ढोल की पोल – Dhol Ki Pol
पंचतंत्र की कहानियाँ – पहला तंत्र – मित्रभेद – ढोल की पोल – Dhol Ki Pol – The Drum’s Revelation
बज गया ढोल
पुराने समय की बात है, जब भी कनहीं दो राजों में युद्ध होता तो दिन में तो सेनाएं युद्ध करती और रात में आराम और मनोरंजन करती थी। इसके लिए राजा अपने साथ गाने बजाने वाले भाट और चारण भी अपने साथ लेकर जाते थे।
भाट और चारण पूरे दिन के युद्ध को देखते और रात को उस युद्ध के वीरों की कथाएं ढोल की थाप के साथ नाच-गाकर सुनाते और राजा और सैनिकों का मनोरंजन करते थे। ऐसे ही समय में एक जंगल के पास में दो राजाओं का भयंकर युद्ध हुआ।
युद्ध समाप्त होने पर दोनों सेनाये अपने-अपने राज्य में चली गई, लेकिन एक बड़ा सा ढोल वहीं छूट गया। एक बार बहुत तेज आंधी आई और वह ढोल लुढकता हुआ एक झाडी में जाकर फँस गया। अब जब भी हवा चलती झाड़ी की टहनियां ढोल से टकराती तो उसमें से जोर-जोर से ढमढमा-ढम की आवाज आती।
विचित्र जानवर से सामना
उसी जंगल में एक गीदड़ अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसका नाम गोमयु था। एक दिन वह शिकार की तलाश में उधर से गुजरा। उसे भी ढोल की आवाज सुनाई दी “ढमढमा-ढम”। जंगल में उसने ऐसी आवाज पहले कभी नहीं सुनी थी। वह डर गया। उसने आवाज की दिशा में देखा तो उसे झाड़ियों में फंसा हुआ ढोल दिखाई दिया।
उसने इससे पहले मोटे, गोल और ढम-ढम की आवाज करने वाले किसी जानवर को नहीं देखा था। वह उसको पास से जाकर देखना चाहता था, कि यह कैसा जानवर है? चलने वाला है या उड़ने वाला। लेकिन उसे डर था कि कहीं यह जानवर खतरनाक न हो।
इसलिए वह उस जानवर के बारे में पूरी जानकारी लेने के लिए एक पेड़ के पीछे छुप गया और उस पर नजर रखने लगा। तभी उसने देखा कि पास वाले पेड़ से एक गिलहरी दौड़ती हुई आई और उस ढोल पर कूद कर चढ़ गई और झाडी के फल खाने लगी।
खुल गया रहस्य
गिलहरी के कूदने से ढोल में से ढम की आवाज आई, लेकिन गिलहरी आराम से उस पर बैठ कर फल खाती रही और थोड़ी देर बाद चली गयी। यह देखकर गोमयु गीदड़ ने सोचा कि यह जानवर खतरनाक तो नहीं है।
वह धीरे-धीरे दबे पाँव उसके पास गया और चारों ओर घूम-घूम कर उसे देखा और उसे सूंघने की कोशिश करने लगा। तभी हवा के झोंके से झाडी की टहनी ढोल के चमड़े से टकराई और जोर से ढम कि आवाज आई। गीदड़ डर के मारे उछलकर दूर जा गिरा।
फिर अपना सर खुजाते हुए अपने आप से ही बोला, “लगता है यह जानवर के रहने का घर है और इसके दो दरवाजे है जब भी कोई इसके दरवाजे को छूता है तो वह जोर की आवाज करके उसे डरा देता है। इसकी जोरदार आवाज से तो लगता है यह बहुत ही बड़ा और मांसल जानवर होगा। इसे खाने में तो बहुत ही मजा आएगा।
आज तो दावत होगी
गीदड़ ने सोचा यदि मैं अकेले ही इसे एक दरवाजे से पकड़ने कि कोशिश करूँगा तो यह दूसरे दरवाजे से भाग जाएगा। इसे तो दोनों दरवाजों से घेरकर पकड़ना पडेगा। मैं घर जाकर अपनी पत्नी को लेकर आता हूँ। फिर दोनों मिलकर इसका शिकार करेंगे।
वह उसी वक्त अपने घर आ गया। घर आकर उसने अपनी पत्नी को बताया, “मैं जंगल में एक बहुत ही बड़े जानवर का पता लगाकर आया हूँ। चलों आज रात को हम दोनों उसकी ही दावत करते हैं।” उसके बाद उसने अपनी पत्नी को पूरी बात बताई।
चाँद निकलने के साथ ही गीदड़ और उसकी पत्नी दोनों ही उस ढोल के पास पंहुच गए। गीदड़ ने ढोल के एक तरफ अपनी पत्नी को खड़ा किया और दूसरी और खुद खड़ा हो गया और अपनी पत्नी को कहा, “अब हम दोनों एक साथ दोनों ओर से हमला करते है।” दोनों ने जोर से ढोल पर छलांग लगा दी।
पंचतंत्र की कहानियाँ – Panchtantra ki Kahaniyan
खुल गई ढोल की पोल
जोर की आवाज हुई, लेकिन यह क्या उन दोनों के सर एक दूसरे से जोर से टकराए और दोनों एक दूसरे से टकराकर बाहर गिर पड़े। दोनों के मुँह से जोर की चीख निकल गई। बेचारा गीदड़ अपने सर और कुल्हे सहलाता हुआ बड़ी मुश्किल से खड़ा हुआ।
ढोल के दोनों परदों में छेद हो गए थे। गीदड़ ने ढोल के छेद में से देखा वहा कहीं कुछ नहीं था। बेचारी उसकी पत्नी नीचे गिरी हुई कराह रही थी। बेचारा गीदड़ अपना सिर पकड़कर वहीं बैठ गया।
ढोल की पोल कहानी का वीडियो – Dhol Ki Pol
सीख
जिस तरह ढोल जोर-जोर से आवाज तो करता है लेकिन अन्दर से खोखला होता है। वैसे ही अपने बारें में बड़ी-बड़ी बाते कहकर शेखी बघारने वाले लोग भी अंदर से ढोल की तरह ही खोखले होते है। वे कुछ नहीं कर सकते।
तभी से कहावत है ढोल की पोल खुलना अर्थात कमजोरी उजागर हो जाना । इसी तरह की एक और कहावत है “थोथा चना बाजे घना” अर्थात जो अंदर से खोखला होता है वह जोर से बजता है।
पिछली कहानी – बंदर और लकड़ी का खूंटा
तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार, लगाने के लिए अगली डुबकी, .. .. .. ..
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