सारस और लोमड़ी – Saras Aur Lomdi
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – सारस और लोमड़ी – Saras Aur Lomdi – The Stork and The Fox
बहुत पुरानी बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वह बहुत ही चालाक और धूर्त थी। उसे दूसरों को परेशान और अपमानित करने में बड़ा मजा आता था। इसलिए जंगल में उसका कोई दोस्त भी नहीं था। उसी जंगल के एक तालाब में एक सारस रहता था। वह बहुत ही सीधा सादा और सज्जन था। वह हमेशा दूसरों की मदद करता रहता था।
एक बार की बात है, लोमड़ी को सारा दिन भटकने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिला। वह भूखी प्यासी उसी तालाब पर जा पँहुची जहाँ सारस रहता था। भूख के मारे उससे चला भी नहीं जा रहा था। सारस को उस पर दया आ गई और उसने तालाब में से कुछ मछलियाँ पकड़ कर उसे खाने के लिए दे दी। लोमड़ी की जान में जान आई. उसने सारस को धन्यवाद दिया।
मेरी दावत कबूल करों
अब वह रोज सारस के पास आने लगी। दोनों तालाब के किनारे बैठ कर घंटों बातें करते। सारस रोजाना तालाब से मछली पकड़ कर लोमड़ी को खाने के लिए देता था। समय के साथ उन दोनों की दोस्ती और गहरी हो गई। एक दिन लोमड़ी ने सोचा क्यों ना सारस के साथ भी थोड़ा मजाक किया जाए। इसलिए उसने सारस से कहा,
🦊 लोमड़ी – मित्र, मैं तो रोज ही तुम्हारे यहाँ आती हूँ और तुम रोज मुझे खाने के लिए मछलियाँ देते रहते हो। मैं चाहती हूँ कि मैं भी तुम्हें अपने घर पर दावत पर बुलाऊँ। क्या तुम मेरे घर खाना खाने आओगे?
🦢 सारस – हाँ-हाँ, क्यों नहीं मित्र। तुम जब बोलोगे, मैं तुम्हारे घर दावत पर आ जाऊँगा।
🦊 लोमड़ी – तो पीर ठीक है, कल दोपहर को तुम मेरे घर आ जाना।
अगले दिन लोमड़ी ने सुबह से ही दावत की तैयारी शुरू कर दी। उसने बैठक में सारस के बैठने की व्यवस्था की और उसने दावत के लिए स्वादिष्ट सूप बनाया। नियत समय पर सारस उसके घर दावत के लिए पँहुच गया। लोमड़ी ने उसका बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया और उसे बैठने को कहा,
🦊 लोमड़ी – आओ मित्र, मेरे घर में तुम्हारा स्वागत है। तुम थोड़ी देर यहाँ बैठो, मैं अभी खाना परोसती हूँ।
इतना कहकर लोमड़ी रसोई में चली गई। सारस वहीं बैठ कर उसका इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में लोमड़ी ने सारस को आवाज लगाई,
🦊 लोमड़ी – मैंने खाना परोस दिया है मित्र, अंदर आ जाओं।
आवाज सुनकर सारस रसोई में गया। वहाँ दो तश्तरियों में सूप परोसा हुआ था। लोमड़ी ने कहा,
🦊 लोमड़ी – आओं मित्र बैठो, मैंने आज तुम्हारे लिए बहुत ही स्वादिष्ट सूप बनाया है। आओ इसका आनंद लो।
कैसी लगी दावत?
सारस अपनी थाली के सामने जाकर बैठ गया। उसने सूप पीने खाने के लिए अपनी चोंच थाली में डाली, लेकिन लंबी चोंच के कारण वह चौड़ी और सपाट तश्तरी में परोसा गया सूप खा नहीं पा रहा था। लोमड़ी खुद तो अपनी जीभ से मजे से सूप चाटती जा रही थी। उसने सारस से कहा,
🦊 लोमड़ी – कहो मित्र, सूप कैसा बना है। स्वादिष्ट है ना?
🦢 सारस – हाँ, सूप बहुत स्वादिष्ट है।
🦊 लोमड़ी – मैंने बहुत सारा सूप बनाया है। तुम ये खत्म करके और ले लेना।
सारस थाली में चोंच मारता, लेकिन सूप उसकी चोंच में आ ही नहीं पाता। यह देख के लोमड़ी को बड़ा मजा आ रहा था। वह बोली,
🦊 लोमड़ी – यह क्या मित्र, तुम तो कुछ खा ही नहीं रहे हो। लगता है, तुम्हें सूप पसंद नहीं आया।
🦢 सारस – नहीं मित्र, सूप तो बहुत स्वादिष्ट है।
इतना कह कर लोमड़ी अपनी जीभ से चपर–चपर सूप चाटते हुए सारा सूप खत्म कर दिया। सारस बस उसे खाते हुए देखता रहा। सारा सूप खत्म होने के बाद लोमड़ी ने कहा,
🦊 लोमड़ी – बहुत ही स्वादिष्ट सूप था, मजा आ गया। लेकिन तुमने तो थोड़ा सा भी सूप नहीं खाया।
🦢 सारस – दरअसल आज मुझे ज्यादा भूख नहीं थी।
एक और दावत हो जाए
सारस को लोमड़ी कई सारी चाल समझ में आ गई थी। उसे उस पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था, लेकिन वह कुछ भी नहीं बोला। सारस लोमड़ी के यहाँ से भूखा ही लौट आया। उसने मन ही मन लोमड़ी को सबक सिखाने की ठान ली।
कुछ दिनों बाद सारस ने भी लोमड़ी को दावत पर बुलाते हुए कहा,
🦢 सारस – मित्र, बहुत दिनों से खीर खाने की इच्छा हो रही है। मैं सोच रहा हूँ। क्यों ना, कल खीर की दावत उड़ाई जाए। तुम भी आ जाना।
खीर का नाम सुनकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। वह बोली,
🦊 लोमड़ी – हाँ-हाँ, क्यों नही मित्र मैं जरूर आऊँगी।
अगले दिन सारस ने स्वादिष्ट खीर बनाई। नियत समय पर लोमड़ी खीर खाने के लिए पँहुच गई।
सारस ने दो सँकरे मुँह वाली सुराहियों में खीर परोस रखी थी। उसे देखते ही सारस ने कहा,
🦢 सारस – आओ मित्र, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। आओ बैठो।
लोमड़ी आसान पर बैठ गई। सुराही में से खीर की बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी। लोमड़ी से और इंतजार नहीं हो रहा था। सारस ने कहा,
🦢 सारस – चलों मित्र, खाना शुरू करते है।
तेरी टोपी तेरे सर
इतना कहकर सारस ने अपनी लंबी चोंच सुराही में डाली और मजे से खीर खाने लगा। लोमड़ी ने भी खीर खाने के लिए जल्दी से अपना मुँह सुराही पर लगाया, लेकिन यह क्या उसका मुँह तो सुराही के अंदर जा ही नहीं रहा था। यह देख कर सारस ने कहा,
🦢 सारस – वाह मित्र, क्या स्वादिष्ट खीर है। मैंने आज से पहले ऐसी स्वादिष्ट खीर कभी नही खाई। तुम्हें कैसी लगी?
🦊 लोमड़ी – हाँ, सच में स्वादिष्ट है।
🦢 सारस – तो फिर शर्म किस बात की है मित्र, बहुत सारी खीर है। मजे से पेट भर कर खाओ।
सारस फिर से सुराही में चोंच डालकर खीर खाने लगा। लेकिन उसका मुँह तो सुराही में जा ही नहीं रहा था। वह तो बस खीर की खुशबू ही ले पा रही थी और उधर सारस मजे से खीर खाते जा रहा था। उसे अपनी दी हुई दावत याद आ गई। वह समझ गई की सारस ने यह सब उससे बदला लेने के लिए किया है।
लेकिन वह सारस को क्या कह सकती थी। उसने भी तो उसके साथ ऐसा ही किया था। वह बस चुपचाप बैठी सारस को खीर खाते हुए देखती रही। आज उसको सेर पर सवा सेर मिल गया था।
लोमड़ी को अच्छा सबक मिल चुका था। उस दिन के बाद से उसने दूसरों को परेशान और अपमानित करना बंद कर दिया।
सीख
जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भुगतना भी पड़ता है। इसलिए किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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