बिल्ली के गले में घंटी – Billi Ke Gale Men Ghanti
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – बिल्ली के गले में घंटी – Billi Ke Gale Men Ghanti – The Bell in Cat’s Neck
एक बहुत बड़ा अनाज का गोदाम था। उस गोदाम के पास ही चूहों की एक बस्ती थी। उस बस्ती में सैंकड़ों चूहे रहते थे। एक बार बस्ती का एक चूहा भोजन के तलाश में उस गोदाम में चला गया। अनाज के गोदाम में इतना सारा अनाज देखकर उसकी खुशी का पारावार ना रहा। वह भागा-भागा अपनी बस्ती में गया और सब चूहों को बताते हुए बोला,
🦏 एक चूहा – सुनों-सुनों, मुझे आज एक ऐसी जगह मिली है, जहाँ इतना सारा अनाज है कि अब हमें रोज-रोज खाने की तलाश में भटकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
🐹 दूसरा चूहा – अरे वाह, ऐसी कौन सी जगह है, हमें भी ले चलों।
मजे आ गए
वह चूहा उन सबकों उस गोदाम पर ले गया। गोदाम में अनाज का भंडार देखकर सारे चूहे खुशी से नाचने लगे। अब तो उनकी मौज हो गई। वे गोदाम में पेट भर के अनाज खाते और सारा दिन उसमें धमा-चौकड़ी मचाते। उन्होनें गोदाम में ही अपने बिल बना लिए, अनाज के सारे ढेरों को फैला दिया, जगह-जगह गंदगी फैला दी।
एक दिन उस गोदाम का मालिक उस गोदाम में आया। जब उसने अपने गोदाम की यह हालत देखी तो उसे सारा मामला समझ में आ गया।अगले ही दिन वह एक बिल्ली लेकर आया और उसे गोदाम में छोड़ दिया। बिल्ली को देख कर सारे चूहे अपने-अपने बिलों में जा छुपे। लेकिन अब तो चूहों की शामत आ चुकी थी। जैसे ही कोई चूहा बिल से बाहर निकल कर अनाज खाने लगता, बिल्ली आ जाती। वह झपट्टा मार कर उसे पकड़ लेती और मार कर खा जाती।
ऐसा रोज होने लगा। एक तो चूहों को अनाज खाने को नहीं मिल रहा था और दूसरे वह बिल्ली रोज चूहों को खा-खा कर मोटी होती जा रही थी। चूहों की संख्या कम होने लगी। उनकी धमा-चौकड़ी भी बंद हो गई। इससे परेशान होकर सभी चूहे एक जगह इकट्ठे हुए और इस समस्या का हल निकालने के लिए सभा की। चूहों के मुखिया ने कहा,
🐭 मुखिया – इस बिल्ली ने तो हमारा जीना हराम कर रखा है। उसके आतंक से छुटकारा पाने के लिए ही इस सभा का आयोजन किया गया है। इस समस्या का हल निकालने के लिए आप सभी एक-एक करके अपने-अपने सुझाव दीजिए।
बिल्ली के गले में घंटी
सभी एक-एक करके अपनी-अपनी समझ के अनुसार सुझाव देने लगे। लेकिन किसी के भी सुझाव पर सर्व सहमति नहीं बन पाई। अंत में एक नौजवान चूहे की बारी आई। उसने सुझाव दिया,
🐹 नौजवान चूहा – हम कहीं से एक रस्सी और एक घंटी लेकर आ जाए और उसे बिल्ली के गले में बांध दें। बिल्ली के गले में घंटी बंधी होने के कारण जब भी वह हमारे पास आएगी, घंटी की आवाज से हमें पता चल जाएगा। हम भाग कर अपने-अपने बिल में छिप जाया करेंगे। इससे बिल्ली हमारा शिकार नहीं कर पाएगी और हमारी जान बच जाएगी।
🦏 एक चूहा – हाँ-हाँ, यह सही रहेगा। इससे हमें बिल्ली के आतंक से मुक्ति मिल जाएगी और हम पहले के समान निडर होकर अनाज खा सकेंगे। धमा-चौकड़ी कर सकेंगे।
सभी को यह सुझाव पसंद आ गया। बिल्ली से छुटकारा पाने की खुशी में सभी चूहे मस्ती से नाचने लगे। उन्हें इस तरह से नाचता देखकर एक बूढ़ा चूहा उठा और उन्हें रोकते हुए बोला,
बाँधेगा कौन?
🐁 बूढ़ा चूहा – अरे मूर्खों, चुपचाप बैठ जाओं। तुम लोग तो इस तरह खुशी मना रहे हो, जैसे तुम लोगों ने यह युद्ध जीत लिया है। अभी बिल्ली के गले में घंटी बंधी नहीं है। जब तक बिल्ली के गले मैं घंटी बंध नहीं जाती, उसके आतंक से हमें छुटकारा नहीं मिल सकता।
🦏 एक चूहा – लेकिन हमें उससे छुटकारा पाने का उपाय तो मिल गया है।
🐁 बूढ़ा चूहा – ठीक है, पहले ये बताओं यह असंभव काम करेगा कौन? ऐसा कौन है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर बिल्ली के गले में घंटी बांधने जाएगा?
बूढ़े चूहे की बात सुनकर सभी चूहों को जैसे साँप सूंघ गया हो। सभी चूहे चुपचाप बैठ कर एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। कोई भी चूहा अपनी जान जोखिम में डालकर यह काम करने के लिए आगे नहीं आया।
सभी उदास होकर मुँह लटकाकर बैठ गए। तभी बिल्ली वहाँ आ गई। उसे देखते ही सारे चूहे डरकर अपने बिलों में जा छुपे।
तभी से यह मुहावरा प्रचलित हो गया “बिल्ली के गले में घंटी बाँधना” अर्थात् असंभव कार्य करने की कोशिश करना।
सीख
योजनाएँ बनाने से किसी भी समस्या का हल नहीं होता। समस्या का समाधान करने के लिए उन योजनाओं पर अमल करना आवश्यक है। इसलिए योजना भी ऐसी बनानी चाहिए, जिसका क्रियान्वयन किया जा सके।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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