Brahspatiwar Ke Vrat Aur Udhyapan Ki Vidhi – बृहस्पतिवार के व्रत व उद्यापन की विधि
Vrahspatiwar Ke Vrat Aur Udhyapan Ki Vidhi – The Method of Fast & Udhyapan of Vrahspatiwar
गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत करने से जीवन में आने वाली तरह-तरह की परेशानियों से छुटाकारा मिल जाता है। लेकिन इसके लिए इस व्रत के बारे में पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। याधी पूरे विधि-विधान से इस व्रत को किया जाए तो यह व्रत अत्यंत लाभकारी और फलदायक है। क्या आपको गुरुवार/बृहस्पतिवार व्रत के विधि-विधानों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी है? यदि नहीं तो यह लेख आपके लिए अवश्य ही लाभकारी और ज्ञानवर्धक होगा। इस लेख में गुरुवार/बृहस्पतिवार के व्रत को शुरू करने से लेकर उद्यापन तक की सम्पूर्ण जानकारी आपको एक ही जगह मिल जाएगी। तो चलिए चलते है और जानते है गुरुवार/बृहस्पतिवार व्रत के बारें में
गुरुवार/बृहस्पतिवार के व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में बृहस्पति देवता या ग्रह को ज्ञान, सौभाग्यऔर सभी प्रकार के सुख देने वाला माना जाता है। किसी विशेष कामना पूर्ति के लिए भी बृहस्पति देवता की पूजा व आराधना की जाती है। गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत करने से बृहस्पति देवता प्रसन्न होते है और जीवन में सभी प्रकार के सुखों अन्न, पुत्र, धन आदि की प्राप्ति होती हैं।
क्यों किया जाता है गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत तथा क्या है इस व्रत के लाभ?
गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत परिवार में सुख तथा शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है, जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह का दोष होता है, जिनके विवाह में रूकावट आ रही हो, जो संतान सुख से वंचित हो या पेट और मोटापे की समस्या से परेशान हो।
गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत पूर्ण श्रद्धा से व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और बृहस्पति महाराज प्रसन्न होते हैं। धन, विद्या, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, परिवार में सुख तथा शांति रहती है। इसलिए यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अति फलदायक है |
गुरुवार लक्ष्मीनारायण भगवान का दिन होता है। इस दिन लक्ष्मी और नारायण का एक साथ पूजन करने से पति-पत्नी के बीच दूरिया नहीं आती है और घर में बरकत तथा सुख-शांति आती है।
कब शुरू करें गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत
गुरुवार/बृहस्पतिवार के व्रत का श्रेष्ठ फल प्राप्त करने के लिए इस व्रत को खास मुहूर्त में ही शुरू करना चाहिए। इस व्रत को किसी भी मास के (पौष मास को छोड़कर) शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार/गुरुवार और अनुराधा नक्षत्र में प्रारंभ करना चाहिए। आप अपनी कामना पूर्ति के लिए अपनी इच्छानुसार 1, 3, 5, 7, 9, 11 या 16 व्रतों का संकल्प ले सकते है। इस व्रत को जीवन पर्यंत भी रखा जा सकता है।
कैसे लें गुरुवार/बृहस्पतिवार के व्रत का संकल्प?
गुरुवार/बृहस्पतिवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर, नित्य कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। उसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति की पूजा करे। अपने हाथ में जल लेकर सच्चे मन से बृहस्पतिदेव को अपनी मनोकामना बताते हुए 1, 3, 5, 7, 9, 11 या 16 व्रत करने का संकल्प लेवें। संकल्प लेने वाले दिन से ही गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत करना शुरू करदे। पुरुष लगातार संकल्प लिए गए व्रत कर सकते है, लेकिन महिलायें अपने मासिक धर्म के दिनों में यह व्रत नहीं करे।
गुरुवार/बृहस्पतिवार व्रत में क्या खाएं?
गुरुवार/बृहस्पतिवार के दिन एक ही समय शाम को सात्विक भोजन करना चाहिए। दिन के समय फलाहार, चाय, दूध, शरबत आदि लिया जा सकता है। भोजन व फलाहार में पीले फलों (जैसे आम, पपीता, संतरा) व पीले अन्न (जैसे चने की दाल) का प्रयोग करना चाहिए। बृहस्पतिवार के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का नमक ग्रहण नहीं करना चाहिए।
गुरुवार/बृहस्पतिवार व्रत का फल
गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत अत्यधिक फलदायी है। इस दिन व्रत-उपवास करके कथा पढ़ने, सुनने और सुनाने से वृहस्पति देवता और भगवान लक्ष्मीनारायण प्रसन्न होते है। घर में सुख तथा शांति रहती है तथा अन्न, पुत्र, धन आदि की प्राप्ति होती हैं।
यह व्रत करने से अविवाहित बच्चों के विवाह में आने वाली रुकावट दूर होती है। विवाहित जोड़ो के दाम्पत्य जीवन की दूरियाँ दूर होती है और दाम्पत्य जीवन प्रेम और खुशियों आती है। निसन्तान दम्पत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
गुरुवार/बृहस्पतिवार का व्रत उन लोगों ले लिए अत्यंत फलदायी है, जिन लोगों की कुंडली में गुरु का दोष होता है। वे यह व्रत करे तो गुरु ग्रह के दोष से मुक्ति मिलती है और गुरु की कृपा प्राप्त होती है।
कैसे करें बृहस्पतिवार के दिन पूजा
- बृहस्पतिवार के दिन प्रातः जल्दी नित्य कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें व पीले वस्त्र धारण करें।
- उसके बाद बृहस्पतिदेव व विष्णु भगवान का पीले चंदन से पूजन करें व पीले वस्त्र अर्पित करें। यदि केले के पेड़ के सामने पूजा कर रहें हैं तो केले के पेड़ पर एक छोटा पीला कपड़ा चढ़ा दें।
- पूजा के लिए एक लोटे में जल लेकर उसमें हल्दी डालकर उससे विष्णु भगवान और केले की जड़ में अर्पित कर पीले चंदन से पूजन करें तथा प्रसाद चढ़ावे। प्रसाद में पीले चने की दाल, मुनक्का या गुड़ चढ़ाएं।
- उसके बाद लोटे में थोड़ी चने की दाल और गुड़ या मुनक्का डाल दे। उसके बाद घी का दीपक जलाकर सच्चे मन से बृहस्पतिवार की व्रत कथा पढ़ें। कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए। मेरी इच्छाओं को बृहस्पति देव अवश्य पूर्ण करेंगे, ऐसा मन में दृढ़ विश्वास रखना चाहिए।
- यदि आप इस दिन गुरुदेव का हवन और जाप भी कर सकते है। इसके लिए कथा सुनने के बाद गोबर के गाय के उपले पर घी डालकर अग्नि प्रज्जवलित करके चने और गुड़ की आहुति देते हुए ॐ गं गुरुवे नम: का 5, 7, 9 या 11 बार जाप करे।
- कथा व हवन के बाद वृहस्पतिदेव की आरती व क्षमा प्रार्थना जरूर करे। पूजा पूरी होने के बाद आपके लोटे में जो जल है उसे केले के पेड़ पर चढ़ा दीजिये। घर में केले का पेड़ ना हो तो अपने आस-पास किसी केले के पेड़ में लोटे का जल चढ़ा दें।
- बृहस्पतिवार की व्रत कथा मंदिर में या केले के पेड़ के पास कहीं भी की जा सकती है। यदि घर मे केले का पेड़ नहीं हो तो मंदिर में भी पूजा या कथा कर सकते है।
- बृहस्पतिवार के व्रत की कथा – 1
- बृहस्पतिवार के व्रत की कथा – 2
- बृहस्पतिवार व्रत कथा – 3
- बृहस्पति देवता की आरती
कैसे करे गुरुवार/बृहस्पतिवार के व्रत का उद्यापन?
अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए 1, 3, 5, 7, 9, 11 या 16 व्रत करने का संकल्प को पूर्ण होने के अगले बृहस्पतिवार/गुरुवार को इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। जैसे 16 व्रत करने का संकल्प लिया है तो 16 गुरुवार का व्रत पूर्ण होने पर सत्रहवें गुरुवार को व्रत का उद्यापन किया जाता है।
उद्यापन के एक दिन पहले ही चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता और पीला कपड़ा ये पाँच चीजें लाकर अपने पूजा घर में रख लीजिये। ब्राह्मण को देने के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा भी निकाल कर रख लीजिये।
इस दिन भी हमेशा की तरह प्रातः जल्दी उठकर, नित्य कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके भगवान विष्णु व केले की जड़ की पूजा करे। चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता और पीला कपड़ा आदि भगवान विष्णु को चढ़ाकर दीजिए।
पूजन के बाद बृहस्पतिदेव से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि मैंने अपने संकल्प के अनुसार 16 व्रत पूर्ण कर लिए है और आज मैं इस व्रत का उद्यापन कर रही/रहा हूँ। अत: आप सदा मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखे और मेरी मनोकामना को पूर्ण करें।
इसके बाद भगवान विष्णु को चढ़ाई वस्तुएं किसी ब्राह्मण को दान करके उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लीजिये।
गुरुवार/बृहस्पतिवार व्रत के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माहिलाओं की जन्म कुंडली में बृहस्पति पति और संतान का कारक होता है। बृहस्पतिवार के दिन किए गए कार्यों का शुभ व अशुभ प्रभाव संतान और पति दोनों के जीवन पड़ता है। इस दिन वर्जित कार्य करने से बृहस्पति को कमजोर बनाता है, जिससे बृहस्पति के शुभ प्रभाव में कमी होती है।
इस दिन लक्ष्मीनारायण जी की पूजा होती है, इसलिए इस दिन वर्जित कार्य करने से लक्ष्मी और नारायण दोनों ही रुष्ट हो जाते है जिससे घर में बरकत खत्म हो जाती है। बृहस्पतिवार/गुरुवार का व्रत करने के लिए कुछ नियम है। बृहस्पतिदेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत के इन सभी नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
गुरुवार/बृहस्पतिवार के दिन क्या नहीं करना चाहिए:-
- इस दिन बाल, नाखून नहीं कटवाने चाहिए।
- इस दिन दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए।
- इस दिन कपड़े धोबी के यहाँ धुलने नहीं देना चाहिए।
- इस दिन घर में पोंछा नहीं लगाना चाहिए या आँगन नहीं लीपना चाहिए।
- इस के दिन घर में उस जगह की सफाई नहीं करनी चाहिए, जहां रोजाना सफाई न होती हो।
- इस के दिन कपड़े और बाल नहीं धोने चाहिए।
- इस के दिन पीली मिट्टी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- इस के दिन केला नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इस दिन केले का पूजन होता है। केले को पूजा में चढ़ा कर उसका प्रसाद बाँटा जा सकता हैं।
- इस के दिन नमक नहीं खाना चाहिए। सैंधा नमक भी नहीं।
- महिलाओं को अपने मासिक धर्म के समय में यह व्रत नहीं करना चाहिए। इससे संकल्प खंडित नहीं होता है।
गुरुवार/बृहस्पतिवार के दिन क्या करना चाहिए:-
- भगवान विष्णु को चढ़ाए फलों को दान में दे देना चाहिए।
- इस दिन बृहस्पति देवता और भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करनी चाहिए।
- गाय को चने की दाल और गुड़ जरुर खिलाएं, इससे बहुत पुण्य मिलता है। गाय यदि पीली हो तो और भी अच्छा राहत है।
- दाम्पत्य जीवन मे अपार खुशियां लाने के लिए इस दिन लक्ष्मी और नारायण का एक साथ पूजन करना चाहिए।
- बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
क्यों नहीं करनी चाहिए गुरुवार/बृहस्पतिवार के दिन घर की सफाई?
बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन घर में पोंछा नहीं लगाना चाहिए या आँगन नहीं लीपना चाहिए। बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन घर में उस जगह व कोनों की सफाई नहीं करनी चाहिए, जहां रोजाना सफाई न होती हो। इस दिन ना तो मकड़ी के जाले साफ करने चाहिए और ना ही घर से कबाड़ निकालना चाहिए। इससे धन की हानी होती है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार गुरु ईशान कोण का भी स्वामी होता है और ईशान कोण संबंध बच्चों से होता है। इस दिन घर की सफाई करने से बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
गुरुवार/बृहस्पतिवार को साबुन क्यों नहीं लगाते?
बृहस्पतिवार के दिन साबुन लगाने से गुरु कमजोर होता यही इसलिए इस दिन ना तो साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही साबुन से कपड़े धोने चाहिए। कपड़े धोबी के यहाँ धुलने के लिए भी नहीं देना चाहिए।
गुरुवार/बृहस्पतिवार को क्या खरीदें?
बृहस्पतिवार का दिन कोई भी नुकीली वस्तु जैसे चाकू- छुरी, कैंची, कील आदि नहीं खरीदनी चाहिए। इस दिन सोना-चांदी और वस्त्र खरीदना सबसे शुभ माना जाता है।
क्यों नहीं धोने चाहिए गुरुवार/बृहस्पतिवार के दिन बाल?
बृहस्पतिवार के दिन महिलाओं को बाल नहीं धोने चाहिए क्योंकि बृहस्पति ग्रह पति और संतान का कारक होता है और यह पति और संतान दोनों को प्रभावित करता है। इसलिए इस दिन सिर या बाल धोने से बृहस्पति की स्थिति कमजोर होती है, जिससे संतान और पति की उन्नति में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
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