समझदार बकरियाँ – Samajhdar Bakriyan
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – समझदार बकरियाँ – Samajhdar Bakriyan – The Smart Goats
एक जंगल के बीचों बीच एक नदी बहती थी। उस नदी के ऊपर एक बहुत ही संकरा पुल बना हुआ था। उस पुल पर से एक समय में केवल एक ही जानवर नदी पार कर सकता था। इसलिए जंगल के जानवर यह ध्यान रखते थे कि उस पुल पर एक बार में एक ही जानवर उस पुल पर चढ़े।
एक बार नदी के दोनों किनारों पर दो बकरियाँ नदी पार करने के लिए एक साथ पहुंची। जल्दी-जल्दी में उन्हें दूसरे किनारे पर देखने का ध्यान ही नहीं रहा और दोनों हो पुल पर चढ़ गई। थोड़ी दूर पँहुचने पर दोनों ने एक दूसरे को देखा, लेकिन अब पीछे लौटना मुश्किल था। वह पुल इतना संकरा था कि उस पर वापस मुड़ा नहीं जा सकता था।
अब क्या करें
उनके पास आगे बढ़ने के सिवा कोई चारा नहीं था, इसलिए दोनों आगे बढ़ती रही। चलते-चलते दोनों पुल के बीचों बीच पहुँच गई। अब दोनों एक दूसरे के आमने सामने थी।
🐐 पहली बकरी – माफ करना मैंने जल्दी के कारण नदी के दूसरे किनारे पर ध्यान ही नहीं दिया और पुल पर चढ़ गई।
🐐 दूसरी बकरी – नहीं बहन, गलती मेरी भी है। मैं भी दूसरे किनारे की तरफ देखना भूल गई, बस अपनी ही धुन में चलती गई।
🐐 पहली बकरी – लेकिन अब किया क्या जाए हम अब ना तो आगे जा सकते है और ना ही पीछे!”
🐐 दूसरी बकरी – हाँ अब हमें मिलकर ही कोई उपाय निकालना होगा।
दोनों सोचने लगी, तभी पहली बकरी के दिमाग में एक युक्ति आई। उसने दूसरी बकरी से कहा,
🐐 पहली बकरी – मेरे दिमाग में एक उपाय आया है। थोड़ी मुश्किल तो होगी, लेकिन हम नदी पार कर लेंगे।
🐐 दूसरी बकरी – तो जल्दी से बताओं
मिल गया उपाय
🐐 पहली बकरी – मैं इस पुल पर बैठ जाती हूँ। तुम मेरे ऊपर चढ़कर धीरे-धीरे आगे बढ़ जाना।
🐐 दूसरी बकरी – इससे तो तुम्हें तकलीफ होगी, ऐसा करो पहले मैं बैठ जाती हूँ, तुम मेरे ऊपर से निकल जाओ।
🐐 पहली बकरी – हम पहले तुम पहले तुम करते रहेंगे तो दोनों यही खड़े रह जाएंगे। मैंने यह उपाय बताया है इसलिए पहले मैं बैठूँगी और तुम मेरे ऊपर से निकल जाओं। लेकिन ध्यान रखना बिल्कुल धीरे-धीरे पाँव जमाते हुए आगे बढ़ना।
🐐 दूसरी बकरी – ठीक है।
दूसरी बकरी ने उसकी बात मान ली। पहली बकरी संभलते हुए नीचे बैठ गई। उसके बैठने के बाद दूसरी बकरी उसके ऊपर धीरे-धीरे चलते हुए उसे पार करके दूसरे किनारे पँहुच गई।
दूसरी बकरी के अपने ऊपर से निकल जाने के बाद पहली बकरी भी खड़ी हो गई और नदी के दूसरे छोर पर पँहुच गई। इस तरह अपनी समझदारी से दोनों ने उस सँकरे पुल से एक साथ नदी पार कर ली।
सीख
- किसी भी समस्या का हल मिलजुलकर शांत दिमाग से निकाला जा सकता है।
- झुकने से कोई छोटा नहीं होता, बल्कि महान बनता है।
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तो दोस्तों, देखा आपने कैसे दोनों बकरियों ने मिलकर शांति से समस्या का हल निकाला और आसानी से नदी पार कर ली। तो दोस्तों कैसी लगी ये कहानी? बताना जरूर, आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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