बुद्धिमानी भरा घड़ा – Buddhimaani Bhara Ghada
अकबर बीरबल के किस्से – बुद्धिमानी भरा घड़ा – Buddhimaani Bhara Ghada – Birbal’s Pitcher of Wisdom
नमस्कार दोस्तों, आज मैं फिर आपके लिए लाई हूँ, अकबर-बीरबल के किस्सों की लड़ियों में से एक और मजेदार किस्सा। कई बार दुसरे राज्यों के राजा भी बीरबल की बुद्धि को हराने के लिए कई प्रकार के षड़यंत्र रचते थे। वे ऐसी-ऐसी तरकीबे निकाल कर अकबर और बीरबल को फसाने का पूरा पूरा प्रयत्न करते थे जिनका हल निकालना असंभव प्रतीत होता था।
लेकिन बीरबल ऐसी समस्या का समाधान भी विज्ञान के सिद्धांतों के साथ-साथ अपनी बुद्धिमता का प्रयोग करके चुटकियों में निकाल लेते थे| तो फिर देर किस बात की आज मैं आपके लिए लाई हूँ एक ऐसा ही किस्सा जो आपको गुदगुदाते हुए एक ज्ञान की बात भी बता जाएगा।
पड़ोसी देश की चुनौती
एक बार बादशाह अकबर का दरबार चल रहा था। बादशाह अकबर अपने दरबार में मुकदमों की सुनवाई कर रहे थे। तभी एक सिपाही ने आकर बताया कि पड़ोसी राज्य का दूत उनसे मिलना चाहता है। बादशाह अकबर ने सिपाही से कहा, “दूत को सम्मान सहित दरबार में लाया जाये।”
सिपाही बाहर जाकर उस दूत को अंदर ले कर आ गया। दूत ने अकबर को सलाम किया और कहा, “मुझे मेरे महाराज ने बड़ी आशा से आपके पास भेजा है। उन्होंने सुना है कि आप के राज्य में बहुत सारे बुद्धिमान व्यक्ति रहते हैं। हमारे महाराज चाहते हैं कि हमारे राज्य के लोगों के पास भी थोड़ी सी बुद्धि आ जाए, इसलिए उन्होंने मुझे आपके पास बुद्धिमानी से भरा घड़ा लेने के लिए भेजा है। यदि आपके दरबारी ऐसा नही कर पाते है तो सारे देश में ये फरमान जारी करवा दीजिये कि आपकी सभा मूर्खों से भरी हुई है।”
दूत की बात सुनकर सभी हैरान रह जाते है कि बुद्धिमानी को घड़े में कैसे भरा जा सकता है, यह कैसे संभव है ? बादशाह अकबर भी उसकी बात सुनकर अचंभित हो गए और उन्हें गुस्सा भी आया लेकिन उन्होंने अपने ऊपर संयम रखते हुए उस दूत से कहा, “आप हमारे अतिथि है और आप बड़ी दूर से चलकर आये है, आप थक गए होंगे। पहले आप हमारे अतिथि गृह में विश्राम करें। तब तक मैं अपने दरबारियों से विचार-विमर्श करके आपको जवाब देता हूँ।”
उसके जाने के बाद अकबर ने अपने दरबारियों से इस मसले पर चर्चा की, तो सभी दरबारियों ने कहा कि बादशाह सलामत, यह तो बहुत ही असंभव कार्य है, भला बुद्धिमानी को भी कोई मटके में भर सकता है। तभी बीरबल से जलने वाले एक दरबारी ने कहा, “बादशाह सलामत, बीरबल तो किसी भी असंभव को भी संभव बना सकते है। बीरबल जरूर इस कार्य को कर सकते हैं।”
बीरबल भी वहीं बैठे हुए थे, वे उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दिए। अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल क्या तुम बुद्धिमानी से घड़ा भर सकते हो?” बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “अवश्य जहाँपनाह, लेकिन इस कार्य के लिए मुझे दो महीनों का समय चाहिएगा, क्योंकि मैं रोज अपनी थोड़ी थोड़ी बुद्धि निकाल कर घड़े को भर दूंगा।”
बीरबल की बात सुनकर अकबर को आश्चर्य तो हुआ लेकिन उन्हें बीरबल पर पूरा विशवास था कि जब बीरबल ने किसी काम को करने का बीड़ा उठाया है तो वे उसे अवश्य ही पूरा करेंगे। बादशाह अकबर ने दूत को दरबार में बुलाया और कहा, “ हम आपके महाराज को बुद्धिमानी से भरा घड़ा जरूर देंगे। लेकिन उसके लिए आपको दो महीनें बाद हमारे दरबार में आना होगा।” अकबर की बात सुनकर दूत वहां से चला जाता है।
बीरबल ने भरी घड़े में बुद्धिमानी
बीरबल भी बादशाह सलामत से आज्ञा लेकर अपने घर चले आते है और अपने घर के बगीचे में माली को कद्दू की कुछ बेलें लगाने के लिए कहते है। माली बगीचे में कद्दू के बीज बो देता है। कुछ दिनों में कद्दू की बेल उग जाती हैं और उन पर फूल आने लग जाते हैं।
इस बीच बीरबल कुम्हार से कुछ मिट्टी के घड़े बनवाते है जिनके मुंह थोड़े छोटे होते हैं। बीरबल उन घड़ों को चारों तरफ से लकड़ी का सहारा देते हुए फूलों पर उल्टा रख देते है और माली से उनका पूरा-पूरा ध्यान रखने के लिए कहते है। बीरबल स्वयं भी रोज उन घड़ों को संभाल करते रहते है।
दो महीने पूरे होने पर पडौसी राज्य का दूत फिर से अकबर के दरबार में आता है और कहता है, “बादशाह सलामत, आपके दिए दो महिने पूरे हो गए है और अब मैं बुद्धिमानी से भर घड़ा लेने आया हूँ।” अकबर ने बीरबल के आसन की तरफ देखा लेकिन बीरबल का कोई अता-पता नहीं था। सभी दरबारी आपस मे कानाफूसी करने लगे कि लगता है बीरबल चुनौती पूरी नही कर सकें है इसलिए वे दरबार मे नहीं आये है।
चुनौती को चुनौती
तभी बीरबल एक सेवक (जिसके हाथ में एक घड़ा था) के साथ दरबार में उपस्थित होते है और कहते है, “माफ कीजिये जहाँपनाह, थोड़ी देर हो गयी, लेकिन मैं बुद्धिमानी से भरा घड़ा ले के आ गया हूँ। आपकी इजाजत हो तो मैं दूत को घड़ा दे दूं।”
बादशाह अकबर अपनी सहमति देते हुए घड़ा देने का इशारा करते है। बीरबल सेवक से दूत को घड़ा देने के लिए कहते है और दूत से कहते है, “ये लीजिये महाशय, बुद्धिमानी भरा घड़ा। इसमे बुद्धिमानी का फल से भरा हुआ है। इस फल को खाने से बुद्धिमानी आ जाएगी।
इसे निकालते समय यह ध्यान रखिएगा कि घड़े और फल दोनों को ही नुकसान न पहुँचे नही तो सारी बुद्धिमानी खराब हो जाएगी। आप अपने राजा से कहियेगा कि मेरे पास बुद्धमानी के फल से भरे हुए चार घड़े और है, वे चाहे तो हम और भी घड़े भिजवा सकते है।”
दूत घड़े पर से कपड़ा हटाता है और उसे देख कर उसके माथे पर पसीने आ जाते है। घड़े में एक बहुत बड़ा कद्दू रखा होता है। अब आप ही बताइए कि भला बिना कद्दू को काटे या बिना मटकी को फोड़े कद्दू को मटके के छोटे से मुंह से बाहर कैसे निकल जा सकता था। वह अपना सा मुंह लिए बीरबल की प्रशंसा करते हुए घड़ा लेकर दरबार से चल जाता है।
सभी दरबारी यहां तक कि बादशाह भी घड़े के रहस्य के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक थे। उन सबकी उत्सुकता देख कर बीरबल अपने सेवक को इशारा करते है। सेवक एक दूसरा घड़ा लाकर सबको दिखता है, घड़े के अंदर कद्दू को देखकर सभी आश्चर्यचकित हो जाते है कि बीरबल ने ये कारनामा कैसे किया?
बिना मटकी को तोडे उसमे कद्दू कैसे डाल दिया ? तब बीरबल उन्हें सारी बात बताते है। सबकुछ जानकर सभी दरबारी एक सुर से बीरबल की प्रशंसा करने लगते है। अकबर खुश होकर बीरबल को अपने गले से मोतियों का हार निकाल कर ईनाम में देते है।
असफल पड़ोसी और चतुर बीरबल
चार दिनों बाद वह दूत उस मटके के साथ फिर से दरबार मे आता है और कहता है, “बादशाह सलामत हम तो इस बुद्धिमानी के फल को बिना नुकसान पहुँचाये नही निकाल पाए लेकिन यदि बीरबल ऐसा कर दे तो हम उसकी बुद्धिमानी का लोहा मान जाएं।”
तब बीरबल उनसे एक महीने का समय और मांगते है और दूत को एक महीने बाद दरबार में आने के लिए कहते है। दूत के जाने के बाद बीरबल उस मटके को धूप में रख देते है और कुछ दिनों में कद्दू सूख कर छोटा हो जाता है।
एक महीने बाद दूत फिर से अकबर के दरबार मे हाजिर हो जाता है और बीरबल को मटकी में से बुद्धिमानी का फल निकाल कर देने के लिए कहता है। बीरबल मटकी मंगवाते है और बड़ी आसानी से कद्दू को मटके में से निकाल कर दूत को दे देते है। अब तो सभी बीरबल की बुद्धिमानी की प्रशंसा करते है और दूत भी बीरबल की बुद्धिमानी का कायल होकर वहां से चल जाता है।
तो देखा दोस्तों कैसे बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी से इस जटिल समस्या का कितना आसान-सा हल निकाल लिया। यह कोई जटिल चीज नहीं थी बस बीरबल ने प्रकृति के कुछ नियमों को ध्यान में रखते हुए इस समस्याओं का हल बड़ी आसानी से निकाल लिया।
इसे कोई भी साधारण व्यक्ति भी कर सकता है बस आवश्यकता है अपनी आँखें और दिमाग को खुला रखने की, जिससे हम हमारे चारों और जो भी गतिविधियां होती है उन्हें देंखे, समझे और समय आने पर अपने जीवन में उतार सके।
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