी प्रसन्नता छुपाते हुए बोली,
🤷🏻♀️ मोहिनी – लगता है तुम्हारी आँखे कमजोर हो गई है। तुम्हें वैद्य के पास जाकर अपनी आँखों का इलाज करवाना चाहिए।
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – तुम थी कहती हो प्रिये। मैं आज ही वैद्य के पास जाकर दवाई लेकर आऊँगा।
दुस्साहस का फल
मोहिनी ने मन ही मन सोचा कि “मेरा पति तो देवी के आशीर्वाद से अंधा हुआ है। अब किसी भी दवा से इसकी आँखें ठीक नहीं हो सकती।” वह रोज की तरह ही अपने पति को घी के घेवर खिलाती रही। इसी तरह एक माह बीत गया। एक माह होने पर यज्ञदत्त ने पूरी तरह अंधा होने का नाटक शुरू कर दिया।
जब मोहिनी को विश्वास हो गया कि उसका पति बिल्कुल अंधा हो गया है। उसने अपने प्रेमी को अपने घर पर ही बुला लिया और उसे खूब सारे पकवान बना कर खिलाए। दोनों ने सोचा कि अब तो यज्ञदत्त अंधा हो गया है, अब ये हमारा क्या बिगाड़ लेगा। इसलिए मोहिनी ने उसे अगले दिन भी आने के लिए कहा।
यज्ञदत्त को यह सब देख कर बहुत दु:ख हुआ। उसने उनको सबक सिखाने की तैयारी कर ली। दूसरे दिन जब बलदेव उसके घर आया और मोहिनी उसे पकवान खिलाने लगी तब उसने अपनी लाठी उठाई और बलदेव को इतना मारा कि वह वहीं मर गया। फिर उसने अपनी पत्नि के बाल पकड़कर कहा,
🙍🏽♂️ यज्ञदत्त – तेरी जैसी कुलटा स्त्री की यहीं सजा है कि तू अपनी कटी हुई नाक लेकर दर-दर की ठोकरें खाती फिरे।
उसने पास ही रखा चाकू उठाया और मोहिनी की नाक काट दी। फिर उसे बालों से पकड़ कर घसीटते हुए घर से बाहर निकाल दिया।
सीख
गलत मार्ग पर चलने वाले और धोखा देने वाले लोगों को उसका फल भुगतना ही पड़ता है।
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पिछली कहानी – मेढकों को अपनी सवारी करवाने वाले सर्प की कहानी “स्वार्थ सिद्धि परम लक्ष्य”
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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