खटमल और जूँ – Khatmanl Aur Jun
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – खटमल और जूँ – Khatmanl Aur Jun – The Bedbug and The Lice
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर के राज्य के शयनकक्ष के पलंग में एक जूँ रहती थी। उसका नाम मंदविसर्पिणी था। जब रात को राजा गहरी नींद में सो जाता तो वह पलंग से बाहर निकलती और धीरे-धीरे आराम राजा का खून चूसती और पेट भरने के बाद वापस पलंग में जाकर छुप जाती। जूँ के दिन बड़े आराम से गुजर रहे थे।
संयोग से एक दिन एक खटमल घूमता हुआ राजा के शयन कक्ष में आ पँहुचा। उसका नाम अग्निमुख था। उसे देख कर जूँ को बहुत गुस्सा आया और उसने उसे वहाँ से जाने के लिए कहा। वह अपने अधिकार क्षेत्र में किसी को भी आने नहीं देना चाहती थी।
मेहमान का स्वागत नहीं करोगी!
लेकिन खटमल भी बहुत चतुर था। उसने बड़े ही मीठे शब्दों में जूँ से कहा, “देखो, मैं तो तुम्हारा मेहमान हूँ। क्या तुम्हारे यहाँ अपने मेहमान से इस तरह का व्यवहार किया जाता है? मैं तो सिर्फ आज रात को यहाँ रहूँगा। कल सुबह ही मैं वापस चला जाऊंगा। तुम्हें आज रात को तो मुझे अपनी शरण में रखना चाहिए।”
जूँ बेचारी भोली-भाली थी, उसकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई और उससे बोली, “ठीक है आज रात को तुम यहाँ रह सकते हो, लेकिन एक शर्त है तुम राजा को नहीं काटोगे और उसका खून भी नहीं पीओगे।”
चतुर खटमल राजा का मीठा-मीठा खून पीने का मौका खोना नहीं चाहता था। वह मायूस सा होकर जूँ से बोला, “तो क्या तुम अपने मेहमान को भूखा ही रखोगी। उसे कुछ खाने-पीने के लिए नहीं दोगी। राजा के स्वादिष्ट खून से अच्छा भोजन और क्या हो सकता है।”
मेरी सलाह याद रखना
उसकी बात सुनकर जूँ ने कहा, “ठीक है, तुम राजा का खून पी सकते हो। लेकिन जब राजा गहरी नींद में सो जाए उसके बाद ही तुम खून पीना शुरू करना। थोड़ा-थोड़ा और रुक-रुक कर खून पीना। राजा को दर्द का एहसास नहीं होना चाहिए।”
खटमल ने तुरंत हामी भरते हुए कहा, “ठीक है, जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करूंगा। मैं पूरा ध्यान रखूँगा कि राजा को दर्द ना हो।”
उससे आश्वासन पाकर जूँ ने उसे राजा के पलंग पर रहने और उसका खून पीने की स्वीकृति दे दी।
इतना मीठा खून, मजा आ गया
अब तो खटमल उत्सुकता से राजा की प्रतीक्षा करने लगा। राजा का मीठा खून पीने का सोच-सोच कर ही उसके मुँह में पानी आ रहा था। उसका एक-एक पल बड़ी बेसब्री से बीत रहा था। खैर रात होने पर उसका इंतजार खत्म हुआ। राजा अपने शयनकक्ष में आए और पलंग पर आकर लेट गए। थोड़ों देर में राजा ने सोने के लिए अपनी आँखे मूँद ली।
अपने सामने स्वादिष्ट भोजन देखकर खटमल से और इंतजार करना मुश्किल हो रहा था। राजा के गहरी नींद में जाने तक वह अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका और गहरी नींद में जाने से पहले ही वह खून पीने के लिए राजा पर टूट पड़ा।
पलंग के कोने में बैठी जूँ ने उसे रोकना चाहा। लेकिन उसने उसकी एक ना सुनी। उसने राजा के शरीर में अपने दाँत गढ़ा दिए और खून चूसने लगा। राजा का खून बहुत ही स्वादिष्ट था। उसने आज से पहले इतना स्वादिष्ट खून कभी नहीं पीया था। वह जूँ की चेतावनी भूल गया और लगातार खून चूसता रहा।
लगातार खून चूसने के कारण राजा के शरीर में खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई। उसने अपने सेवकों को पुकारकर कहा, “सैनिकों देखो मेरे पलंग में कोई कीड़ा घुस गया है। उसने मेरी नींद खराब कर दी है। जल्दी से उसे ढूंढ कर मार दो।” राजा की बात सुनकर खटमल भाग कर पलंग के पाए के नीचे छुप गया लेकिन जूँ भाग नहीं सकी। वह पलंग के कोने तक ही पहुंची थी कि सैनिकों की नजर उस पर पड़ गई और उन्होंने उसे मार डाला।
खटमल और जूँ कहानी का वीडियो – Khatmanl Aur Jun
सीख
तो देखा दोस्तों, अजनबी खटमल की चिकनी-चुपड़ी बातों में आने के कारण जूँ को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इसलिए हमें हमेशा किसी की चिकनी-चुपड़ी बातों में आए बगैर अपने विवेक से काम लेना चाहिए और ना ही किसी अजनबी पर सरलता से विश्वास करना चाहिए।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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