मुर्गा और लोमड़ी – Murga Aur Lomdi
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – मुर्गा और लोमड़ी – Murga Aur Lomdi The Cock and The Fox
एक घने जंगल में एक पेड़ पर एक मुर्गा रहता था। वह रोज सूरज उगने से पहले उठ जाता और बांग देता। उसके बाद अपने नित्य कर्मों से निवृत्त होकर जंगल में दाना-पानी की तलाश में निकल जाता ओर शाम को वापस अपने पेड़ पर आ जाता। उसी जंगल में एक चालाक लोमड़ी भी रहती थी। वह उस मुर्गे को खाना चाहती थी।
उसे देखते ही उसके मुहँ से लार टपकने लगती। वह सोचती, “कितना बड़ा और ह्रष्ट-पुष्ट मुर्गा है। काश, किसी तरह यह मुर्गा मेरे हाथ में आ जाए तो मजा आ जाए।“ उसने कई बार मुर्गे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन लेकिन मुर्गा भी कम होशियार नहीं था, वह हर बार बच निकलता।
तुझको अपने गले लगा लूँ
एक बार उसने मुर्गे को पकड़ने के लिए एक चाल चली। वह मुर्गे के पास गई। मुर्गा अपने पेड़ पर इत्मीनान से बैठा हुआ था। उसे देखकर लोमड़ी ने कहा,
🦊 लोमड़ी – अरे ओ मुर्गे भाई, तुमने भी वह खबर सुनी, जो मैंने सुनी है?
🐓 मुर्गा – कौन-सी खबर?
🦊 लोमड़ी – जंगल के राजा शेर ने अपने मंत्रियों के साथ बैठकर सभा की थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है कि अब सब जानवर हिल-मिलकर रहेंगे। कोई भी जानवर आपस में लड़ाई-झगड़ा नहीं करेंगे। कोई भी जानवर एक-दूसरे को नुकसान नहीं पँहुचाएगा।
उनके इस फैसले का मान रखने के लिए मैं यहाँ आई हूँ। आज से मैं अपने और तुम्हारे पुराने सारे गिले-शिकवे भूल कर तुम्हें अपने गले लगा कर, तुम्हें बधाई देना चाहती हूँ। आओ जल्दी से नीचे आ कर मेरे गले लग जाओं।
कुछ देर इंतजार करते है
🐓 मुर्गा – (मुसकुराते हुए) अरे वाह लोमड़ी बहन, तुमने तो बहुत अच्छी खुशखबरी सुनाई है। लेकिन इतनी अच्छी खबर की अकेले-अकेले खुशी क्या मनाना। मुझे यहाँ से दिखाई दे रहा है कि अपने कुछ दोस्त भी इधर ही चले आ रहे है। उन्हें आने दो फिर सब मिलकर एक-दूसरे को गले लगायेंगे।
🦊 लोमड़ी – दोस्त, कौन से दोस्त आ रहे है?
🐓 मुर्गा – अरे वो शिकारी कुत्ते। अब नए आदेश के मुताबिक वे भी तो हमारे दोस्त बन गए है ना। वे आ जाए तब सबसे पहले तुम उन्हीं को गले लगाकर बधाई दे देना।
शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी डरकर भागने लगी। यह देखकर मुर्गे ने कहा,
🐓 मुर्गा – अरे बहन, कहाँ जा रही हो? अपने दोस्तों से गले नहीं मिलोगी?
🦊 लोमड़ी – हाँ हाँ, दोस्त तो है, लेकिन शायद उन तक अभी यह खबर नहीं पहुँची है।
इतना कहने के बाद लोमड़ी ने आव-देखा ना ताव, बस अपने नाक की सीध में नौ दो ग्यारह ही गई।
मुर्गा मुस्कुराते हुए उसे भागते हुए देखता रहा।
तो दोस्तों देखा आपने मुर्गे ने किस चतुराई से लोमड़ी की मीठी-मीठी बातों में ना आते हुए अपनी जान बचा ली।
सीख
- अपनी बुद्धि और सजगता से हम बड़े से बड़े दुश्मन को भी मात दे सकते है।
- किसी की भी मीठी-मीठी बाटीं पर सहजता से विश्वास नहीं करना चाहिए।
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तो दोस्तों, तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? बताना जरूर, आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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