108+ Vegetable Names in English and Hindi with Pictures | सब्जियों के नाम अंग्रेजी व हिन्दी में
दोस्तों, ये तो आप सभी जानते है कि सब्जियाँ हमारे भोजन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। एक तरह से तो ये भी कहा जा सकता है कि सब्जियों के बिना भोजन बिल्कुल नीरस और स्वादरहित है।
मेरे हिसाब से तो पूरी दुनियाँ में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने किसी न किसी रूप में सब्जियों का सेवन न किया हो।
सब्जियाँ न केवल हमारे भोजन में स्वाद लाती है बल्कि इनसे हमारे शरीर को बड़ी मात्रा में विटामिन और खनिज भी मिलते है। खैर इनकी पौष्टिकता की बात तो हम कभी और करेंगे, क्योंकि यदि इस पर लिखना शुरू किया तो ना जाने ये लेख कितना बड़ा हो जाएगा और शायद आप भी पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाए।
दोस्तों, पूरी दुनियाँ में अनगिनत सब्जियाँ है, जिनमें से हम केवल कुछ ही सब्जियों के बारे में जानते है क्योंकि कुछ सब्जियाँ केवल कुछ विशेष देशों या प्रांतों में ही पाई जाते है। लेकिन कुछ सब्जियाँ ऐसी भी है जो मुख्यत: सभी क्षेत्रों में मिल जाती है।
लेकिन जब बात सब्जियों के नाम अंग्रेजी और हिंदी में जानने की आती है तो बहुत दिक्कत हो जाती है।
हमारे नन्हे-मुन्ने दोस्त जो कि छोटी कक्षाओं में पढ़ते है उनका तो यह पढ़ाई का हिस्सा होता है। लेकिन यही हिस्सा उनके माता-पिता के लिए जी का जंजाल बन जाता है क्योंकि कई लोगों को सब्जियों के नाम हिन्दी में नहीं पता होते है तो कइयों को अंग्रेजी में।
जब माता-पिता ही बच्चों के सवालों का जवाब ना दे पाए तो आप जानते ही है कि कैसी स्थिति हो जाती है क्योंकि ऐसी स्थिति से आपमें से भी कई लोगों को गुजरना पड़ा होगा। सच में कहूँ तो इनमें से मैं भी एक रही हुई हूँ।
यदि आप भी अपने बच्चे के सामने अपने इस स्थिति से बचना चाहते है तो ये लेख आपके लिए फायदेमंद होने वाला है, “और हो सकता है आप उनके हीरो बन जाए!”
ये तो थोड़ा fuuny हो गया। तो चलिए अब हम अपने लेख की तरफ चलते है : “सब्जियों के नाम अंग्रेजी और हिंदी में”
सब्जियों के नाम जानने से पहले हम ये जान लेते है कि सब्जियाँ कितने प्रकार की होती है?
अब आप कहेंगे कि “सब्जियों के प्रकार!?”
जी हाँ, सब्जियों के प्रकार! हम एक पौधे के कई भागों को सब्जी के रूप में खाते है जैसे – जड़, पत्ते, तना, फल, फूल आदि इस प्रकार से हम उनके खाने वाले भाग के आधार पर उनका वर्गीकरण कर सकते है।
वैसे देखा जाए तो सब्जियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-
- जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियाँ
- जमीन के ऊपर उगने वाली सब्जियाँ
लेकिन जैसा कि मैंने पहले बताया कि उनके खाने वाले भाग के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जा सकता है।
तो आज इस लेख में हम सब्जियों के नाम के साथ-साथ उनका वर्गीकरण भी देखेंगे कि जो भी सब्जी हम खाते है वो पौधे का कौन-सा भाग है। (वैसे तो कई सब्जियाँ आजकल पूरे वर्ष में उपलब्ध रहती है लेकिन इस लेख में मैंने उनकी बुआई व उपलब्धता के मुख्य समय का उल्लेख ही किया है।)
मुझे लगता है ये जानना भी आपके लिए मजेदार रहेगा। और यदि आप अपने बच्चों को सब्जियों के नाम के साथ-साथ ये जानकारी भी देंगे तो उनका ज्ञान तो बढ़ेगा ही वे आपके जबरिया Fan भी हो जाएंगे। तो हो गई ने ये सोने पे सुहागे वाली बात या यूँ भी कह सकते है आम के “आम गुठलियों के भी दाम”।
सब्जियों के खाने वाले के भाग के आधार पर सब्जियों के प्रकार / वर्गीकरण:
Root Vegetables Names – (जड़ वाली सब्जियाँ)
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इनमें हम पौधे की जड़ वाले हिस्से को सब्जी के रूप में खाते है।
जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियाँ बहुत ही सेहतमंद होती हैं। इनसे हमें भरपूर मात्रा में पोषण (न्यूट्रिशन) मिलता है, हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्यूनिटी) बढ़ती है और पेट की कई समस्याएं दूर होती ही हैं।
रूट्स वेजिटेबल्स अर्थात जड़ वाली सब्जियों में विटामिन, प्रोटीन, खनिज पदार्थ (मिनरल्स) और फाइबर भरपूर मात्रा मे होने के साथ-साथ इनमें कैलरीज़ भी बहुत कम मात्रा में होती हैं। इनसे मिलने वाले पोषक तत्व हमारे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाते हैं।
इन सब्जियों में मुख्यत: आलू, रतालू, चुकंदर, मूली, गाजर, अदरक, हल्दी, शकरकंद, लहसुन आदि। चलिए इनमें से कुछ सब्जियों के बारे में छोटी सी जानकारी भी ले लेते है।
All Root Vegetable Names in English and Hindi (List with Pictures)
Vegetable Picture | Vegetable Name in English | Vegitable Name in Hindi |
---|---|---|
Arrowroot (अरोरूट) | अरारोट, शिशुमुल (Arrarot, Shishumul) | |
Asparagus Racemosus (ऐस्पेरेगस रेसीमोसस) | शतावरी (Shatavari) | |
Beetroot (बीटरूट) | चुकंदर (Chukandar) | |
Black Carrot (ब्लेक कैरट) | काली गाजर (Kali Gajar) | |
Carrot (कैरट) | गाजर (Gajar) | |
Colocasia Root, Taro Root (कोलोकसिया, तरो रूट) | अरबी, पेक्ची (Arbi, Pekchi) | |
Dioscorea Alata or Purple Yam (पर्पल येम) | गराडू (Garadu) | |
Elephant Foot Yam (एलीफैंट फूट याम) | जिमीकंद (Jimikand) | |
Garlic (गार्लिक) | लहसुन (Lahshun) | |
Ginger (जिंजर) | अदरक (Adarak) | |
Kohlrabi (काहलराबी) कॉलराबी | गांठ गोभी (Ganth Gobhi) | |
Lotus Stem, Lotus Root (लोटस स्टेम, लोटस रूट ) | कमल ककड़ी (Kamal Kakdi) | |
Onion (ऑनियन) | प्याज (Pyaj) | |
Parsley (पार्सले) | आजमोद (Ajmod) | |
Potato (पोटैटो) | आलू (Aaloo) | |
Raddish (रेडिश) | मूली (Mooli) | |
Sweet Potato (स्वीट पोटैटो) | शकरकंद (Shakarkand) | |
Taro, White Yam (तरो, व्हाईट येम) | कचालू, बंडा (Kachalu, Banda) | |
Turmeric (टर्मेरिक) | हल्दी (Haldi) | |
Turnip (टर्निप) | शलजम (Shaljam) | |
Yam (येम) | रतालू (Rataloo) |
Benefits of Popular Root Vegetables
Potato – (आलू)
आलू बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद आने वाली सब्जी के साथ-साथ एक मिलनसार सब्जी। जी हाँ, मिलनसार सब्जी, किसी भी सब्जी के साथ मिलने के लिए तैयार, आलू-गोभी, आलू-पालक, आलू-टमाटर, आलू-मटर। एक तरह से हम कह सकते है कि आलू तो कढ़ाई में कूदने के लिए तैयार ही बैठा रहता है।
- पोषक तत्व: फाइबर, आयरन, जिंक, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेड, पोटैशियम, बी-कॉम्प्लेक्स, फ़ॉस्फोरस और विटामिन-सी
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: सितंबर से दिसंबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, पराँठे, पूरी, पकौड़े, कटलेट, चिप्स, हलवा, पापड़, भरता
वैसे तो आलू हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके सेवन से पाचन तंत्र और हड्डियाँ मजबूत होती है।
लेकिन ज्यादा मात्रा में इसे खाने के नुकसान भी हो सकते है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेड ज्यादा मात्रा में होता है जिसकी वजह से हमें मधुमेह, ब्लड-प्रेशर, गठिया, मोटापा जैसी बीमारियाँ हो सकती है।
Yam – (रतालू)
रतालू के नाम और मीठे स्वाद के कारण कई लोग इसे मीठा आलू समझ लेते है, लेकिन यह आकार, स्वाद और पौष्टिकता में आलू से अलग होता है। इसका आकार शंकु (सिलेंडर) की तरह, बाहरी आवरण (छिलका) कठोर सफेद, भूरा या गुलाबी रंग का तथा गूदा पीला, गुलाबी, सफेद या जामूनी होता है। अपने औषधीय गुणों के कारण इसका प्रयोग कई बीमारियों के ईलाज में किया जाता है। पश्चिम अफ्रीका में पूरे विश्व का लगभग 95% रतालू की पैदावार होती है।
- पोषक तत्व : विटामिन सी, आहार फाइबर, थायमिन, मैंगनीज, विटामिन बी1, बी 6, फोलिक एसिड और पोटेशियम
- उपलब्धता : पूरे वर्ष
- बुआई का समय : अप्रेल से जून
- बनने वाले मुख्य व्यंजन : सब्जी, पकौड़े, परांठा
रतालू में पाया जाने वाला आहार फाइबर होते हैं खराब वसा को कम करता है, कब्ज व पाइल्स की बीमारी को दूर करता है। इसके अलावा इसका उपयोग त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे फोड़े-फुंसी व कुष्ठ रोग, चोट की सूजन, बिच्छू के विष को दूर करने में भी किया जाता है।
वैसे तो आलू हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके सेवन से पाचन तंत्र और हड्डियाँ मजबूत होती है।
लेकिन ज्यादा मात्रा में इसे खाने से किडनी में क्षति, उल्टी-दस्त, एलर्जी और सिरदर्द हो सकता है।
Beetroot – (चुकंदर)
चुकंदर बहुत सारे पोषक तत्वों से युक्त जड़ वाली सब्जी है। इसका छिलका पतला और रंग जामुनी या गहरा लाल होता है जो कि इसमें पाए जाने वाले बीटा सायनिन के कारण होता है।
- पोषक तत्व: फाइबर, विटामिन B9, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम और विटामिन सी
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: अक्टूबर से फरवरी
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, जूस, सब्जी, परांठा, पकौड़े, कटलेट
चुकंदर खाने से कोशिकाओं का विकास होता है, रक्त में हीमोग्लोबीन की मात्रा बढ़ती है, और पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसका नियमित सेवन शक्ति वर्धक, ब्लड प्रेशर नियंत्रत, त्वचा को चमकदार करने, तथा वजन कम करने में सहायक होता है।
माना कि चुकंदर का सेवन लाभदायक होता है लेकिन जैसा कि सर्व विदित है “अति सर्वत्र वर्जयेत्”! चुकंदर का भी अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे शुगर लेवल बढ़ सकता है, किडनी स्टोन हो सकता है,
Radish – (मूली)
मूली भी एक पोषक तत्वों से भरपूर जड़ वाली सब्जी है। इसका छिलका पतला और रंग सफेद होता है। मूली एक ऐसी सब्जी है जिसका हर भाग (मूली, मूली के पत्ते, बीज, और फल) सेहत के लिए लाभदायक होता है।
- पोषक तत्व: प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-ए, बी और सी, आयरन, सोडियम, आयोडीन, गंधक, क्लोरीन, मैग्नीशियम, और फास्फोरस,
- उपलब्धता: सितंबर से मार्च
- बुआई का समय: अगस्त से जनवरी
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, अचार, जूस, सब्जी, परांठा, पकौड़े
यह सभी पोषक तत्व मिलकर आपकी सेहत को बेहतर बनाते हैं साथ ही बीमारियों से बचाते हैं
मूली का सेवन रात के खाने में, दूध पीने के तुरंत बाद, तथा मछली व काले चने के साथ नहीं करना चाहिए। इसके अत्यधिक सेवन से पेट व गले में दर्द, वात व ऐंठन की समस्या हो सकती है।
Carrot – (गाजर)
गाजर एक स्वादिष्ठ और पोषक तत्वों से भरपूर जड़ वाली सब्जी है। इसका छिलका पतला और रंग लाल, गहरा लाल और काला (जामुनी) होता है। इसमें फेट बहुत ही कम मात्रा में होता है।
- पोषक तत्व: कार्बोहाइड्रेट, सोडयम, प्रोटीन, फाइबर, शुगर, विटामिन-ए, डी, के, सी, और बी 6, कैल्शियम, पोटेशियम, और आयरन
- उपलब्धता: सितंबर से मार्च
- बुआई का समय: अगस्त से नवम्बर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, अचार, जूस, सब्जी, परांठा, पकौड़े, हलवा, केक
पोषक तत्वों से भरपूर गाजर आपकी सेहत के लिए रामबाण है, इसके सेवन से आँखों की रोशनी बढ़ती है, हड्डियाँ मजबूत होती है, मुँह का बदबू दूर होती है। इसके अलावा यह एनीमिया, हृदय, उच्च रक्तचाप व कैंसर के रोगियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
इसकी, जड़, फल व बीजों का उपयोग आधासीसी, कान का दर्द, पेट दर्द आदि कई बीमारियों की आर्यवेदिक दवाइयाँ बनाने में भी किया जाता है।
गाजर के अत्यधिक सेवन से पेट में जलन व नींद ना आने की समस्या हो सकती है।
Ginger – (अदरक)
अदरक एक पोषक तत्वों से भरपूर जड़ वाली सब्जी है। इसका छिलका पतला और रंग भूरा होता है। अदरक एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग कई दवाइयाँ बनाने में किया जाता है।
- पोषक तत्व: मैग्नीशियम, जिंक, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, सेलेनियम, और विटामिन-सी, ई, के, व बी-6
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: अप्रेल से जून
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: अचार, जूस, सब्जी (मसाले के रूप में), पकौड़े, चाय, पाचन चूर्ण, सलाद, हलवा
अदरक में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट शरीर की इम्युनिटी बढ़ाते हैं। अदरक की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका प्रयोग सर्दी से जुड़ी कई बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार आदि में किया जाता है।
अदरक का प्रयोग से सूजन, भूख की कमी, माइग्रेन, हृदय रोग, गठिया (आर्थराइटिस), डायबिटीज नियंत्रण, पेट की गैस, सांसों से जुड़ी समस्या, बवासीर, कब्ज, पेट के फूलने की समस्या, तथा जी मिचलाना आदि बीमारियों में लाभदायक होता है।
वजन नियंत्रण में अदरक के पनि का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
अदरक के अधिक सेवन से ब्लड शुगर लो हो सकता है, महिलाओं में माहवारी के समय अधिक रक्त स्त्राव की समस्या हो सकती है।
Turmeric – (हल्दी)
हल्दी भी एक पोषक तत्वों से भरपूर जड़ वाली सब्जी है के साथ-साथ एक अद्भुत गुणों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसका उपयोग भी कई दवाइयाँ बनाने में किया जाता है। इसका छिलका पतला और रंग भूरा तथा गूदा पीला होता है। इसकी गांठ ही नहीं इसके पत्ते भी औषधीय गुणों वाले होते है।
- पोषक तत्व: जिंक, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, और विटामिन-सी, ई, के, व बी-6
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: जनवरी से मार्च
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, अचार, जूस, सब्जी, पकौड़े, चाय, पाचन चूर्ण, हलवा, सूप
हल्दी के एंटी-सेप्टिक गुणों के कारण इसके प्रयोग से चोट व घाव जल्दी भर (ठीक हो) जाते है। हल्दी का उपयोग सोंदारी प्रसाधनों में भी किया जाता है।
हल्दी की तासीर गरम होती है तथा इसमें रोग प्रतिरोधी गुण होते है। इसका प्रयोग वजन व डायबिटीज नियंत्रण, खून साफ करने, कैंसर, गठिया, दांत का दर्द आदि बीमारियों में किया जाता है।
पीलिया, डायबिटीज, व पथरी के रोगियों को इसका प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।
Lotus Root/Lotus Stem – (कमल ककड़ी)
कमल ककड़ी पोषक तत्वों का ख़ज़ाना है। इसके सेवन से शरीर के प्रत्येक अंग को फायदा पहुँचाता है। कमल ककड़ी में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले विटामिन, मिनरल्स और अन्य पौषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं जो हमें बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं।
- पोषक तत्व: विटामिन – सी, कैल्शियम, फाइबर, लोहा (आयरन), प्रोटीन, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: फरवरी से मार्च
- बनने वाले व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, कटलेट, कोफ्ते, अचार, रायता
कमल ककड़ी में मौजूद विटामिन सी कोलेजन का एक महत्वपूर्ण घटक है जो रक्त वाहिकाओं के अंगों और त्वचा की अखंडता और शक्ति को बनाए रखता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है. इसके अलावा विटामिन सी शरीर में फ्री रेडिकल्स को भी नष्ट कर सकता है.
कमल ककड़ी का सेवन कब्ज, रक्त चाप, मधुमेह, अनिंद्रा, अल्सर, खून की कमी (एनीमिया), दुबलापन, सांस के रोग, हृदय रोग जैसी कई बीमारियों के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से एलर्जी, संक्रमण आदि की शिकायत हो सकती है।
Asparagus Racemosus – (शतावरी)
शतावरी भी एक जड़ी-बूटी है। इसे शतमूली या शतावर भी कहा जाता है। प्राचीन समय से ही इसका प्रयोग औषधि के रूप में होता रहा है। कहा जाता है कि इससे सौ बीमारियों का ईलाज किया जा सकता है। इसकी जड़ व पत्तियाँ खाने के प्रयोग में ली जाती है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी6, सी, ई व के, कैल्शियम, लोहा (आयरन), फाइबर और प्रोटीन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: मई से जून
- बनने वाले व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस,
शतावरी महिलाओं के लिए एक बहित ही बढ़िया स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक है। महिलाओं की माहवारी, प्रदर, व प्रजनन संबंधी कई समस्याओं का यह रामबाण ईलाज है। इसके साथ ही यह पुरुषों की भी कई समस्याओं को दूर करती है। इसके प्रयोग से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है।
शतावरी के सेवन से मूत्र प्रवाह बढ़ता है, गर्दों की सफाई होती है, वजन नियंत्रित होता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। खांसी, दस्त, गुर्दे की पथरी, अनिंद्रा, कैंसर, हृदय रोग, रीढ़ की हड्डी की समस्या, माइग्रेन जैसी बीमारियों में इसका सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।
Green Leafy Vegetable Names – (हरी पत्तेदार सब्जियाँ)
एक कहावत है “ख़त का मज़मून भांप लेते हैं लिफाफा देख कर”! नाम से ही आपको पता चल गया होगा कि मैं हरे रंग वाली पत्तेदार वाली सब्जियों की बात कर रही हूँ। इन सब्जियों को खाने में ना-नुकर करने पर आप में से बहुतों ने अपने मम्मी पापा से कई बार डांट खाई होगी। भई मैंने तो बहुत बार खाई है।
हरी पत्तेदार सब्जियाँ, हरी सब्जियों से भी ज्यादा फायदेमंद होती है। भारत के आयुर्वेद में तो इनका महत्त्व शुरू से ही है, लेकिन अब कई शोधों से विज्ञान भी इस बात को माँ चुका है कि हरी सब्जियों में कई तरह के फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स होते है जी शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई रोगों से लड़ने में हमारी सहायता करते है।
कुछ समय पहले हुए एक शोध ने ये माना है कि हरे पत्तेदार सब्जियों में हरी सब्जियों के मुकाबले दोगुनी मात्रा में पोषक तत्वों होते है। अर्थात जितनी पौष्टिकता आपको हरी सब्जी की दो कटोरी खाने से मिलती है, उससे दोगुनी पौष्टिकता आपको हरी पत्तेदार सब्जियों की केवल एक कटोरी खाने से मिल जाएगी।
है ना मजेदार बात, तो फिर चलो कुछ हरी पत्तेदार सब्जियों के बारे में थोड़ी बातचीत कर लेते है।
All Green Leafy Vegetable Names in English and Hindi (List with Pictures)
Vegetable Picture | Vegetable Name in English | Vegetable Name in Hindi |
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Amaranth Leaves (अमरंथ लीव्स) | हरी चोलाई (Hari Cholai) | |
Banana Leaves (बनाना लीव्स) | केले का पत्ता (Kele Ka Patta) | |
Broccoli Leaves (ब्रोकोली लीव्स) | हरी गोभी की पत्तियां (Hari Gobhi Ki Pattiyan) | |
Cabbage (कैबेज) | पत्ता गोभी (Patta Gobhi) | |
Celery (सेलरी) | अजवाइन (Ajwain) | |
Colocasia Leaves, Taro Leaves (कोलोकसिया, तरो रूट) | अरबी के पत्ते (Arbi Ke Patte) | |
Coriander Leaf, Cilantro (कोरीएंडर लीफ / सिलेंट्रो) | हरा धनिया पत्ता (Hara dhaniya patta) | |
Curry Leaf (करी लीफ) | कढ़ी पत्ता/मीठा नीम (Kadhi Patta/Meetha Neem) | |
Drumstick Leaves (ड्रमस्टिक लिव्स ) | सहजना के पत्ते (Sahjna Ke Patte) | |
Fennel Leaves (फेंनेल लीव्स) | हरा सोया, सौंफ की पत्तियां (Hara Soya, Sounf Ki Pattiyan) | |
Fenugreek Leaf (फेनुग्रीक लीफ) | हरी मेथी (Hari Methi) | |
Kale (काएल) | काएल (Kale) | |
Lettuce Leaf (लेट्युस लीफ) | सलाद पत्ता (Salaad Patta) | |
Mustard Greens (मस्टर्ड ग्रीन्स) | सरसों का पत्ता (Sarso Ka Patta) | |
Peppermint (पेपरमिंट) | पुदीना (Pudina) | |
Purslane (पर्सलेन) | कुलफा (Kulafa) | |
Radish Leaf (रैडिश लीफ) | मुली के पत्ते (Muli Ke Patte) | |
Red Cabbage (रेड कैबेज) | लाल गोभी (Lal Gobhi) | |
Spinach (स्पिनच) | पालक (Palak) | |
Spring Onion, Green Onion (स्प्रिंग ऑनियन, ग्रीन ऑनियन) | हरा प्याज, गंठा (Hara Pyaj, Gantha) | |
Tamarind Leaves (टेमएरिन्ड लीव्स) | ईमली के पत्ते (Imli Ke Patte) | |
Water Spinach (वॉटर स्पिनच) | नारी की पत्तियां, कलमी शाक (Nari KI Pattiyan/Kalmi Shaak) | |
Watercress (वॉटरक्रेस) | जलकुंभी (Jalakumbhee) | |
Wild Spinach,White Goosefoot (वाइल्ड स्पिनच, वाइट गूस फूट) | जंगली पालक, बथुआ (Bathuaa) |
Radish Leaf – (मूली के पत्ते)
हममें से कई लोग मूली के पत्तो को फेंक देते है, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मूली के पत्तों में मूली से भी ज्यादा पोशाक तत्व होते है।
- पोषक तत्व: प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-बी और सी, आयरन, फोलिक एसिड, सोडियम, आयोडीन, गंधक, क्लोरीन, मैग्नीशियम, और फास्फोरस,
- उपलब्धता: सितंबर से मार्च
- बुआई का समय: अगस्त से जनवरी
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस
मूली के पत्तों को चबा-चबा कर खाने से दांतों और मसूड़ों से संबंधित कई बीमारियां दूर होती हैं। इसके अलावा इनके सेवन से मधुमेह, पायरिया, पीलिया , गठिया जैसी कई बीमारियों में फायदा होता है।
मूली के पत्तों में पाया जाने वाला ग्लूकोपरिन एलर्जी का कारण बन सकता है। कम ब्लड ग्लूकोज व निम्न रक्तचाप वाले लोगों को इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
Spinach – (पालक)
पालक भी एक बहुत ही पौषक हरी पत्तेदार सब्जी है। पालक विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर, कम कैलोरी वाली एक हरी पत्तेदार सब्जी है। पालक में पानी की मात्रा अत्यधिक होती है लगभग 100 ग्राम पालक में 91 ग्राम से अधिक पानी होता है। इसलिए यह इसमें मौजूद पौषक तत्वों व शीघ्र पाचक होने के कारण रोगियों को इसके सेवन की सलाह दी जाती है।
- पोषक तत्व: फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-ए, बी, सी, और के, आयरन, फोलिक एसिड, सोडियम, आयोडीन, फोलेट और पोटेशियम, प्यूरिन, मैग्नीशियम, और ऑक्सेलिक एसिड
- उपलब्धता: सितंबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से जनवरी
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल
पालक के सेवन से मांसपेशियों को ताकत मिलती है, हड्डियों की उम्र बढ़ती है, पाचन सुधरता, रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बदती है। इसका सेवन बालों, त्वचा, और आँखों के लिए तो रामबाण है। वजन घटाने के लिए भी पालक खाने की सलाह दी जाती है। पालक के सेवन से हृदय रोग, एनीमिया, कैंसर, और गठियाँ के रोगियों को फायदा होता है।
लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी, दस्त, उच्च रक्तचाप, पेट फूलना, पेट में ऐंठन या सूजन आदि की शिकायत हो सकती है। धूम्रपान करने वालों को पालक के अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। किडनी के रोगियों को तो पालक से परहेज करने की सलाह तक दी जाती है।
Wild Spinach/White Goosefoot – (बथुआ)
बथुआ भी एक बहुत ही पौषक हरी पत्तेदार सब्जी है। बथुआ में 8 तरह के विटामिन्स और कई प्रकार के खनिज (मिनरल्स) पाए जाते है। इसके प्रयोग से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है। बथुए की तासीर ठंडी होती है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, सी व डी, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: अक्टूबर से फरवरी
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल
बथुए की पत्तियों को कच्चा चबाने से सांस की बदबू, पायरिया और दांतों से जुड़ी कई समस्याओं से बचाव होता है। इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है, रक्त शुद्ध होता है, पेट के कीड़े मर जाते है, कब्ज व गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा इसके सेवन से लकवा, ल्यूकोरिया, खूनी बवासीर, पथरी, पीलिया, गठिया, और साइनस के रोगियों को फायदा मिलता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त, गर्भपात, प्रजनन क्षमता में कमी, कैल्शियम की कमी, स्किन एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती है।
Fenugreek Leaf – (हरी मेथी)
हरी मेथी औषधीय गुणों से भरपूर एक हरी पत्तेदार सब्जी है। इसमे पाए जाने वाले पोषक तत्वों से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है। भारतीय आयुर्वेद के अनुसार मेथी शरीर में गर्मी पैदा करके शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखने में सहायता करती है। इसलिए ठंड में इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है। इसके पत्ते ही नहीं इसके बीज भी औषधीय गुणों से भरपूर होते है। आधुनिक डाक्टर्स भी इसे खाने की सलाह देते है
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी 6, सी व के, फोलेट, आयरन, फाइबर, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, सेलेनियम, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: सितंबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से फरवरी
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, रोटी, पकौड़े, सूप, रायता, दाल
बथुए की पत्तियों पीसकर बालों में लगाने से बाल स्वस्थ, लंबे व चकदार होते है। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है, पाचन शक्ति बढ़ती है, रक्त शुद्ध होता है, पेट के कीड़े मर जाते है, शरीर की सूजन, कब्ज व गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा इसके सेवन से मधुमेह, और गठिया के रोगियों को फायदा मिलता है।
मेथी की तासीर गरम होती है इसलिए इसके अधिक रक्त स्त्राव, व दस्त की समस्या तथा कुछ लोगों में एलर्जी जैसे सूजन, गले में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
Mustard Greens – (सरसों का साग/पत्ता)
सरसों का पत्ता (साग) भी एक बहुत ही पौषक हरी पत्तेदार सब्जी है। इसमें भी कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते है। इसके प्रयोग से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए,बी12, सी, ई, व के फाइबर, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन (लोहा), मैग्नीशियम, पोटाशियम, फोलेट, सोडियम, जिंक, पाइरोडोक्सिन, नियासिन, फोलिक एसिड, राइबो फ्लेविन, व थायमिन
- उपलब्धता: अक्टूबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से अक्टूबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, रायता, दाल
सरसों के पत्ते के सेवन से हड्डियाँ मजबूत व जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से रक्त की शुद्धी होती है, त्वचा में निखार आता है, आँखों की रोशनी में बढ़ोतरी होती है तथा मौसमी बीमारियों, कब्ज व गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा इसके सेवन से कब्ज, बवासीर, अस्थमा, अल्जाइमर, और गठिया के रोगियों को राहत मिलती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त, गर्भपात, प्रजनन क्षमता में कमी, कैल्शियम की कमी, स्किन एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती है। पथरी व थाइराइड के रोगी, तथा खून पतला करने की दवा लेने वाले इसके सेवन से परहेज करे।
Cabbage – (पत्ता गोभी)
पत्ता गोभी भी एक कई प्रकार के विटामिंस व मिनरल्स से भरपूर एक हरी पत्तेदार सब्जी है। इसे बंद गोभी भी कहा जाता है। यह लाल और हरे रंग में मिलती है। दोनों के ही अलग-अलग फायदे व नुकसान है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, सी व डी, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से अक्टूबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल, चाउमीन व कई तरह के चाइनीज स्नेक्स
पत्ता गोभी के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति बदती है, आँखे स्वस्थ रहती है, मांसपेशियाँ मजबूत होती है, वजन कम करने में सहायक होती है। इसका सेवन मोतियाबंद, अल्सर, मधुमेह आदि बीमारियों में फायदे के साथ-साथ बालों व त्वचा की सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
Pulpy Vegetables Names (फल या गूदे वाली सब्जियाँ)
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इनमें हम पौधे के फल या गूदे वाले भाग को सब्जी के रूप में कहते है। इन सब्जियों को पेड़ों और लताओं (बेलों) पर लगने वाली सब्जियों की श्रेणी में भी रखा जा सकता है। फलों विकास एक फूल के परागण द्वारा होता है। पेड़-पौधे पानी, रेशों, विटामिन्स, मिनरल्स और वसा को भोजन के रूप में एकत्रित करते है, जिन्हें हम फल के रूप में जानते है।
कई फल खाने में स्वाददिष्ट और मीठे तो कई फल कडवे, फीके, बेस्वाद या स्वाद रहित होते है। ऐसे फल जो हमें कच्चे स्वादिष्ट नहीं लगते हम उन्हें पकाकर या अन्य वस्तुओं के साथ मिलाकर सब्जी, जूस या सूप के रूप में खाते है।
दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कद्दू, बैंगन, लौकी, टिंडा, भिंडी ये सभी पेड़-पौधे के फल ही है जिन्हे हम सब्जियों के रूप में खाते है। ये सब्जियाँ भी अन्य सब्जियों की तरह की प्रकार के पौषक तत्वों से युक्त व स्वास्थ्यवर्धक होती है।
तो चलिए, कुछ ऐसे ही फलों अरे नहीं-नहीं सब्जियों (भई बड़ा कनफ्यूजन है) के बारे थोड़ा बहुत जान लेते है।
All Pulpy Vegetable Names in English and Hindi (List with Pictures)
Photo | Vegetable’s Names in English | Vegetable’s Names in Hindi |
---|---|---|
Apple Gourd/Round Gourd/Indian Squash (एप्पल गार्ड, राउन्ड गार्ड, बेबी पम्पकीन) | टिंडा (Tindora) | |
Ash Gourd (अश गार्ड) | पेठा (Petha) | |
Bell Pepper, Capsicum (बेल पीपर, कैप्सिकम) | शिमला मिर्च (Shimla Mirch) | |
Bitter Gourd (बिटर गार्ड) | करेला (Karela) | |
Black Olive (ब्लैक ऑलिव) | काला जैतून (Kala Jaitun) | |
Bottle Gourd (बोटल गार्ड) | लौकी, दूधी, घिया (Lauki, Dudhi, Kaddu) | |
Brinjal, Aubergine, Eggplant (ब्रिंजल, औवेरजिन, एगप्लांट, ) | बैगन (Baigan) | |
Chayote Squash, Chow Chow (चयोटे स्क्वाश, चाऊ-चाऊ) चाओ-चाओ | चयोटे स्क्वाश, (Chayote Squash) इस्कुस | |
Citron (सीट्रॉन) | चकोतरा (Chakotra) | |
Cluster Fig, Gular Fig, Country Fig, Ficus (क्लस्टर फिग, गूलर फिग, कन्ट्री फिग, फ़िकस) | गुलर, हुमुर (Gular, Humur) | |
Cucumber (कुकुम्बर) | खीरा (Kheera) | |
Armenian Cucumberus (कुक्मिस यूटीलिस्सिमुस) | ककड़ी (Kakadi) | |
Cyclanthera Pedata ( ) | पहाड़ी करेला, राम करेला (Pahadi Karela/Ram Karela) | |
Assyrian plum/Glueberry (ग्लू बेरी / कॉर्डिआ मिक्सा) | गुन्दा/लसोड़ा/बहुवार (Gunda/Lasoda/Bahuvar) | |
Green Chilli (ग्रीन चिली) | हरी मिर्च (Hari Mirch) | |
Green Olive (ग्रीन ऑलिव) | हरा जैतून (Hara Jaitun) | |
Green Tomato (ग्रीन टोमेटो) | हरा टमाटर (Hara Tamatar) | |
Hog Plum (हॉग प्लम) | आमड़ा (Ambra) | |
Indian Gooseberry (इंडियन गूस्बेर्री ) | आंवला (Aawla) | |
Jackfruit (जैकफ्रूट) | कटहल (Kathal) | |
Keri Mango (कैरी मेंगों) | कैरी, कच्चा आम (Keri, Kachcha Aam) | |
Lady Finger (लेडी फिंगर) | भिन्डी (Bhindee) | |
Lemon (लेमन) | नींबू (Nimbu) | |
Mouse Melon, Melothria Scabra (माउस मेलोंन/मेलोथ्रीया स्केब्रा) | कचरी, काचरी (Kachri) | |
Natal Plum (नेटल पल्म) | करोंदा, करुन्दा (Karonda, Karunda) | |
Pointed Gourd (पॉइंटेड गार्ड) | परवल, पटल (Parwal, Patal) | |
Pumpkin (पम्पकिन) | कद्दू, काशीफल, कुम्हड़ा, सीताफल (Kaddu, Kashiphal, Kumhada) | |
Raw Banana (रॉ बनाना) | कच्चा केला (Kacha kela) | |
Raw Papaya (रॉ पपाया) | कच्चा पपीता (Kacha Papita) | |
Red Chilli (रेड चिली) | लाल मिर्च (Lal Mirch) | |
Ridged Gourd, Sponge Gourd, Luffa (रिज्ड गार्ड, स्पंज गार्ड, लुफ़्फ़ा) | तोरी, तुरइ, झींगी (Tori, Turai, Jhingi) | |
Snake Gourd (स्नेक गार्ड) | चिचिंडा, चचेंडा (Chichinda, Chachenda) | |
Spine Gourd (स्पाइन गार्ड) | ककोर, कंकेडा, कंटोला (Kakor, Kankeda, Katola) | |
Summer Squash (समर स्क्वैश) | ज़ूकिनी Zucchini | |
Tendli Gourd (तेंडली गार्ड) | कुंदरू (Kundaru) | |
Tomato (टोमेटो) | टमाटर (Tamatar) | |
Water Chestnut (वॉटर | Singhada (सिंघाड़ा) | |
White Eggplant (वाइट एगप्लांट) | सफ़ेद बैगन (Safed Baigan) |
Pumpkin (कद्दू /कुम्हेडा/काशीफल)
कद्दू, हममें से कई को तो यह नाम और शक्ल से ही पसंद नहीं होता है। लेकिन इसे देखकर मुंह न बनाए, इसमें पोषक तत्वों की भरमार होती है और साथ ही इसका प्रयोग कई बीमारियों के ईलाज में भी किया जाता है। इसके भी फल, फूल, बीज व छिलका का प्रयोग खाने के लिए किया जाता है। जी हाँ इसके बीज तो फायदेमंद है ही इसदे छिलके में भी एण्टी एंटी बैक्टेरियल तत्व होते है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से हमारी रक्षा करता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, सी व ई, राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, बीटा-कैरोटीन, फोलेट, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: फ़रवरी से मार्च, जून से जुलाई
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, रायता, जूस, हलवा
कद्दू की तासीर ठंडी होती है, यह शरीर की गर्मी को कम करने में सहायक होता है। पुराने ज्वर में इसके उपयोग व तलवों पर इसकी मालिश से फायदा होता है। इसके पोषक तत्व तिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके मधुमेह, मोटापा, अस्थमा, अल्सर, डिप्रेशन, हृदय रोग आदि के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके अलावा इसके सेवन से त्वचा और बाल भी स्वस्थ होते है। वजन नियंत्रण में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
Bottle Gourd (लौकी/दूधी/घिया)
लौकी भी पोषक तत्वों से भरपूर एक हरी सब्जी है। यह मीठे व कडवे दोनों स्वादों में पाई जाती है। कड़वी लौकी में विषाक्त गुण होते है इसका प्रयोग केवल औषधियाँ बनाने में ही किया जाता है। मीठी लोकी को ही खाने के प्रयोग में लिया जाता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी3, बी6,व सी, कैल्शियम, लोहा (आयरन), मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, फाइबर, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: जनवरी से फरवरी , जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल, हलवा
गर्मी के मौसम में लौकी के सेवन से शरीर में ठंडक रहती है। लौकी ठंडी तासीर की व जल्द पचने वाली होती है। इसलिए रोगियों को इसके सेवन की सलाह दी जाती है।
कड़वी लौकी विषाक्त होती है। इसके सेवन से उल्टी, दस्त, पेट में दर्द यहाँ तक कि यह किडनी व लीवर को भी नुकसान पँहुचा सकती है। इसलिए हमेशा मीठी लौकी का ही सेवन करे, यदि स्वाद में थोड़ा सा भी कड़वापन हो तो उसे फैंक दें।
Brinjal/Aubergine/Eggplant (बैगन)
कई लोगों को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है और वे इसे बेगुण (बिना गुणों वाला) भी कहते है, लेकिन एक मजेदार बात तो यह है कि बैगन तो पौषक तत्वों का भंडार है। इसे सब्जियों का राजा भी कहा जाता है। तभी तो भगवान ने भी इसके सर पर ताज सजा रखा है।
- पोषक तत्व: विटामिन – बी6,व सी, कैल्शियम, लोहा (आयरन), मैग्नीशियम, मैगनीज, कोलेस्ट्रॉल, प्रोटीन, पोटाशियम, व सोडियम
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: जनवरी से फरवरी, अप्रैल से मई, जुलाई से अगस्त
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल, भरता
बैगन के सेवन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बदती है। यह मधुमेह, रक्त की कमी (एनीमिया), ह्रदय रोग, कैंसर आदि रोगों से लड़ने में हमारी सहायता करता है। यह वजन घटाने, याददाश्त बढ़ाने, धूम्रपान छोड़ने, अनिंद्रा जैसी कई समस्याओं को दूर करने में सहेड होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में जलन, कम रक्त चाप (लो ब्लड प्रेशर), कम शुगर लेवल (हाइपोग्लाइसीमिया), एलर्जी आदि की समस्या हो सकती है।
Apple Gourd/Round Gourd/Baby Pumpkin (टिंडा)
बेंगन और लौकी की तरह टिंडा भी कई लोगों को कम पसंद होता है, लेकिन यह भी एक बहुत ही गुणकारी सब्जी है।
इसका छिलका हरा व गूदा सफेद होता है। टिंडे को राउंड मेलन, इंडियन स्क्वैश, ऐप्पल लौकी, इंडियन राउंड लौकी, या इंडियन बेबी कद्दू भी कहा जाता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी6, सी व ई, कैल्शियम, लोहा, फाइबर, पोटाशियम, प्रोटीन, कैराटिनॉयड, ओमेगा-3, व कार्बोहाइड्रेड
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: फरवरी से मार्च और जून से जुलाई
- बनने वाले व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, अचार
इसकी तासीर भी ठंडी होती है जो शरीर की गर्मी को कम करती है। यह पचने में आसान होता है। टिंडे का सेवन ह्रदय रोग, उच्च रक्त चाप, मधुमेह, कब्ज, यूरिन इन्फेक्शन व शरीर में सूजन आदि बीमारियों को दूर रखने में हमारी सहायता करता है। यह वजन घटाने, रक्त व किडनी को साफ रखने, व त्वचा से संबंधित कई रोगों में फायदेमंद होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में जलन, दस्त, एलर्जी आदि की समस्या हो सकती है।
Ridged Gourd/Sponge Gourd/Luffa – (तोरी, तुरइ, झींगी)
तुरई को तोरी, तुरइ, झींगी, गिलकी, गलगल तोरू आदि नामों से भी जाना जाता है। यह भी एक पौषक तत्वों से भरपूर हरी सब्जी है। लौकी की तरह यह भी दो स्वादों में मिलती है कडवे और मीठे। हमें केवल मीठे स्वाद वाली तुरई का ही प्रयोग अपने खाने में करना चाहिए।
- पोषक तत्व: विटामिन – ए, बी2,बी6,सी व के, कैल्शियम, कॉपर, लोहा (आयरन), मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व कार्बोहाइड्रेड
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: फरवरी से मार्च और जून से जुलाई
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता
तुरई के सेवन से पाचन व रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से मधुमेह, हृदय रोग, शरीर की सूजन, अल्सर, पेचिश, पीलिया, अस्थमा आदि रोगों से लड़ने में सहायक होता है। इसके अलावा यह बालों व त्वचा के लिए भी फायदेमंद होती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने सेपेट फूलना, पेट में दर्द, दस्त आदि की शिकायत हो सकती है।
Tomato (टमाटर)
टमाटर एक लाल रंग व खट्टे स्वाद वाली बहुत ही पौष्टिक सब्जी है। कहते है ना “खाओ टमाटर लाल-लाल, हो जाएंगे गाल लाल-लाल। वैसे गाल तो लाल एक और चीज से भी हो जाते है, लेकिन टमाटर से गाल लाल उसके पौषक तत्वों के कारण होते है।
- पोषक तत्व: विटामिन – ए, सी व के, कैल्शियम, तांबा (कॉपर), मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटाशियम, लाइकोपीन, सोडियम, व नियासिन
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से अक्टूबर
- बनने वाले व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल, चाउमीन व कई तरह के चाइनीज स्नेक्स
टमाटर का सेवन आँखों व त्वचा के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इसके सेवन से रक्त शुद्ध होता है तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, जिससे शरीर को मौसमी बीमारियों से बचाने में सहायक होती है। इसके सेवन से कैंसर, मधुमेह, अनिंद्रा जैसी की बीमारियों मे राहत मिलती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से एसिडिटी, गैस, पेट दर्द, सीने में जलन, दस्त, शरीर में दुर्गंध आदि की शिकायत हो सकती है। टमाटर के बीज आसानी से पचते नहीं है जिनसे किडनी में पथरी की समस्या हो सकती है इसलिए पथरी के रोगियों को टमाटर खाने से परहेज रखना चाहिए।
Gooseberry (आंवला)
आंवला तो गुणों की खान है, यह मनुष्यों के लिए प्रकृति का एक वरदान है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग कई औषधियाँ बनाने में किया जाता। इसका सेवन शरीर के हर भाग, त्वचा, आँखे, बाल, दिल, दांत, हड्डियाँ, रक्त सभी के लिए बहुत ही लाभदायक है। इसमें संतरे से भी 30 गुणा ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-सी , कैल्शियम, लोहा (आयरन), मैकार्बोहाइड्रेड, फास्फोरस, व प्रोटीन
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: जुलाई से सितंबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, सूप, जूस, अचार, मुरब्बा, पाचन चूर्ण
आवले में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते है। इसके मुरब्बे के नियमित प्रयोग से हमें कई रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसका सेवन पेट की समस्याओं, मूत्र रोगों, मधुमेह, हृदय रोग आदि कई रोगों में फायदेमंद रहता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से एसिडिटी, पेट में दर्द, दांत में खट्टापन, कम रक्त चाप (हाइपोग्लाइसीमिया) आदि की शिकायत हो सकती है। बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिये।
Flower Vegetables Names – (फूल वाली सब्जियाँ)
फूल की सब्जी!? आप मैं से कई लोग तो यहीं सोच रहे होंगे कि देखो कैसी झल्ली है, फूल की भी कोई सब्जी बनती है।
लेकिन आप को बता दूँ जनाब कि हम कई सब्जियाँ ऐसी भी खाते आ रहे है जो वास्तव में पौधे के फूल या कलियों के गुच्छे होते है जैसे फूल गोभी, ब्रोकली आदि।
इसके अलावा कई जगहों पर पौधों के फूलों की सब्जी भी बनाई जाती है। ये सब्जियाँ भी कई गुणों से भरपूर व बीमारियों को दूर भगाने वाली होती है।
तो चलिए अब फूलों वाली सब्जियों पर भी थोड़ी गुफ्तगू हो जाए।
All Flower Vegetable Names in Hindi and English (List with Pictures)
Photo | Vegetable Names in English | Vegetable Names in Hindi |
---|---|---|
Artichoke (आरटीचोक) | ब्रांगी, हाथी चक (Brangi, Hathi Chak) | |
Banana Flower (बनाना फ्लावर) | केले का फूल (Kele Ka Phool) | |
Bauhinia Variegata ( ) | कचनार की कली (Kachnar Ki Kali) | |
Bombax Malabarica (बोमबेक्स मलबेरिका) | सेमल के फूल (Semal Ka Phool) | |
Broccoli (ब्रोकोली) | हरी गोभी (Hari Gobi) | |
Cauliflower (कॉलीफ्लॉवर) | फूल गोभी (Phool Gobhi) | |
Drumstick Flower, Moringa Flower (ड्रमस्टिक फ्लॉवर, मोरिंगा ओलीफेरा) | सहजन के फूल (Sahjna Ke Phool) | |
Gucchi Mushroom (गुच्छी मशरूम) | गुच्छी मशरूम (Gucchi Mushroom) | |
Madhuca Longifolia (मधुका लॉन्गीफ़ोलिया) | महुआ (Mahua) | |
Mushroom (मशरूम) | कुम्भी, खुखड़ी (Kumbhi, Khukhdi) | |
Pumpkin Flower (पम्पकीन फ्लॉवर) फ्लॉर | कद्दू का फूल (kaddu Ka Phool) | |
Sesbania Grandiflora (सस्बेनिया ग्रांड़ीफ़्लोरा) | अगस्त का फूल (August Ka Phool) | |
Sunn Hemp, Crotalaria juncea, Sunn/Jute Flower (सन् हेम्प/क्रोटेलेरिया ज्यूसिका/ सन् या जूट फ्लॉवर) | सनई के फूल (Senai Ka Phool) |
Cauliflower – (फूल गोभी)
फूल गोभी एक बहुत ही स्वादिष्ट व पौषक तत्वों से भरी हुई एक सब्जी है। दरअसल यह फूलों का एक गुच्छा है। फूल गोभी सफेद, हरे, बैंगनी व नारंगी रंग में मिलती है।
- पोषक तत्व: विटामिन-बी1, बी2, बी3, बी6, सी ई व के, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, कैल्शियम, लोहा (आयरन), मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, फोलेट, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: नवंबर से अप्रैल
- बुआई का समय: अगस्त से अक्टूबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, अचार
फूल गोभी के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति बदती है, आँखे व त्वचा स्वस्थ रहती है, मांसपेशियाँ व हड्डियाँ मजबूत होती है। यह हृदय, मधुमेह, गठिया, व सांस से जुड़ी बीमारियों में लाभदायक होती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द, एलर्जी आदि की शिकायत हो सकती है।
Broccoli – (हरी फूल गोभी)
हरी फूल गोभी (ब्रोकली) भी फूल गोभी परिवार का ही एक सदस्य है। यह भी कलियों व फूलों का गुच्छा है। इसमें सफेद फूल गोभी से भी ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, सी, ई व के, कैल्शियम, लोहा (आयरन), फाइबर, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सेलेनियं, व जिंक
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से अक्टूबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े
हरी फूल गोभी के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, पाचन व रोग प्रतिरोधक शक्ति बदती है, आँखे स्वस्थ रहती है, मांसपेशियाँ व हड्डियाँ मजबूत होती है। यह हृदय, मधुमेह, गठिया, व सांस से जुड़ी बीमारियों में लाभदायक होती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है। पथरी, दिल के मरीजों थाइराइड, यूरिक एसिड के रोगियों व कहूँ गाढ़ा करने की दवाइयाँ लेने वालों को फूल गोभी से परहेज रखना चाहिए या बहुत ही कम मात्रा में खाना चाहिए।
Drumstick Flower, Moringa Flower – (सहजन का फूल)
सहजन के पेड़ के पत्ते, फूल व फलियाँ सभी खाने के प्रयोग में लिए जाते है। यह एक औषधीय पौधा है, जिसके लगभग सभी भागों का प्रयोग कई प्रकार की दवाइयाँ बनाने के लिए किया जाता है। सहजन का फूल भी पोषक तत्वों का खजाना है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी1, बी2, बी3, व बी6, कैल्शियम, लोहा (आयरन), मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटाशियम, एस्कॉर्बिक एसिड, जिंक, व फोलेट
- उपलब्धता: नवंबर से दिसंबर
- बुआई का समय: जून से सितंबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, जूस
सहजन के फूलों में एंटीहेलिमिंटिक, एंटीऑक्सीडेंट, और एंटीबायोटिक जैसे गुण होते है जो मूत्र वर्धक, वजन कम करने, संक्रमण रोकने लिवर को सुरक्षित रखने में सहायक होते है। मधुमेह व गठिया के रोगियों के लिए तो ये बहुत ही लाभदायक है। इसमें काफी मात्रा में फाइबर होता है जिससे पाचन तंत्र दुरुस्त होता है। इनके नियमित सेवन से बालों का झड़ना रुक जाता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द व एलर्जी आदि की शिकायत हो सकती है।
Pumpkin Flower – (कद्दू का फूल)
कद्दू के फल व पत्तों की सब्जी तो आप में से कई लोगों ने खाई होगी। लेकिन इसके फूलों से भी कई तरह के व्यंजन बनाए जा सकते है। कद्दू के फूल भी उसके फल व पत्तों के समान ही बहुत फायदेमंद होते हिय। इनका रंग नारंगी, गहरा पीला व पीला होता है।
कद्दू के फूल में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है, इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ की कई सारी बीमारियों से भी बचाता है। सर्दी खांसी को दूर करने के लिए कद्दू के फूल का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, व सी, कैल्शियम, लोहा (आयरन), फाइबर, फास्फोरस, व पोटाशियम
- उपलब्धता: मई से जून, और अगस्त से सितंबर
- बुआई का समय: फ़रवरी से मार्च, और जून से जुलाई
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस
कद्दू के फूल से पाचन व रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, जो हमें मौसमी बीमारियों जैसे फ्लू, खांसी, जुकाम आदि से बचाती है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन ए आँखों को स्वस्थ बनाता है। इसके सेवन से हड्डियाँ व मांसपेशियाँ मजबूत होती है। यह वजन कम करने में भी सहायक होता है।
वैसे तो कद्दू के फूलों का सेवन हमारे शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन यदि आपको खानपान से संबंधित कोई समस्या या बीमारी हो तो पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
Mushroom – (मशरूम/खुम्बी)
मशरूम या खुम्बी एक सम्पूर्ण व स्वास्थ्यवर्धक आहार है। यह सुपाच्य व औषधीय गुणों से भरपूर है। ऑएस्टर मशरूम से तो मांसाहार से भी ज्यादा पोषण मिलता है। मशरूम में कई महत्वपूर्ण खनिज और विटामिन होते है तथा केलोरी बहुत कम मात्रा में होती है, इसलिए बहुत से लोग इसे अपनी हेल्दी डाइट चार्ट का हिस्सा बनाते है।
- पोषक तत्व: विटामिन- बी, सी व डी, कैल्शियम, लोहा (आयरन), कॉपर, फाइटोकेमिकल्स, सेलेनियम, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम नियासीन तथा पेन्टोथेनिक अम्ल व एंटीऑक्सिडेंट
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: सितंबर से अक्टूबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, पिज्जा
इसके सेवन से मांसपेशियों की सक्रियता बढ़ती है तथा और याददाश्त तेज होती है। यह बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने और वजन घटाने में भी सहायक होता है। इसके पौषक तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं जिससे सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।
इसमें पाए जाने वाले विटामिन डी व कैल्शियम से हड्डियाँ मजबूत बनती है। इसमें फफूंद, जीवाणु एवं विषाणु अवरोधी गुण होते हैं। इसका निरंतर सेवन करने से शरीर को ट्यूमर, मलेरिया, मिर्गी, कैंसर, मधुमेह, रक्तस्राव जैसे कई रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट में दर्द व स्किन एलर्जी आदि की शिकायत हो सकती है। कुछ किस्म मशरूमों में कुछ ऐसे तत्व भी पाए जाते है जिनके ज्यादा सेवन से लिवर फेलियर, सीने में दर्द, दौरे, पेट में इंफेक्शन आदि हो सकता है।
Seeds and Beans Vegetable Names (बीज या फली वाली सब्जियाँ)
इस श्रेणी में वे सब्जियाँ आती है जिनमें हम पौधों के बीज या फली वाला भाग खाते है। वैसे तो यह भी फल ही है लेकिन यह पौधों में फली के रूप में लगता है और एक ही फली में बहुत सारे बीज होते है। कुछ फलियों के हम केवल बीजों को सब्जी के रूप में खाते है तो कुछ की फलियाँ।
कई बीजों को हम सुखाकर अनाज, दाल, मसाले या तेल के रूप में खाते है लेकिन हम यहाँ केवल उन सब्जियों की बात करेंगे जिन्हें बिल्कुल ताजा (सुखने से पहले) खाया जाता है। ये सब्जियाँ भी कई प्रकार के विटामिन्स व खनिजों (मिनरल्स) से भरपूर होती है।
आइए, इनमें से कुछ के बारे में जान लेते है:-
All Seeds and Beans Vegetable Names in English and Hindi (List with Pictures)
Photo | Vegetable Names in English | Vegetable Names in Hindi |
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Chickpeas, Garbanzo Beans (चिकपीस, गार्बेन्जो बीन्स) | काबुली चना (Kabuli Channa) | |
Cluster Beans (क्लस्टर बीन्स) | गवार फली (Gwaar Fali) | |
Corn, Baby Corn, Maize (कॉर्न, बेबी कॉर्न, माईज)) | मक्का, भुट्टा (Makka, Bhutta) | |
Cowpea (चॉपी) | चवला फली/लोबिया/बरबटी (Chawla Phali/Lobia/Barbati) | |
Drumstick (ड्रमस्टिक) | सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा (Sahjana, Sujna, Senjan, Munga) | |
Fava Beans, Broad Beans, Horse Beans (हॉर्स बीन्स/ब्रॉड बीन्स/फवा बीन्स) | बाकला, सेम की फली (Bakla, Sem Ki Fali) | |
Green Gram, Bengal Gram (ग्रीन ग्राम, बेंगोल ग्राम) ग्रेम | हरा चना (Hara Channa) | |
Green Beans, Runner Beans (ग्रीन बीन्स, रनर बीन्स) | हरी सेम, सेम की फली (Haree Sem, Sem Ki Fali) | |
Green Kidney Beans (किडनी बीन्स) | राजमा की फली (Rajma) | |
Hyacinth Beans/Indian Beans/Lablab Beans/Australian Pea ( बीन्स/इंडियन बीन्स/लाबलब बीन्स/ऑस्ट्रेलियन पी) | सुरती पापडी (Surti Papdi) | |
Peas (पीज) | हरी मटर (Hari Matar) | |
Radish pods रेडिश पॉडस) | मूली की फली, मोगरी, सेंगरी की फली (Muli ki Fali, Mogri, Sengri ki Fali) | |
Sweet Corn (स्वीट कॉर्न) | मीठा मक्का, मीठा भुट्टा (Meetha Makka/Meetha Bhutta)) |
Peas – (हरी मटर)
हरी मटर एक मौसमी सब्जी है, जो सर्दियों में मिलती है। वैसे तो मटर बीज या फरोज़न मटर के रूप में पूरे साल ही मिल जाती है। लेकिन सर्दियों के मौसम में आने वाली हरी व ताजा मटर के स्वाद की तो बात ही कुछ और होती है।
हरी मटर को कई सब्जियों से साथ मिलाकर भी बनाया जाता है। यह उनका स्वाद के साथ-साथ उनके पोषण में भी वृद्धि करती है।
- पोषक तत्व: विटामिन – बी6, सी, इ, व के, कैल्शियम, ओमेगा 3, फाइबर, प्रोटीन, सेलेनियम, मैग्नीशियम, लोहा (आयरन), फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: नवंबर से मार्च
- बुआई का समय: अक्टूबर से नवंबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, सांभर
हरी मटर में पाया जाने वाला प्रोटीन और फाइबर शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। हृदय रोग, अल्जाइमर, गठिया, मधुमेह जैसे रोगियों के लिए हरी मटर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसके सेवन से दाग-धब्बे, रूखापन, एड़ियों का फटना, तथा झुर्रियों जैसी त्वचा की समस्याएं दूर होती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द, ऐंठन व एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती है।
Green Gram/Bengal Gram – (हरा चना)
सर्दियों में की प्रकार की मौसमी सब्जियां मिति है, जो कि बहुत ही पौषक व स्वास्थ्यवर्धक होती है। हरे कहने भी उनमें से एक है। चने के ताजे व सूखे बीज, पत्तियाँ व दाल सभी खाने के काम में लिए जाते है। हरे व ताजे मटर खाने का तो मजा ही कुछ और है। ये बहुत ही स्वादिष्ट व पौषक तत्वों से भरपूर होते है।
हरे चने में विटामिन सी, ई, के और बी कॉम्प्लेक्स के अलावा कैल्शियम, जिंक, मैग्नीशियम और आयरन अच्छी मात्रा में होते हंै। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इसलिए ये मांसपेशियों के विकास के लिए भी जरूरी है।
आपको बता दें कि एक कप हरे चने में महज 346 कैलोरीज मौजूद होती हैं। इसके अलावा 19.3 ग्राम प्रोटीन, 17.3 ग्राम डाइटरी फाइबर, 6 ग्राम फैट और 10 ग्राम नेचुरल शुगर होता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी-कॉम्प्लेक्स, सी, ई, व के, कैल्शियम, लोहा (आयरन), मैग्नीशियम, प्रोटीन, व फाइबर
- उपलब्धता: फरवरी से मार्च
- बुआई का समय: अक्टूबर से नवंबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल
हरे चने के सेवन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, आँखे स्वस्थ रहती है, मांसपेशियाँ मजबूत होती है, वजन कम होता है। इसका सेवन हृदय रोग, रक्त चाप, अल्सर, मधुमेह आदि बीमारियों में तो फायदा करता ही है इसके साथ-साथ यह बालों व त्वचा की सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। हरे चने में प्रोटीन अधिक मात्रा में तथा वसा (फैट) और सोडियम की बहुत ही कम मात्रा में होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
Drumstick – (सहजन की फली)
कई लोगों को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है और वे इसे बेगुण (बिना गुणों वाला) भी कहते है, लेकिन एक मजेदार बात तो यह है कि बैगन तो पौषक तत्वों का भंडार है। इसे सब्जियों का राजा भी कहा जाता है। तभी तो भगवान ने भी इसके सर पर ताज सजा रखा है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, व सी, कैल्शियम, लोहा (आयरन), प्रोटीन, कॉपर, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, डाइटरी फाइबर, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: दिसंबर से जनवरी
- बुआई का समय: जून से सितंबर
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस
सहजन के सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, एसिडिटी और कब्ज जैसी शिकायतों से छुटकारा मिलता है, आँखे स्वस्थ रहती है, हड्डियाँ व मांसपेशियाँ मजबूत होती है। इसके सेवन से हृदय रोग, रक्त चाप, खून की कमी (एनीमिया), गठिया आदि रोगियों को लाभ पहुंचता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द, एसिडिटी, पेट में दर्द, दांत में खट्टापन, कम रक्त चाप (हाइपोग्लाइसीमिया) आदि की शिकायत हो सकती है
Cluster Beans – (ग्वार/गवार फली)
ग्वार फली नाम से ही खाने का मन नहीं हो रहा है ना। ग्वार फली भले ही नाम और स्वाद से लजीज ना हो लेकिन पोषण व गुणों में इसका कोई सानी नहीं है। इसमें विटामिन्स व खनिज तत्व तो भरपूर मात्रा में है लेकिन इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कोलेस्ट्रॉल या वसा ना के बराबर होती है। जिसके कारण इसे एक स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक के रूप में जाना जाता है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, सी, डी, व के, कैल्शियम, लोहा, (आयरन), प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, घुलनशील फाइबर, व पोटाशियम
- उपलब्धता: मार्च से जुलाई
- बुआई का समय: फरवरी से मार्च
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े
ग्वार फली के सेवन पाचन व रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, हड्डियाँ व मांसपेशियाँ मजबूत होती है, वजन कम करने में सहायक होती है। इसका सेवन कब्ज, रक्त चाप, मधुमेह, खून की कमी (एनीमिया), कोलेस्ट्रॉल व हृदय रोग जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में सहायक होती है। गर्भवती स्त्रियों के लिए तो यह एक वरदान है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द व मरोड़, सूजन, दस्त आदि की शिकायत हो सकती है।
Cowpea – (चवला फली/कावेरी/लोबिया)
चवला फली (लोबिया) सेहत के लिए फायदेमंद पौष्टिक तत्वों से भरपूर हरी सब्जी है। यह शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का सबसे उत्तम स्त्रोत है।
- पोषक तत्व: विटामिन- बी1, बी2, बी3, व सी, कैल्शियम, आयरन, कैरोटीन, प्रोटीन, वसा, फास्फोरस, फोलेट, कॉपर, व फाइबर
- उपलब्धता: जून से सितंबर
- बुआई का समय: फरवरी से मार्च और जुलाई
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े
चवला फली में फाइबर भरपूर मात्रा में होने के कारण, यह वजन घटाने में मदद करती है। इसका सेवन कब्ज, रक्त चाप, मधुमेह, अनिंद्रा, खून की कमी (एनीमिया), अवसाद, कोलेस्ट्रॉल व हृदय रोग जैसी बीमारियों से रक्षा करने में सहायक होती है। इसके सेवन से रक्त शुद्ध होता है जिससे त्वचा के रोगों जैसे फोड़े-फुंसी, मुहाँसे आदि की समस्या काफी हद तक दूर होती है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से अपच, कब्ज, गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
Green Beans/Runner Beans – (हरी सेम, सेम की फली)
सेम की सब्जी भी बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर एक हरी सब्जी है। इसके सेवन से हमारे शरीर को कई आवश्यक पोषक तत्व मिल जाते है।
- पोषक तत्व: विटामिन-बी6 व सी, कैल्शियम, प्रोटीन, लोहा (आयरन), कॉपर, मैग्नीशियम, सेलेनियम, फास्फोरस, पोटाशियम, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम व जिंक
- उपलब्धता: अगस्त से दिसंबर
- बुआई का समय: जुलाई से अगस्त
- बनने वाले मुख्य व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े, सूप, जूस, रायता, दाल, चाउमीन व कई तरह के चाइनीज स्नेक्स
हरी सेम की फली के सेवन से रक्त शुद्ध होता है जिससे त्वचा के रोगों जैसे फोड़े-फुंसी, मुहाँसे आदि की समस्याओं में आराम मिलता है। इसका सेवन कब्ज, रक्त चाप, मधुमेह, अनिंद्रा, अल्सर, खून की कमी (एनीमिया), दुबलापन, सांस के रोग, हृदय रोग जैसी बीमारियों में फायदा होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, पेट फूलना, पेट में दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।
Stem Vegetables Names – (तने वाली सब्जियाँ)
वैसे तो पेड़-पौधे के तने का उपयोग हम डंडे के रूप में करते है। इनमे से मास्टर जी का डंडा तो बहुत ही मशहूर है। इस डंडे ने तो कितनों को ही सीधा किया है और कितनों की ही जिंदगी को संवार दिया है। लेकिन आजकल यह भी अपनी पहचान खो रहा है। अरे-अरे-अरे मैं दो मुद्दे से ही भटक गई तो फिर से अपने असली विषय पर आते है।
कुछ पौधे ऐसे होते है जिनका तने वाले भाग की हम सब्जी बना कर खाते है। पोषण के मामले में ये सब्जियाँ भी अन्य सब्जियों के मुकाबले में उन्नीस नहीं होती। इनसे भी हमें कई तरह के विटामिन्स व मिनरल्स मिलते है और कई तरह की बीमारियों से लड़ने में सहायता मिलती है।
इनमें से कुछ सब्जियाँ है:-
All Stem Vegetable Names in English and Hindi (List with Pictures)
Photo | Vegetable Names in English | Vegetable Names in Hindi |
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Diplazium Esculentum | Lingad (लिंगड़/लिंगुड़ा) | |
Bamboo Shoots (बम्बू शूट) | बांस के कोपले, करील (Bansh ke Kople, Karil) |
Bamboo Shoots – (बांस की कोंपलें/करील)
बांस के बारे में तो आप सभी लोग जानते होंगे, लेकिन क्या आप सभी को यह पता है कि बांस को खाया भी जाता है। बांस की केवल सब्जी ही नहीं अचार, मुरब्बा व और भी कई तरह की व्यंजन बनाए जाते है। बांस के पौधे में अनगिनत औषधीय गुण होते हैं, जिनसे बारे में बहुत से लोग नहीं जानते है।
अब आप ये सोच रहे होंगे कि इतने सख्त बांस को कैसे खाया जा सकता है। तो मेरे प्यारे दोस्तों, बांस को नहीं बल्कि उनकी कोंपलों को खाया जाता है। प्राचीन समय से ही बांस का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता रहा है।
- पोषक तत्व: विटामिन-ए, बी6, ई, राइबोफ्लेविन, थायमिन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम, लोहा (आयरन), फाइबर, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम, पैंटोथेनिक एसिड, जिंक, व 19 प्रकार के एमिनो एसिड्स
- उपलब्धता: पूरे वर्ष
- बुआई का समय: मार्च और जुलाई
- बनने वाले व्यंजन: सब्जी, परांठा, पकौड़े, मुरब्बा, अचार
बांस की कोंपलों के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, वजन कम होता है, और कद बढ़ता है। इसका सेवन शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करके हृदय की आर्टेरीज में रुकावट की समस्या को दूर करता है। मधुमेह, एनीमिया, कैंसर, कब्ज आदि बीमारियों में इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर को नुकसान भी हो सकता है।
Anisogonium Esculentum – (लिंगड़/लिंगुड़ा)
लिंगड़ (लिंगुड़ा) एक जंगली वनस्पति है। जो उत्तराखंड तथा हिमालयी के आस-पास के जंगलो व नमी वाले स्थानों पर उगता है। इन प्रांतों के लिए तो यह प्रकृति का एक वरदान ही है। यह एक आयरवेदिक औषधि भी है। इसमें वसा व कोलेस्ट्रॉल ना के बराबर होता यही इसलिए शूगर व हृदय के रोगियों के लिए तो यह रामबाण है।
- पोषक तत्व: विटामिन ए व बी-कांप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, और कैरोटिन
- उपलब्धता: जून से अक्टूबर
- बुआई का समय: जून से अक्टूबर
- बनने वाले व्यंजन: सलाद, सब्जी, परांठा, पकौड़े
पत्ता गोभी के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, रोग प्रतिरोधक शक्ति बदती है, आँखे स्वस्थ रहती है, मांसपेशियाँ मजबूत होती है, वजन कम करने में सहायक होती है। इसका सेवन लीवर व आंत, कैंसर, हृदय, गठिया, मधुमेह आदि के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।
तो हैं न सभी सब्जियाँ गुणकारी। बस जरूरत है इन सब्जियों से दोस्ती करने को। तो खूब सब्जियाँ खाओ और रोगों को दूर भगाओ। खूब से मेरा मतलब बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं, सारी सबजयों से है।
यहाँ पर मैं आपको एक बात और बताना चाहूँगी कि कई सब्जियाँ जमीन के संपर्क में रहती है जिससे इनमें धूल मिट्टी के साथ-साथ भूमि पर पाए जाने वाले कृमि व अन्य जीवाणु आसानी से पँहुच जाते है। पेड़ों पर लगने वाली सब्जियों पर भी धूल, मिट्टी व वातावरण की अशुद्धियाँ चिपक ही जाती है। वैसे तो हमें सभी सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही काम में लेना चाहिए, लेकिन हरी सब्जियों को तो दो-तीन बार नमक के पानी या गरम पानी से धो कर ही काम में लेना चाहिए।
Conclusion: Vegetables Name in English & Hindi
इस पोस्ट में मैंने आपको बहुत सारी सब्जियों के नाम हिंदी व अंग्रेजी में बताने के साथ-साथ उनके वर्गीकरण, पोषक तत्वों, फायदे व नुसान आदि के बारें में मेरी जानकारी सांझा की है। हो सकता है मैं कहीं पर गलत भी हो सकती हूँ यदि आपको लगे कि मेरे द्वारा कोई गलत जानकारी ड़ल गई हो तो कृपया मुझे अवगत जरूर करवाए। मैं अपनी गलती को सुधारने का पूर्ण प्रयत्न करूंगी।
मेरे ख्याल से मैंने आप सब को बहुत सारी जानकारी दे दी है। अरे कहीं बोर तो नहीं कर दिया? यदि नहीं, तो जल्दी से मेरी पोस्ट को लाइक व शेयर करिए और हाँ, तो फिर मैं अपने मुंह से क्या कहूँ …
तो मस्त रहिए, खुश रहिए और सब्जियाँ खाते रहिए।
बाय-बाय!
यदि आप ऐसी ही नामों से जुड़ी कुछ मजेदार और ज्ञानवर्धक जानकारी पढ़ना चाहते है तो मेरे द्वारा लिखे गए इन लेखों को भी जरूर पढे।