कुत्ते का बैरी कुत्ता – Kutte Ka Bairi Kutta
पंचतंत्र की कहानियाँ – चौथा तंत्र – लब्धप्रणाशा – कुत्ते का बैरी कुत्ता – Kutte Ka Bairi Kutta – Dog’s Enemy Dog
एक गाँव में चित्रांग नाम का एक कुत्ता रहता था। एक बार उस गाँव में बहुत भयंकर अकाल पड़ा। अकाल के कारण पानी की कमी से पेड़-पौधे सुख गए। जानवर भूख से मरने लगे। जानवर तो जानवर गाँव के लोग भी गाँव छोड़कर परदेस जाने लगे। अन्न के अभाव में उसके कई साथियों ने भी दम तोड़ दिया। यह देख कर चित्रांग ने भी देश छोड़कर परदेस जाने का निश्चय कर लिया।
अगले दिन ही पर दूसरे देश जाने की लिए निकल पड़ा और दूसरे नगर में पंहुच गया। वहाँ एक घर की मालकिन तरह-तरह के व्यंजन अधिक मात्रा में बना देती। बचा हुआ खाना उसकी लापरवाही की वजह से घर में ऐसे ही पड़ा रहता। चित्रांग चुपके से उस घर में जाकर वह खाना खा कर अपना पेट भर लेता। घर की मालकिन भी उसे कुछ नहीं कहती।
कुत्ते का बैरी कुत्ता
लेकिन उस नगर के कुत्ते बड़े दुष्ट थे। वे उसे देखते ही उस पर आक्रमण कर देते। वह उनसे बचने के लिए भाग कर किसी तरह अपनी जान बचाता। लेकिन बचते-बचाते भी वे उसके शरीर पर अपने दाँत गड़ा ही देते। इससे उसके शरीर पर घाव हो जाते, उसे बहुत दर्द होता। लेकिन खाने लालच में वह फिर उसी घर में चला जाता।
एक दिन इसी तरह जब वह खाना खा कर उस घर से बाहर निकला। कुछ खूंखार कुत्तों ने उस पर आक्रमण कर दिया और उसे बुरी तरह घायल कर दिया। तब चित्रांग ने सोचा, “इस नगर से तो अपना गाँव ही अच्छा था। खाने को तो कम था, लेकिन जान के दुश्मन कुत्ते तो नहीं थे। परदेस में अपने जाति भाइयों के हाथों से मरने से तो अच्छा है कि मैं अपने गाँव में भूख से ही मर जाऊँ।”
यह सोच कर वह वापस अपने गाँव आ गया। गाँव पँहुचने पर उस गाँव के कुत्तों ने उसे घेर लिया। वे सभी उससे परदेस के बारें में जानना चाहते थे। इसलिए उन्होनें उससे पूछा,
एक कुत्ता – चित्रांग, तुम तो परदेस रहकर आए हो। हमें भी तो वहाँ के बारे में कुछ बताओं। वह गाँव कैसा है? वहाँ के लोग कैसे है? वहाँ खाने-पीने की चीजे कैसी है?
चित्रांग – मित्रों, वह गाँव तो बहुत ही सुन्दर है, बड़े-बड़े सुंदर मकान है, साफ सुथरी सड़के है, गृह-स्वामिनियाँ भी बड़े नरम स्वभाव की है। वहाँ सब कुछ बहुत अच्छा है, पर इतनी अच्छाइयाँ होने के बाद भी एक दोष है, जो इतनी अच्छाइयों पर भारी है।
दूसरा कुत्ता – ऐसा कौन सा दोष है?
चित्रांग – वहाँ अपनी ही जाति के कुत्ते ही बैरी है। जहाँ अपने ही अपनों के बैरी हो वहाँ नहीं रहना चाहिए, इसलिए मैं वापस आ गया।
सीख
जहाँ अपने ही अपनों के बैरी हो वहाँ नहीं रहना चाहिए।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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