गुरु चरण कमल बलिहारी रे
गुरुजी का भजन
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः
गुरु चरण कमल बलिहारी रे, म्हारी मन की दुविधा टारी रे ।।टेर।।
हाँ, भव सागर में नीर अपारा,
डूब रहा नहीं मिले किनारा
गुरु पल में लिया उबारी रे ।। 1 ।।
गुरु चरण कमल….
हाँ, काम क्रोध मद लोभ लुटरे,
जनम-जनम के बैरी मेरे,
गुरु सबको दीना मारी रे ।। 2 ।।
गुरु चरण कमल….
हाँ, द्वेष भाव सब दूर हटाया,
पूरण ब्रह्म एक दर्शाया,
मैं तो घट-घट ज्योत निहारी रे ।। 3 ।।
गुरु चरण कमल….
हाँ, जोग जुगत गुरु देव बताई,
ब्रह्मानंद शांति मन आईं,
हाँ, म्हारी मानुष देह सुधारी रे ।। 4 ।।
गुरु चरण कमल….
गुरु चरण कमल बलिहारी रे, म्हारी मन की दुविधा टारी रे ।।