दर्जी और हाथी – Darji Aur Haathi
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – दर्जी और हाथी – Darji Aur Haathi – The Tailor and The Elephant
गोरखपुर शहर में एक दर्जी रामनाथ रहता था। वह लोगों के कपड़े सिल सिल कर बेचता था। वैसे तो वह बहुत ही दयालु था। वह लोगो की मदद करता रहता था। लेकिन उसे गुस्सा बहुत आता था और अपने गुस्से में उसे कुछ दिखाई नहीं देता था।
अपने गुस्से के कारण कई बार वह अपना नुकसान भी कर लेता था। लेकिन फिर भी वह अपने गुस्से पर काबू पाने में असमर्थ था |
रामनाथ और गजराज की दोस्ती
उस नगर के राजा का महावत उसके प्यारे हाथी गजराज को रोज नदी पर नहलाने के लिए ले जाता था। रास्ते में रामनाथ की दुकान पड़ती थी। गजराज रोज उसकी दुकान के सामने से निकलता और रामनाथ उसे कुछ ना कुछ खाने के लिए देता था।
गजराज भी उससे खाना लेकर खाने में बाद मजा आता। यदि किसी दिन रामनाथ बाहर आकर खाने के लिए कुछ खाने को नहीं देता, तो वह अपनी सूंड दुकान में घुसा कर तब तक रामनाथ को छेड़ता रहता, जब तक कि वो उसे खाने के लिए नहीं दे देता।
रामनाथ का गुस्सा
इसी तरह कई दिन गुजर गए। एक बार रामनाथ किसी बात से बहुत गुस्से में था। तभी गजराज वहां आकर दुकान के बाहर खड़ा होकर चिंघाड़ने लगा। लेकिन रामनाथ को तो अपने गुस्से के आगे कुछ सुनाई नहीं दिया।
जब काफी देर तक रामनाथ गजराज के लिए खाने के लिए नहीं लाया तो उसने अपनी सूंड उसकी दुकान में घुसा दी और रामनाथ को छेड़ने लगा। लेकिन उस दिन रामनाथ बहुत गुस्से में था।
उसे आज हाथी का छेड़ना अच्छा नहीं लगा और गुस्से ही गुस्से में वह अपने हाथ में पकड़ी सुई उसकी सूंड में चुभा दी गजराज ने दर्द से चिल्लाते हए अपनी सूंड बाहर खींच ली।
जैसे को तैसा
उसे रामनाथ पर बहुत गुस्सा आया।
वह नदी पर गया और नहाने के बाद अपनी सूंड में बहुत सारा पानी भर लिया। जैसे ही वह रामनाथ की दुकान पर पहुंचा, उसने अपनी सूंड का पूरा पानी उसकी दुकान पर डाल दिया।
रामनाथ और उसका सामान पूरा भीग जाता है। उसके सिले हुए सारे कपड़े खराब हो जाते हैं। अब उसे अपनी भूल का अहसास होता है और वह अपने व्यवहार पर बहुत पछताता है।
लेकिन अब पछताए होत क्या “जब चिड़िया चुग गई खेत”।
सीख
हमें अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए। गुस्सा दूसरों को कम खुद को ज्यादा नुकसान पंहुचाता है|
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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