अंधे ज्यादा या देखने वाले ? – Andhe Zyaada Ya Dekhne Waale?
अकबर बीरबल के किस्से – अंधे ज्यादा या देखने वाले ? – Andhe Zyaada Ya Dekhne Waale? – Are Blinded More Than Sighted?
नमस्कार दोस्तों, अकबर और बीरबल के किस्सों में उन दोनों की जुगलबंदी देखते ही बनती है। कभी बादशाह अकबर बीरबल को किसी मसले में जानबूझकर उलझाते तो कभी उनके दरबार में ही कोई जटिल मसला आ जाता। कभी-कभी तो दोनों आपस में सामान्य बात ही कर रहे होते लेकिन तभी किसी ना किसी बात पर दोनों में ठन जाती।
तब बीरबल अपने बुद्धिकौशल और वाकपटुता से अपनी बात इस चतुराई से प्रमाणित करवाते कि अकबर भी हँसते-हँसते उनकी बात से सहमत हो जाते। आज मैं लाई हूँ, एक ऐसा ही किस्सा जो हमें गुदगुदाते हुए एक सीख भी दे जाता है।
अकबर बीरबल की बहस
एक बार की बात है अकबर और बीरबल किसी बात पर चर्चा करते हुए जा रहे थे, तभी उन्हें सामने से एक अंधा व्यक्ति आता हुआ दिखाई देता है। उस अंधे को देखकर अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल मेरे ख्याल से दुनियां में प्रत्येक सौ आदमी के पीछे एक अंधा व्यक्ति होता है। तुम्हारा क्या ख्याल है?”
बीरबल ने कहा, “माफी चाहूँगा हुजूर, लेकिन मेरी राय आपकी राय से बिलकुल अलग है, मेरे ख्याल से तो दुनियां में देखने वालो से अंधों की संख्या जयादा है।” अकबर आश्चर्य से कहते है, “ऐसा कैसे हो सकता है, आसपास देखने पर तो हमें देखने वाले लोग अंधों से ज्यादा दिखाई देते है, तो फिर अंधों की संख्या ज्यादा कैसे हो सकती है?”
बीरबल ने कहा, “बादशाह सलामत, अभी तो मैं आपको इस बात का कोई प्रमाण नहीं दे सकता, लेकिन किसी दिन मैं अपनी इस बात को सप्रमाण साबित करके बताऊंगा।” अकबर कहते है, “ठीक है बीरबल, हम भी देखना चाहेंगे कि तुम ये कैसे साबित करते हो।” उसके बाद दोनों इस बात को समाप्त कर देते हैं|
बीरबल का निराला तमाशा
कुछ दिन बीत जाते है, अकबर भी इस बात को लगभग भूल जाते है। जब कई दिनों तक अकबर बीरबल से इस बात पर चर्चा नहीं करते तो बीरबल समझ जाते है कि बादशाह के दिमाग से यह बात निकल चुकी है, तब वे अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए एक योजना बनाते है।
वे अपने साथ दो मुंशियों और दो मजदूरों को लेकर बीच बाजार में चौपाल पर पहुँच जाते है। वहां पहुँच कर वे मजदूरों से एक खाट की चौखट, खाट बुनने की रस्सी, कागज, कलम, दवात और दो कुर्सियां मंगवाते हैं।
उसके बाद वे एक मुंशी को अपने दाईं तरफ और दूसरे मुंशी को अपने बाईं तरफ कुर्सी पर बैठाकर समझा देते है कि दाईं तरफ वाला मुंशी अंधों की तथा बाईं तरफ वाला मुंशी देखने वालों की सूची बनाएगा। किसको किस सूची में डालना है, इसके लिए मैं इशारा कर दूंगा। दोनों मुंशी कागज कलम लेकर कुर्सियों पर बैठ जाते है।
बीरबल की सूची – अंधे ज्यादा या देखने वाले ?
अब बीरबल खाट की चौखट पर रस्सी से बुनना चालू कर देते है। उन्हें ऐसे बीच बाज़ार में खाट बुनते देख बाज़ार से गुज़रने वाले लोग आश्चर्य व कौतूहलवश वहां जमा होने लगेते है। तभी एक व्यक्ति ने बीरबल से पूछा, “अरे बीरबल जी, आप ये क्या कर रहें है।”
बीरबल ने कोई उत्तर नहीं दिया और दाईं तरफ वाले मुशी को नाम लिखने के लिए इशारा कर दिया और तन्मयता से खाट बुनते रहे। तभी किसी दूसरे व्यक्ति ने पूछा, “अरे बीरबल जी, आप बीच बाज़ार में ये क्या कर रहे है।” बीरबल चुप रहे और दाईं तरफ वाले मुशी को इशारा कर दिया।
थोड़ी देर मैं एक व्यक्ति और आया और उसने पूछा, “अरे बीरबल जी, आप बीच बाज़ार में ये खाट क्यों बुन रहे हों।” बीरबल फिर चुप और बाईं तरफ वाले मुशी को इशारा कर दिया। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, लोगों की उत्सुकता बढती जा रही थी। लोग आ-आ कर बीरबल से प्रश्न पुछ रहे थे।
कोई पूछता कि “वे क्या कर रहे है” तो कोई पूछता कि “वे खाट क्यों बुन रहे है”। लेकिन बीरबल बिना किसी को कोई जवाब दिए तल्लीनता से अपना काम करते रहे और सूचियों में नाम लिखवाते रहे। दोपहर तक ये सिलसिला चलता रहा, जैसे-जैसे लोगों को पता चलता वे आते सवाल पूछते और बीरबल उसके अनुसार सूची में नाम लिखने का इशारा कर देते।
अकबर का नाम भी अंधों की सूची में
फैलते-फैलते यह बात बादशाह अकबर के पास भी पंहुच गई। उनको भी बीरबल के इस कृत्य पर आश्चर्य हुआ और वे भी कौतूहलवश बाज़ार में पहुँच गए और बीरबल को खाट बुनते देख पूछ बैठे, “अरे बीरबल, तुम ये क्या कर रहे हो?”
बादशाह द्वारा ये सवाल पूछते ही बीरबल ने दाईं तरफ वाले मुशी से कहा, “मुंशीजी, बादशाह सलामत का नाम भी अंधों की सूची में लिख लो।” यह सुनकर अकबर को गुस्सा आ गया लेकिन उन्होंने अपना गुस्सा दबाते हुए बीरबल से कहा, “बीरबल तुम ये क्या कह रहे हो, हमारी आँखे तो बिल्कुल ठीक है, हम सब कुछ देख सकते है, तो फिर तुम हमारा नाम अंधों की सूची मैं क्यों लिखवा रहे हो?”
बीरबल ने सर झुकाते हुए कहा, “गुस्ताखी माफ हो जहाँपनाह, आप देख सकते है कि मैं खाट बुन रहा हूँ लेकिन फिर भी आपने मुझसे ये सवाल पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ? ऐसा सवाल तो वही व्यक्ति पूछ सकता है, जिसे दिखाई नहीं देता हो। तो आप ही बताइए कि मैं आपका नाम किस सूची में लिखवाऊ अंधों वाली या देखने वाली।”
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर को अपनी बात याद आ जाती है और वे सब समझ जाते है कि बीरबल ने ये सारा खेल अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए रचाया है। उनके होठों पर मुस्कान आ जाती है। वे हँसते हुए बीरबल से पूछते है, “तो बीरबल सूची तैयार हो गई होगी, जरा देख कर बताओ “अंधे ज्यादा या देखने वाले ?”
बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, दोनों सूचियाँ आपके समक्ष ही है, आप स्वयं देख लें कि किसकी संख्या ज्यादा है। माना जहाँपनाह दुनियां में आँखों वाले लोगों की संख्या ज्यादा है लेकिन उनमें से अधिकतर आँखों वाले अंधे है। इस तरह दुनियां मैं अंधों की संख्या ही ज्यादा हुई और इस बात को मैंने प्रमाण सहित आपके समक्ष प्रस्तुत कर दिया है।”
अकबर संग बीरबल के ठहाके
अकबर ने कहा, “तुम ठीक कहते हो बीरबल, जो व्यक्ति दिखाई देने के बाद भी मुर्खतापूर्ण सवाल करें उसे आँखे होते हुए भी अँधा ही कहा जाएगा और उनमे से एक हम भी हैं।” इतना कहकर अकबर ठहाका लगा कर हंस पड़े और बीरबल ने भी हँसते हुए अपने कान पकड़ लिए।
तो देखा दोस्तों अपनी बुद्धिमता से बीरबल ने ये साबित किया कि देखने के लिए केवल आँखे होना ही काफी नहीं है, इसके लिए आपको अपनी बुद्धि का भी प्रयोग करना होता है।
कौतूहलवश लोगों का सवाल पूछना लाजमी था लेकिन सवाल क्या कर रहे हो की जगह क्यों कर रहे हो होना चाहिए था। अच्छा तो “अलविदा” दोस्तों, फिर मिलूंगी एक नए रोचक किस्से के साथ “अलविदा”।
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