ब्राह्मणी और तिल – Brahmani Aur Til
पंचतंत्र की कहानियाँ – दूसरा तंत्र – मित्रसंप्राप्ति – ब्राह्मणी और तिल – Brahmani Aur Til – The Brahmani And Sesame
कनकपुर गाँव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। ब्राह्मण रोज नगर में भिक्षा मांगने जाता था। पूरा दिन घूमने के बाद भी उसके पास बस दो समय खाने लायक अन्न ही बढ़ी मुश्किल से हो पाता था। एक दिन वृहत्स्फिक नामक सन्यासी उनके घर आया। लेकिन घर में तो खाने-पीने का कुछ भी सामान नहीं था। ब्राह्मण और ब्राह्मणी दोनों को अतिथि के भोजन सत्कार की चिंता हो रही थी।
कैसे करूँ अतिथि सत्कार
👵 ब्राह्मणी : अपने घर में आज अतिथि आए है और घर में अन्न का एक दाना भी नहीं है। अब मैं अतिथि को भोजन कैसे करवाऊँ।
👱♂️ ब्राह्मण : चिंता मत करो प्रिये, यहाँ पास ही के गाँव में एक ब्राह्मण कर्क-संक्रान्ति के उपलक्ष्य में सूर्यदेव की तृप्ति के लिए कुछ दान करना चाहता है। मैं कल सुबह वहाँ जाऊंगा और अतिथि के लिए भोजन ले आऊँगा।
👵 ब्राह्मणी : आपसे तो दो समय के भोजन जितना धन भी नहीं कमाया जाता। आपकी पत्नी बन कर तो मुझे कोई सुख नहीं मिला। अच्छे वस्त्र और आभूषण तो बहुत दूर की बात है, आप कभी मेरे लिए कोई मिष्ठान्न भी नहीं लेकेर आए।
👱♂️ ब्राह्मण : देवी, तुम्हें इस बात से दुखी नहीं होना चाहिए। अपनी इच्छानुसार धन तो किसी को भी नहीं मिलता। पेट भरने योग्य अन्न तो मैं भी ले ही आता हूँ धन की तृष्णा तो बढ़ती ही जाती है। अति तृष्णा के चक्कर में मनुष्य के माथे पर शिखा हो जाती है।
👵 ब्राह्मणी : (आश्चर्य से) वो कैसे?
तब ब्राह्मण ने ब्राह्मणी को सूअर, शिकारी और गीदड़ की कथा सुनाई।
👱♂️ ब्राह्मण : इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, जो अपने पास है उसी में खुश रहो। अति तृष्णा को त्याग दो।
👵 ब्राह्मणी : यह कहानी सुनकर मुझे लगता है कि आपकी बात बिल्कुल सही है। अपने घर में कुछ तिल पड़े है। जब तक आप कुछ खाने के लिए लेकर आते है तब तक मैं उन्हे साफ करके व कूट कर अतिथि को खिला देती हूँ।
अब क्या करूँ
उसकी बात से सन्तुष्ट होकर ब्राह्मण भिक्षा के लिये दूसरे गाँव चला गया। उसके जाने की बाद ब्राह्मणी ने भी अपने वचनानुसार घर में पड़े तिलों साफ किया और धोकर सूखने के लिए धूप में सूखा दिया। तभी कहीं से एक कुत्ता वहाँ आया और उसने उन तिलों पर मूत्र-विष्ठा कर उन्हें खराब कर दिया।
यह देख ब्राह्मणी चिन्ता में पड़ गई। बहुत देर तक सोचने के बाद उसने तय किया कि यदि वह गाँव में जाकर इन साफ तिलों के बदले में बिना साफ किए तिल मांगेगी तो कोई भी उसे आसानी से दूसरे तिल दे देगा। इनके मूत्र-विष्ठा से खराब होने का किसी को पता ही नहीं लगेगा और मुझे साधु को खराब तिल खिलाने का पाप भी नहीं लगेगा।
यह सोचकर उसने उन तिलों को एक छाज में रखा और गाँव में यह कहते हुए घूमने लगी,
👵 ब्राह्मणी : कोई ये धुले हुए तिल ले लो और इन धुले हुए तिलों के स्थान पर बिना छँटे तिल दे दो।
वृहत्स्फिक तिलों का कुत्ते की मूत्र विष्ठा से खराब होने का सारा हाल देख लिया था। अपने भोजन के लिए मेजबान को कोई कष्ट ना हो इसलिए वह भी गाँव में ही भिक्षा लेने के लिए निकल गया।
घूमते-घूमते ब्राह्मणी एक घर के सामने पहुंची। उस घर का गृहस्वामी बाहर गया हुआ था। घर पर गृहस्वामिनी और उसका बेटा ही था। जब गृहस्वामिनी ने ब्राह्मणी को अशोधित तिलों के स्थान पर शोधित तिल देने का सुना तो वह उससे सौदा करने लगी।
उस समय वृहत्स्फिक भी उस घर के निकट ही भिक्षा मांग रहा था। वह कौतूहलवश सारा वृतांत देखने के लिए वहीं रुक गया। तभी उसके पुत्र ने कहा,
👦🏻 गृहस्वामिनी का पुत्र – माँ, इन तिलों को मत लो। कोई पागल ही होगा जो अशोधित तिलों को लेकर शोधित हुए तिल देगा। मैंने अर्थशास्त्र पढ़ा है, यह बात निष्कारण नहीं हो सकती । हो न हो इन छँटे तिलों में कोई अवश्य ही कोई दोष है, तभी यह ब्राह्मणी छँटे हुए तिलों के बदले बिना छँटे हुए तिल लेने के लिए घूम रही है।
पुत्र के कहने से गृहस्वामिनी ने यह सौदा नहीं किया और ब्राह्मणी अपना सा मुंह लेकर उन उच्छिष्ट तिलों को लेकर वापस अपनी कुटिया में आ गई।
सीख
हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य होता है। हमें कोई भी निर्णय लेने से पहले पूरी तरह सोच विचार कर लेना चाहिए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ********************* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पिछली कहानी – हिरण्यक और ताम्रचूड साधु की कहानी – साधु और चूहा
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
अगली कहानी – सूअर, शिकारी और गीदड़
अब एक छोटा सा काम आपके लिए भी, अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी हो, तो इस पेज को Bookmark कर लीजिये और सोशल मीडिया जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, WhatsApp (फेसबुक टि्वटर लिंकडइन इंस्टाग्राम व्हाट्सएप) आदि पर अपने दोस्तों को शेयर कीजिए।
अपनी राय और सुझाव Comments Box में जरूर दीजिए। आपकी राय और सुझावों का स्वागत है।