सूत्रधार कथा – लब्धप्रणाशम – Sutradhar katha – Labdhpranasham
पंचतंत्र की कहानियाँ – चौथा तंत्र – सूत्रधार कथा – लब्धप्रणाशम – Sutradhar katha – Labdhpranasham
एक समुन्द्र के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक रक्तमुख नामक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर सभी ऋतुओं में बहुत ही मीठे-मीठे जामुन लगते थे। उसी समुन्द्र के दूसरे किनारे पर करालमुख मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था। रक्तमुख बन्दर मीठे-मीठे जामुन खाता और एक डाल से दूसरी डाल पर कूदता रहता, जिससे कुछ जामुन नीचे गिर जाते।
एक दिन करालमुख मगरमच्छ खाना तलाशते हुए जामुन पेड़ के पास आया। रक्तमुख उसे पान अतिथि मानते हुए कुछ जामुन खाने के लिए दिए। करालमुख ने वे जामुन खाए उसे बहुत ही मीठे लगे। अब तो करालमुख रोज नदी के किनारे आता, रक्तमुख उसके लिए जामुन गिराता। जिन्हें वह खा लेता, फिर दोनों बैठ कर बहुत सारी बातें करते। ऐसा करते-करते कई दिन बीत गए। एक दिन रक्तमुख ने करालमुख को कुछ जामुन देते हुए कहा,
🐒 रक्तमुख – मित्र, तुम तो रोज हो ऐसे मीठे जामुन खाते हो, आज कुछ जामुन मेरी भाभी के लिए भी ले जाओ।
मुझे तो बंदर का कलेजा चाहिए
करालमुख ने वे जामुन ले जाकर अपनी पत्नि को देते हुए कहा,
🐊 करालमुख – देखों प्रिये, मेरे मित्र रक्तमुख बन्दर ने तुम्हारे लिए ये स्वादिष्ट जामुन भेजे है।
मगरी ने वे जामुन खाए, उसे जामुन बहुत स्वादिष्ट लगे। उसने मन ही मन सोचा कि ये जामुन कितने मीठे है। ऐसे मीठे जामुन रोज खाने वाले का कलेजा कितना मीठा होगा। यह सोचकर उसने करालमुख से बड़े प्यार से कहा,
🐊 मगरी – सुनो जी, आपका दोस्त रोज ऐसे मीठे-मीठे जामुन खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। मुझे आपके दोस्त रक्तमुख बन्दर का कलेजा खाना है। कल आप मेरे लिए उसका कलेजा लेकर आना।
🐊 करालमुख – (थोडा गुस्से से) मिंकी, रक्तमुख बन्दर मेरा दोस्त है, मेरे भाई के समान है। मैं उसका कलेजा नहीं ला सकता। आज के बाद तुम कभी एसी बात भी मत करना।
त्रिया चरित्र
🐊 मगरी – तुमने आज तक मेरा कहा नहीं टाला। मुझे लगता है तुम अब मुझे प्यार नहीं करते। आजकल तुम किसी बंदर के पास नहीं किसी अन्य स्त्री के पास जाते हो। तुम्हारा उससे लगाव बढ़ गया है। अब वहीं तुम्हारे दिल की रानी बन चुकी है। वह इसीलिए अब मुझे पता लगा तुम रोज किसके लिए ठंडी-ठंडी साँसे भरते हो और रोज इतनी देर से घर आते हो। मुझे बहलाने के लिए ये मीठे जामुन लेकर आ जाते हो।
🐊 करालमुख – (उसके पैर पकड़कर) नहीं प्रिये, ऐसा मत कहो मैं तो तुम्हारा ही दास हूँ। तुम तो मुझे अपने प्राणों से भी प्रिय हो। तुम मुझसे रूठ जाओगी तो मैं जीवित ही नहीं रह पाऊँगा।
🐊 मगरी – (आँखों में आँसू भरते हुए) तुम क्या मुझे मूर्ख समझते हो? तुम्हारे दिल में कोई और नहीं बसी होती तो तुम मेरा कहा कभी नहीं टालते। मेरे कहते ही झट से बंदर का कलेजा मेरे लिए ले आते।
🐊 करालमुख – प्रिये, रक्तमुख बन्दर मेरा मित्र है। मैं उसकी हत्या नहीं कर सकता।
🐊 ग्राहिका – तुम अगर अपने दोस्त को नहीं मार सकते तो कोई बात नहीं, बस तुम उसे अपने यहाँ दावत खिलाने के बहाने से यहाँ ले आओ। मारने का काम मैं कर लुंगी।
पत्नी चुनूँ या दोस्त ?
करालमुख मगरमच्छ असमंजस में पड़ गया। एक ओर तो उसकी पत्नी थी और दूसरी ओर उसका मित्र। लेकिन वह अपनी पत्नी को भी अपने सामने मरते हुए नहीं देख सकता था। करालमुख अपने मित्र के साथ धोखा नहीं करना चाहता था, लेकिन अपनी पत्नी कि जिद के सामने उसकी एक ना चली और वह रक्तमुख को घर लाने के लिए तैयार हो गया।
बड़े दुखी मन से यह विचार करता हुआ कि मैं कैसे रक्तमुख को धोखा दे पाऊँगा, करालमुख रक्तमुख के पास पंहुचा । उसे इस तरह मुरझाया हुआ और दुखी देखकर रक्तमुख ने उससे पूछा,
🐒 रक्तमुख – आज क्या बात है मित्र, आने में बड़ी देर लगा दी। तुम्हारा चेहरा भी कुम्हलाया हुआ है। सदा जी तरह हँस कर बात भी नहीं कर रहे हो?
🐊 करालमुख – आज घर पर तुम्हारी भाभी ने मुझे बहुत बुरा-भला कहा। तुम्हारा मित्र रोज तुम्हें इतने मीठे-मीठे जामुन खिलाता है और तुमने आज तक इक बार भी उसका घर पर बुलाकर सत्कार नहीं किया। तुम्हारे जैसा निर्मोही और कृतघ्न कोई दूसरा नहीं हो सकता। उसने मुझे आग्रह करके कहा कि आज मरे देवर को घर पर दावत के लिए लाये बिना घर मत आना। एक तरह से उसने मुझे घर निकाला दे दिया है।
🐒 रक्तमुख – मित्र, मैं भी भाभी से मिलने के लिए बहुत उत्सुक हूँ, लेकिन मैं तो जमीन पर चलने वाला प्राणी हूँ। तुम तो समुन्द्र के उस पार रहते हो और मुझे तो तैरना भी नहीं आता, मैं कैसे तुम्हारे घर पर चल सकूँगा?
🐊 करालमुख – मित्र तुम इसकी चिंता मत करों, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठा कर ले जाऊँगा। जिससे तुम सुरक्षित मेरे घर तक पंहुच जाओगे।
दोस्त दोस्त ना रहा
रक्तमुख बन्दर झट से करालमुख की पीठ पर सवार हो गया। उसे समुन्द्र में घुमने में बड़ा आनंद आ रहा था। वह कभी पानी में हाथ डालता तो कभी हाथ में पानी लेकर हवा में उछालता।
🐒 रक्तमुख – मित्र, तुम्हरी पीठ पर बैठ कर समुन्द्र में सैर करने में तो बड़ा मजा आ रहा है। मैं तो तुम्हारे घर जाते ही भाभी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा, क्योंकि उनकी वजह से ही मुझे नदी में सैर करने का आनंद मिला है।
तब करालमुख को मन ही मन बहुत ही बुरा लगा। उसने सोचा, “अब तो हम समुन्द्र के बीच में आ चुके है। अब तो रक्तमुख भाग कर कहीं नहीं जा सकता। अब इसे अपने मए की बात बात देनी चाहिए। जिससे यह मरने से पहले अपने ईश्वर को याद कर सके।
🐊 करालमुख – क्षमा करना मित्र, मैं तुम्हें अपनी पत्नि के आग्रह पर मारने के लिए यहाँ लाया हूँ। तुम्हारा अंत समय आ गया है, इसलिए अपने ईष्ट देवता का स्मरण कर लो।
यह सुनकर एक बार तो रक्तमुख का कलेजा धक् से रह गया। उसे बहुत दुःख हुआ कि जिस मित्र पर उसने इतना भरोसा किया उसने ही उसे धोखा दे दिया है। उसने क्रालमुख से पूछा,
🐒 रक्तमुख – मित्र, मैंने तुम्हारे साथ क्या बुरा किया है जो तुम मुझे मारना चाहते हो?
🐊 करालमुख – (बड़े उदास स्वर में) मैंने तुमसे झूठ कहा कि मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है। बल्कि वो तो तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है।
रक्तमुख की समझदारी
वे समुन्द्र के बोचों बीच पंहुच चुके थे। अब तो वह भाग भी नहीं सकता था। क्षण भर के लिए तो उसे कुछ समझ में नहीं आया कि क्या किया जाए। लेकिन उसने धेर्य नहीं खोया और अपने दुःख को काबू करके हँसते हुए बोला
🐒 रक्तमुख – अरे मित्र, ये तुमने पहले क्यों नहीं बताया। तुम्हे शायद पता नहीं. हम बन्दर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदते फांदते रहते है। हमारा कलेजा गिर ना जाए इसलिए हम उसे संभाल कर पेड़ पर टांग कर रखते है। मेरा कलेजा तो वहीँ जामुन के पेड़ पर लटका हुआ है। यदि भाभी को मेरा कलेजा खाने में ख़ुशी मिलती है, तो मुझे मेरा कलेजा तुम्हे देने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इसके लिए तुम्हें मुझे वापस जामुन के पेड़ पर ले जाना होगा, जिससे मैं तुम्हे कलेजा लाकर दे संकू।
🐊 करालमुख – (प्रसन्न होते हुए) ऐसी बात है मित्र, मैं तुम्हें आवस जामुन के पेड़ पर ले चलता हूँ, तुम मुझे अपना कलेजा दे देना। मैं उसे ले जाकर अपनी पत्नी को दे दूँगा।
इतना कहकर करालमुख वह वापस मुड गया और रक्तमुख को जामुन के पेड़ के पास ले आया।
अलविदा दोस्त
जैसे ही जामुन का पेड़ नजदीक आया, रक्तमुख छलांग लगाकर किनारे पर कूद गया और पेड़ पर चढ़ गया।
🐒 रक्तमुख – तुम यहीं रुको मित्र मैं अभी कलेजा लेकर आता हूँ।
🐊 करालमुख – (बहुत देर होने पर) मित्र, अब देर मत करों, मुझे अपना कलेजा जल्दी से दे दो। तुम्हारी भाभी इंतजार कर रही होगी।
🐒 रक्तमुख – मित्र करालमुख, तुम मुर्ख हो! यदि किसी के शरीर में कलेजा ही नहीं होगा तो वह जीवित कैसे रह पाएगा? मैंने तुमसे मित्रता की थी, लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया इसलिए आज से तुम्हारी और मेरी मित्रता ख़त्म! अब तुम यहाँ से चले जाओ और अब कभी यहाँ पर मत आना।
करालमुख को अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ। उसने सोचा, “अपने मन के भेद को रक्तमुख के समक्ष खोल कर उसने अच्छा नहीं किया। उसने फिर से उसका विश्वास पाने के लिए झूठी हँसी हँसते हुए कहा,
🐊 करालमुख – अरे मित्र, तुम तो बुरा मान गए। मैंने तो वह बात मजाक में कही रही। मेरा अतिथि बन कर मेरे साथ चलों। तुम्हारी भाभी बहुत बेसब्री से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही होगी। उसने तुम्हारे स्वागत के लिए बहुत सारी तैयारी की है। तरह-तरह के भोजन पकाये है, घर के दरवाजों को रत्नों की बंदनवार से सजाया है।
🐒 रक्तमुख – दुष्ट, अब मैं तुम्हारी बातों में नहीं आने वाला। अब मैं तुम्हारा अभिप्राय समझ गया हूँ, तुम जैसे लोगों के मन में किसी के लिए कोई दया नहीं होती। जिस तरह काठ की हांडी आग पर एक बार ही चढ़ती है बार-बार नहीं, उसी तरह किसी पर विश्वास एक बार ही किया जा सकता है। एक बार विश्वासघात होने पर गंगदत्त की तरह ही दुबारा विश्वास नहीं करना चाहिए।
🐊 करालमुख – कौन गंगदत्त? उसके साथ किसने विश्वासघात किया?
तब रक्तमुख ने उसे अपने शत्रुओं के नाश के लिए सांप से मित्रता करने वाले मेंढक की कहानी “मेंढकराज और साँप” सुनाई।
🐒 रक्तमुख – एक बार विश्वास खोने के बाद उसे वापस नहीं पाया जा सकता। इसलिए अब तुम मुझे अपनी मीठी बातों से नहीं फँसा सकते, अब मैं भी तुम्हारे पास कभी नहीं आऊँगा।
🐊 करालमुख – मुझे मेरे किए हुए पर बहुत पछतावा है। मैं तुम्हारा आदर-सत्कार करके अपने किए का प्रायश्चित करना चाहता हूँ। यदि तुमने मुझे माफ नहीं किया तो मैं यहीं अपने प्राण त्याग दूँगा।
🐒 रक्तमुख – तुमने मुझे क्या लंबकर्ण की तरह मूर्ख समझ रखा है, जो दुबारा तुम्हारी बातों पर विश्वास करके मौत के मुँह में चला जाऊँगा।
🐊 करालमुख – ये लंबकर्ण कौन था? उसने किस पर विश्वास करके अपनी जान गंवाई थी?
तब रक्तमुख ने उसे शेर, गीदड़ और मूर्ख गधे की कहानी “आजमाए को आजमाना” सुनाई।
🐒 रक्तमुख – इसलिए जो एक बार किसी से धोखा खाने के बाद उस पर दुबारा विश्वास कर लेता है, उसका लंबकर्ण की भांति ही विनाश हो जाता है। तुमने भी मेरे साथ छल किया है। तुमने सोचा कि समुन्द्र में तो अब मैं कुछ भी नहीं कर पाऊँगा। इसलिए तुमने दंभ और अति आत्मविश्वास के कारण तुमने मुझसे सच बोल दिया।
नहीं तो आज मैं जीवित ही नहीं रह पाता। जो अपने दंभ और अति आत्मविश्वास के कारण सच बोलता है, वह उसी तरह पदच्युत हो जाता है, जिस प्रकार युधिष्ठिर नामक कुम्हार के सच बोलने पर राजा ने उसे पदच्युत कर दिया था।
🐊 करालमुख – यह युधिष्ठिर कौन था? उसने क्या झूठ बोला था?
तब रक्तमुख ने उसे अपने दंभ और अति आत्मविश्वास के कारण अपना राज खोलने वाले युधिष्ठिर नामक कुम्हार की कहानी “समय का राग कुसमय की टर्र” सुनाई। (इसी कहानी के मध्य में “गीदड़, गीदड़ ही रहता है” भी है।)
🐒 रक्तमुख – धूर्त, तुमने एक स्त्री के कहने पर अपने मित्र से विश्वासघात किया। ऐसी स्त्रियों का कभी साथ नहीं देना चाहिए जो अपने स्वार्थ के कारण अधर्म का कार्य करने के लिए कहे। कलहगारी स्त्रियों का कभी साथ नहीं देना चाहिए नहीं तो उसका हाल उस ब्राह्मण की तरह होता है, जिसने अपनी पत्नी के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया, लेकिन फिर भी वह उसे छोड़ कर चली गई।
🐊 करालमुख – वह स्त्री कौन थी और किसके साथ चली गई?
तब रक्तमुख ने अपने पति के विश्वास को धोखा देने वाली ब्राह्मणी की कहानी “स्त्री का विश्वास” सुनाई।
🐒 रक्तमुख – तूने भी अपनी पत्नी के प्रेम में अंधा होकर मेरे साथ विश्वासघात किया है। तुम भी उसी तरह अपनी पत्नी के दास बन गए हो जिस तरह राजा नन्द और उनका मंत्री वररुचि थे।
🐊 करालमुख – कौन वररुचि?
तब रक्तमुख ने करालमुख को अपनी-अपनी पत्नी का दास बने राजा नन्द और उनके मंत्री वररुचि की कहानी “स्त्री का भक्त” सुनाई।
🐒 रक्तमुख – अपनी पत्नी से प्रेम करना बहुत अच्छी बात है, लेकिन इतना भी नहीं के आप उसके दास ही बन जाओं और उसकी उचित-अनुचित इच्छाओं को पूरा करने के लिए अनुचित कार्य करों। तुम भी पत्नि-भक्त बन कर मुझे मारने चले थे। लेकिन तुम्हारी वाचालता के कारण तुम्हारे मुँह से सच निकल गया।
अधिक बोलने वाले जान से हाथ धो बैठते है और मौन रहने वाले बच जाते है। अपनी वाणी पर संयम करके सभी कार्य सिद्ध किए जा सकते है। लेकिन जो अपनी वाणी पर संयम नहीं रख सकता, वह उस गधे की ही तरह शेर की खाल पहनने के बाद भी मारा जाता है।
🐊 करालमुख – किस तरह?
तब रक्तमुख ने करालमुख को अपनी वाणी पर संयम नहीं रख सकने वाले गधे की कहानी “वाचाल गधा” सुनाई।
रक्तमुख कारालमुख को यह कहानी सुना ही रहा था कि कारालमुख के एक पड़ोसी ने आकर बताया कि उसकी पत्नी उसकी राह देखते-देखते भूखी-प्यासी मर गई है। यह सुनकर कारालमुख पर तो मानों बिजली गिर पड़ी। वह व्याकुल होकर विलाप करने लगा,
🐊 करालमुख – है भगवान, ये क्या हो गया, अब मैं उसके बिना कैसे रहूँगा। मुझे तो अब वन में चले जाना चाहिए।
🐒 रक्तमुख – मैं पहले ही कह रहा था कि तुम अपनी पत्नी के दास हो गए हो, और अब तो यह प्रमाणित भी हो गया है। तुम्हारी पत्नी ऊपर से तो बहुत मीठा बोलती थी, लेकिन उसके मन में कपट भरा हुआ था। ऐसे दुष्ट आचरण वाली पत्नी की मृत्यु पर शोक नहीं खुशी मनानी चाहिए।
🐊 करालमुख – शायद तुम सही बोल रहे हो मित्र, लेकिन अब मैं क्या करूँ? मैं तो ना घर का रहा ना घाट का। मेरी पत्नि मर गई और मैंने अपना परम मित्र भी खो दिया। मेरी अवस्था तो उस ब्राह्मण पत्नी की तरह हो गई जिसे ना यार मिला, ना पति और धन भी हाथ से गया।
🐒 रक्तमुख – वह कैसे?
तब करालमुख ने रक्तमुख को वृद्ध किसान, युवा पत्नी और चोर की कहानी “घर की ना घाट की” सुनाई।
करालमुख यह कहानी सुना ही रहा था कि एक दूसरे मगर ने आकर उसे खबर दी कि उसके घर पर किसी दूसरे मगरमच्छ ने अधिकार कर लिया है। सुनकर करालमुख और भी दुखी हो गया। अपने चारों ओर आती विपत्तियों को देख कर वह चिंतित हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे समय वह क्या करे। इसलिए उसने इस विपत्ति से छुटकारा पाने का उपाय रक्तमुख से ही पूछा,
🐊 करालमुख – मेरे ऊपर एक के बाद एक विपत्ति आ रही है। पहले मित्र का साथ छूटा, फिर पत्नी से वियोग हो गया और अब तो मेरा घर भी मेरे हाथ से चला गया है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं अपना घर पर वापस अधिकार कैसे करूँ। मित्र तुम्हीं मुझे बातों कि मैं साम-दाम-भेद में से किस युक्ति से अपना घर वापस पा सकता हूँ?
🐒 रक्तमुख – अरे कृतघ्न, मुझे मित्र मत कहो! अपनी पत्नी की बातों में आकर तुमने मुझे मारने की कोशिश करके मेरी मित्रता खो दी है। अब मैं तुम्हें कोई उपाय नहीं बताऊँगा। अब तेरा विनाश निश्चित है। जो पुरुष सज्जनों के बताये मार्ग पर नहीं चलता उसका विनाश उसी तरह होता है, जैसा कि घटोष्ट्र नामक ऊँट का हुआ था।
🐊 करालमुख – कैसे?
तब रक्तमुख ने करालमुख को घमंड के कारण अपनों की बात नहीं मानने के कारण मारे जाने वाले ऊँट घटोष्ट्र की कहानी “घमंडी का सिर नीचा” सुनाई।
🐊 करालमुख – इसीलिए तो मैं अपनी समस्या का समाधान तुमसे पूछ रहा हूँ। तुम सज्जन हो। अच्छे लोगों के साथ तो सभी अच्छा व्यवहार करते है, लेकिन सच्चा साधु वहीं होता है, जो अपने साथ अपकार (बुरा) करने वालों के प्रति भी दयालु रहे, कृतघ्नों को भी सही राह दिखाए।
🐒 रक्तमुख – तब तो मैं तुम्हें यही सलाह देता हूँ कि तू तुरंत जाकर तेरे घर पर अनुचित तरीके से अधिकार करने वाले मगरमच्छ से युद्ध करके उसे अपने घर से निकाल दे। नीति कहती है, अच्छे लोगों को झुककर, वीर को भेद से, नीच को कुछ ले-देकर और बराबरी वाले को पराक्रम से जीतना चाहिए। जिस प्रकार महाचतुरक सियार ने किया था।
🐊 करालमुख – वह कैसे?
तब रक्तमुख ने करालमुख को अपनी चालकी से शेर, बाघ और चीते को भी मात देने वाले सियार की कहानी “सियार की रणनीति” सुनाई।
रक्तमुख – इसीलिए मेरी तो यही सलाह है, जितनी जल्दी हो सके उस मगर से युद्ध करके उसे अपने घर से भगा दे, नहीं तो अपनी जड़े जमा लेने के बाद उसे वहाँ से निकालना संभव नहीं होगा। स्वजातिजनों में यही दोष होता है कि वे अपने ही जाति भाइयों का विरोध करते है, जैसा कि उस कुत्ते के साथ हुआ था।
🐊 करालमुख – कौन से कुत्ते के साथ?
तब रक्तमुख ने करालमुख को परदेस में अपने ही जाति भाइयों का विरोध सहने वाले कुत्ते की कहानी “कुत्ते का बैरी कुत्ता” सुनाई।
🐒 रक्तमुख – उस मगर ने तेरा जातिभाई होते हुए भी तेरे घर पर अपना अधिकार कर लिया है, इसलिए अपने घर को वापस पाने के लिए उससे युद्ध कर।
रक्तमुख की बात मान कर करालमुख उसी समय अपने घर गया और उस मगर से यद्ध करके उसे अपने घर से भगा दिया। फिर वह कई दिनों तक सुख से उस घर में रहता रहा।
सीख
मित्र का सदैव सम्मान करना चाहिए और उससे कभी धोखा नहीं करना चाहिए, इससे मित्रता टूट जाती है। मुसीबत के समय अपना धेर्य नहीं खोना चाहिए। शांत दिमाग से ही हम उससे छुटकारा पाने का उपाय सोच सकते है।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
पिछली कहानी – घी से अंधे होने वाले ब्राह्मण की कहानी “घृतान्ध ब्राह्मण”
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