साँप और चींटियाँ – Sanp Aur Chintiyan
पंचतंत्र की कहानियाँ – तीसरा तंत्र – काकोलूकीयम – साँप और चींटियाँ – Sanp Aur Chintiyan – The Snake and The Ants
एक जंगल में एक बहुत बड़ी बांबी थी, जिसके बहुत सारे मुँह थे। उसमें अतिदर्प नाम का एक काला और विषैला साँप रहता था। वह अपनी विषैली फुफकार से ही किसी को भी घायल कर देता था। उसका काटा पानी भी नहीं मांग पाता था।
छोटे-छोटे जानवरों को वह अपनी जहरीली फुफकार से घायल कर मार कर खा जाता। कोई बड़ा जानवर उस पर हमला करता तों उसे डस कर उसे मार डालता। इस बात का उसे बहुत अभिमान हो गया था। उसे लगता था कि कोई भी उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। वह अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता था।
एक दिन वह अपने बिल के बड़े रास्ते को छोड़ कर छोटे रास्ते से बाहर निकलने लगा। रास्ता बहुत ही संकरा था। रास्ते की दीवारों से टकराकर उसका शरीर छीलने लगा। उसे असहनीय पीड़ा होने लगी, लेकिन रास्ता संकरा होने के कारण अब वह वापस भी नहीं मुड़ सकता था।
खैर, असहनीय पीड़ा सहते हुए वह धीरे-धीरे रेंगता हुआ उस रास्ते से बिल के बाहर आ गया। लेकिन उसका शरीर बुरी तरह से छिल चुका था। उसके शरीर पर जगह-जगह घाव हो गए थे, जिनमें से खून रिसने लगा।
दर्द के मारे निढाल होकर वह वहीं लेट गया। उस बांबी से थोड़ी दूर ही चींटियों की बस्ती थी। जहाँ बहुत सारी चींटियाँ रहती थी। जब साँप के खून की गंध उन तक पँहुची तो वे सब गंध का पीछा करते-करते साँप के पास पँहुच गई।
बहुत सारी चींटियाँ साँप के घावों से चिपट गई और उसका खून पीने लगी। उनके काटने से साँप दर्द के मारे और व्याकुल हो गया। अपनी ताकत के अभिमान वश वह वहाँ से भागने की बजाए, चींटियों को मारने लगा।
अपनी जहरीली फुफकार से उसने कई चींटियों को मार डाला, लेकिन चींटियों की संख्या असंख्य थी। वह जितनी चींटियों को मारता उससे अधिक चींटियाँ और आ जाती। आखिर वह कब तक उन्हें मारता। थोड़ी ही देर में उसकी शक्ति जवाब दे गई और वह निढाल हो गया।
चींटियों ने काट-काट कर उसके घावों को और गहरा कर दिया। उसका पूरा शरीर छलनी हो गया। असहनीय पीड़ा सहते हुए वह मर गया। थोड़ी ही देर में चींटियाँ उसे पूरा चट कर गई।
सीख
- कोई कितना ही बलशाली क्यों ना हो वह एक साथ कई दुश्मनों का सामना नहीं कर सकता।
- दुर्बल यदि एक हो जाए तो बलवान से बलवान दुश्मन का भी सफाया कर सकते है।
- यदि दुशमन संख्या में अधिक हो तो पीछे हटने में ही बुद्धिमानी होती है।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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