बीरबल की स्वर्ग की सैर – Birbal Ki Swarg Ki Sair
अकबर बीरबल के किस्से – बीरबल की स्वर्ग की सैर – Beerbal ki Swarg Ki Sair – Birbal’s Journey of Heaven
नमस्कार दोस्तों, बीरबल और अकबर के रोचक और मजेदार किस्से तो जग प्रसिद्ध है और ये तो सभी को विदित है कि बीरबल एक बहुत ही बुद्धिमान और हाजिरजवाब व्यक्ति थे। उनकी बुद्धिमता से प्रभावित होकर ही बादशाह अकबर ने उन्हें अपने नौ रत्नों में स्थान दिया था।
बादशाह अकबर अपने कई राजसी मसलों में बीरबल से सलाह मशविरा लिया करते थे। बीरबल की बादशाह अकबर से इसी निकटता के चलते की दरबारी व सेवक बीरबल से जलते थे और उन्हें अपने रास्ते से हटाने की तरकीब सोचते रहते।
बीरबल अपनी बुद्धिमता और चतुराई से अपने खिलाफ की जाने वाली सभी कोशिशों को नाकामयाब कर देते थे। आज मैं आपके लिए लाई हूँ एक ऐसा ही किस्सा “बीरबल की स्वर्ग की सैर”
दरबारियों का षड्यन्त्र
बीरबल की बादशाह अकबर से बढ़ती नजदीकियां कुछ दरबारियों व सेवकों को फूटी आँखों नहीं सुहाती थी। वे हमेशा बीरबल को अपने रास्ते से हटाने के लिए प्रयत्न करते रहते थे। ऐसे ही एक बार कुछ दरबारियों ने मिलकर बीरबल को मारने का सोचा।
वे ऐसे ही तो बीरबल को मार नहीं सकते थे। इसलिए उन्होंने एक योजना बनाई और राजा के नाई को स्वर्ण मुद्राओं का प्रलोभन देकर अपनी और मिला लिया। उसे अपनी पूरी योजना समझा दी।
बीरबल के लिए जाल
अब रोज नाई बादशाह अकबर की मालिश करते हुए उन्हें पूर्वजों, स्वर्ग आदि से जुड़े नए-नए किस्से और कहानियां सुनाता कि कैसे किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मा को तृप्त किया। रोज नाई से ऐसे किस्से सुनसुन कर बादशाह अकबर को उन बातों में विश्वास बढ़ने लगा।
एक दिन बादशाह अकबर अपने पिता की तस्वीर के सामने खड़े उसे निहार रहे थे। तभी उनके मुंह से निकला कि वे अपने पिताजी के लिए कुछ भी ना कर पाए, क्योंकि उनकी मृत्यु बहुत पहले हो गई थी । उस समय नाई उन्हीं के पास ही खड़ा था। बस फिर क्या था उसे बीरबल को फसाने का मौका मिल गया था।
उसने बादशाह अकबर से कहा, “जहाँपनाह, आपको अपने पिता के लिए कुछ करना चाहिए।” बादशाह अकबर ने कहा, “ मेरे पिता तो स्वर्ग में भगवान के पास चले गए है, अब मैं उनके लिए क्या कर सकता हूँ।”
नाई ने कहा, “आपके पिता स्वर्ग में है, वैसे तो वहां किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती फिर भी यदि कोई वहां जाकर उनसे यह पूछकर आ जाए कि उन्हें वहा कोई तकलीफ तो नहीं है या उन्हें वहां किसी चीज की आवश्यकता तो नहीं है तो आप अपने पिता के लिए कुछ विशेष कर सकते है।”
बादशाह अकबर ने हैरानी से पूछा, “लेकिन कोई स्वर्ग जाकर वापस कैसे आ सकता है।” नाई ने उत्तर दिया, “जहाँपनाह, मैं एक ऐसे पंडित को जानता हूँ, जो किसी को भी स्वर्ग में भेज कर वापस ला सकता है।” तब बादशाह अकबर ने तुरन्त उस पंडित से मिलने की इच्छा जाहिर की।
नाई तुरन्त ही जाकर एक पंडित को ले आया। बादशाह अकबर ने पंडित से पूछा, “क्या वे किसी को स्वर्ग में भेज सकते है जो मेरे पिता के बारे में सारी जानकारी लेकर आ सके और यदि उन्हें वहां पर किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो मैं यहाँ से उन्हें वह वस्तु भिजवा सकूँ।”
तब पंडित ने कहा, “हाँ, मैं एक एसी विद्या जानता हूँ, जिससे मैं किसी को भी स्वर्ग भेज कर वापस बुला सकता हूँ, लेकिन इस कार्य के लिए कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो बहुत ही बुद्धिमान और चतुर हो जो बिना कहे भी सामने वाले की बात समझ सके और जो समय आने पर उचित निर्णय लेने की क्षमता रखता हो।”
बुरे फंसे बीरबल
बादशाह अकबर ने इस बारे में बहुत सोचा लेकिन उन्हें बीरबल के सिवा ऐसा कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दिया जो यह कार्य सफलतापूर्वक कर सके। उन्होंने तुरंत बीरबल को बुलाया और उन्हें अपनी इच्छा के बारे में बताया।
तब बीरबल ने कहा, “आपकी ख़ुशी के लिए मैं स्वर्ग जाने के लिए तैयार हूँ, लेकिन मैं एक बार उस पंडित से मिलकर स्वर्ग में जाने का पूरा तरीका समझना चाहता हूँ, जिससे किसी प्रकार की गलती होने के संभावना ना हो।”
बादशाह अकबर ने उसी समय पंडितको बुलाकर उसे स्वर्ग जाने की पूरी जानकारी बीरबल को देने के लिए कहा। तब पंडित ने बीरबल को बताया, “स्वर्ग में जाने के लिए आपके लिए राजमहल के पीछे वाले स्थान पर एक चिता बनाई जाएगी और कुछ मंत्र पढ़ते हुए उन्हें उसमें जला दिया जाएगा। जिसके बाद वे स्वर्गजाकर बादशाह अकबर के पिता ही नहीं उनके अन्य पूर्वजों के समाचार पूछ कर आ सकेंगे।”
बीरबल की स्वर्ग की सैर
पंडित से सारी जानकारी प्राप्त करने के बाद बीरबल को सारा मामला समझ में आ गया। उन्होंने बादशाह अकबर से कहा, “जहाँपनाह, स्वर्ग जाकर वापस आने में मुझे कई दिन लग सकते है, इसलिए आप मुझे पंद्रह दिन की मोहलत दीजिये।
जिससे मैं अपने परिवार के साथ कुछ दिन बिता सकूँ और उनके लिए खाने पीने व अन्य सामान की व्यवस्था कर सकूँ। तब तक आप भी समाधी स्थल पर चिता बनवाना प्राम्भ कर दे।”
बादशाह अकबर ने उन्हें पंद्रह दिनों का समय दे दिया। बीरबल अपने घर चले गए और ठीक पंद्रह दिन बाद दरबार मैं हाजिर हो गए। राजमहल के पीछे वाले स्थान पर बीरबल के लिए चिता बना दी गई थी।
पंडित ने बीरबल को चिता पर जाकर बैठने के लिए कहा। बीरबल जाकर चिता पर बैठ गए। मौलवी ने बीरबल पे जल छिडकते हुए कुछ मंत्र पढ़े और चिता में आग लगा।
बीरबल से जलने वाले सभी दरबारी व सेवक बहुत खुश थे, उन्हें बीरबल से छुटकारा जो मिल गया था। लेकिन उनकी ये ख़ुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी। कुछ महीने ही बीते थे, कि उन्होंने ये खबर सुनी कि बीरबल स्वर्ग की सैर करके वापस आ गए है।
बीरबल बादशाह अकबर के पूर्वजों का समाचार कल दरबार में सबके सामने बताएँगे। ये सुनकर वे सभी बड़े अचंभित हुए कि कोई स्वर्ग की सैर करके कैसे आ सकता है। सच जानने के लिए सभी दरबार में पंहुचे।
जैसे को तैसा
सबने देखा कि बीरबल की बाल और दाढ़ी काफी बढे हुए थे। बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल तुमने कहा था कि तुम मेरे पूर्वजों का समाचार पूरे दरबार के सामने सुनाना चाहते हो, अब जल्दी से बताओं मेरे पिताजी और अन्य पूर्वज कैसे है उन्हें वहां किसी चीज की कमी तो नहीं है।”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, स्वर्ग में आपके पिताजी और आपके सभी पूर्वज कुशल से है। उन्हें वहां पर किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है। लेकिन स्वर्ग मैं कोई नाई नहीं है, इसलिए सभी के बाल और दाढ़ी बहुत बढ़ गए है और इसके कारण उन्हें बड़ी असुविधा होती है।”
“आप सब देख सकते है मेरे बाल और दाढ़ी भी कितने बढ़ गए है। इसलिए उन्होंने अपने लिए एक नाई को स्वर्ग में भिजवाने के लिए कहा है।” बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर ने कहा, “कोई बात नहीं हम शीघ्र ही वहां पर अपने शाही नाई को भेज देंगे।”
बादशाह अकबर ने तुरंत अपने नाई को और पंडित को दरबार में आने का हुक्म दिया। उनके दरबार में पंहुचने पर बादशाह अकबर ने पंडित से कहा, “तुरन्त नाई को स्वर्ग भेजने का प्रबंध किया जाए। हम इस कार्य में किसी भी प्रकार की देरी होते नहीं देखना चाहते। जिससे हमारे पूर्वजों तक नाई को शीघ्रातिशीघ्र पंहुचाया जा सके।”
यह सुनकर नाई की घिग्घी बंध गई, वह बादशाह अकबर के पैरों में गिर गया और माफी मांगते हुए बोला, “मुझे क्षमा कर दिजिये हुजूर, मैं लालच मैं अँधा हो गया था। मैंने कुछ दरबारियों के कहने पर यह सारा नाटक किया था।” और फिर नाई ने उन सभी दरबारियों के नाम बादशाह अकबर को बता दिए।
स्वर्ग की सैर का रहस्य
सभी जानना चाहते थे कि बीरबल को तो सबके सामने चिता में जलाया गया था तो फिर वे कैसे बच गए। तब बीरबल ने बताया, “जहाँपनाह, ये तो हम सभी जानते है कि कोई भी व्यक्ति जीवित स्वर्ग में नहीं जा सकता और ना ही कोई व्यक्ति स्वर्ग में जाने के बाद वापस आ सकता है।”
“जैसे ही मैंने स्वर्ग जाने के तरीके के बारे में सुना मुझे यह पता चल गया था, कि यह मुझे मारने की योजना है। जो कि आप पर भावनात्मक दबाव डालकर मुझे मारने के लिए बनाई गई है।”
“यदि मैं उस समय आपसे कुछ कहता तो शायद आप ये समझते कि मैं आपके पूर्वजों के लिए कुछ करना ही नहीं चाहता हूँ। लेकिन यह भी सही था की इतनी बड़ी योजना नाई के दिमाग की उपज नहीं हो सकती इसलिए सभी षडयंत्रकारियों को पकड़ने के लिए मैंने यह योजना बनाई।”|
“मैंने आपसे पंद्रह दिनों का समय माँगा और चिता के स्थान के नीचे एक सुरंग बना दी थी जो सीधे मेरे घर तक जाते थी। जिससे मैं चिता से सीधा अपने घर पंहुच गया। और मैंने कुछ महीनों का इन्तजार किया, जिससे मेरे बाल और दाढ़ी काफी बढ़ जाए , और नाई के द्वारा सभी षडयंत्रकारियों तक पंहुचा जा सकें।”
बादशाह अकबर ने नाई के साथ-साथ सभी षडयंत्रकारियों को कठिन कारावास की सजा सुनाई।
तो देखा दोस्तों कैसे बीरबल ने अपने खिलाफ षड़यंत्र करने वाले लोगों को उन्ही के मुंह से सच बुलवाकर पकड़वाया। अलविदा दोस्तों अब चलती हूँ इस वादे के साथ की फिर मिलेंगे एक नए और मजेदार किस्से के साथ।
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