मेहंदी रची थारे हाँथ में, घुल रह्यो काजल
माताजी (रानी सती) का भजन
मेहंदी रची थारे हाँथ में, घुल रह्यो काजल आंख्या में,
चुनरी को रंग सुरंग माँ रानी सती – 2,
फूल खिल्यो जड बागा में, चाँद उग्यो माँ राता में,
थारो किसो सुहानो रूप, माँ रानी सती ।। टेर ।।
रूप सुहानो जद से देख्यो, निन्दड़ली नहीं आंख्या में,
म्हारे मन पर जादू कर गयी, थारी मीठी बात ने,
भूल गयी सब कामा ने, याद करू थारे नामा ने,
माया को छूटो फंद, माँ रानी सती ।। 1 ।।
मेहंदी रची थारे हाँथ में, ……….
थे कहो तो दादी थारी, नथणी बन जाऊँ मैं ,
नथणी बन जाऊँ, थारे होंठा से लग जाऊँ मैं ,
चुडलो बनु थारे हाथ्या में, बोर बनू थारे माथा में,
बन जाऊ बाजूबंद , माँ रानी सती ।। 2 ।।
मेहंदी रची थारे हाँथ में, ……….
थे कहो तो दादी थारी, पायलड़ी बन जाऊँ मैं,
पायलड़ी बन जाऊँ, थारे चरणा में रम जाऊ मैं,
हार बनु थारे गले मा, मोती बनु थारे झुमका मे,
नयना में करल्यो बंद, माँ रानी सती ।। 3 ।।
मेहंदी रची थारे हाँथ में, ……….
मेहंदी रची थारे हाँथ में, घुल रह्यो काजल आंख्या में,
चुनरी को रंग सुरंग माँ रानी सती -2,
फूल खिल्यो जड बागा में, चाँद उग्यो माँ राता में,
थारो किसो सुहानो रूप, हे माँ रानी सती ।।