बंदर और मगरमच्छ – Bandar Aur Magarmacch
पंचतंत्र की कहानियाँ – चौथा तंत्र – लब्धप्रणाशाबंदर और मगरमच्छ – Bandar Aur Magarmacch – The Monkey And The Crocodile
बन्दर की दुनियाँ
नंदन वन एक घना जंगल था। उसमें सब जानवर हिल मिल कर रहते थे। वे हमेशा एक दुसरे के मदद करते थे। नंदन वन के बीचों बीच एक नदी बहती थी। उसके किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक रक्तमुख नामक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर सभी ऋतुओं में बहुत ही मीठे-मीठे जामुन लगते थे।
उसी नदी के दूसरे किनारे पर करालमुख मगरमच्छ अपनी पत्नी ग्राहिका के साथ रहता था। रक्तमुख बन्दर मीठे-मीठे जामुन खाता और एक डाल से दूसरी डाल पर कूदता रहता, जिससे कुछ जामुन नीचे गिर जाते। एक दिन करालमुख मगरमच्छ खाना तलाशते हुए जामुन पेड़ के पास आया।
उसने नीचे गिरे हुए जामुन खाए उसे जामुन बहुत मीठे लगे। उसने रक्तमुख से कहा,
🐊 करालमुख – रक्तमुख, इस पेड़ के जामुन तो बड़े ही मीठे है। मुझे बड़े अच्छे लगे क्या तुम मुझे कुछ और जामुन खाने के लिए दोगे?
🐒 रक्तमुख – हाँ-हाँ, क्यों नहीं। इस पेड़ के जामुनों पर सिर्फ मेरा ही नहीं सभी का अधिकार है।
इतना कहकर रक्तमुख ने जोर से पेड़ की एक डाली हिलाई और खूब सारे जामुन नीचे गिरा दिए। करालमुख ने जामुन खाकर रक्तमुख को धन्यवाद दिया।
ये तेरी मेरी यारी
अब तो करालमुख रोज नदी के किनारे आता, रक्तमुख उसके लिए जामुन गिराता। जिन्हें वह खा लेता, फिर दोनों बैठ कर बहुत सारी बातें करते।
ऐसा करते-करते कई दिन बीत गए। एक दिन रक्तमुख ने करालमुख को कुछ जामुन देते हुए कहा,
🐒 रक्तमुख – मित्र, तुम तो रोज हो ऐसे मीठे जामुन खाते हो, आज कुछ जामुन मेरी भाभी के लिए भी ले जाओ।
🐊 करालमुख – मित्र, मेरी भी इच्छा थी कि मैं अपनी पत्नी के लिए भी ये मीठे जामुन ले कर जाऊं, लेकिन मुझे मांगने में संकोच हो रहा था।
🐒 रक्तमुख – अरे मित्र दोस्ती में संकोच कैसा? अब से तुम रोज भाभी के लिए भी जामुन ले जाया करना।
ग्राहिका की नाजायज मांग
करालमुख ने वे जामुन ले जाकर अपनी पत्नि को देते हुए कहा,
🐊 करालमुख – देखों प्रिये, मेरे मित्र रक्तमुख बन्दर ने तुम्हारे लिए ये स्वादिष्ट जामुन भेजे है।
ग्राहिका ने वे जामुन खाए, उसे जामुन बहुत स्वादिष्ट लगे। उसने मन ही मन सोचा कि ये जामुन कितने मीठे है। ऐसे मीठे जामुन रोज खाने वाले का कलेजा कितना मीठा होगा। यह सोचकर उसने करालमुख से बड़े प्यार से कहा,
🐊 ग्राहिका – सुनो जी, आपका दोस्त रोज ऐसे मीठे-मीठे जामुन खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। मुझे आपके दोस्त रक्तमुख बन्दर का कलेजा खाना है। कल आप मेरे लिए उसका कलेजा लेकर आना।
🐊 करालमुख – (थोडा गुस्से से) ग्राहिका, रक्तमुख बन्दर मेरा दोस्त है। मैं उसका कलेजा नहीं ला सकता। आज के बाद तुम कभी एसी बात भी मत करना।
उसके बाद कई दिनों तक दोनों में इस विषय में कोई बात नहीं हुई। करालमुख पहले की तरह रोज रक्तमुख के पास जाता, जामुन खाता, ढेर सारी बाते करता और अपनी पत्नी के लिए भी जामुन लाता।
करालमुख तो कलेजे वाली बात लगभग भूल ही गया था, लेकिन ग्राहिका के मन से ये बात निकल ही नहीं रही थी। वह जब-जब मीठे जामुन खाती, उसके मन में रक्तमुख बन्दर का कलेजा खाने की इच्छा और बढ़ जाती। लेकिन वह जानती थी कि करालमुख ऐसे उसकी बात नहीं मानेगा।
ग्राहिका की साजिश
इसलिए उसने एस योजना बनाई, अब जब भी करालमुख बाहर जाकर वापस आता, वह बीमारी का बहाना बना कर सो जाती उसके सामने कुछ भी नहीं खाती। यहाँ तक कि वह मीठे जामुनों को भी हाथ नहीं लगाती। ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए।
🐊 करालमुख – (चिंतित होते हुए) प्रिये, मैं देख रहा हूँ कि कुछ दिनों से तुम बहुत बीमार रहती हो, कुछ भी खाती-पीती नहीं हो इस तरह से तो तुम बिल्कुल कमजोर हो जाओगी। तुम किसी वैद्य से अपना इलाज क्यों नहीं करवाती।
🐊 ग्राहिका – (मासूम बनने का नाटक करते हुए) मैंने वैद्य को अपनी बीमारी बताई थी और उसने इसकी दवा भी बताई थी, लेकिन तुम वो दवा मेरे लिए नहीं ला सकोगे।
🐊 करालमुख – (आश्चर्य से) वैद्य ने एसी कौन सी दवा बताई थी, जो मैं नहीं ला सकता!
🐊 ग्राहिका – उन्होंने मुझे किसी बन्दर का मीठा कलेजा खाने के लिए कहा था। लेकिन तुम तो वह मेरे लिए नहीं लाओगे। इसलिए मैंने तुमसे कुछ नहीं कहा।
अब करालमुख पत्नी चुने या दोस्त ?
करालमुख मगरमच्छ असमंजस में पड़ गया। एक ओर तो उसकी पत्नी थी और दूसरी ओर उसका मित्र। लेकिन वह अपनी पत्नी को भी अपने सामने मरते हुए नहीं देख सकता था इसलिए बहुत विचार करने के बाद उसने उससे कहा,
🐊 करालमुख – मैं अपने मित्र को नहीं मार सकता।
🐊 ग्राहिका – तुम अगर अपने दोस्त को नहीं मार सकते तो कोई बात नहीं, बस तुम उसे अपने यहाँ दावत खिलाने के बहाने से यहाँ ले आओ। मारने का काम मैं कर लुंगी।
करालमुख अपने मित्र के साथ धोखा नहीं करना चाहता था, लेकिन अपनी पत्नी कि जिद के सामने उसकी एक ना चली और वह रक्तमुख को घर लाने के लिए तैयार हो गया।
बड़े दुखी मन से करालमुख रक्तमुख के पास पंहुचा और उससे कहा,
🐊 करालमुख – मित्र रक्तमुख, तुम्हारी भाभी तुमसे मिलना चाहती है इसलिए उसने तुम्हे मेरे घर दावत पर बुलाया है।
🐒 रक्तमुख बंदर – तुम तो नदी के उस पार रहते हो और मुझे तो तैरना भी नहीं आता मैं कैसे तुम्हारे घर पर आ सकूँगा?
🐊 करालमुख – मित्र तुम इसकी चिंता मत करों, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठा कर ले जाऊँगा। जिससे तुम सुरक्षित मेरे घर तक पंहुच जाओगे।
दोस्त दोस्त ना रहा
रक्तमुख बन्दर झट से करालमुख की पीठ पर सवार हो गया। उसे नदी में घुमने में बड़ा आनंद आ रहा था। वह कभी पानी में हाथ डालता तो कभी हाथ में पानी लेकर हवा में उछालता।
🐒 रक्तमुख – मित्र, तुम्हरी पीठ पर बैठ कर नदी में सैर करने में तो बड़ा मजा आ रहा है। मैं तो तुम्हारे घर जाते ही भाभी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा, क्योंकि उनकी वजह से ही मुझे नदी में सैर करने का आनंद मिला है।
तब करालमुख को मन ही मन बहुत ही बुरा लगा।
🐊 करालमुख – (बड़े उदास स्वर में) क्षमा करना मित्र, मैंने तुमसे झूठ कहा कि मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है। बल्कि वो तो तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है।
यह सुनकर एक बार तो रक्तमुख का कलेजा धक् से रह गया। उसे बहुत दुःख हुआ कि जिस मित्र पर उसने इतना भरोसा किया उसने ही उसे धोखा दे दिया है।
रक्तमुख की समझदारी
वे नदी के बोचों बीच पंहुच चुके थे। अब तो वह भाग भी नहीं सकता था। क्षण भर के लिए तो उसे कुछ समझ में नहीं आया कि क्या किया जाए। लेकिन उसने धेर्य नहीं खोया और अपने दुःख को काबू करके हँसते हुए बोला
🐒 रक्तमुख – अरे मित्र, ये तुमने पहले क्यों नहीं बताया। तुम्हे शायद पता नहीं. हम बन्दर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदते फांदते रहते है। हमारा कलेजा गिर ना जाए इसलिए हम उसे संभाल कर पेड़ पर टांग कर रखते है। मेरा कलेजा तो वहीँ जामुन के पेड़ पर लटका हुआ है। यदि भाभी को मेरा कलेजा खाने में ख़ुशी मिलती है, तो मुझे मेरा कलेजा तुम्हे देने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इसके लिए तुम्हें मुझे वापस जामुन के पेड़ पर ले जाना होगा, जिससे मैं तुम्हे कलेजा लाकर दे संकू।
करालमुख को रक्तमुख की बातों पर विश्वास हो गया और वह वापस मुड कर उसे जामुन के पेड़ के पास ले गया।
अलविदा दोस्त
जैसे ही जामुन का पेड़ नजदीक आया, रक्तमुख छलांग लगाकर किनारे पर कूद गया और पेड़ पर चढ़ते हुए कहा,
🐒 रक्तमुख – तुम यहीं रुको मित्र मैं अभी कलेजा लेकर आता हूँ।
वह झट से जामुन के पेड़ पर चढ़ गया और बोला,
🐒 रक्तमुख – मित्र करालमुख, तुम मुर्ख हो! यदि किसी के शरीर में कलेजा ही नहीं होगा तो वह जीवित कैसे रह पाएगा? मैंने तुमसे मित्रता की थी, लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया इसलिए आज से तुम्हारी और मेरी मित्रता ख़त्म! अब तुम यहाँ से चले जाओ और अब कभी यहाँ पर मत आना।
करालमुख को अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ। लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। उसने रक्तमुख से बहुत माफी मांगी लेकिन रक्तमुख ने उसे माफ नहीं किया। थक हार कर वह बड़े दुखी मन से वापस लौट गया।
उसने अपना एक परम मित्र खो दिया था।
सीख
मित्र का सदैव सम्मान करना चाहिए और उससे कभी धोखा नहीं करना चाहिए, इससे मित्रता टूट जाती है। मुसीबत के समय अपना धेर्य नहीं खोना चाहिए। शांत दिमाग से ही हम उससे छुटकारा पाने का उपाय सोच सकते है।
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तो दोस्तों, कैसी लगी पंचतंत्र की कहानियों के रोचक संसार में डुबकी। मजा आया ना, तो हो जाइए तैयार लगाने अगली डुबकी, .. .. .. ..
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