चैत्र मास का महत्व
:तीज-त्योहारों के साथ नियम संयम से रहने का महीना, इन दिनों व्रत-उपवास करने से बढ़ती है उम्र
चैत्र महीना 6 अप्रैल तक रहेगा। चैत्र महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा को चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है। इस कारण इसका नाम चैत्र है। इस महीने को भक्ति और संयम का महीना भी कहा जाता है। क्योंकि इन दिनों में कई व्रत और पर्व आते हैं।
ये महीना वसंत ऋतु के दौरान आता है। इसलिए इस महीने खान-पान में बदलाव करना चाहिए। इन दिनों प्रकृति में हर तरफ उत्साह का संचार भी होता है।
चैत्र महीने में हुआ भगवान विष्णु का पहला अवतार
पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।
धर्म और आध्यात्म: चैत्र महीने में करना चाहिए ये काम
- महाभारत के मुताबिक इस महीने एक समय खाना-खाना चाहिए।
- नियमित रुप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करने चाहिए।
- इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग का विधान है। ऐसा करने से तनाव मुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं।
- इस महीने में सूर्य और देवी की उपासना करना चाहिए। जिससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है।
- चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों में जल डालना चाहिए और लाल फलों का दान करना चाहिए।
आयुर्वेद के मुताबिक क्या करें और क्या नहीं
- सोने से पहले हाथ-मुंह धोने चाहिए और पतले कपड़े पहनने चाहिए।
- हल्के कपड़े पहनने चाहिए। संतुलित श्रंगार करना चाहिए।
- इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए।
- इस महीने से बासी भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए।
- आयुर्वेद के मुताबिक इस महीने में ठंडे जल से स्नान करना चाहिए। गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए। क्योंकि, मौसम में बदलाव के कारण शरीर में गर्म पानी से नहाने के कारण कुछ कमजोरी या संक्रमण की आशंका होती है।
6 अप्रैल तक हर दिन तीज-त्योहार:चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की हर तिथि खास, इसमें रामनवमी और हनुमान जयंती जैसे बड़े पर्व भी आएंगे
चैत्र महीने का शुक्ल पक्ष 22 मार्च से शुरू हो गया है। जो कि 6 अप्रैल तक रहेगा। व्रत और पर्व के लिहाज से चैत्र महीने का शुक्ल पक्ष बहुत ही खास होता है। इन 15 दिनों में हर तिथि अपने आप में खास होती है। जिनमें तीज-त्योहार रहते हैं।
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि रहती है। इनमें नौवें दिन श्रीराम का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है। इसके बाद एकादशी, भगवान महावीर और हनुमान जयंती मनाई जाती है। ग्रंथों में शुक्ल पक्ष की हर तिथि पर विशेष पूजा का विधान भी बताया गया है।
चैत्र शुक्ल पक्ष के व्रत-त्योहार (22 मार्च से 6 अप्रैल तक)
22 मार्च, बुधवार: इस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा होने से हिंदू नववर्ष मनाया जाएगा।
23 मार्च, गुरुवार: द्वितीया तिथि होने से इस दिन शाम को चंद्रमा एक पतले चांदी के तार की तरह दिखता है। इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा करने की परंपरा है।
24 मार्च, शुक्रवार: शुक्ल पक्ष की तृतीया होने से इस दिन भगवान शिव-पार्वती और अग्नि की पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया है।
25 मार्च, शनिवार: इस दिन विनायक चतुर्थी होने से गणेशजी की पूजा की जाएगी।
26 मार्च, रविवार: पंचमी तिथि होने से इस दिन लक्ष्मीजी और नाग देवता की पूजा करने की परंपरा है।
मार्च के आखिरी सप्ताह में मनेंगे दुर्गाष्टमी और रामनवमी पर्व…
27 मार्च, सोमवार: इस दिन षष्ठी तिथि होने से भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाएगी।
28 मार्च, मंगलवार: चैत्र महीने की सप्तमी तिथि होने से इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है।
29 मार्च, बुधवार: इस दिन अष्टमी तिथि रहेगी। इस तिथि पर मां दुर्गा की पूजा और ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने का विधान बताया गया है।
30 मार्च, गुरुवार: नवमी तिथि होने से ये भद्रकाली पूजा का दिन रहेगा। इसी दिन श्रीराम जन्मोत्सव यानी रामनवमी पर्व मनेगा।
31 मार्च, शुक्रवार: चैत्र शुक्ल पक्ष के दसवें दिन भगवान धर्मराज की पूजा करनी चाहिए। दशमी तिथि पर इनकी पूजा करने से रोग और दोष खत्म होते हैं।
अप्रैल के पहले हफ्ते में आने वाले तीज-त्योहार –
1 अप्रैल, शनिवार: इस दिन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रहेगी। जिससे कृष्ण भगवान का दोलोत्सव यानी कृष्ण पत्नी देवी रुक्मिणी की पूजा करने का विधान है।
2 अप्रैल, रविवार: द्वादशी तिथि पर दमनकोत्सव मनाते हैं। इसमें दमनक यानी दवना या दौना पौधे की पूजा होती है। ग्रंथों के मुताबिक ये पौधा शिवजी के तीसरे नेत्र की आग से बना है।
3 अप्रैल, सोमवार: इस दिन त्रयोदशी तिथि होने से सोम प्रदोष का शुभ संयोग रहेगा। जिसमें भगवान शिव-पार्वती की पूजा से मनोकामना पूरी होती है और दोष खत्म हो जाते हैं।
4 अप्रैल, मंगलवार: चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर कामदेव की पूजा करने की परंपरा है।
5 अप्रैल, बुधवार: इस दिन चतुर्दशी तिथि होने से भगवान नृसिंह, एकवीर भैरव और शिवजी की पूजा करने का विधान है।
6 अप्रैल, गुरुवार: इस दिन हनुमान जयंती रहेगी। साथ ही चैत्र पूर्णिमा, मन्वादि तिथि होती है। इस दिन स्नान-दान करने से अक्षय पुण्य मिलेगा।