सूचिमुखी गौरैया और बंदर – Suchimukhi Gauraiya Aur Bandar
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – सूचिमुखी गौरैया और बंदर – Suchimukhi Chidiya Aur Bandar – The Suchimukhi Sparrow and The Monkey
एक जंगल के पहाड़ों पर सूचिमुखी नाम की एक गौरैया रहती थी। वह बहुत ही बुद्धिमान थी। उसने शीत ऋतु आने से पहले ही अपना घोंसला बना लिया था।
उन्ही पहाड़ों पर बंदरों का एक दल भी रहता था। दल के सभी बंदर बहुत ही उद्दंड, लापरवाह और मूर्ख थे। उनका सारा समय बस मस्ती करते हुए ही बीतता था। उन्होंने शीत ऋतु आने से पहले अपने रहने का कोई इंतजाम नहीं किया।
इस बार शीत ऋतु में बहुत बर्फ गिरी। बर्फ गिरने के कारण पहाड़ पर बहुत ठंड हो गई। एक दिन बर्फ गिरने के बाद बहुत तेज हवा चलने लगी। हवा इतनी बर्फीली थी कि शरीर के अंदर हड्डियों को भी जाम कर दे।
अब क्या करें?
जैसे-जैसे रात होने लगी ठंड और बढ़ गई। सारे बंदर ठंड के कारण ठिठुरने लगे। उन्हें ठंड से बचने का कोई उपाय नहीं दिख रहा था। वे ठंड से बचने के लिए इधर से उधर भाग रहे थे। इसी भागम-भाग में वे उसी पेड़ के नीचे चले गए जहाँ सूचिमुखी गौरैया रहती थी।
🐒 एक बंदर – बहुत ठंड लग रही है, यदि कहीं से आग तापने को मिल जाए तो कुछ आराम मिले।
🐒 दूसरा बंदर – देखो, इस पेड़ के नीचे बहुत सारी सूखी पत्तियां गिरी हुई है। उन्हें इकठ्ठा करके जलाते है, जिससे कुछ ठंड कम हो।
उन्होंने मिलकर सूखे पत्तो को एक जगह इकठ्ठा किया और उन्हें जलाने के लिए कुछ ढूँढने लगे। तभी उनकी नजर लाल-लाल अंगारों की तरह उड़ते हुए जुगनुओं पर पड़ी।
🐒 तीसरा बंदर – देखो कुछ चिंगारिया हवा में उड़ रही है। हम उन्हें पकड़ कर इकठ्ठा कर लेते है। फिर उनसे आग जला लेंगे।
मुफ्त की सलाह
बस फिर क्या था, सभी बंदर जुगनुओं को पकड़ने के लिए निकल पड़े। उन बंदरों में एक बूढ़ा बंदर भी था। उसने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन किसी ने भी उसकी ओर ध्यान नहीं दिया और कूद-कूद कर जुगनुओं को पकड़ने की कोशिश करने लगे
सूचिमुखी गौरैया बहुत देर से उन बदरों की हरकतों को देख रही थी। जब बंदर जुगनुओं को पकड़ने का प्रयास करने लगे तो उससे रहा नहीं गया। वह उन्हें रोककर समझाते हुए बोली,
🐥 सूचिमुखी – अरे भाइयों, तुम जिन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हो वे चिंगारियाँ नहीं जुगनू है। उन्हें पकड़ने से तुम्हें कोई लाभ नहीं होगा।
🐒 एक बंदर – (क्रोध से) मूर्ख गौरैया, तुम अपने काम से काम रखों और हमें अपना काम करने दो। चुपचाप अपने घोंसले में दुबकी बैठी रहो।
उन्होंने सूचिमुखी गौरैया की सलाह को अनदेखा करते हुए कुछ जुगनुओं को पकड़ लिया और उन्हें पत्तियों के नीचे दबा दिया। फिर सभी मिलकर पत्तियों के ढेर पर जोर-जोर से फूँक मारने लगे।
जब काफी देर तक प्रयास करने पर भी आग नहीं जली तो सूचिमुखी चिड़िया ने फिर कहा,
🐥 सूचिमुखी – अरे भाइयों, इन जुगनुओं से आग नहीं जलेगी। इससे तो अच्छा है ठंड से बचने के लिए तुम लोग पहाड़ी में कोई कन्दरा (गुफा) ढूंढ कर उसमें चले जाओं। जिससे बर्फीली हवाओं से तुम्हारा बचाव हो जाएगा।
अपनी टाँग मत अड़ाओ
बंदर पहले से ही ठंड से परेशान थे और आग भी नहीं जल रहीं थी तो उन्हें बहुत गुस्सा आ रहा था। उन्होंने गुस्से में घूर कर सूचिमुखी की तरफ देखा और उसे चुप रहने का इशारा किया। पास बैठे बूढ़े बंदर ने सूचिमुखी को समझाते हुए कहा,
🐵 बूढ़ा बंदर – सूचिमुखी, ये सभी मूर्ख है, और तुम्हारे उपदेश के पात्र नहीं है। ये तुम्हारी बात नहीं मानेंगे इसलिए तुम चुप ही रहो।
सारे बंदर बहुत देर तक फूँक मार-मार कर आग जलाने की कोशिश करते रहे लेकिन आग नहीं जली। सभी फूँक मार-मार कर थक गए थे। उनकी हालत देख कर सूचिमुखी चुप ना रह सकी उसने कहा,
🐥 सूचिमुखी – यदि तुम किसी कन्दरा में नहीं जाना चाहते हो तो कोई बात नहीं, लेकिन आग जलाने के लिए दो पत्थरों को आपस में रगड़ना पड़ता है। इसलिए दो पत्थरों को आपस में रगड़ कर आग जला लो।
बंदर पहले ही आग न जलने के कारण खीजे हुए थे। सूचिमुखी का बार-बार टोकना उन्हें नागवार गुजरा। उनका गुस्सा और बढ़ गया। उनमें से एक बंदर गुस्से में बाहर कर पेड़ पर चढ़ा और उसने सूचिमुखी को पकड़ कर उसकी गर्दन घुमा कर नीचे फेंक दिया।
सूचिमुखी फड़फड़ाती हुई नीचे गिर गई और मर गई।
सूचिमुखी गौरैया और बंदर कहानी का वीडियो – Suchimukhi Gauraiya Aur Bandar
सीख
बिना मांगे किसी को भी सलाह नहीं देनी चाहिए। मूर्खों को सलाह देने का कोई फायदा नहीं होता उल्टे खुद को ही नुकसान उठाना पड़ जाता है। शिक्षा भी उसी को देनी चाहिए जो शिक्षा ग्रहण करने के योग्य हो।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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