गजानन्द सरकार पधारो
गणपती जी का भजन
(तर्ज – फूल तुम्हें भेजा है खत में)
दोहा – गजानन्द आनंद करो, करो संपत्ति में सीर।
दुश्मन को सज्जन करो, थाने न्यौत जिमाव खीर ।।
गजानन्द सरकार पधारो, कीर्तन की सब त्यारी है।
आओ आओ, बेगा आओ, चाव दरश को भारी है।। टेर ।।
थे आओ जद, काम बनैला, था पर सारी बाजी है,
रणत भँवरगढ़, वाला सुणल्यो, चिंता म्हारै लागि है,
देर करो मत, ना तरसाओ, चरणा अरज हमारी है ।। 1 ।।
गजानन्द सरकार पधारो …………
रिद्धि सिद्धि संग, ले आओ विनायक, दयो दर्शन थारा भक्ता नें,
भोग लागावां, धोक लगावां, पुष्प चढ़ावाँ चरणा में,
गजानंद, थारा हाथा में, अब तो लाज हमारी है ।। 2 ।।
गजानन्द सरकार पधारो …………
भक्ता री विनती सुणली, शिव सुत प्यारो, आयो है,
जी जयकार, करो गणपति की, आकर मे हरषाया है,
बरसैलो रस, अब भजनां में, “नंदू” महिमा भारी है ।। 3 ।।
गजानन्द सरकार पधारो …………