शोषत गुरु मोहे भावे रे साधु भाई
गुरुजी का भजन
साखी गुरु पारस गुरु परस हैं, चन्दन वास सुवास ।
सतगुरु पारस जीव के, दीन्हो मुक्ति निवास ।।
सतगुरु बड़े सराफ हैं, परखे खरा और खोट ।
भवसागर ते काढ़िके, राखे अपनी ओट ।।
सद्गुरु मेरा सूरमा, वार करे भरपूर ।
बाहिर कछु ना दीख ही, भीतर चकनाचूर ।।
बलिहारी गुरु आपकी, घड़ी-घड़ी सौ-सौ बार ।
मानुष ते देवता किया, करत न लागी बार ।।
भजन
सो सतगुरु मोहे भावे रे साधु भाई, शोषत गुरु मोहे भावे,
राम नाम का भर प्याला – 2, आप पिवे मोहे पावे रे साधु भाई ।।टेर।।
साधू कहावे ना संत कहावे, पूजा भेंट कछु नहीं चावे रे साधु भाई ।। 1 ।।
शोषत गुरु मोहे भावे……….
पर्दा दूर करे अँखियन का, आतम दरश दिखावे रे साधु भाई ।। 2 ।।
शोषत गुरु मोहे भावे……….
निश दिन राम भजन में रहता, शब्दों में सुरति समावे रे साधु भाई ।। 3 ।।
शोषत गुरु मोहे भावे……….
कहत कबीरा सुन भाई साधु, वो अमरपुरा जावे रे साधु भाई ।। 4 ।।
शोषत गुरु मोहे भावे……….
शोषत गुरु मोहे भावे रे साधु भाई, शोषत गुरु मोहे भावे,
राम नाम का भर प्याला – 2, आप पिवे मोहे पावे रे साधु भाई ।।