अभिमानी मेंढक – Abhimani Mendhak
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – अभिमानी मेंढक – Abhimani Mendhak – The Proud Frog
एक गाँव के बाहर एक तालाब था। उस कुएं में बहुत सारे मेंढक रहते थे। गाव से दूर होने के कारण उस तालाब पर कोई भी आता-जाता नहीं था। इसलिए सभी मेढकों की जिंदगी बिना किसी भी रोक-टोक के मजे से बीत रही थी। सारे मेंढक खूब खाते-पीते और आराम करते। तालाब से बाहर की जिंदगी से उन्हें कुछ लेना देना नहीं था।
मंडूक मेंढक भी अपने तीन बच्चों चींकू, पिंकू और मींकू के साथ उसी तालाब में रहता था। वह उस तालाब में रहने वाले सभी मेंढकों से बड़ा और मोटा ताजा था। पूरे तालाब के मेंढकों में उसकी धाक थी। अपने बड़े शरीर और कद काठी पर उसे बहुत घमंड था। उसके बच्चे भी यह देखकर बहुत खुश होते थे।
मैं हूँ शक्तिशाली
मंडूक मेंढक भी अपने बच्चों को अपने बारे में झूठी कहानियाँ सुनाता, उनके सामने सबसे बड़ा और शक्तिशाली होने का दिखावा करता। बच्चों ने तालाब के बाहर की दुनियाँ देखी ही नहीं थी, इसलिए वे भी अपने पिता को दुनियाँ में सबसे बड़ा और शक्तिशाली समझते थे। ऐसे ही दिन बड़े मजे से गुजर रहे थे।
एक बार मंडूक के तीनों बच्चे खेलते-खेलते तालाब के किनारे से दूर गाँव की तरफ निकल गए। गाँव के बाहर घास के मैदान में एक बैल घास खा रहा था। उसे देखकर उनकी आँखे फटी की फटी रह गई। उन्होंने आज से पहले इतना बड़ा जानवर नहीं देखा था। वे तीनों बड़ी हैरानी से अपनी आँखे फाड़-फाड़ के उसे टुकुर-टुकुर देखे जा रहे थे।
तभी बैल ने जोर से हुंकार लागाई। तीनों बच्चे डर के मारे वहाँ से भाग खड़े हुए। भागते-भागते वे अपने तालाब पर पँहुचे। तीनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे और डर के मारे तीनों के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। उन्हें इस तरह डरा हुआ देखकर मंडूक ने उनसे पूछा,
🐸 मंडूक – क्या बात है बच्चों, तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ा हुआ है/ तुम इस तरह भाग कर क्यों आए हो?
🐸 चींकू – पिताजी आज हमने एक बहुत बड़ा और ताकतवर जानवर देखा।
🐸 पिंकू – हाँ, पिताजी वह आपसे भी बड़ा था।
🐸 मींकू – मुझे तो लगता है, वो दुनियाँ का सबसे बड़ा और ताकतवर प्राणी है।
फट गया पेट
अपने बच्चों के मुँह से किसी दूसरे जानवर की तारीफ सुनकर मेंढक मे अभिमान को ठेस पहुंची। उसने एक लंबी साँस लेकर खुद को फुलाया और पूछा,
🐸 मंडूक – क्या वो इससे भी बड़ा था?
🐸 चींकू – हाँ पिताजी, वो आपसे बड़ा था।
उसने पहले से ज्यादा लंबी साँस लेकर खुद को और फुलाया और पूछा,
🐸 मंडूक – क्या वो इससे भी बड़ा था?
🐸 पिंकू – अरे पिताजी, वो तो बहुत बड़ा था।
यह सुनकर मेंढक को गुस्सा आ गया। उसने और ज्यादा लंबी साँस भरी और कहा,
🐸 मंडूक – वह जानवर इससे तो ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता।
🐸 मींकू – नहीं पिताजी, वह तो इससे कई गुना ज्यादा बड़ा था।
मंडूक से यह बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह आने शरीर को साँस से हवा भर-भर कर फुलाता चला गया। उसने पाने शरीर को इतना फूला लिया कि हवा के दबाव से वह फट गया। अपने अभिमान के कारण वह अपनी जान से हाथ धो बैठा।
सीख
कभी भी किसी बात का घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने से खुद का ही नुकसान होता है।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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