जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए
माताजी के भजन
(तर्ज – बाइसा रा बीरा जयपुर ज्यायजों जी, आता…….. )
जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए
जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए, सेवक ल्याया माँ थारी चुंदड़ी।। टेर ।।
भगता तो मिल चाव से बांधी ए, श्रद्धा के रंग में रंगाई चुंदड़ी।
सुरता झीनों पोत बनायो ए, मनड़ा री पेटी में या आई चूंदड़ी।। 1 ।।
जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए……………………
आशा का तारा खूब लगाया ए, मोती की लूमा लगाई चुंदड़ी।
माँ साँचा तारा साँचों ही गोटो ए, मां प्यारी लागे या तारा री चूंदड़ी।। 2 ।।
जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए……………………
चूंदड़ी का तारा चम चम चमके ए, मनड़ों हर लीनो तारा री चूंदड़ी।
माँ जोत जगावां चुनड़ ओढ़ावां ए, थे आकर ओढ़ो तारा री चुनरी।। 3 ।।
जगदम्बे थे तो आकर ओढ़ो ए……………………