दो सिर वाला पक्षी – Do Sir Wala Pakshi
पंचतंत्र की कहानियाँ – पाँचवाँ तंत्र – अपरीक्षितकारकम – दो सिर वाला पक्षी – Do Sir Wala Pakshi – The Double Headed Bird
एक तालाब के पास एक पेड़ पर भारण्ड नामका एक विचित्र पक्षी रहता था। उसके बाकी शरीर तो अन्य पक्षियों की तरह ही था, लेकिन मुँह दो थे। एक बार उस तालाब में पानी के साथ बहता हुआ एक फल आया। पानी की लहरों ने उसे तालाब के किनारे ला कर पटक दिया।
जब उस पक्षी ने उस फल को देखा तो वह उड़कर उसके पास गया। उस पक्षी के एक मुँह ने उस फल को उठा लिया और खाने लगा। फल अत्यंत ही मीठा था। फल चखते ही उस मुँह ने कहा,
😙 पहला मुख – आहा, कितना मीठा फल है। आज तक मैने इतने सारे फल खाए है, लेकिन इसके समान स्वादिष्ट फल तो कभी भी नहीं खाया। यह तो किसी अमृत बेल का फल लगता है।
😋 दूसरा मुख – (उत्सुकता से) क्या सच में यह फल बहुत स्वादिष्ट है?
😙 पहला मुख – हाँ, बिल्कुल अमृत के समान मीठा और रसीला।
😋 दूसरा मुख – इतने स्वादिष्ट और मीठे फल को थोड़ा सा मुझे भी चखने दो।
😙 पहला मुख – तुम चख कर क्या करोगे? तुमने खाया या मैंने खाया एक ही बात है। हमारा पेट तो एक ही है। मैं खाऊँगा तो उसमें चला जाएगा। तुम्हें भी तृप्ति मिल ही जाएगी।
यह कहकर उसने आधा फल खुद खा लिया और बाकी का आधा फल अपनी प्रिया को दे दिया। इतना मीठा और स्वादिष्ट फल खाकर उसकी प्रेमिका भी बहुत प्रसन्न हो गई। पहले मुख के ऐसे व्यवहार से दूसरा मुख बहुत दुखी हो गया। उसे यह अपना अपमान लगा। अब वह हमेशा अपने इस तिरस्कार का बदला लेने की सोचता रहता।
एक दिन जंगल में उसे एक विषैला फल दिखाई दिया। उसने उसे उठा लिया। उस विषैले फल को पहले मुख को दिखाते हुए वह बोला,
😡 दूसरा मुख – देखों, आज मुझे यह फल मिला है। अब मैं इसे खाने जा रहा हूँ।
😙 पहला मुख – अरे मूर्ख, यह फल विषैला है, इसे मत खा। इसे खाने से हम मर जाएंगे।
😡 दूसरा मुख – मैं यही तो चाहता हूँ कि तुम मर जाओं। मैं तुमसे अपने अपमान का बदला लेना चाहता हूँ।
😙 पहला मुख – परंतु इसे खाने से तो हम दोनों ही मर जाएंगे।
पर दूसरे मुख ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए, बदला लेने की नियत से वह विषैला फल खा लिया। थोड़ी देर में पूरे शरीर में उस विषैले फल का विष फैल पक्षी के शरीर में फैल गया। परिणामस्वरूप दो मुखों वाला वह पक्षी मर गया।
सीख
- शुभचितकों की सलाह ना माने वालों को पछताना पड़ता है।
- अपनों से तकरार में अपनी ही हानि होती है।
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पिछली कहानी – ब्राह्मण और राक्षस की कहानी “जिज्ञासु बनों”
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
अगली कहानी – ब्राह्मण के प्राणों की रक्षा करने वाले केकड़े की कहानी “मार्ग का साथी”
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