राजा और कुम्हार – Rajaa our Kumhaar
पंचतंत्र की कहानियाँ – चौथा तंत्र – लब्धप्रणाशम – राजा और कुम्हार – Rajaa our Kumhaar – The King and The Potter
समय का राग कुसमय की टर्र
सोनपुर गाँव में एक युधिष्ठिर नामक कुम्हार रहता था। वह मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता था। वह दिन में काम करता और रात को शराब पीकर पड़ा रहता। एक बार वह शराब के नशे में किसी पत्थर से टकरा कर अपने घर के बाहर पड़े टूटे मटकों के ठीकरों के ढेर पर गिर गया। ठीकरों के ढेर पर गिरने से एक नुकीला ठीकरा उसके सिर में घुस गया, जिसकी वजह से उसके सिर में बहुत गहरा घाव हो गया और बहुत खून निकला।
इतना गहरा घाव होने पर भी उसने उस पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण उसके घाव में पस पड़ गई और घाव ज़्यादा गहरा हो गया। घाव के गहरा होने पर उसने उसका इलाज करवाया, लेकिन उसे ठीक होने में कई महीने लग गए। गाव ठीक होने के बाद भी उसका निशान उसके सिर पर रह गया।
कितना वीर है!
एक बार उसके नगर में भयंकर अकाल पड़ा। भूख प्यास से व्याकुल होकर वह रोजी-रोटी के तलाश में पास ही आम्रपाली नगर में चला गया और वहाँ के राजा चक्रधर की सेना में भर्ती हो गया। एक बार राजा चक्रधर अपनी सेना का मुआयना कर रहे थे तो उन्होंने युधिष्ठिर को वहाँ देखा।
उसके सिर पर इतने बड़े घाव के निशान को देखकर उन्होंने मन में सोचा, “अरे, इस सैनिक के सिर पर कितना बड़ा घाव का निशान है। यह जरूर कोई वीर पुरुष होगा, किसी लड़ाई में शत्रु का सामना करते समय हथियार से घायल होने पर ही इसके सिर पर यह घाव हुआ होगा।”
यह सोच कर उसने उसे अपनी सेना में का ऊँचा पद दे दिया। उसके ऊपर राजा की इतनी मेहरबानी और निकटता को देख कर राज्य की सेना के अन्य सैनिक और उसके दरबारी उससे जलने लगे। परंतु राजा के भय से कुछ कह भी नहीं सकते थे।
एक बार उस नगर पर दूसरे राजा ने अपनी सेना के साथ आक्रमण कर दिया। राजा चक्रधर ने भी अपनी सेना को युद्ध की तैयारियाँ करने का आदेश दिया। राजा की आज्ञानुसार सभी युद्ध की तैयारियों में जुट गए। हाथियों पर हौदे डाले जाने लगे, घोड़ों पर काठिया सजाई जाने लगी, तलवार और भालों पर धार दी जाने लगी, सभी सैनिक अस्त्र-शस्त्र लेकर तैयार होने लगे।
पर्दा उठा दूँ?
राजा चक्रधर स्वयं एक-एक सेनानायकों व अधिकारियों को अपने पास बुलाकर उससे युद्ध की तैयारियों के बारे में पूछ रहे थे। उन्होंने युधिष्ठिर को भी अपने पास बुलाया और युद्ध की तैयारियों की बात करते हुए अचानक पूछ बैठे,
🤴🏻 चक्रधर – युधिष्ठिर, मुझे बताओं तुम्हारे सिर पर यह घाव किस शत्रु के साथ युद्ध करते हुए लगा था।
युधिष्ठिर ने मन में सोचा, “महाराज यह समझते है कि यह घाव मुझे किसी के साथ युद्ध करते हुए लगा है। तभी उन्होंने मुझे इतना ऊँचा पद प्रदान किया था। अब मैं इन्हें अपने घाव का सच बता दूँ या नहीं।
🤴🏻 चक्रधर – युधिष्ठिर, इतना क्या सोच रहे हो, जल्दी से मुझे अपने घाव की कहानी बताओं।
युधिष्ठिर ने सोचा, “अब तो मैं राजा के बहुत ही निकट आ गया हूँ, उनकी मेरे ऊपर विशेष कृपा है। अब यदि मैं राजा से सच कह दूँगा, तो भी वे मुझे कुछ नहीं कहेंगे। यह सोच कर वह बोला,
🧖🏻♂️ युधिष्ठिर – महाराज, यह घाव किसी हथियार का नहीं है। दरअसल में एक कुम्हार हूँ। एक बार शराब के नशे में मैं अपने घर के बाहर पड़े मटके की ठीकरों के ढेर पर गिर गया था। एक नुकीला टुकड़ा चुभने से मेरे सिर में घाव हो गया। यह निशान उसी घाव का है।
शेर की खाल में गीदड़!
राजा चक्रधर अपनी सोच पर बहुत लज्जित हुए। उन्होंने सोचा, “मैंने बिना तहकीकात किये इसे इतना बड़ा पद दे दिया, जब मेरे सेवक इस सत्य को जानेंगे तो उनके सामने मेरी क्या इज्जत रह जाएगी।” यह सोच वह क्रोधित होते हुए बोला,
🤴🏻 चक्रधर – तमने मुझे ठगा है, तुम इसी वक्त मेरे राज्य से निकल जाओं।
🧖🏻♂️ युधिष्ठिर – (हाथ जोड़ते हुए) ऐसा मत कीजिए महाराज, आप मुझे मैं युद्ध के मैदान में अपना युद्ध-कौशल दिखाने का एक मौका तो दीजिए। मैं युद्ध के मैदान में अपने प्राणों की बाजी लगा दूँगा।
🤴🏻 चक्रधर – तुम चाहे कितने ही सर्वगुणसम्पन्न, शूरवीर और पराक्रमी हो, लेकिन जाति से एक कुम्हार हो। जिस कुल में तुम्हारा जन्म हुआ है वह शूरवीरों का नहीं है। तुम भी उसी तरह शत्रु से युद्ध नहीं कर पाओगे जिस तरह शेरों के बच्चों में पलकर भी गीदड़ हाथी से लड़ने को तैयार नहीं हो पाया था।
🧖🏻♂️युधिष्ठिर – कौन सा गीदड़ महराज?
तब राजा चक्रधर ने युधिष्ठिर को शेरों के बच्चों में पलकर भी हाथी से डरने वाले गीदड़ की कहानी, “गीदड़, गीदड़ ही रहता है” सुनाई।
🤴🏻 चक्रधर – इसलिए कहता हूँ, इससे पहले कि मेरे पुत्र और अन्य अधिकारी तेरे सच को जान कर तुझे मार डाले, तू यहाँ से भाग कर अपने गाँव वापस चल जा।
राजा की बात सुनकर युधिष्ठिर उसी दिन वह नगर छोड़ कर अपने गाँव वापस चल गया।
सीख
दंभ और अति आत्मविश्वास में आकर अपने भेद किसी के सामने नहीं खोलने चाहिए।
~~~~~~~~~~~~~~~~ ****************~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
पिछली कहानी – शेर, गीदड़ और मूर्ख गधे की कहानी “आजमाए को आजमाना”
अब एक छोटा सा काम आपके लिए भी, अगर यह कहानी आपको अच्छी लगी हो, तो इस पेज को Bookmark कर लीजिये और सोशल मीडिया जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, WhatsApp (फेसबुक टि्वटर लिंकडइन इंस्टाग्राम व्हाट्सएप) आदि पर अपने दोस्तों को शेयर कीजिए।
अगली कहानी – अपने पति के विश्वास को धोखा देने वाली ब्राह्मणी की कहानी “स्त्री का विश्वास”
अपनी राय और सुझाव Comments Box में जरूर दीजिए। आपकी राय और सुझावों का स्वागत है।