हाथी और छह अंधे – Hathi Aur Chah Andhe
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – हाथी और छह अंधे – Hathi Aur Chah Andhe – The Elephant and Six Blind Persons
एक गाँव में छः अंधे रहते थे। नैनाराम, नयनसुख, ज्योतिनाथ, विलोचन, अक्षीनाथ और अंबकनाथ अंधे होने के बावजूद भी उन्हें नई-नई चीजों के बारें में जानने की बड़ी उत्सुकता रहती थी। वे किसी भी वस्तु को छूकर और महसूस करके, आवाजों को सुनकर, खाने-पीने की वस्तुओं को सूंघकर और चखकर उसके बारे में अपनी जानकारी बढ़ाते थे। इस तरह उन्होंने काफी वस्तुओं के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
एक बार उस गाँव में एक हाथी आया। उन्होनें गाँव वालों के मुँह से हाथी के बारे में सुना कि हाथी बहुत ही विशालकाय और ताकतवर जानवर है। वे हाथी के बारें में और जानना चाहते थे। वे उसे छूकर और महसूस करके यह जानना चाहते थे कि वह कैसा लगता है। इसलिए उन्होंने गाँव वालों से कहा कि वे भी हाथी को देखना चाहते है। वे उन्हें हाथी के पास ले जाएँ।
चलो हाथी देखते है!
गाँव वालों ने एक बच्चे को उनके साथ भेज दिया। बच्चे ने उन्हें हाथी तक पँहुचा दिया और लौट गया। अब सभी ने हाथी को छूना शुरू कर दिया। अब हाथी तो बहुत विशालकाय था तो किसी के हाथ में उसकी पूँछ आई तो किसी के हाथ में कान तो किसी के हाथ में पैर। वे अपने-अपने हिसाब से हाथी के आकार की कल्पना करने लगे।
😻 नैनाराम के हाथ में हाथी के पैर आए तो उसने कहा, “मैं समझ गया, हाथी तो बिल्कुल खंभे की तरह होता है।“
😎 नयनसुख ने उसकी पूँछ पकड़ी, उसने कहा, “नहीं-नहीं हाथी तो रस्सी की तरह होता है।”
🤓 ज्योतिनाथ के हाथ लगी सूंड तो उसने कहा, “अरे तुम्हें समझ में नहीं आया, हाथी तो बिल्कुल साँप की तरह होता है।”
😍 विलोचन ने उसके कान पकड़ते हुए कहा, “अरे, हाथी तो बिल्कुल पंखे की तरह होता है।”
🧐 अक्षीनाथ चलते-चलते हाथी के पेट से जा टकराया, उसने हाथी के पेट पर हाथ लगा कर देखा और कहा, “अरे नहीं मूर्खों, हाथी तो एक बड़ी और मजबूत दीवार जैसा दिखता है।”
😵 अंबकनाथ ने हाथी के दाँत पकड़ते हुए कहा, “अरे नहीं, यह तो एकदम भाले की तरह चिकना और नुकीला है।”
हाथी का आकार?
इस तरह हाथी के अलग-अलग हिस्से पकड़ने के कारण उन सबकी हाथी के बारे में अलग-अलग राय बन गई। सब अपनी खोज को ही सही साबित करना चाहते थे। इसलिए उन सब में बहस होने लगी। धीरे-धीरे उनकी बहस तेज होती गई और बहस ने झगड़े का रूप ले लिया। तभी वहाँ से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुजरा। उसने उन अंधों को आपस में झगड़ते देखा तो उन्होंने उनसे पूछा,
🧖🏻♂️ अजनबी – क्या बात है, तुम सब झगड़ क्यों रहे हो?
😻 नैनाराम – हम सब यह तय नहीं कर पा रहे है कि हाथी कैसा दिखता है?
🧖🏻♂️ अजनबी – अच्छा तो तुम मुझे एक-एक करके बताओं कि तुम्हें हाथी कैसा दिखता है?
तब सबने बारी-बारी से अपने छूए गए अंग के अनुसार हाथी का वर्णन किया। तब उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा,
🧖🏻♂️ अजनबी – हाथी बहुत ही विशालकाय जानवर होता है, इसलिए तुम लोगों ने उसके अलग-अलग अंगों को छुआ और उसी के अनुसार तुमने उसकी आकृति की कल्पना कर ली। तुम सभी अपनी-अपनी जगह बिल्कुल सही हो। तुम्हारे सभी अंगों के वर्णनों को मिलाकर एक हाथी बनता है।
😎 नयनसुख – वह कैसे?
🧖🏻♂️ अजनबी – हाथी का पेट दीवार की तरह चौड़ा और मजबूत होता है, हाथी के दाँत भाले के समान चिकने और नुकीले होते है, हाथी की पूँछ एक रस्सी के समान होती है, लंबे साँप के समान हाथी की सूँड है, खंबे के समान मजबूत और लंबे हाथी के चार पैर होते है और जो पंखे की तरह है वो हाथी के कान है।
🧐 अक्षीनाथ – अरे बाप रे, हाथी इतना विशालकाय जानवर होता है!
👬👬🏻👬🏽 सभी एक साथ – अब हमें समझ में आ गया कि हाथी कैसा दिखता है।
उसके बाद उन सबमें हाथी के बारें में कोई विवाद नहीं हुआ क्योंकि सभी अपनी-अपनी जगह सही थे।
सीख
- दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी बात पर अड जाते है। हमें हमारी बात ही सही लगती है। सिक्के के दो पहलू होते है। हो सकता है, हम सिक्के का केवल एक पहलू ही देख पा रहे हो और सामने वाला दूसरा। वह भी अपनी जगह पर सही हो। इसलिए हमें सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर सही निर्णय पर पँहुचना चाहिए।
- हमें खुद की बात रखने के साथ-साथ सामने वाले की बात भी सुननी चाहिए।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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