अशर्फियों की थैली – Asharfiyon Ki Theli
अकबर बीरबल के किस्से – अशर्फियों की थैली – Asharfiyon Ki Theli – The Bag of Gold Coins
नमस्कार दोस्तों, आज मैं फिर आपके लिए लाई हूँ, अकबर-बीरबल के किस्सों की लड़ियों में से एक और मजेदार किस्सा। आप जानते ही है कि बीरबल किसी भी मसले का अपनी समझदारी से हल निकाल लेते थे। आज के इस किस्से में उन्होंने विज्ञान के सिद्धांतों का प्रयोग कर एक जटिल व अनोखे मसले का हल चुटकियों में निकाल दिया। तो फिर देर किस बात की चलिए जानते है इस अनोखे मुकदमें के बारें में :
अकबर के दरबार में अनोखा मुकदमा
एक बार बादशाह अकबर के दरबार में अनोखा मुकदमा आया। एक तेली और एक धोबी एक अशर्फियों की थैली पर अपना-अपना हक जमा रहे थे। दोनों ही अशर्फियों की थैली को अपना और दूसरे को चोर बता रहे थे। अशर्फियों की थैली धोबी के हाथ में थी। बादशाह अकबर ने उनसे एक-एक करके अपनी बात रखने के लिए कहा। उन्होंने तेली से पहले अपनी बात रखने के लिए कहा।
तेली बोला, “जहाँपनाह, आज सुबह यह धोबी मेरे पास तेल लेने के लिए आया था और उसने मुझसे पांच अशर्फियों का तेल मांगा और उसने मुझे पांच अशर्फियां दे दी। मैंने वे पांच अशर्फियां गिनकर अपनी थैली में रखी और थैली नीचे रखकर तेल तोलने लगा।”
“तभी इस धोबी ने मेरी थैली उठा ली। मैंने इसे थैली उठाते हुए देख लिया और मैंने तुरंत इसका हाथ लिया और कहा, “तुम मेरी थैली क्यों उठा रहे हो?” तो धोबी ने कहा कि “यह थैली मेरी है।” और मुझसे झगड़ा करने लगा। मुझे न्याय चाहिए महाराज, मुझे मेरी अशर्फियों की थैली वापस दिलवा दीजिये।”
तभी धोबी बीच में ही बोल पड़ा, “नहीं-नहीं जहाँपनाह, ये तेली झूठ बोल रहा है, यह अशर्फियों की थैली इसकी नहीं है। हाँ, मैं आज सुबह इसकी दुकान पर तेल लेने के लिए गया था और मैंने इससे पांच अशर्फियों का तेल देने के लिए कहा और अपनी अशर्फियों की थैली में से कुछ अशर्फियां निकाली और पांच अशर्फियाँ गिनने के लिए मैंने अपनी थैली नीचे रखी, तभी इस तेली ने मेरी थैली उठा ली।
मैंने इसे थैली उठाते हुए देख लिया और उसका हाथ पकड़कर बोला, “तुम मेरी थैली क्यों उठा रहे हो?” तो इसने कहा, “यह थैली मेरी है।” और मुझसे झगड़ा करने लगा। मुझे न्याय चाहिए महाराज, ये अशर्फियों की थैली मेरी है और मैं इसे किसी को भी नहीं दूंगा।”
बीरबल का वैज्ञानिक इंसाफ
तेली और धोबी दोनों ही अशर्फियों की थैली पर अपना हक जता रहे थे और कोई दूसरा गवाह भी नहीं था, जो यह बता सके कि कौन झूठ बोल रहा है। तब अकबर ने बीरबल से इस मुकदमे का निपटारा करने के लिए कहा। बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, मुझे इसका निपटारा करने के लिए एक बड़े बर्तन में पानी चाहिए |”
बादशाह के इशारे पर एक दासी बड़े बर्तन में पानी लेकर आ गई। बीरबल ने धोबी से अशर्फियों की थैली ली और पानी के बर्तन में डाल दी। सब लोग बड़ी उत्सुकता से बीरबल के इस कृत्य को देख रहे थे। थोड़ी देर बीतने के पश्चात बीरबल ने कहा, “बादशाह सलामत, यह अशर्फियों की थैली तेली की है|”
तभी धोबी बीच में ही बोल पड़ा, “नहीं-नहीं, यह अशर्फियों की थैली मेरी है, बीरबल जी ऐसा कैसे कह सकते हैं, कि यह अशर्फियों की थैली तेली की है।
तब बीरबल ने कहा, “बादशाह सलामत, मैंने सच जानने के लिए कि यह अशर्फियों की थैली वास्तव में किसकी है, इसे पानी के बर्तन में रखा और आप सब देख सकते हैं कि पानी पर खूब सारा तेल आ गया है। क्योंकि तेली के तेल लगे हाथ बार-बार लगने से इस अशर्फियों की थैली के कपडे ने तेल सोख लिया था। थैली को पानी में रखने से इसका सारा तेल बाहर निकलकर पानी पर तैरने लगा। इससे ये सिद्ध होता है कि यह अशर्फियों की थैली तेली की है और धोबी झूठ बोल रहा है।”
जब बादशाह अकबर ने गुस्से से धोबी की तरफ देखा तो धोबी हाथ जोड़ कर अपने घुटनों पर बैठ गया और कहा, “मुझे माफ कर दीजिये जहाँपनाह, इतनी सारी अशर्फियाँ देख कर मुझे लालच आ गया था।”
गुनहगार को सजा
बादशाह अकबर ने कहा, “तुमने केवल तेली को ही धोखा देने की कोशिश नहीं की बल्कि हमारी आँखों में भी धूल झोंकने की गलती की है, तुम्हें माफ नहीं किया जा सकता।” इतना कहकर बादशाह अकबर ने अपने सैनिको को धोबी को पकड़कर कारागार में डालने का आदेश दिया और बीरबल को इनाम के तौर पर हीरे की अंगूठी भेंट में दी। दरबार में भी सब बीरबल की बुद्धिमानी की प्रसंशा कर रहे थे।
तो देखा न दोस्तों विज्ञान के एक छोटे से सिद्धांत, कि तेल पानी पर तैरता है, से बीरबल ने इतने बड़े मसले को कितनी सहजता से हल कर दिया। अकबर-बीरबल का हर किस्सा हमें कुछ न कुछ सीख और ज्ञान देकर जाता है|
यदि किसी मसले को ध्यान लगाकर बारीकी से देखा जाए तो उसका हल बड़ी सरलता से निकाला जा सकता है। तो आज के लिए बस इतना ही फिर मिलेंगे एक और मजेदार और मस्ती भरे किस्से के साथ तब तक के लिए, “आदाब”।
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