सच्ची मित्रता – Sachchi Mitrata
पंचतंत्र की कहानियाँ – दूसरा तंत्र – मित्रसंप्राप्ति –सच्ची मित्रता – Sachchi Mitrata – The True Friendship
एक जंगल में बहुत सारे पशु-पक्षी रहते थे। उस जंगल में एक तालाब के किनारे एक कछुआ मंथरक रहता था। उसी तालाब के पास एक पेड़ के ऊपर एक कौआ लघुपतनक और पेड़ के नीचे बने बिल में एक चूहा हिरण्यक रहता था। उसी जंगल में एक चित्रांग नाम का हिरण भी रहता था।
चारों बहुत अच्छे मित्र थे। चारों मित्र रोज दोपहर से शाम तक तालाब के किनारे बैठ कर बातें करते। इस तरह से हंसी खुशी दिन कट रहे थे। एक दिन दोपहर में मंथरक, लघुपतनक और हिरण्यक रोजाना की तरह बैठ कर बातें कर रहे थे। लेकिन बहुत देर होने पर भी चित्रांग नहीं आया तो उन्हें चिंता होने लगी।
मैं तो फँस गया!
🦅 लघुपतनक – मित्रों, आज क्या बात है इतनी देर हो गई चित्रांग अब तक नहीं आया। मुझे उसी चिंता हो रही है। कहीं वह किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया?
🐭 हिरण्यक – हाँ, मित्र चिंता तो मुझे भी हो रही है। कहीं वह किसी शिकारी के जाल में तो नहीं फँस गया या किसी बाघ ने तो उसे अपना शिकार नहीं बना लिया।
🐢 मंथरक – हमें अब और देर नहीं करनी चाहिए। हमें इसी समय चित्रांग की खोज करने निकल पड़ना चाहिए। लघुपतनक मेरी और हिरण्यक की चाल तो बहुत धीमी है, इसलिए तुम जल्दी से उड़ कर जंगल में जाओं और चित्रांग का पता लगाओं।
लघुपतनक चित्रांग की खोज में उड़ चला। कुछ दूर जाने पर उसने देखा कि चित्रांग शिकारी के जाल में फँसा हुआ है। वह उसके पास गया। उसे देखकर चित्रांग की आँखों में आँसू आ गए। वह बोला,
🦌 चित्रांग – मित्र, लगता है अब मेरा अंत समय आ गया है। मरते समय मित्र का साथ होना सुखद होता है। मंथरक और हिरण्यक को कहना कि मरते समय मैं उन्हें याद कर रहा था। यदि मैंने अनजाने में भी तुम लोगों को कोई कड़वी बात कह दी हो या दिल दुखाया हो तो मुझे क्षमा कर देना।
हम है तो क्या गम!
🦅 लघुपतनक – मित्र, हम जैसे मित्रों के होते हुए तुम्हें घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं अभी हिरण्यक को लेकर आता हूँ, वह तुम्हारा जाल काट कर तुम्हें मुक्त करवा देगा।
इतना कहकर लघुपतनक जल्दी से उड़कर हिरण्यक और मंथरक के पास गया और उन्हें सारी बात बताई। उसने जल्दी से हिरण्यक को अपनी पीठ पर बैठाया और चित्रांग के पास आ गया।
🦅 लघुपतनक – हिरण्यक, तुम जल्दी से जाल काटो तब तक मैं पेड़ पर बैठकर शिकारी पर नजर रखता हूँ। जैसे ही वह इधर आने वाला होगा मैं तुम्हें आगाह कर दूँगा ।
लघुपतनक पेड़ की शाखा पर बैठ गया और हिरण्यक ने चित्रांग का जाल काटना शुरू ही किया था कि लघुपतनक बोला,
🦅 लघुपतनक – यह तो बहुत ही बुरा हुआ।
🐭 हिरण्यक – क्या हुआ, शिकारी आ गया?
🦅 लघुपतनक – नहीं मित्र, शिकारी तो नहीं लेकिन मंथरक इधर ही चला आ रहा है।
🐭 हिरण्यक – तो इसमें चिंता की क्या बात है? वह तो हमारा मित्र ही है।
🦅 लघुपतनक – चिंता करने की तो बात है मित्र।
🐭 हिरण्यक – क्यों?
ये तो बहुत बुरा हुआ
🦅 लघुपतनक – यदि इसी बीच शिकारी यहाँ आ गया तो मैं तो उड़ जाऊँगा, तुम भाग कर किसी बिल में छुप जाओगे और चित्रांग भी छलाँगे मार कर जंगल में भाग जाएगा लेकिन मंथरक तो अपनी धीमी चाल के कारण भाग भी नहीं पाएगा। कहीं शिकारी उसे ही ना पकड़ ले।
तब तक मंथरक उनके पास पँहुच गया। उसे देखकर हिरण्यक ने कहा,
🐭 हिरण्यक – मित्र, तुम यहाँ क्यों आए? तुमने यहाँ आकर अच्छा नहीं किया। तुम अभी इसी समय वापस लौट जाओ। यदि शिकारी आ गया तो तुम्हारे प्राण संकट में पड़ जाएंगे।
🐢 मंथरक – मित्र, यह सुनकर कि मेरा मित्र विपत्ति में है, मुझसे रुका नहीं गया। मैं यह सोचकर चला आया कि उसको छुड़वाने में मैं भी कुछ मदद करूंगा।
🦅 लघुपतनक – हिरण्यक, बातों में समय व्यर्थ मत करों। शिकारी के आने से पहले जल्दी से जाल काट दो।
हिरण्यक जाल काटने लगा। अभी जाल थोड़ा सा ही कटा था कि लघुपतनक चिल्लाया,
🦅 लघुपतनक – मित्र, जल्दी करों शिकारी इधर ही आ रहा है। अब वह हमसे ज्यादा दूर नहीं है।
लघुपतनक की बात सुनकर हिरण्यक तेजी से जाल काटने लगा। आधा जाल कटते ही चित्रांग जाल से आजाद हो गया। उसके आजाद होते ही लघुपतनक बोला,
🦅 लघुपतनक – शिकारी बिल्कुल नजदीक आ गया है जल्दी से भागों।
उसकी बात सुनकर हिरण्यक बिल में घुस गया, लघुपतनक पेड़ की ऊंची शाखा पर बैठ गया और चित्रांग पीछे मुड़-मुड़ के देखता हुआ दूर भाग गया। मंथरक भी अपनी धीमी चाल से भागने लगा।
शिकारी अपने जाल में से हिरण को भागते हुए देख कर बहुत दुखी हुआ। वह अपने जाल के पास आया। उसने आधे कटे जाल को उठाया और जाने लगा। तभी उसकी दृष्टि धीरे-धीरे भागते मंथरक पर पड़ी।
वो नहीं तो तू सही
उसने मन ही मन सोचा, “चलों हिरण हाथ से निकल गया तो कोई बात नहीं। लेकिन भगवान की कृपा से यह कछुआ मिल गया। आज मैं इसे ही पकड़ कर अपना भोजन बनाऊँगा।
यह सोच उसने भाग कर मंथरक को पकड़ लिया और उसे जाल में बांध कर अपने कंधे पर लटकाकर अपने घर की और चल पड़ा। जब हिरण्यक और लघुपतनक ने देखा कि शिकारी मंथरक को पकड़ कर ले गया है तो दोनों बहुत दुखी हुए।
🦅 लघुपतनक – ये तो बहुत बुरा हुआ मित्र, शिकारी मंथरक को पकड़ कर ले गया। मुझे बहुत दुख हो रहा है।
🐭 हिरण्यक – हाँ मित्र, तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। मुझे जितना दुख मेरे धन के जाने का नहीं हुआ, उससे ज्यादा दुख अपने मित्र के खोने का हो रहा है।
वे बातें कर ही रहे थे कि चित्रांग भी वहाँ आ गया। उसे भी मंथरक के पड़े जाने का बहुत दुख हुआ।
🐭 हिरण्यक – दुखी होने से कुछ नहीं होगा। इससे पहले की शिकारी मंथरक को लेकर जंगल से बाहर निकल जाए हमें उसे छुड़ाने का उपाय सोचना होगा।
वे तीनों अपने मित्र को शिकारी के चंगुल से छुड़ाने का उपाय सोचने लगे। तभी लघुपतनक ने कहा,
🦅 लघुपतनक – मुझे अपने मित्र को छुड़वाने का एक उपाय सूझ गया है। लेकिन उसमें थोड़ा खतरा भी है।
🦌 चित्रांग – अपने मित्र को छुड़वाने के लिए मैं कोई भी खतरा उठाने के लिए तैयार हूँ।
🐭 हिरण्यक – मैं भी।
🦅 लघुपतनक – जिस दिशा में शिकारी गया है। उस दिशा में एक तलैया है। चित्रांग तुम भाग कर शिकारी के वहाँ पँहुचने से पहले वहाँ पँहुच जाओ। मैं भी हिरण्यक को अपनी पीठ पर बैठाकर वहाँ आ जाता हूँ। जब शिकारी वहाँ आए तब तुम मृत के समान लेट जाना। मैं तुम्हारे सर पर अपनी चोंच से चोट मार कर तुम्हें खाने का नाटक करूँगा।
शिकारी समझेगा कि तुम मृत हो और वह मंथरक को जमीन पर रख कर तुम्हें उठाने के लिए आएगा। इस बीच हिरण्यक मंथरक का जाल काट कर उसे मुक्त कर देगा। वह उसे बता देगा कि वह दौड़ कर तलैया में घुस जाए। हिरण्यक तुम भी पास के किसी बिल में घुस जाना। जैसे ही शिकारी तुम्हारे पास पँहुचे तुम उठ कर जंगल में भाग जाना और मैं उड़कर किस वृक्ष पर चल जाऊँगा। इस तरह सभी बच जाएंगे।
🦌 चित्रांग – बड़ी अच्छी योजना है। अब हमें देर नहीं करनी चाहिए।
हम सब आजाद हैं
वे तीनों अपनी योजनानुसार शिकारी से पहले उस तलैया पर पँहुच गए। चित्रांग तलैया के किनारे मृत के समान लेट गया, लघुपतनक उसके सर पर बैठ कर चोंच मार-मार के उसे खाने का नाटक करने लगा और हिरण्यक थोड़ी दूर पहले एक पेड़ के पीछे छुप गया।
शिकारी ने दूर से देखा कि तलैया के किनारे एक हिरण मृत पड़ा हुआ है और एक कौआ उसका माँस खा रहा है। उसने मन ही मन सोचा, लगता है यह हिरण मेरे जाल से छूटकर भागता-भागता यहाँ आकर मर गया है। आज तो मुझे दो-दो शिकार मिल गए है। यह कछुआ तो मेरे जाल में बंधा हुआ ही है। इसलिए यह तो भाग कर कहीं नहीं जा सकता। मैं जल्दी से जाकर उस हिरण को भी उठा कर ले आता हूँ।
यह सोचकर उसने मंथरक को जाल समेत जमीन पर रख दिया और चित्रांग की तरफ दौड़ पड़ा। उसके जाते ही हिरण्यक भाग कर मंथरक के पास गया और जल्दी-जल्दी उसका जाल काट दिया। हिरण्यक भाग कर बिल में छुप गया और मंथरक जल्दी से तलैया में घुस गया। उधर शिकारी जैसे ही चित्रांग के पास पँहुचा, चित्रांग उठकर तेजी से छलाँगे लगाता हुआ जंगल में भाग गया।
लघुपतनक भी उड़कर वहाँ से चला गया। शिकारी आश्चर्यचकित होकर हिरण को भागते देखता रहा। अपने हाथ में आए शिकार को जाते देख वह दुखी मन से वापस मुड़ा तो उसे अपने जाल में कछुआ भी नजर नहीं आया। दो शिकार पाने के लालच में उसके हाथ में आया शिकार भी उसके हाथ से निकल गया। वह बड़े दुखी मन से हाथ मलता हुआ अपने घर चला गया।
उसके जाने के बाद चारों मित्र आपस में इस तरह गले मिले जैसे कि उनका पुनर्जन्म हुआ हो। उसके बाद से चारों मित्र पहले की तरह उसी तालाब के किनारे हँसते-खेलते मजे से अपने दिन बिताने लगे।
सीख
- जो विपत्ति में साथ ना छोड़े वहीं सच्चा मित्र होता है।
- लालच बुरी बला है। शिकारी ने ज्यादा पाने के लालच के कारण अपने हाथ में आया शिकार भी खो दिया।
- बुद्धिमानी और एकता की शक्ति से बड़े से बड़े दुश्मन को हराया जा सकता है।
- मित्रता में बड़ी शक्ति होती है। बुद्धिमान व्यक्ति को जीवन में सदा सच्चे मित्र बनाने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। संकट के समय बिना किसी स्वार्थ के अपने मित्र का साथ देना चाहिए।
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पिछली कहानी – बैल और गीदड़
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
अगली कहानी – सूत्रधार कथा – कोकोलूकीयम
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