ब्राह्मण, चोर और राक्षस – Brahmin, Chor Aur Rakshas
पंचतंत्र की कहानियाँ – तीसरा तंत्र – कोकोलूकीयम – ब्राह्मण, चोर और राक्षस – Brahmin, Chor Aur Rakshas – The Brahmin, The Thief and The Demon
श्रीपुर गाँव में द्रोण नाम का ब्राह्मण रहता था। वह बहुत ही गरीब था। उसके पास न तो खाने के लिए कुछ था और न ही पहनने के लिए अच्छे कपड़े। भिक्षा माँगकर जैसे-तैसे वह अपना जीवन यापन करता था। एक बार किसी यजमान ने उस पर दया करके उसे बैलों का एक जोड़ा दे दिया।
ब्राह्मण उनका भरण-पोषण बड़े यत्न से करने लगा। गाँव में जाकर जौ, तेल, घी आदि मांग के लाता, वह खुद कम खाता, लेकिन उनको भरपेट खिलाता। थोड़े ही समय में उसकी देखभाल से वे दोनों बैल बहुत ही हृष्ट-पृष्ट हो गए।
चोर और राक्षस भाई-भाई
एक बार एक चोर की नजर उन पर बैलों पर पड़ी। इतने मोटे-ताजे बैल देखकर उसके मन में लालच आ गया। उसने उन बैलों की चोरी करने का निर्णय ले लिया। एक दिन शाम के समय वह उन बैलों को चोरी करने के इरादे से अपने घर से निकल पड़ा।
रास्ते में उसने देखा एक पेड़ के नीचे एक लंबे-लंबे दांतों, सूखे बालों और उभरी हुई नाक वाला एक भयङकर आदमी अचेत पड़ा है। उसे देख कर एक बार तो चोर डर गया। फिर हिम्मत करके उसके पास गया। उसने उसके चेहरे पर पानी छिड़का। उसे होश आने पर उसने उसे पानी पिलाया। उस आदमी की हालत में थोड़ा सुधार हुआ। चोर ने डरते हुए पूछा,
🕵️ चोर – तुम कौन हो और यहाँ अचेत कैसे हो गए?
👹 आदमी – मैं ब्रह्मराक्षस हूँ, मेरा नाम सत्यवचन है। बहुत दिनों से भूखा होने के कारण मैं भोजन की तलाश में निकला था। लेकिन कमजोरी के कारण अचेत होकर गिर गया। तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद, मित्र। तुमने मेरे जान बचा ली। तुम कौन हो और कहाँ जा रहे हो?
🕵️ चोर – मैं एक चोर हूँ, मेरा नाम क्रूरकर्मा है। मैं पास वाले ब्राह्मण के घर से बैलों की जोड़ी चुराने जा रहा हूँ।
👹 ब्रह्मराक्षस – मित्र, क्या मैं भी तुम्हारे साथ चल सकता हूँ। मुझे कई दिनों से कुछ खाने को नहीं मिला। तुम ब्राह्मण के बैलों को चुरा लेना और मैं उसे खाकर अपनी भूख शांत कर लूँगा।
🕵️ चोर – मुझे इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती। एक से भले दो, चलो।
पहले मैं, नहीं पहले मैं
दोनों रात होने से पहले उस ब्राहमण के घर पँहुच कर छुप गए और उसके सोने का इंतजार करने लगे। रात होने पर ब्राहमण ने अपने बैलों खूँटे पर बाँधा और अपनी शय्या पर जाकर लेट गया। थोड़ी देर बाद उसे नींद आ गई। उसे सोया जान कर ब्रह्मराक्षस उसे खाने के लिए आगे बढ़ा तो चोर ने उसे रोकते हुए कहा,
🕵️ चोर – रुको मित्र, पहले मुझे बैलों को चुरा कर ले जाने दो, फिर तुम ब्राह्मण को खा लेना।
👹 ब्रह्मराक्षस – बैलों को चुराकर ले जाते समय आवाज हो गई तो ब्राह्मण जाग जाएगा। उसने शोर मचा कर लोगों को बुला लिया तो मैं उसे कैसे खा पाऊँगा? मैं भूखा ही रह जाऊंगा। इसलिए पहले मुझे इसे खा लेने दो उसके बाद तुम आराम से बैलों को चुराकर ले जाना।
🕵️ चोर – नहीं, यह न्यायसंगत नहीं है। ब्राह्मण की हत्या करते समय वह बच जाए और चिल्लाकर लोगों को बुला ले तो मैं बैलों को नहीं चुरा पाऊँगा। इसलिए पहले मैं बैल चुरा कर ले जाऊँगा। उसके बाद तुम ब्राह्मण को खाना।
मैंने तो तुम्हें बचाया है
दोनों में इस बात को लेकर विवाद होने लगा। दोनों ही पहले अपना काम करना चाहते थे कोई भी झुकने को तैयार नहीं था। उनकी आवाज सुनकर ब्राह्मण की नींद खुल गई और वह उठ बैठा। उसकी नजर उन दोनों पर पड़ी। जब चोर ने देखा कि ब्राह्मण जाग गया है तो वह उससे बोला,
🕵️ चोर – देखो ब्राह्मण देवता, यह राक्षस आपको खाने के लिए यहाँ आया था। यह तुम्हें खाने के लिए तुम पर हमला करने ही वाला था कि मैंने इसे देख लिया और पकड़ लिया। इस तरह मैंने इससे तुम्हारे प्राणों की रक्षा की है।
👹 ब्रह्मराक्षस – नहीं ब्राह्मण देव, यह झूठ बोल रहा है। यह यहाँ तुम्हारे बैलों को चुराने के लिए आया था। जैसे ही यह तुम्हारे बैलों को खोलने लगा मैंने इसे देख लिया और इसे रोक लिया। मैंने तुम्हारे बैलों को चोरी होने से बचाया है।
उन दोनों को इस तरह एक-दूसरे पर इल्जाम लगाते देख ब्राह्मण सारा मामला समझ गया। उसने जल्दी से अपने पास पड़ी लाठी उठा ली और बोला,
👱🏾 ब्राह्मण – मैं तुम दोनों के बारे में जान गया हूँ। तुम दोनों ही मुझे नुकसान पँहुचाने के लिए आए थे। लेकिन तुम्हारी आपसी लड़ाई के कारण मैं बच गया। अब तुम दोनों जल्दी से यहाँ से भाग जाओं नहीं तो मैं शोर मचाकर लोगों को बुला लूँगा।
उसकी बात सुनकर दोनों डर कर वहाँ से भाग गए। उसके बाद से ब्राह्मण सतर्क हो गया। उसने अपनी और अपने बैलों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए।
सीख
तो देखा दोस्तों आपसी लड़ाई के कारण राक्षस और चोर अपने कार्य में सफल नहीं हो पाए। शत्रुओं में होने वाली लड़ाई से ब्राहमण की जान और उसके दोनों बैल बच गए।
- शत्रु का शत्रु मित्र होता है।
- आपसी लड़ाई से बनते काम भी बिगड़ जाते है।
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पिछली कहानी – बूढ़े बनिए, उसकी युवा पत्नि और चोर की कहानी “बूढ़ा बनिया और चोर”
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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