चतुर सियार की रणनीति – Chatur Siyar Ki Ranniti
पंचतंत्र की कहानियाँ – चौथा तंत्र – लब्धप्रणाशा – चतुर सियार की रणनीति – Chatur Siyar Ki Ranniti – The Strategy of Clever Jackal
चतुराई और बुद्धिमानी से बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है। पंचतंत्र की इस कहानी में एक चतुर सियार है, जो अपनी चतुराई से अपनी समस्या का हल निकाल लेता है। तो देखते है, क्या थी उसकी समस्या और उसने इसे कैसे दूर किया?
आज तो मजे आ गए, लेकिन
एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था। वह बहुत ही चतुर था। एक दिन वह खाने की तलाश में जंगले में घूम रहा था तो उसे एक मरा हुआ हाथी दिखाई दिया। मरे हुए हाथी को देखकर उसकी बांछे खिल गई।
उसने सोचा, “अरे वाह, इससे तो मुझे कई दिनों तक का भोजन मिल जाएगा|” वह भाग कर हाथी के पास गया और उसे खाने के लिए अपने दांत उसकी चमड़ी में चुभा दिए। लेकिन उसकी चीख निकल गयी, उसने कराहते हुए अपने मुंह पर हाथ लगाया।
हाथी की मोटी चमड़ी को उसके दांत नहीं चीर सकते थे। अब उसके सामने समस्या हो गई भोजन सामने था लेकिन वह उसे खा नहीं सकता था।
बाप रे शेर आ गया
उसे सामने से एक शेर आता हुआ दिखाई दिया। उसने सोचा यदि शेर ने इस हाथी को देख लिया तो वह इस पर अपना अधिकार कर लेगा और मेरे मुंह से निवाला छिन जाएगा। उसका दिमाग तेजी से चलने लगा | जैसे ही शेर उसके पास आया उसने हाथ जोड़ कर अपने शब्दों में मिश्री घोलकर कहा,
🐺 महाचतुरक – आइये स्वामी, आपका स्वागत है, मैंने आपके लिए ही इस हाथी को मारकर रखा है, कृपया इसे स्वीकार कर मुझे कृतार्थ करें।
🦁 शेर – मैं इस जंगल का राजा हूँ और मैं अपना शिकार खुद करता हूँ। किसी दुसरे के किये शिकार को तो मैं हाथ भी नहीं लगाता, इसे तुम ही खाओ।” इतना कहकर शेर वहां से चला गया। शेर के जाने से महाचतुरक बहुत ही खुश हुआ।
लेकिन उसकी समस्या तो जस की तस थी। बिना हाथी की चमड़ी को चीरे वह उसका मांस नहीं खा सकता था। वह हाथी के चारों और घूम-घूम के देखने लगा कि कहीं से तो उसकी चमड़ी थोड़ी पतली होगी जहाँ से हाथी को खाया जा सकता है| लेकिन असफल रहा।
भागा रे भागा बाघ भागा
तभी अचानक से वहां एक बाघ आ गया उसने अपने मुंह पर जीभ फिराते हुए बड़ी ललचाई सी नजरों से हाथी को देखा। महाचतुरक उसकी मंशा समझ गया और चिंतित होते हुए बड़े मीठे स्वरों में बोला,
🐺 – अरे मामा, आप इधर कहाँ आ गए। अभी-अभी शेर ने इस हाथी का शिकार किया है, और मुझे इसकी रखवाली करने को कहकर पास ही नदी में स्नान करने को गया है। “उसने मुझे चेतावनी दी है कि कोई भी बाघ उसके शिकार के आस-पास भी नहीं दिखना चाहिए क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही एक बाघ ने उसके शिकार को जूठा कर दिया था। तभी से उन्हें बाघों से नफरत हो गई है।
“अब यदि कोई भी बाघ उनके शिकार के आस-पास भी नजर आया तो इस शिकार से पहले वह उस बाघ को ही मार कर खा जायेंगे। मैं तो आपका हिमायती हूँ इसलिए आपको सलाह दे रहा हूँ कि शेर के यहाँ आने से पहले यहाँ से भाग जाए। मैं भी उन्हें आपके आने के बारे में कुछ नहीं बताऊंगा।”
इतना सुनते ही बाघ दर के मारे सर पर पैर रखकर वहां से भाग गया।
चीता तो बड़े काम का है
इतने में ही महाचतुरक को सामने से एक चीता आता दिखाई दिया। उसने सोचा एक मुसीबत जाती नहीं कि उससे पहले दूसरी मुसीबत सामने आ जाती है, अब इससे कैसे निपटूँ। उसने दिमाग लगाया इससे मैं अपना काम निकलवा सकता हूँ।
चीते के दांत बड़े तीखे होते है, मैं ऐसा क्या करूँ कि चीता हाथी कि चमड़ी भी फाड़ दे और मांस भी ना खा पाए। जैसे ही चीता उसके पास आया। वह बड़े ही प्यार से अपने स्वरों में चापलूसी की चाशनी डालकर बोला,
🐺 महाचतुरक – आओ भांजे, आज तो बड़े दिनों में दिखाई दिए। लगता है बहुत भूखे हो?
🐯 चीता – (हाथी को ललचाई नजरों से देखते हुए) हाँ, भूख तो बहुत तेज लग रही है।
🐺 महाचतुरक – शेर ने अभी-अभी इस हाथी का शिकार किया है और मुझे इसकी रखवाली करने को कहकर पास ही नदी में स्नान करने गया है। लेकिन तुम इसका कुछ मांस खा सकते हो, जैसे शेर आता दिखाई देगा, मैं तुम्हे सूचित कर दूंगा, तुम तुरंत भाग जाना।
हाथी के मांस का नाम सुनकर चीते के मुंह से लार टपकने लगी थी, लेकिन शेर का नाम सुन कर वह घबरा गया। उसने हाथी का मांस खाने से इन्कार कर दिया। लेकिन सियार के पूरी तरह से विश्वास दिलवाने पर वह तैयार हो गया।
और काम बन गया
चीते ने पलक झपकते ही अपने तीखे दांतों से हाथी की चमड़ी चीर दी। महाचतुरक ने जैसे ही यह देखा कि चीते ने हाथी की चमड़ी चीर दी है और वह उसका मांस खाने वाला है, वह घबराते हुए चिल्लाया,
🐺 महाचतुरक – भागों भांजे, शेर आ रहा है।
इतना सुनना था कि चीते ने आव देखा ना ताव और नाक की सीध में सरपट भाग खड़ा हुआ। सियार बहुत खुश हुआ। महाचतुरक ने हाथी का माँस खाना शुरू कर दिया। अभी उसने एक-दो ग्रास ही खाए होंगे कि एक दूसरा सियार उधर आ गया।
उसे देख कर महाचतुरक ने सोचा, “शेर, बाघ और चीता मुझसे शक्तिशाली थे। शेर को मैंने साम और दाम नीति से अर्थात उसकी प्रशंसा करके उसे हाथी भेंट में देकर, बाघ को दंड और भेद नीति से शेर का भय दिखाकर और चीते को दाम और दंड नीति से हाथी को खाने का लालच देकर और शेर का भय दिखाकर मैंने अपना काम निकाल लिया। यह तो मेरे समकक्ष बलशाली है, इसे तो अपने पराक्रम से हराकर ही भगाना चाहिए।”
इतना सोच वह उस सियार पर टूट पड़ा। दोनों में भयंकर लड़ाई हुई, अंत में महाचतुरक उसे घायल करके वहाँ से दूर तक खदेड़ दिया। फिर उसने कई दिनों तक उस विशाल हाथी का मांस छक कर खाया।
सीख
हम अपनी बुद्धि का सही तरह से प्रयोग करके कठिन से कठिन समस्याओं का हल भी बड़ी आसानी से निकाल सकते है, जैसे चतुर सियार ने अपनी बुद्धि का प्रयोग सूझ-बुझ के साथ करके बड़े-बड़े हिंसक जानवरों को छकाकर अपना काम भी निकाल लिया।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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