अपना हाथ जगन्नाथ – Apna Haath Jagannaath
शिक्षाप्रद लघु कहानियाँ – चुन्नू-मुन्नू को चिड़ियाँ की सीख – अपना हाथ जगन्नाथ – Apna Haath Jagannaath – Bird’s Lesson to Chunnu-Munnu – God Helps Those Who Help Themselves
बहुत समय पहले की बात है। जानकीपुर गांव में एक सेठ श्रीनाथ अपनी पत्नी सुलक्षणा तथा अपने बेटे शोभित के साथ रहता था। उसके कई सारे खेत थे। उन खेतों में बहुत से मजदूर काम करते थे। परन्तु वह खुद कुछ भी काम नहीं करता था। बस मजदूरों को आदेश दे दिया करता। फिर वह उन पर ध्यान भी नहीं देता और खुद ही भूल जाता था कि उसने किसको क्या काम दिया था। इसलिए मजदूर भी उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। इस कारण उसे अपने खेतों से जितनी आय होनी चाहिए थी। उतनी नहीं हो पाती थी। लेकिन श्रीनाथ को इसका कारण समझ में नहीं आता था।
चिंकी की दुनियाँ
उसके एक खेत में एक चबूतरा था और चबूतरे के बीचों बीच एक जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत से पक्षी रहते थे। उन्ही पक्षियों के साथ चिंकी चिडिया भी अपने घोसले में अपने चार चूजो के साथ रहती थी। उसके बच्चे अभी बहुत छोटे थे। उन्होंने उड़ना भी नहीं सीखा था। इतने सारे पक्षियों के रहने के कारण उस चबूतरे पर गंदगी हो जाती थी। एक बार श्रीनाथ (सेठ) उस खेत में आया। जब उसने गन्दा चबूतरा देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसने अपने मजदूरों को बुलाया।
👳 श्रीनाथ : ये चबूतरा कितना गन्दा हो रहा है। बैठने के लिए भी कोई जगह नहीं है। तुम लोग इसकी सफाई नहीं करते हो ?
👨🌾 मजदूर : मालिक, हम रोज इसकी सफाई करते है। लेकिन इस जामुन के पेड़ पर बहुत सारे पक्षी रहते है। वे फिर से इसे गन्दा कर देते है।
👳 श्रीनाथ : अच्छा तो फिर इस पेड़ को ही काट दो। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। जब पेड़ ही नहीं रहेगा, तो पक्षी भी नहीं होगे और गंदगी भी नहीं होगी।
👨🌾 मजदूर : ठीक है मालिक, हम जल्दी ही इस पेड़ को काट देंगे।
👳 श्रीनाथ : ठीक है, मैं जब अगली बार आऊं तो मुझे यह पेड़ यहाँ नहीं दिखना चाहिये।
👨🌾 मजदूर : ठीक है मालिक।
खेत के मालिक की बात सुनकर चिंकी चिडिया के बच्चे बहुत ही परेशान हो जाते है।
🐣 चुन्नू चूजा : माँ माँ आपने सुना, खेत का मालिक अपने मजदूरों से क्या कह रहा था।
🐦 चिंकी चिडिया : हाँ, सुना लेकिन अभी तुम लोगो को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम सभी आराम से रहो।
🐣 मुन्नू चूजा : लेकिन माँ, खेत के मालिक ने तो पेड़ काटने के लिए बोल दिया है, यदि पेड़ कट जायेगा तो हम कहाँ रहेंगे।
🐦 चिंकी चिडिया : मैंने कहा न, अभी चिंता की कोई बात नहीं है।
इसी तरह कुछ दिन बीत जाते है। एक दिन सेठ फिर उस खेत में अपने बेटे शोभित के साथ आता है और उसे फिर से गन्दा चबूतरा मिलता है। वह गुस्से में अपने मजदूरों को बुलाता है।
👳 श्रीनाथ : मैं जब पिछली बार आया था तब मैंने इस पेड़ को काटने के लिए कहा था, लेकिन ये पेड़ अभी भी यहीं है। तुम लोगो ने इसे अभी तक नहीं काटा।
👨🌾 मजदूर : मालिक, अभी खेतों में जुताई का काम चल रहा था, तो हम इसे काटना भूल गए। लेकिन इस बार आपके आने से पहले हम इस पेड़ को काट देंगे।
👳 श्रीनाथ : ठीक है, मैं जब अगली बार आऊं तो मुझे यह पेड़ यहाँ नहीं दिखना चाहिये।
👨🌾 मजदूर : ठीक है मालिक।
श्रीनाथ फिर से अपने मजदूरों को आदेश देकर चला जाता है। श्रीनाथ की बात सुनकर चिंकी चिडिया के बच्चे फिर से परेशान हो जाते है।
🐣 चुन्नू चूजा : माँ माँ आपने सुना, खेत का मालिक अपने मजदूरों पर कितना गुस्सा होकर गया है।
🐦 चिंकी चिडिया : हाँ, सुना लेकिन अभी तुम लोगो को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम सभी आराम से रहो।
🐣 मुन्नू चूजा : लेकिन माँ, अब तो ये मजदूर इस पेड़ को काट ही देंगे।
🐦 चिंकी चिडिया : मैंने कहा न, अभी चिंता की कोई बात नहीं है।
चिंकी चिडिया की बात सुनकर उसके बच्चे आराम से रहने लग जाते है। लेकिन इस बार तीन-चार दिन बाद ही सेठ अपने बेटे को साथ खेत पर आ जाता है और पेड़ को वहीँ देखकर उसे बहुत गुस्सा आता है।
👳 श्रीनाथ : शोभित, देखो ये पेड़ अभी तक यहीं खड़ा है, मजदूरों ने इसे अभी तक नहीं काटा है। अब ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम खुद यहाँ आकर इस पेड़ को कटवा दो।
👦 शोभित : जी पिताजी, मैं जल्द ही यहाँ आकर मजदूरों से ये पेड़ कटवा दूंगा। आप चिंता न करें।
👳 श्रीनाथ : ठीक है, अब मैं तुम्हारे भरोसे पर ये काम छोड़ कर जा रहा हूँ, आशा है तुम मुझे निराश नहीं करोगे।
👦 शोभित : नहीं पिताजी, आप चिंता ना करें। इस बार आपको यह पेड़ यहाँ नहीं दिखेगा।
सेठ अपने बेटे शोभित को जिम्मेदारी देकर वापस चला जाता है। श्रीनाथ की बात सुनकर चिंकी चिडिया के बच्चे फिर से परेशान हो जाते है।
🐣 चुन्नू चूजा : माँ माँ आपने सुना, खेत का मालिक अब अपने बेटे को पेड़ काटने की जिम्मेदारी देकर गया है। अब तो ये पेड़ जरूर कट जायेगा। अब हम कहाँ रहेंगे।
🐦 चिंकी चिडिया : हाँ, सुना लेकिन अभी भी तुम लोगो को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम सभी आराम से रहो। लेकिन अब तुम्हे उड़ना सीखना चालू कर देना चाहिए।
🐣 मुन्नू चूजा : ठीक है माँ, लेकिन अब तो सेठ का बेटा जल्द ही इस पेड़ को कटवा देगा।
🐦 चिंकी चिडिया : मैंने कहा न बच्चों, अभी चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन तुम्हे जल्द ही उड़ना सीखना होगा।
चिंकी चिडिया अपने बच्चों को उड़ना सीखाने लग जाती है और बच्चे भी बड़े मनोयोग से उड़ना सीखने लग जाते है। तीन-चार दिनों में ही चिंकी के बच्चे थोडा थोडा उडने लग जाते है। उन्हें मन ही मन डर भी लगता था कि शोभित आकर इस पेड़ को कटवा देगा, लेकिन एक सप्ताह बीतने तक भी शोभित वहाँ नहीं आता है। एक सप्ताह बीतने पर सेठ फिर अपने बेटे को साथ खेत पर आया और पेड़ को वहीँ देखकर उसे बहुत गुस्सा आया।
👳 श्रीनाथ : शोभित, ये पेड़ अभी तक यहीं खड़ा है, मैंने यह जिम्मेदारी तुम्हे सौपी थी, लेकिन तुमने भी इसे नहीं कटवाया।।
👦 शोभित : पिताजी, मैं एक दो दिन में इस पेड़ को कटवाने ही वाला था, लेकिन उससे पहले ही आप यहाँ आ गए।
👳 श्रीनाथ : एक दो दिन मैं, मैंने तुमसे ये काम एक सप्ताह पहले बोला था, लेकिन तुमने अभी तक ये काम नहीं किया तो अब एक दो दिन में क्या करोगे। यदि तुम्हे करना ही होता मेरे कहने के दूसरे दिन ही तुम इसे कटवा देते।
👦 शोभित : मुझे माफ कर दीजिये पिताजी, मै कल ही इस पेड़ को कटवा दूंगा।
👳 श्रीनाथ : नहीं, अब तुम रहने दो, मैं कल खुद ही आकर इस पेड़ को अपने सामने कटवाऊंगा। (श्रीनाथ की बात सुनकर चिंकी चिड़िया के बच्चे बहुत घबरा जाते हैं)
आ गया वो दिन
🐣 चुन्नू चूजा : माँ माँ आपने सुना, खेत का मालिक कल खुद पेड़ काटने के लिए आएगा। अब हम क्या करेंगे।
🐦 चिंकी चिडिया : हाँ सुना, अब ये चिंता की बात है हमें कल सुबह ही यहाँ से निकलना पड़ेगा।
🐣 मुन्नू चूजा : लेकिन माँ अभी तो हमें पूरी तरह से उड़ना भी नहीं आया है।
🐦 चिंकी चिडिया : कोई बात नहीं, मैंने पास ही के खेत मैं अपना नया घोंसला तैयार कर लिया है। हम सुबह जल्दी निकलेंगे तो शाम तक वहां पहुँच ही जायेंगे।
🐣 मुन्नू चूजा : माँ, मैं एक बात पूंछू।
🐦 चिंकी चिडिया : हाँ बेटा, पूछों।
🐣 मुन्नू चूजा : आज से पहले जब भी खेत के मालिक ने पेड़ काटने के लिए कहा तो आपने हमें चिंता न करने के लिए कहाँ। लेकिन अब आप इतनी जल्दी क्यों कर रही है, जबकि हमें पूरी तरह से उड़ना भी नहीं आया है। क्यों न हम अभी दो चार दिन बाद यहाँ से जाए। जब तक हमें अच्छे से उड़ना भी आ जायेगा।
🐦 चिंकी चिडिया : नहीं मेरे बच्चों, अब हमारे पास समय नहीं है। पहले श्रीनाथ ने ये काम दूसरों के भरोसे छोड़ा हुआ था, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं थी। लेकिन अब श्रीनाथ खुद इस काम को करने वाला है, तो अब वह ये पेड़ कल जरूर काट देगा।
🐣 मुन्नू चूजा : वो क्यों माँ?
🐦 चिंकी चिडिया : बेटा, जब हम कोई काम दूसरों को देते है और उस पर नजर व अपना नियंत्रण भी नहीं रखते, तो लोग हमें व हमारी बातों को गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन जब हम खुद किसी काम को करने की ठान लेते है तो वो काम समय पर पूरा हो जाता है। पहले सेठ कोई भी काम दूसरों को देकर उनके भरोसे बैठा रहता था कि वे लोग उसका काम कर देंगे। लेकिन इस बार उसने इस काम को गंभीरता से लिया है, इसलिए अब जब श्रीनाथ ये कह रहा है कि वो कल खुद ही इस पेड़ को काटेगा तो अब ये पेड़ जरूर कट जायेगा।
~~~ श्रीनाथ ने चिंकी चिड़िया और उसके बच्चों की बातचीत सुनी तो उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। उसे समझ में आ गया कि उससे कहाँ गलती हुई है। उसे समझ में आ गया कि उसने अपनी खेती केवल मजदूरों के भरोसे ही छोड़ रखी थी।
वह खुद अपने खेतों और मजदूरों पर अपना नियंत्रण नहीं रखता था, इसलिए इतने खेत होते हुए भी उसे पर्याप्त आय नहीं होती थी। उसे देख कर उसका बेटा भी लापरवाह हो गया था।
अब उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि अब से वह रोज अपने खेतों में जाया करेगा और अपने मजदूरों से पूरा काम करवाएगा। अब उसने पेड़ कटवाने का इरादा भी बदल दिया। ~~~
👳 श्रीनाथ : धन्यवाद चिंकी चिड़िया, तुम्हारी वजह से मुझे एक बहुत बड़ी सीख मिली है। अब तुम्हे कहीं दूसरी जगह जाने की जरूरत नहीं हैं। मैं अब ये पेड़ नहीं कटवाऊंगा। तुम अपने बच्चों के साथ ख़ुशी से यहीं पर रहों। अब मैं ये ध्यान रखूँगा कि मेरे मजदूर रोज इस चबूतरे को साफ कर दे और तुम पक्षियों के दाने पानी का भी इंतजाम करें।
श्रीनाथ की बात सुनकर चिंकी चिड़िया के बच्चें ख़ुशी से नाचने लग जाते है। अब चिंकी चिड़िया अपने बच्चों के साथ वहीँ रहने लग जाती है।
श्रीनाथ भी रोज खेतों में आकर मजदूरों से पूरा काम करवाता जिसमे उसका बेटा शोभित भी उसकी पूरी मदद करता। श्रीनाथ व शोभित की कड़ी मेहनत से इस बार उसके खेतों में बहुत अच्छी फसल होती है। और उसे खूब मुनाफा होता है।
सीख
अपना हाथ जगन्नाथ, स्वावलंबन से हम अपनी तकदीर बदल सकते है। जब हम अपना काम समय पर खुद ही करना चालु करेंगे तो ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है जो हासिल ना किया जा सकें।
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तो दोस्तों, “कैसी लगी ये रीत, कहानी के साथ-साथ मिली सीख”? आशा करती हूँ आप लोगों ने खूब enjoy किया होगा।
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