मुर्गी पहले आई या अंडा ? – Murgi Pehle Aai Ya Anda
अकबर बीरबल के किस्से – मुर्गी पहले आई या अंडा ? – Murgi Pehle Aai Ya Anda – Which came first the Chicken or the Egg?
नमस्कार दोस्तों, बीरबल अपनी चतुराई और हाज़िरजवाबी के कारण वे अकबर के बहुत करीब थे। इस कारण दरबार के कई दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे और उन्हें अकबर की नजरों में गिराने के लिए ज़ाल बिछाते रहते थे।
लेकिन बीरबल हर बार अपनी चतुराई से उनके बिछाये जाल से खुद को बचा लेते थे और उन्हें मुँह की खानी पड़ती थी। आज मैं आपके लिए एक ऐसा ही किस्सा लेकर आई हूँ, जिसे सुनकर आप भी बीरबल की बुद्धि का लोहा मान जायेंगे।
बीरबल को चुनौती
एक बार की बात है, बीरबल से ईर्ष्या रखने वाले दरबारियों ने बीरबल को धूल चटाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने एक व्यक्ति को पंडित का भेष धारण करवाया और उसे पांच सहस्त्र स्वर्ण मुद्राओं की पोटली देकर समझा-बुझा कर दरबार में बुला लिया।
वह व्यक्ति अगले दिन दरबार में पंहुच गया और उसने बादशाह अकबर से कहा, “मैंने काशी से अपनी शिक्षा पूरी की है और अपने ज्ञान से मैं कई राज्यों के बड़े-बड़े विद्वानों को हरा चुका हूँ। मैंने आपके राज्य के बारे में बहुत सुना है कि आपके राज्य में एक से बढकर एक विद्वान है।
मैं आपको चुनौती देता हूँ कि आपके दरबार का कोई भी व्यक्ति मुझे हरा देगा तो मैं ये पांच सहस्त्र स्वर्ण मुद्राएँ उसे दे दूंगा, नहीं तो उसे मुझे दस सहस्त्र स्वर्ण मुद्राएँ देनी होगी।
और यदि आपके दरबार में से किसी में भी मेरी चुनौती स्वीकार करने की हिम्मत नहीं है तो आपको मुझे सौ सहस्त्र स्वर्ण मुद्राएँ देनी होगी।” इतना कहकर उसने पांच सहस्त्र स्वर्ण मुद्राओं की पोटली दरबार में रख दी |
अकबर ने अपने दरबारियों से कहा, “आपमें से कौन इस पंडित की चुनौती स्वीकार करेगा।” तो एक दरबारी ने कहा, “जिल्लेइलाही, हमारे दरबार में बीरबल ही सबसे ज़हीन है। मेरे हिसाब से तो उन्हें ही इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए।” उसकी बात सुनकर अन्य दरबारियों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी।
अकबर ने बीरबल से पूछा, “क्यों बीरबल, क्या तुम इस पंडित की चुनौती को स्वीकार करते हो?” बीरबल ने कहा, “यदि बादशाह सलामत का आदेश होगा तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।” अकबर ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि तुम इस चुनौती को जरूर पूरा करोगे।” बीरबल ने कहा, “जैसी आपकी आज्ञा, जहाँपनाह।”
पंडित का सवाल
तब उस पंडित ने बीरबल से कहा, “मेरे पास तुम्हारे लिए दो विकल्प है तुम अपनी मर्जी से उनमे से एक चुन सकते हो। पहला, तुम मेरे सौ थोड़े आसान सवालों का जवाब देना चाहोगे या फिर मेरे एक मुश्किल सवाल का।” बीरबल ने थोड़ी देर के लिए सोचा और कहा, “मैं तुम्हारा दूसरा विकल्प चुनता हूँ “एक मुश्किल सवाल”।” तब पंडित ने पूछा, “ठीक है तो फिर ये बताओं कि पहले मुर्गी आई या अंडा ?”
बीरबल का जवाब
अब आप सब भी जानते है इस सवाल का जवाब तो आज तक नहीं मिल पाया है। सबको लग रहा था कि अब बीरबल इसका क्या जवाब देंगे। इसमें तो आगे कुआँ और पीछे खाई है। मुर्गी बोलते है तो भी गलत है और अंडा बोलते है तो भी गलत।
लेकिन बीरबल ने छूटते ही जवाब दे दिया कि मुर्गी पहले आई। तब पंडित ने पूछा, “वो कैसे ?” तो बीरबल ने कहा, “महाशय, मैं आपके एक प्रश्न का जवाब दे चुका हूँ और शर्त के मुताबिक मैं आपकों आपके एक ही प्रश्न का उत्तर देनें के लिए बाध्य हूँ और ये आपका दूसरा प्रश्न है। यदि आपको मेरा उत्तर गलत लगता है तो इसे गलत प्रमाणित करें नहीं तो अपनी हार स्वीकार करें।”
बीरबल की बात सुनकर दरबार में हंसी के साथ-साथ बीरबल की जयजयकार गूंजने लगी। अब वह पंडित बीरबल को कैसे गलत प्रमाणित करता, वह अपने ही जाल में फँस गया था, इसलिए वह अपनी हार स्वीकार करके दरबार से चला गया और उन दरबारियों को भी काटो तो खून नहीं कहाँ तो वे बीरबल को बादशाह की नज़रों से गिराकर उससे दस सहस्त्र स्वर्ण मुद्राएँ हडपना कहते थे, वही उनकी अपनी पांच सहस्त्र स्वर्ण मुद्राएँ बलि चढ़ गई थी।
तो देखा दोस्तों अपनी बुद्धिमता और शब्दों की पकड़ से कैसे बीरबल ने ऐसे मुश्किल सवाल में भी कितनी सहजता से अपनी जीत निश्चित करके अपने विरोधियों को चित्त कर दिया। “अलविदा” दोस्तों, फिर मिलूंगी एक नए रोचक किस्से के साथ।