शेर और गीदड़ का बच्चा- Sher Aur Geedad Ka Baccha
पंचतंत्र की कहानियाँ – चौथा तंत्र – लब्धप्रणाशा – शेर और गीदड़ का बच्चा – Sher Aur Geedad Ka Baccha – The Lions & Jakal’s Cub
शेर का प्यारा परिवार
एक जंगल में एक शेर अपने शेरनी और दो छोटे दुधमुंहे बच्चों के साथ रहता था। शेर हमेशा जंगल में जाकर शिकार करता और अपनी पत्नी के लिए भोजन का प्रबंध करता था। एक रोज शेर को सारा दिन जंगल में भटकने पर भी कोई शिकार नहीं मिला।
शाम को वह थकाहारा अपनी माँद में लौट रहा था तो उसे एक गीदड़ का छोटा-सा बच्चा दिखाई दिया। उसे देखकर शेर को अपने बच्चों की याद आ गयी और उसका उसे मारने का मन नहीं हुआ।
परिवार में आया नया सदस्य
वह उसे उठाकर अपनी माँद में ले आया और शेरनी को देते हुए कहा,
🦁 शेर – प्रिये, आज मुझे एस गीदड़ के बच्चे के अलावा कोई भी शिकार नहीं मिला, लेकिन मेरा मन इसे मारने का नहीं हुआ इसलिए मैं इसे जीवित ही उठा कर ले आया हूँ। यदि तुम चाहो तो इसे मारकर अपना पेट भर सकती हो।
🦁 शेरनी – जब तुम एक पिता होते हुए भी इस छोटे से बच्चे को मार नहीं पाए तो मैं एक माँ होते हुए इसे कैसे मार सकती हूँ। इसे हम अपने साथ ही रख लेते है। मैं इसका अपने बच्चों के सामान ही पालन-पोषण करुँगी।
शेरनी उसे भी अपने दोनों बच्चों के सामान अपना दूध पिला कर पालने लगी। जल्द ही तीनों बच्चे थोड़े बड़े हो गए। तीनों एक साथ खेलते और मस्ती करते। शेर और शेरनी तीनों में बिना कोई भी भेद किये, तीनों का सामान रूप से पालन-पोषण कर रहे थे। उन्होंने अपने बच्चों के साथ-साथ गीदड़ के बच्चे को भी शिकार करना सिखाया।
गीदड़ तो गीदड़ ही होता है
एक दिन तीनों शेर के बच्चे और गीदड़ का बच्चा जंगल में खेल रहे थे, तभी एक बड़ा सा हाथी उधर आ गया।
शेर के बच्चे दहाड़ते हुए हाथी के तरफ बढ़ने लगे तो गीदड़ ने उन्हें रोकते हुए कहा,
🐺 गीदड़ – हाथी कितना विशालकाय जानवर है और हम बहुत छोटे है। यह हम तीनों को ही मार डालेगा। इसलिए हमें इससे दूर चले जाना चाहिए
इतना कहकर वह माँद की तरफ भाग गया। उसके भागते देख कर शेर के बच्चे भी उसके पीछे-पीछे घर लौट आये।
डरपोक बड़े भैया
घर पंहुचने पर शेर के बच्चों ने शेर-शेरनी को सारी बात बताते हुए गीदड़ की कायरता का मजाक उड़ाया। गीदड़ का बच्चा इस उपहास से बहुत गुस्सा हो गया और शेर के बच्चों पर झपटने लगा।
तब शेरनी ने उसे रोका और एक तरफ ले जाते हुए कहा,
🦁 शेरनी – बेटा, इतना गुस्सा करना ठीक नहीं है। वे तुम्हारे छोटे भाई है उनकी बातों को मजाक में ही टाल देना ठीक है।
लेकिन शेरनी के समझाने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ा। उल्टे उसे और ज्यादा गुस्सा आ गया और वह गुस्से से बोला,
🐺 गीदड़ – माँ, इतना होने पर भी तुम उनका ही पक्ष ले रही हो। मैं उनसे बड़ा हूँ। बल और बुद्धि में उनसे कम नहीं हूँ। यदि फिर कभी उन्होंने मेरा उपहास उड़ाया तो मैं उन्हें मार डालूँगा।
सच से सामना
तब शेरनी ने एक गहरी साँस ली और बोली,
🦁 शेरनी – बेटा, हमने तुमसे और अपने बच्चों से एक बात छुपा कर रखी थी, लेकिन मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि मैं तुम्हें तुम्हारी सच्चाई से अवगत करवा दूँ।
शेरनी की बात सुनकर गीदड़ का बच्चा शेरनी की तरफ उत्सुकता भरी नजरों से देखने लगा। तब शेरनी ने आगे कहा,
🦁 शेरनी – दरअसल तुम हमारे पुत्र नहीं हो तुम किसी गीदड़ के बच्चे हो। वनराज को तुम जंगल में मिले थे और वे तुम्हें उठाकर यहाँ ले आए थे। हमने तुम पर दया करके तुम्हें अपने बच्चों के सामान पाला है। हम अब भी तुम्हें अपना पुत्र ही समझते है और तुम्हारे भाइयों को भी ये बात पता नहीं है और वे भी तुम्हें अपना भाई ही समझते है।
लेकिन यदि तुम इसी तरह अपने भाइयों से झगड़ा करोगे और उन पर हमला करोगे तो तुम तो उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाओगे लेकिन उनके एक ही प्रहार से तुम्हारा अंत हो जायेगा। या हो सकता है जिस दिन उन्हें किसी तरह सच्चाई का पता चल जाए तोऔर वे तुम्हे मार डाले, क्योंकि सच्चाई को ज्यादा समय तक छुपा कर रखना असम्भव है।
मैंने तुम्हें अपना पुत्र ही माना है और मैं इस तरह तुम्हें अपनी जान गवांते नहीं देख सकती इसलिए अभी यहाँ से चले जाओ और अपनी बिरादरी के लोगों के साथ ही रहो जिससे तुम्हारा जीवन बचा रहेगा।
शेरनी के मुंह से अपनी सच्चाई जान कर गीदड़ चुपचाप वहां से चला गया और अपने समूह में रहने लगा।
सीख
सच हमेशा सच ही रहता है प्रजाति के गुण और दोषों को ज्यादा समय तक छुपाया नहीं जा सकता।
इसलिए एक कहावत है गीदड़, गीदड़ ही रहता और शेर, शेर।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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