भेड़िया आया – Bhediya Aaya
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – भेड़िया आया – Bhediya Aaya – The wolf Came
एक गाँव में केशव नाम का एक गड़रिया रहता था। उसक माँ-बाप नहीं थे। वह गाँव के लोगों की बकरियाँ और भेड़े चराकर अपनी जीवका चलाता था। वह रोज सुबह गाँव की सभी बकरियों और भेड़ों को लेकर गाँव के पास वाली पहाड़ी पर चराने के लिए ले जाता था।
बकरियों और भेड़ों को पहाड़ी पर ले जाकर उन्हें हरी-हरी घास चरने के लिए छोड़ देता। वह खुद किसी पेड़ की ठंडी छाया में आराम से बैठ जाता और अपनी बाँसुरी बजाता। बीच-बीच में जाकर वह उन्हें देख आता। उसे एक जैसी इस नीरस सी जिंदगी से ऊब होने लगी।
कुछ मजा हो जाए!
एक दिन उसने सोचा कि गाँव वालों के साथ एक छोटा सा मजाक कर लिया जाए। बस फिर क्या था, वो जोर-जोर से चिल्लाने लगा,
👨🏼🦰 गड़रिया – बचाओं, भेड़िया आया। बचाओं, भेड़िया आया।
उस समय सारे गाँव वाले खेतों में काम कर रहे थे। उसकी डरी हुई आवाज सुनकर गाँव वाले लठियाँ, हंसियाँ, कुल्हाड़ी जो हाथ में आया उसे लेकर लेकर पहाड़ी की तरफ दौड़ पड़े। वहाँ पँहुच के उन्होनें देखा कि बकरियाँ और भेड़े तो आराम से चर रही है और गड़रिया वहाँ खड़ा जोर-जोर से हँस रहा था। गाँव वालों ने उससे पूछा,
🧖🏻♂️ एक गाँव वाला – कहाँ है भेड़िया?
👨🏼🦰 गड़रिया – कहीं नहीं, वह तो मैं यह देखना चाहता था कि यदि किसी दिन सच में भेड़िया आ तो आप लोग मुझे बचाने आओगे या नहीं।
उसकी बात सुनकर गाँव वाले वापस लौट गए। अभी इस बात को कुछ दिन ही बीते थे कि एक दिन गाँव वालों ने फिर से गड़रिये की आवाज सुनी,
👨🏼🦰 गड़रिया – भागों, भेड़िया आया। भागों, भेड़िया आया।
गाँव वाले फिर अपना काम छोड़कर हथियार लेकर पहाड़ी की तरफ दौड़ पड़े। वहाँ जाकर उन्होंने देखा तो कहीं भेड़िया नहीं था। सब कुछ सही था। गड़रिया अपना पेट पकड़ कर हँस रहा था। उन्होंने गड़रिये से पूछा,
👴🏼 एक किसान – कहाँ है भेड़िया?
👨🏼🦰 गड़रिया – कहीं नहीं, मैं तो आप सब से मजाक कर रहा था। देखो सब कैसे मेरी एक ही आवाज पर भागे चले आए।
🙍🏻♂️ दूसरा किसान – तुम्हारे लिए तो यह एक मजाक है लेकिन हम सब अपना-अपना काम छोड़कर तुम्हें बचाने के लिए आए है। अब आगे से ऐसा मजाक मत करना।
👨🏼🦰 गड़रिया – ठीक है, अब आगे से मैं ऐसा मजाक नहीं करूंगा।
गाँव वाले वापस चले गए। लेकिन गड़रिये को उन्हें परेशान करने में मजा आने लगा था। इसलिए उसने कुछ दिनों बाद फिर से झूठ बोलकर गाँव वालों को बुलाया लिया। इस बार गाँव वालों को बहुत गुस्सा आया। लेकिन उन्होंने इस बार भी उसे हिदायत देकर छोड़ दिया।
क्या सच में भेड़िया आया?
अगले दिन गड़रिया रोज की तरह बकरियों और भेड़ों को चराने के लिए पहाड़ी पर लेकर गया। उन्हें चरने के लिए छोड़ कर वह अपनी बाँसुरी बजा रहा था तो उसे किसी के गुर्राने की आवाज सुनाई दि। उसने आवाज की दिशा में देखा तो उसके होश उड़ गए। एक खूंखार भेड़िया बकरियों और भेड़ों की और बढ़ रहा था। उसे देखकर सभी भेड़े और बकरियाँ मिमियाती हुई इधर-उधर भागने लगी।
उसने चिल्लाना चाहा तो एक बार तो डर के मारे उसकी आवाज ही नहीं निकली। लेकिन फिर उसने अपनी पूरी हिम्मत बटोरी और जोर से चिल्लाया,
👨🏼🦰 गड़रिया – बचाओं, भेड़िया आया। बचाओं, भेड़िया आया।
उसकी आवाज सुनकर एक बार तो भेड़िया ठिठक गया। उधर गाँव वालों ने सोचा कि वह आज भी मजाक कर रहा होगा, इसलिए आज कोई भी नहीं गया। जब बहुत देर तक कोई नहीं आया तो भेड़िये ने आगे बढ़ कर बकरियों और भेड़ों पर हमला कर दिया। उसके हमले से तीन-चार बकरियाँ घायल हो गई। भेड़िये ने छलांग लागाकर एक भेड़ की गर्दन को अपने मुँह में पकड़ लिया और देखते ही देखते उसे लकर भाग गया।
उसके जाने के बाद गड़रिया बची हुई भेड़ों और बकरियों को लेकर रोते-रोते वापस गाँव आया और गाँव वालों से कहा,
👨🏼🦰 गड़रिया – आज आप लोग मेरे चिल्लाने पर क्यों नहीं आए। आज भेड़िया सचमुच आ गया था। उसने कुछ बकरियों को घायल के दिया और एक भेड़ को पकड़कर ले गया।
🧔🏻 एक गाँव वाला – यह सब तुम्हारे झूठ का ही फल है, तुम रोज हमसे झूठ बोल कर हमें बुलाते थे। हम भाग कर आते थे, लेकिन हमें वहाँ भेड़िया नहीं मिलता था। आज सच में भेड़िया आया और तुम चिल्लाए भी, लेकिन हम सबने सोचा कि आज भी तुम रोजाना की तरह मजाक कर रहे होंगे, इसलिए हममें से कोई भी तुम्हारी सहायता के लिए नहीं आया।
👳🏾 दूसरा गाँव वाला – हाँ, जो लोग बार-बार झूठ बोलते है, उसके सच को भी लोग झूठ ही समझते है। यदि तुमने पहले झूठ नहीं बोला होता तो आज हम तुम्हारी आवाज पर तुम्हारी सहायता के लिए आ जाते। यह सब तुम्हारी ही करनी का फल है।
सीख
- हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- बार-बार झूठ बोलने वाले व्यक्ति की सच बात पर भी लोग यकीन नहीं करते
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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