लालची राजा – Lalchi Raja
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – लालची राजा – Lalchi Raja – The Greedy King
यूरोप के यूनान नामक देश में मिदास नाम का राजा राज करता था। वह बहुत ही लालची था। उसकी एक प्यारी से बेटी मुनमुन थी। राजा अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था। बेटी के अलावा संसार में केवल सोना (स्वर्ण) ही उसे बहुत प्यारा था। वैसे तो उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी सोते-जागते वह बस ज्यादा से ज्यादा सोना इकट्टा करने के बारे में ही सोचता रहता था।
उसका खजाना सोने की ईंटों और अशर्फियों से भरा हुआ था। वह अपने खजाने को देख कर खुश होता, लेकिन अगले ही पल वह यह सोच कर उदास हो जाता कि “दुनियाँ में कितना सारा सोना है। लेकिन उसके पास तो उस सोने का अंश मात्र भी सोना नहीं है।“ वह सदा भगवान से प्रार्थना करता रहता कि उसे बहुत सारा सोना दे दें।
छूकर कंचन कर दूँ
एक दिन राजा मिदास अपने खजाने में बैठा सोने की ईटे और अशर्फियां गिन रहा था, तभी वहाँ एक देवदूत प्रकट हो गया। उस देवदूत ने राजा कहा,
🧞 देवदूत – अरे वाह मिदास, तुम्हारे पास तो कितना सारा सोना है! तुम तो बहुत धनी हो!
🤴🏻 मिदास – (उदास होते हुए) मैं धनी कहाँ हूँ? मेरे पास तो बहुत थोड़ा सोना है। दुनियाँ में जितना सोना है, उसका अंश मात्र भी मेरे पास नहीं है।
🧞 देवदूत – तुम्हारे पास इतना सोना है, फिर भी तुम संतुष्ट नहीं हो। तुम्हें और कितना सोना चाहिए?
🤴🏻 मिदास – बहुत सारा, मैं चाहता हूँ कि मेरे पास दुनियाँ में सबसे ज्यादा सोना हो।
🧞 देवदूत – मैं तुम्हारी एक इच्छा पूरी कर सकता हूँ। तुम मुझसे जो भी वरदान माँगना चाहते हो वह माँग लो।
🤴🏻 मिदास – यदि आप देना ही चाहते हो तो मुझे यह वरदान दीजिए कि मैं जिस भी वस्तु को अपने हाथ से स्पर्श करूं, वह सोने की हो जाए।
🧞 देवदूत – एक बार फिर सोच लो, क्या तुम्हें यही चाहिए?
🤴🏻 मिदास – इसमें सोचने वाली क्या बात है? मैं जिसे स्पर्श करूँ वह सोना बन जाएगा, तो मेरे पास सोना ही सोना हो जाएगा। मेरे चारों तरफ हर वस्तु सोने की हो जाएगी। मैं संसार का सबसे धनी व्यक्ति बन जाऊँगा।
🧞 देवदूत – (मुसकुराते हुए) ठीक है, कल सुबह से तुम जिस वस्तु को हाथ लगाओगे, वह वस्तु सोने के ही जाएगी।
इतना कह कर देदुत अंतर्ध्यान हो गया। मिदास बेसब्री से सुबह होने का इंतजार करने लगा। उसे उस रात नींद भी नहीं आई। सारी रात वह यही सोचता रहा कि कल किस-किस वस्तु को सोना बनाना है।
सोना ही सोना!
अगले दिन सुबह उठते ही राजा ने अपने पास रखी कुर्सी को हाथ लगाया। उसके हाथ का स्पर्श होते ही वह कुर्सी सोने की हो गई। फिर उसने एक मेज को छुआ, वह भी सोने में परिवर्तित हो गई। यह देखकर राजा मिदास खुशी से नाचने लगा।
वह भाग-भाग कर महल में रखी वस्तुओं को छुने लगा। उसके छूते ही वह वस्तु सोने में बदल जाती। अब तो वह खुशी से पागल ही हो चुका था। वह पागलों की तरह भागता हुआ अपने बाग में गया और वहाँ पेड़-पौधों, फूलों, गमलों, पक्षियों जिस को भी छुआ सब सोने के बन गए।
सारी चीजों को सोना बनाने की खुशी में उसको यह भी ध्यान नहीं रहा कि उसके कपड़े भी सोने में परिवर्तित होकर भारी हो गए थे। दौड़ते-भागते वह थक गया और उसे भूख प्यास भी सताने लगी। वह लौटकर राजमहल गया और अपने सेवकों को पानी और खाना लाने के लिए कहा। एक सेवक ने पानी की गिलास, खाने की थाली और फल आदि खाने का सामान लाकर उसके सामने रख दिया।
उसका कंठ प्यास के मारे सूख रहा था। उसने जल्दी से पानी की गिलास उठाई। लेकिन यह क्या, उसने जैसे ही पानी को छुआ, वह भी सोने में बदल गया। उसने थाली अपनी थाली में से रोटी उठाई, लेकिन वह भी सोने में बदल गई। फिर उसने चावल खाने चाहे, लेकिन वे भी सोने में बदल गए। उसकी भूख-प्यास बढ़ती जा रही थी, लेकिन वह जिस भी चीज को खाने के लिए उठाता, वही चीज सोने में बदल जाती।
मिदास भूख-प्यास से व्याकुल हो रहा था। उसके सामने रोटी, चावल, सब्जी, फल और पानी सब रखे हुए थे, लेकिन सब सोने में बदल चुके थे। अब सोने को कैसे खाया जाए? यह सब देख कर मिदास की आँखों में पानी आ गया। उसी समय उसकी बेटी मुनमुन खेलती हुई उसके पास आई। जब उसने अपने पिता की आँखों में आसू देखे तो वह उसकी गोद में बैठ गई और उसके आँसू पोंछने लगी।
ना चाहूँ सोना
मिदास ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा लेकिन यह क्या! वह भी सोने की हो गई। अब तो मिदास के सब्र का बांध टूट गया। अपनी जान से प्यारी बेटी को सोने की प्रतिमा में बदलते देख वह सिर पीट-पीट कर रोने लगा। वह भाग कर भगवान के सामने गया और रो-रोकर उनसे प्रार्थना करने लगा।
उसे इस तरह रोते देखकर देवदूत फिर से उसके सामने प्रकट हो गया। देवदूत को अपने सामने देख कर राजा उनके चरणों में गिर पड़ा और गिड़गिड़ाते हुए बोला,
🤴🏻 मिदास – हे भगवन्, आप अपना वरदान वापस ले लीजिए। मुझे यह वरदान नहीं चाहिए।
🧞 देवदूत – लेकिन तुम्हीं ने तो मुझसे यह वरदान माँगा था। क्या अब तुमको सोना नहीं चाहिए?
🤴🏻 मिदास – हाँ, क्योंकि मैं समझता था कि सोना ही दुनियाँ की सबसे मूल्यवान वस्तु है। लेकिन अब मैं समझ चुका हूँ, कि दुनियाँ में सोने से भी ज्यादा मूल्यवान खाना, पानी, हवा, कपड़े जैसी कई चीजे है। सोने के बिना तो काम चल सकता है, लेकिन इन चीजों के बिना तो जीवन ही संभव नहीं है। अब मैं कभी लोभ नहीं करूँगा, बस आप एक बार अपने इस वरदान को वापस ले लीजिए।
🧞 देवदूत – (एक लोटा देते हुए) ठीक है, इस लोटे का जल सब चीजों पर छिड़क दो। सारी चीजें पहले के समान हो जाएंगी।
लोटा देकर देवदूत अंतर्ध्यान हो गए। राजा ने सबसे पहले अपनी बेटी पर लोटे का जल छिड़का। उसकी बेटी पहले के समान हो गई। फिर राजा ने उन सभी वस्तुओं पर भी जल छिड़का, जिन्हें उसने सोने में बदल था। सभी चीजें पहले के समान हो गई। पेड़-पौधे लहलहाने लगे, पक्षी चहचहाने लगे। यह देख कर राजा बहुत खुश हुआ।
अब उसे जीवन का असली आनंद मिल चुका था।
सीख
हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए। ज़्यादा के चक्कर में हम, जो भी हमारे पास है उसे भी गँवा सकते है।
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पिछली कहानी – अपने ईमान कर कायम रहने वाले लकड़हारे की कहानी – तीन कुल्हाड़ियाँ
तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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