माता की चालीसा भजन मंत्र
माता के भजन
दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥
आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन
◉ नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, नवरात्रे, गुप्त नवरात्रि, माता की चौकी, देवी जागरण, जगराता, शुक्रवार तथा दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर गाये जाने वाला श्री दुर्गा चालीसा।
Namo Namo Durge Sukh Karani ।
Namo Namo Ambe Dukh Harani ॥
Nirakar Hai Jyoti Tumhari ।
Tihoun Lok Phaili Uujiyaari ॥
Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala ।
Netra Lal Bhrikoutee Vikaraala ॥
Roop Maatu Ko Adhik Suhaave ।
Darshan Karata Jana Ati Sukh Paave ॥4
Tum Sansar Shakti Laya Keena ।
Palana Hetu Anna Dhan Deena ॥
Annapoorna Hui Tu Jag Pala ।
Tumhi Aadi Sundari Bala ॥
Pralayakala Sab Nashana Haari ।
Tum Gouri Shiv Shankar Pyari ॥
Shiv Yogi Tumhre Gun Gaavein ।
Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyavein ॥8
Roop Saraswati Ka Tum Dhara ।
Day Subuddhi Rishi Munina Ubara ॥
Dharyo Roop Narsimha Ko Amba ।
Pragat Bhayi Phaad Ke Khamba ॥
Raksha Kari Prahlad Bachaayo ।
Hiranyaykush Ko Swarga Pathayo ॥
Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin ।
Shree Narayan Anga Samahin ॥12
Ksheer Sindhu Mein Karat Vilaasa ।
Daya Sindhu Deejey Man Aasa ॥
Hingalaja Mein Tumhi Bhavani ।
Mahima Amit Na Jaat Bakhani ॥
Matangi Aru Dhoomawati Mata ।
Bhuvaneshwari Bagala Sukhdata ॥
Shree Bhairav Tara Jag Tarani ।
Chhinna Bhala Bhava Dukh Nivarini ॥16
Kehari Vahan Soha Bhavani ।
Laangur Veer Chalata Agavani ॥
Kar Mein Khappar Khadaga Virajay ।
Jako Dekh Kaal Dar Bhajey ॥
Sohe Astra Aur Trishula ।
Jase Uthata Shatru Hiya Shoola ॥
Nagarkot Mein Toumhi Virajat ।
Tihoun Lok Mein Danka Baajat ॥20
Shumbh-Nishumbh Daanuv Tum Maare ।
Rakta Beej Shankhana Sanghaare ॥
Mahishasur Nrip Ati Abhimaani ।
Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani ॥
Roop Karaal Kali ka Dhara ।
Sen Sahita Tum Tihin Samhara ॥
Pari Gaarh Santana Par Jab Jab ।
Bhayi Sahay Matou Tum Tab Tab ॥24
Amarpuri Arubaa Sab Lokaa ।
Tab Mahima Sab Kahey Ashoka ॥
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari ।
Tumhein Sada Poojey Nar Nari ॥
Prem Bhakti Se Jo Yash Gave ।
Dukh Daridra Nikat Nahin Aave ॥
Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Layi ।
Janma Maran Tako Chhouti Jaayi ॥28
Yogi Sur Muni Kahat Pukaari ।
Yog Na Hoye Bina Shakti Tumhari ॥
Shankara Acharaj Tap Ati Keenho ।
Kaam Krodh Jeet Sab Leenho ॥
Nishidin Dhyan Dharo Shankar Ko ।
Kaahu Kaal Nahin Soumiro Tumko ॥
Shakti Roop Ko Maram Na Payo ।
Shakti Gayi Tab Man Pachitayo ॥32
Sharnagat Huyi Kirti Bakhaani ।
Jai Jai Jai Jagadambe Bhavani ॥
Bhayi Prasanna Aadi Jagadamba ।
Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba ॥
Maukon Maatu Kashta Ati Ghero ।
Tum Bin Kaun Harey Dukh Mero ॥
Asha Trishna Nipat Satavein ।
Ripu Moorakh Mohe Ati Darpaave ॥36
Shatru Nash Kijey Maharani ।
Soumiron Ikchit Tumhein Bhavani ॥
Karo Kripa Hey Maatu Dayala ।
Riddhi Siddhi Dey Karahou Nihaala ॥
Jab Lagi Jiyoun Daya Phal Paoun ।
Tumhro Yash Mein Sada Sounaoun ॥
Durga Chalisa Jo Nar Gaavey ।
Sab Sukh Bhog Parampad Pavey ॥40
Devidas Sharan Nij Jaani ।
Karahoun Kripa Jagadambe Bhavani ॥
॥Doha॥
Sharanaagat Rakshaa Kare,
Bhakt Rahe Nishank ।
Main Aayaa Teri Sharan Me,
Maatu Lijiye Ank ॥
॥ Et Shree Durga Chalisa ॥
आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली
माँ दुर्गे का साप्ताहिक दिन शुक्रवार, दोनों नवरात्रि, अष्टमी, माता की चौकी एवं जगराते में सबसे अधिक गाई जाने वाली आरती।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनो पर,
भीर पडी है भारी माँ ।
दानव दल पर टूट पडो,
माँ करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली,
अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को पलमे संहारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग मे,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत – कपूत सुने है पर न,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
नही मांगते धन और दौलत,
न चांदी न सोना माँ ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
—– Addition —-
चरण शरण मे खडे तुम्हारी,
ले पूजा की थाली ।
वरद हस्त सर पर रख दो,
मॉ सकंट हरने वाली ।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली,
भक्तो के कारज तू ही सारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
Ambe Tu Hai Jagdambe Kali,
Jai Durge Khappar Wali ।
Tere Hi Gun Gaaye Bharati,
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti ॥
Tere Jagat Ke Bhakt Janan Par,
Bhid Padi Hai Bhari Maa ।
Daanav Dal Par Toot Pado,
Maa Karke Singh Sawari ।
So-So Singho Se Tu Balshali,
Asth Bhujao Wali,
Dushton Ko Pal Mein Sangharti ।
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti ॥
Maa Bete Ka Hai Ish Jag Mein,
Bada Hi Nirmal Nata ।
Poot Kaput Sune Hai Par Na,
Mata Suni Kumata ॥
Sab Par Karuna Darshaney Wali,
Amrut Barsaney Wali
Dukhiyon Ke Dukhdae Nivarti ।
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti ॥
Nahi Maangtey Dhan Aur Daulat,
Na Chaandi Na Sona Maa ।
Hum To Maangey Maa Tere Man Mein,
Ek Chota Sa Kona ॥
Sabki Bigdi Banane Wali,
Laaj Bachane Wali,
Satiyo Ke Sat Ko Sanvarti ।
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti ॥
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम्
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥
विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥
कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्
भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥
अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।
यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥
Ayi Giri Nandini, Nandhitha Medhini, Viswa Vinodhini Nandanuthe
Girivara Vindhya Sirodhi Nivasini, Vishnu Vilasini Jishnu Nuthe ।
Bhagawathi Hey Sithi Kanda Kudumbini, Bhoori Kudumbini Bhoori Kruthe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini, Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 1 ॥
Suravara Varshini, Durdara Darshini, Durmukhamarshani, Harsha Rathe,
Tribhuvana Poshini, Sankara Thoshini, Kilbisisha Moshini, Ghosha Rathe
Danuja Niroshini, Dithisutha Roshini, Durmatha Soshini, Sindhu Suthe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 2 ॥
Ayi Jagadambha Madambha , Kadambha, Vana Priya Vasini, Hasarathe,
Shikhari Siromani, Thunga Himalaya, Srunga Nijalaya, Madhyagathe ।
Madhu Madure, Mdhukaitabha Banjini, Kaitabha Banjini, Rasa Rathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 3 ॥
Ayi Satha Kanda, Vikanditha Runda, Vithunditha Shunda, Gajathipathe,
Ripu Gaja Ganda , Vidhaarana Chanda, Paraakrama Shunda, Mrugathipathe ।
Nija Bhuja Danda Nipaathitha Khanda, Vipaathitha Munda, Bhatathipathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 4 ॥
Ayi Rana Durmathashathru Vadhothitha, Durdhara Nirjjara, Shakthi Bruthe,
Chathura Vicharadureena Maha Shiva, Duthatkrutha Pramadhipathe ।
Duritha Dureeha, Dhurasaya Durmathi, Dhanava Dhutha Kruithaanthamathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 5 ॥
Ayi Saranagatha Vairi Vadhuvara, Veera Varaa Bhaya Dhayakare,
Tribhuvana Masthaka Soola Virodhi, Sirodhi Krithamala Shoolakare ।
Dimidmi Thaamara Dundubinadha Mahaa , Ukharikruthatigmakare,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 6 ॥
Ayi Nija Huum Kruthimathra Niraakrutha, Dhoomra Vilochana Dhoomra Sathe,
Samara Vishoshitha Sonitha Bheeja, Samudhbhava Sonitha Bheejalathe ।
Shiva Shiva Shumbha Nishumbhamaha Hava, Tarpitha Bhootha Pisacha Rathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 7 ॥
Dhanu Ranushanga Rana Kshana Sanga, Parisphuradanga Natath Katake,
Kanaka Pishanga Brushathka Nishanga, Rasadbhata Shrunga Hatavatuke ।
Kritha Chaturanga Bala Kshithirangakadath , Bahuranga Ratadhpatuke,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 8 ॥
Sura-lalanaa Tatatheyi Tatheyi Krta-abhinayo-dara Nrtya-rate
Krta Kukuthah Kukutho Gaddadaadika-taala Kutuuhala Gaana-rate ।
Dhudhukutta Dhukkutta Dhimdhimita Dhvani Dhiira Mrdamga Ninaada-rate
Jaya Jaya He Mahissaasura-mardini Ramya-kapardini Shaila-sute ॥ 9 ॥
Jaya Jaya Hey Japya Jayejaya Shabda , Parastuti Tatpara Vishvanute ,
Bhana Bhanabhinjimi Bhingrutha Noopura, Sinjitha Mohitha Bhootha Pathe ।
Nadintha Nataartha Nadi Nada Nayaka, Naditha Natya Sugaanarathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 10 ॥
Ayi Sumana Sumana, Sumana Sumanohara Kanthiyuthe,
Sritha Rajani Rajani Rajani, Rajaneekaravakthra Vruthe ।
Sunayana Vibhramarabhrama, Bhramarabrahmaradhipadhe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 11 ॥
Sahitha Maha Hava Mallama Hallika, Mallitharallaka Mallarathe,
Virachithavallika Pallika Mallika Billika , Bhillika Varga Vruthe ।
Sithakruthapulli Samulla Sitharuna, Thallaja Pallava Sallalithe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 12 ॥
Avirala Ganda Kalatha Mada Medura, Matha Matanga Rajapathe,
Tribhuvana Bhooshana Bhootha Kalanidhi, Roopa Payonidhi Raja Suthe ।
Ayi Suda Thijjana Lalasa Manasa , Mohana Manmatha Raja Suthe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 13 ॥
Kamala Dalaamala Komala Kanthi, Kala Kalithaamala Bala Lathe,
Sakala Vilasa Kala Nilayakrama, Keli Chalathkala Hamsa Kule ।
Alikula Sankula Kuvalaya Mandala , Mauli Miladh Bhakulalikule,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 14 ॥
Kara Murali Rava Veejitha Koojitha, Lajjitha Kokila Manjumathe,
Militha Pulinda Manohara Kunchitha, Ranchitha Shaila Nikunjakathe ।
Nija Guna Bhootha Maha Sabari Gana, Sathguna Sambrutha Kelithale,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 15 ॥
Kati Thata Peetha Dukoola Vichithra, Mayuka Thiraskrutha Chandra Ruche,
Pranatha Suraasura Mouli Mani Sphura , Damsula Sannka Chandra Ruche
Jitha Kanakachala Maulipadorjitha, Nirbhara Kunjara Kumbhakuche,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 16 ॥
Vijitha Sahasra Karaika Sahasrakaraika, Sarakaraika Nuthe,
Krutha Sutha Tharaka Sangaratharaka, Sangaratharaka Soonu Suthe ।
Suratha Samadhi Samana Samadhi, Samadhi Samadhi Sujatharathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 17 ॥
Padakamalam Karuna Nilaye Varivasyathi, Yo Anudhinam Sa Shive,
Ayi Kamale Kamala Nilaye Kamala Nilaya, Sa Katham Na Bhaveth ।
Thava Padameva Param Ithi, Anusheelayatho Mama Kim Na Shive,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 18 ॥
Kanakala Sathkala Sindhu Jalairanu, Sinjinuthe Guna Ranga Bhuvam,
Bhajathi Sa Kim Na Shachi Kucha Kumbha, Thati Pari Rambha Sukhanubhavam ।
Thava Charanam Saranam Kara Vani, Nataamaravaaninivasi Shivam,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 19 ॥
Thava Vimalendu Kulam Vadnedumalam, Sakalayananu Kulayathe,
Kimu Puruhootha Pureendu Mukhi, Sumukhibhee Rasou Vimukhi Kriyathe ।
Mama Thu Matham Shivanama Dhane, Bhavathi Krupaya Kimu Na Kriyathe,
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 20 ॥
Ayi Mai Deena Dayalu Thaya Krupayaiva, Thvaya Bhavthavyam Ume,
Ayi Jagatho Janani Kripayaa Asi, Thatha Anumithasi Rathe Na ।
Yaduchitham Atra Bhavathvya Rari Kurutha, Durutha Pamapakarute
Jaya Jaya Hey Mahishasura Mardini , Ramya Kapardini, Shaila Suthe ॥ 21
माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं
श्री देव्यापराध क्षमापन स्तोत्रं ॥
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: ।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ 1 ॥
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 2 ॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: ।
मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 3 ॥
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4 ॥
परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 5 ॥
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ 6 ॥
चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ 7 ॥
न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥ 8 ॥
नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: ।
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥ 9 ॥
आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ 10 ॥
जगदम्ब विचित्रमत्र किं
परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
अपराधपरम्परावृतं
न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥ 11 ॥
मत्सम: पातकी नास्ति
पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवि
यथा योग्यं तथा कुरु ॥ 12 ॥
इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्।