कौआ और दुष्ट साँप – Koua Aur Dusht Saanp
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – कौआ और दुष्ट सांप – Koua Aur Dusht Saanp – The Crow and The Evil Snake
आ गया दुष्ट
एक जंगल में एक बरगद के पेड़ पर एक कौआ और कव्वी का जोड़ा एक घोंसले में बड़े प्रेम से रहता था। उसी पेड़ के खोखले तनें में एक दुष्ट सर्प भी आकर रहने लगा।
समय आने पर कव्वी ने अपने घोंसले में चार अंडे दिए। सांप उन अण्डों को खाने की फिराक में था। दोनों पति-पत्नी अपने अण्डों की बड़ी देखभाल करते। एक बाहर जाता तो दूसरा घोंसले में रहकर अपने अंडों की देखभाल करता।
एक दिन दोनीं ही किसी काम से बाहर चले गए, सांप को मौका मिल गया और उसने घोंसले में जाकर सारे अण्डों को खा लिया। जब कौआ और कव्वी वापस लौट के आए तो अपने अण्डों को ना पाकर बड़े दुखी हुए। लेकिन वे क्या कर सकते थे।
अगले साल कव्वी ने फिर अपने घोंसले में अंडे दिए। इस बार वे बहुत ही ज्यादा चौकन्ने थे। लेकिन फिर भी सांप ने मौका पाते ही उनके अण्डों को खा लिया। कव्वी बहुत रोई। लेकिन उनके बस में कुछ भी नहीं था।
दुश्मन की खोज
अगले साल कव्वी ने फिर अंडे दिए। कव्वी ने कौए से कहा, “क्या इस बार भी कोई हमारे बच्चों को खा जाएगा।” तब कौए ने कव्वी से कहा, “प्रिये अपने अण्डों को बचाने के लिए हमें पहले अपने शत्रु के बारे में पता लगाना होगा।”
इसलिए हम दूर से अपने घोंसले पर नजर रखेंगे और जैसे ही हमारा दुश्मन हमारे अण्डों को खाने आएगा। हम उस पर हमला करके उसे भगा देंगे।” कव्वी को कौए की सलाह सही लगी।
अगले दिन दोनों थोड़ी दूर दुसरे पेड़ पर बैठ गए और अपने घोंसले पर नज़र रखने लगे। तभी उन्होंने देखा कि उन्ही के पेड़ के तने की खोह से एक काला सर्प निकलकर उनके घोंसले की तरफ तेजी से बढ़ रहा था।
इससे पहले कि वे कुछ कर पाते सांप उनके अण्डों को निगल गया और तुरंत वापस खोह में चला गया। दोनों बहुत ही दुखी हुए इस बार भी वे अपने अण्डों को नहीं बचा सके।
कव्वी दुखी होकर रोने लगी, लेकिन कौए ने कव्वी को ढाँढस बंधाते हुए कहा, “प्रिये, तुम दुखी मत होओं, अब तो हमें अपने दुश्मन का पता चल गया है। अब हम अपने अण्डों कि सुरक्षा को कोई न कोई उपाय कर ही लेंगे।”
उम्मीद की किरण
अगले साल जब कव्वी के अंडे देने का समय निकट आया तो कौए ने कव्वी से कहा, “इस बार हम पेड़ की सबसे ऊपरी टहनी पर भी एक घोंसला बनायेंगे। तुम अपने अंडे उसी में देना हम सांप को पता नहीं चलने देंगे कि हमारे अंडे दूसरे घोंसले में है।”
कव्वी ने ऐसा ही किया। इस बार सांप को अण्डों का पता नहीं चल पाया और अंडों में से चार चूजे निकल आये। इस बार कौआ और कव्वी बहुत खुश थे। उधर सांप ने पुराना घोंसला खाली देखा तो उसे लगा कि कौए और कव्वी ने किसी दूसरे पेड़ पर घोंसला बना लिया है।
दुष्टता की पराकाष्ठा
लेकिन उसे रोज कौआ और कव्वी उसी पेड़ के आसपास उड़ते दिखाई देते और अब कुछ दिनों से तो कांव-कांव की आवाजे भी ज्यादा सुनाई देने लगी। जल्द ही सांप ने पता लगा लिया कि इस बार कव्वी ने अपना घोंसला पेड़ की सबसे ऊपर वाली डाल पर बनाया है और इस बार तो अण्डों में से चूजे भी निकल आये है।
वह फिर से इसी ताक में रहने लगा कि कब कौआ और कव्वी दोनों ही घोंसले में ना हो और वो चूजों को अपना भोजन बना सके। एक दिन उसे मौका मिल ही गया और उसने चारों चूजों को खा लिया और डकार मारता हुआ वापस अपनी खोह में आ गया।
जब कौआ और कव्वी वापस आये तो अपने घोंसले को खाली पाकर सन्न रह गए। घोंसले में उनके चूजों के कुछ पर पड़े थे। कव्वी जोर-जोर से रोने लगी, “क्या हर बार सांप मेरे बच्चों को इसी तरह से खा जाएगा।”
कमजोर की शक्ति – बुद्धि
उसने कौए से कहा, “हमें अब ये पेड़ छोड़कर किसी दूसरे पेड़ पर घोंसला बना लेना चाहिए।” लेकिन कौए ने कहा, “हम दूसरे पेड़ पर घोंसला बना भी लेंगे, तो भी सांप हमें ढूंढ ही लेगा। हमें सांप से छुटकारा पाने को कोई दूसरा उपाय करना पड़ेगा।”
कव्वी ने कहा, “लेकिन हम क्या कर सकते है, हम दोनों मिल कर भी सांप को नहीं मार सकते।” तब कौएने कहा, “जहाँ शक्ति काम नहीं आती वहां बुद्धि काम आती है, हमे कोई योजना बनाकर सांप का खात्मा करा पड़ेगा।”
“इसके लिए हमें हमारी मित्र लोमड़ी की सहायता लेनी होगी। वह बहुत ही चतुर है। वह हमारी समस्या का कोई ना कोई उपाय अवश्य ही बता ही देगी।”
कौआ और कव्वी तुरंत अपनी मित्र लोमड़ी के पास गए और उसे सारा हाल बताया। लोमड़ी ने कुछ देर सोचा और कहा, “सांप का तो मैं भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती। सांप से छुटकारा तो चतुराई से ही पाया जा सकता है। यदि शत्रु ज्यादा ताकतवर ही तो उस पर बुद्धि और धैर्य से ही विजय पाई जा सकती है, जिस तरह केकड़े ने बगुला भगत से छुटकारा पाया था।
दोनों – वो कैसे?
तब लोमड़ी ने उन्हे बगुला भगत और केकड़े की कथा सुनाई।
तब कौवे ने पुछा, “मित्र, क्या ऐसा कोई उपाय है जिससे इस सांप को भी मारा जा सकें।
लोमड़ी ने जवाब दिया, “हाँ-हाँ क्यों नहीं, यदि बुद्धि से काम लिया जाए तो सांप को भी मारा जा सकता है। इसके लिए मैं तुम्हे एक उपाय बताती हूँ, जिससे तुम्हें सांप से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।”
बुद्धि की युक्ति
फिर लोमड़ी ने उन्हें अपनी योजना बताई। जिसे सुनकर दोनों ख़ुशी से झूम उठे और उन्होंने कहा, “मित्र तुम्हारी योजना तो बहुत अच्छी है मुझे लगता है। अब हमें जल्द ही सांप से छुटकारा मिल जाएगा।”
दोनों वापस अपने घर आ गए।
अगले दिन वे अपनी योजना पर अमल करने के लिए नगर के राजमहल में चले गए। राजमहल में एक सरोवर था। सरोवर में बहुत से कमल के फूल खिले हुए थे। तभी उस नगर की राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ सरोवर में स्नान करने आई।
राजकुमारी ने अपने आभूषण सरोवर के किनारे एक कपड़े पर रखे और सरोवर में स्नान करने लगी। कौआ चुपके से उस कपड़े के पास गया और राजकुमारीके एक हीरेजड़ित हार को अपनी चोंच में उठा लिया।
राजकुमारी की सहेलियों का ध्यान कौए की ओर आकर्षित करने के लिए कव्वी ने कांव-कांव करना शुरू कर दिया।
जब राजकुमारी की सहेलियों ने कौए को राजकुमारी का हार उठाते हुए देखा तो उन्होंने सैनिकों को आवाज लगाई “पकड़ो-पकड़ो, वो कौआ राजकुमारी के हार को उठाकर ले जा रहा है। उसे पकड़ो।” उनकी पुकार सुनकर सैनिक कौए की तरफ दौड़ पड़े।
सैनिकों को अपनी ओर आता देख कर कौआ अपने घोंसले वाले बरगद के पेड़ की तरफ उड़ चला।
बुद्धि की जीत और दुष्टता का अंत
वह सैनिकों को अपने पीछे-पीछे भगाता हुआ, बरगद के पेड़ के पास ले आया और उसने बड़ी ही चतुराई से राजकुमारी का हार पेड़ के तनें की खोह में डाल दिया, जिसमें सांप रहता था।
सैनिकों ने खोह में झांक कर देखा तो उन्हें राजकुमारी के हार के साथ-साथ खोह में बैठा हुआ सांप भी दिखाई दिया। सैनिको ने अपना भाला खोह में डालकर सांप को घायल कर दिया।
जब घायल सांप फुंफकारता हुआ खोह से बाहर निकला तो सैनिकों ने अपने भालों से सांप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। उन्होनें खोह में से राजकुमारी का हार निकाला और वापस चले गए। कौआ और कव्वी को दुष्ट सांप से छुटकारा मिल गया था।
दोनों बहुत खुश थे क्योंकि उनके बच्चों को खाने वाला अब मर चुका था।
कौआ और दुष्ट साँप कहानी का वीडियो – Koua Aur Dusht Saanp
सीख
सूझ बूझ का उपयोग कर हम बड़ी से बड़ी ताकत और दुश्मन को हरा सकते हैं, बुद्धि का प्रयोग करके हर संकट का हल निकाला जा सकता है।
पिछली कहानी – लड़ती भेड़ें और सियार
मध्य की कहानी – बगुला भगत और केकड़ा
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
अगली कहानी – चतुर खरगोश और शेर
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