About
नमस्कार दोस्तों!!!
मेरा राखी शर्मा हूँ। मैंने लगभग 10 साल तक as a HR Manager काम किया था। लेकिन अब मैँ एक Home Maker (गृहणी) हूँ।
मेरी शिक्षा
B.Com from Rajasthan University
MBA in HR from National University
MSW from Vardhman Mahaveer Open University
Web Developing from Zed Career Academy
मेरे शौक
मुझे बचपन से ही कहानियों की किताबे और अखबार पढ़ने का बहुत शौक रहा है। मेरे पापा जब भी कहीं बाहर जाते थे तो हमेशा मेरे लिए कोई ना कोई किताब जरूर लाते थे। मैं जब तक उस किताब को पूरा नहीं पढ़ लेती थी तब तक मुझे चैन नहीं मिलता था।
किताबों व अखबार में प्रकाशित होने वाली पहेलियाँ, पजल हल करने मे मुझे बड़ा मजा आता था।
टीवी धारावाहिक और फिल्में देखना मुझे बहुत पसंद है। फिल्में देखने का शौक भी मुझे मेरे पापा के कारण ही लगा, क्योंकि उन्हें भी फिल्में देखने का बहुत शौक था और जब भी कोई नई फिल्म लगती थी, वे पूरे परिवार को जरूर दिखाते थे।
मैंने यह वेबसाईट क्यों बनाई?
आप भी सोच रहे होंगे कि मेरे शौक में लिखने का तो कहीं नामोनिशान भी नहीं है, फिर मैंने Blogging करने का कैसे सोचा? दरअसल मेरा बेटा मुझसे हर रात को कहानी सुनता था। यहाँ तक कि जब वो कॉलेज में पढने लगा तब भी उसे मुझसे कहानी सुनना अच्छा लगता था।
मैं जब मेरे भतीजो भतीजियों को कहानी सुनाती तो उन्हें भी मुझसे कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता, यहाँ तक कि जब आज के जमाने में बच्चें मोबाइल में लगे रहते है, वे रोज रात को मुझसे कहानी सुनने की जिद करते।
मुझे भी कहानी सुनाना बहुत अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि मैं भी बच्चों के साथ बच्ची बन गई हूँ।
मेरे बेटे की प्रेरणा
एक दिन मेरे बेटे ने मुझसे कहा “मम्मी आप कितनी अच्छी कहानी सुनाते हो क्यों न आप इन्टरनेट पर अपनी एक वेबसाइट बनाकर उस पर कहानियां लिखों। जिससे आपकी कहानियां और कहने का अंदाज लोगों तक पहुचेगा। इससे आप घर बैठे पैसे भी कमा सकती है। मुझे भी उसकी बात सही लगी।
आज के बच्चों को कहानियों के संसार से रूबरू करवाना
मैंने सोचा, हम तो संयुक्त परिवार में अपने दादा-दादी के साथ रहते थे और गर्मियों की छुट्टियों में नानी के यहाँ जाते थे। हम अपनी दादी-नानी से बहुत सी कहानियां सुनते हुए बढे हुए है। इन्हीं कहानियों से हमें जीवन दर्शन, व्यवहार व अनुशासन की शिक्षा मिली |
लेकिन आजकल के बच्चों का जीवन तो घर, विद्यालय, ट्यूशन आदि में ही बीत जाता है | संयुक्त परिवार रहे नहीं, माता पिता दोनों ही नौकरी करते है और अपने बच्चो को समय ही नहीं दे पाते | बच्चों का बचपन कहीं खो सा गया है।
वो घर में बड़ों का दुलार, और रात को दादा-दादी, नाना-नानी से कहानी सुनते हुए, कहानियों के संसार में खो जाना ये सब कहीं खो सा गया है। तो क्यों ना आजकल के बच्चों को भी कहानियों के सुनहरे संसार में ले जाया जाए। मैंने इस दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया।
अधिक से अधिक जानकारी लोगों तक पहुँचाना
पहले मैं केवल कहानियों के लिए ही वेबसाईट बनाना चाहती थी, फिर मुझे लगा कि मुझे मेरे पाठकों के लिए अन्य स्वास्थ्य, टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, पाक-कला, नए आविष्कार और इंटरनेट से जुड़ी जानकारियाँ भी उपलब्ध करवानी चाहिए। मैंने इस दिशा में भी कदम बढ़ा लिए।
www.lookinhindi.com मेरा एक छोटा सा प्रयास है आप तक नई-नई जानकारियाँ पहुँचाने का और इसे एक ऐसी जगह बनाने का जहाँ आप अपनी भागम-भाग भरी जिंदगी को थोड़ा सा विराम देकर अपना मनोरंजन कर सकें, कुछ सीखे, कुछ बनाएं और कुछ जानकारी प्राप्त कर सके। जिसमें आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।