कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो,
श्याम जी का भजन
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो,
साँवरिये ने बनड़ो बना दियो, यो कुण सिंणगारयो,
म्हारा बाबा ने बनड़ो बना दियो, यो कुण सिंणगारयो ।।टेर।।
कठे से फुलड़ा ल्याया, ये कुण थारा हार बनाया,
कुण जचाँ-जचाँ पहरायोजी, आपे लूण राई वारो ।। 1 ।।
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो……
आलूसिंहजी बाग लगाया, ज्यामें फुलड़ा घणा उगाया,
वे हीं केसर तिलक लगाया जी, शृंगार कीनों सारो ।। 2 ।।
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो……
थारा किरीट मुकुट कुण ल्याया, कुण थारे छत्र चढ़ाया,
ज्याने देख श्याम शरमायाजी, जैसे चाँद को उजियारो ।। 3 ।।
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो……
थारा सेवक मुकुट ल्याया, थारा भक्त छत्र चढ़ाया,
म्हारी प्रसन्न हो गयी कायाजी, म्हारे मण में आनंद छायो ।। 4 ।।
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो……
श्रंगार सजीलो प्यारो, कहे सोहनलाल यो थारो,
म्हाने दर्शन देता रहिजो जी, थे सबका संकट टारो ।। 5 ।।
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो……
कुण सिंणगारयो, यो कुण सिंणगारयो,
साँवरिये ने बनड़ो बना दियो, यो कुण सिंणगारयो,
म्हारा बाबा ने बनड़ो बना दियो, यो कुण सिंणगारयो ।।