जगदंबे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन पर छाया राज है
माताजी का भजन
(तर्ज – जरा सामने तो आओ छलिये, छुप-छुप छलने……… )
जगदंबे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन पर छाया राज है,
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों का सिर पर ताज है ।। टेर ।।
जल पर थल और थल पर सृष्टि, अद्भुत तेरी माया है,
सुर नर मुनि जन ध्यान धरे नित, पार नहीं कोई पाया है,
सिद्ध करती तू भक्तों के काज है, नाम तेरो गरीब नवाज है ।। 1 ।।
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों………
जब जब भीड़ पड़ी भक्तों पर, तब तक आप सहाय करें,
अधम उद्धारण कारण मैया, युग युग रूप अनेक धरे,
तेरे हाथों में सेवक की लाज है, लियो शरण तिहारो मैया आज ।। 2 ।।
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों………
मैं तुझको बुलाऊं तुम नहीं आओ, ऐसा कभी नहीं हो सकता,
बालक अपनी मां से बिछड़ कर, सुख से कभी नहीं सो सकता,
मेरी नाव पड़ी मझधार है, अब तू ही तो खेवनहार है ।। 3 ।।
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों………
जगदंबे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन पर छाया राज है,
सोहे वेश कसुमल निको, तेरे रत्नों का सिर पर ताज है ।।