माँ लक्ष्मी जी की आरती – Lakshmi Aarti
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी धन की देवी और सुख-समृद्धि की देवी हैं। शुक्रवार, गुरुवार, वैभव लक्ष्मी व्रत तथा दीपावली जैसे अवसरों पर मां लक्ष्मी जी की आरती गाई जाती है। देवी लक्ष्मी देवी लक्ष्मी, देवी पार्वती और देवी सरस्वती आदि त्रिदेवियों में से एक देवी है।
हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी ना किसी भगवान की पूजा की जाती है। इसी के अनुसार के शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की सच्चे हृदय से पूजा करने से घर में किसी चीज की कमी नहीं रहती।
यदि आप यह ना भी कर सके तो नित्य अपने घर में माँ लक्ष्मी की आरती तो अवश्य करें। शास्त्रों के अनुसार जिस घर में प्रतिदिन माँ लक्ष्मी और श्री भगवान विष्णु की पूजा अर्चना व आरती की जाती है, उस घर पर माँ लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं।
सच्चे हृदय से की गई पूजा से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैभव के साथ सौभाग्य भी प्रदान करती हैं।
माँ लक्ष्मी जी की आरती – Lakshmi Aarti
॥ मंत्र ॥
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि, हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे, सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
॥ आरती ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हरि विष्णु धाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता, मैया तुम ही जग माता,
सूर्य चंद्रमाँ ध्यावत-2, नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता, मैया सुख-संपत्ति दाता,
जो कोई तुमको ध्याता-2, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
तुम पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता, मैया तुम ही शुभदाता,
कर्म-प्रभाव प्रकाशिनी-2, भव निधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैया सब सद्गुण आता,
सब सभंव हो जाता-2, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैया वस्त्र न कोई पाता,
खान पान का वैभव-2, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता, मैया क्षीरोदधि जाता,
रत्न चतुर्दश तुम बिन-2, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता, मैया जो कोई जन गाता,
उर आंनद समाता-2, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता……
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, ॐ जय लक्ष्मी माता……
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
आरती पूरी होने के बाद माँ लक्ष्मी की मूर्ति को आरती दिखाने के बाद तुलसी को आरती अवश्य दिखाना चाहिए। इसके पश्चात् ही अन्य लोगों को आरती लेनी चाहिए।
देवी लक्ष्मी की पूजा कैसे की जाती है?
सर्वप्रथम स्वच्छ पानी से स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहने। (लाल-गुलाबी हो तो श्रेष्ट है।)
माँ लक्ष्मी की मूर्ति, यंत्र या तस्वीर की स्थापना करें।
मूर्ति पर शुद्ध जल के छींटे डालकर कुमकुम और चावल से तिलक करे।
उसके पश्चात् उनके सामने कमल का फूल चढ़कर घी का दीपक जलाएं।
मां लक्ष्मी का बीज मंत्र, “ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:” का जाप करें। आपकी श्रद्धा के अनुसार आप 5, 7, 11, 21, 51 या अधिक मला का जाप कर सकते है। जाप पश्चात् माँ लक्ष्मी जी की आरती गाए।
सच्चे हृदय से नित्य माँ लक्ष्मी के बीज मंत्र का जाप व आरती करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है तथा आर्थिक परेशानियाँ दूर होती है।
इसके अलावा सुबह उठते ही सबसे पहले अपने दोनों हाथों की हथेलियों को देखें और फिर, “कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्” मंत्र का पाठ करें। इसके बाद अपनी हथेलियों को आपस रगड़ें और अपने चेहरे पर फेरें।
माना जाता है कि ऐसा करने से ब्रह्मा जी, माँ लक्ष्मी तथा माँ सरस्वती तीनों की कृपा प्राप्त होती है
यदि आपको आरती या मंत्र में कोई त्रुटि दिखती है तो कृपया मुझे अपनी टिप्पणियों द्वारा अवश्य बताएं, जिससे में अपनी गलती में सुधार कर सकूँ।
जय माँ लक्ष्मी
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