चार भूतों की कहानी – Chaar Bhooton Ki Kahani
सुनी-अनसुनी कहानियाँ – चार भूतों की कहानी – Chaar Bhooton Ki Kahani – The Story of 4 Ghosts
एक नंबर का निखट्टू
चतुरगंज गांव में एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। उसका नाम भोला था। वह बहुत ही आलसी था। कुछ काम नहीं करता, बस खाता और सोता। उसकी माँ बहुत दुखी होती उसे बहुत समझझाती लेकिन उसके कान पर तो जूं भी नहीं रेंगती।
एक दिन उसकी माँ को बहुत गुस्सा आया वह उससे बोली, “क्या सारे दिन सोता रहता है। घर में खाने का सामान खत्म हो रहा है। मैं भी अब बूढी हो गयी हूँ।
अब मेरे से तो घर का ही काम नहीं होता, कमाने के लिए कैसे जाऊं। अब कल से तू ही कमा के लायेगा”। इतना कहते कहते माँ की आँखों में आंसू आ गए।
माँ की आँखों में आंसू देख भोला को अच्छा नहीं लगा, वह माँ से बोला, “ठीक हे माँ मैं कल से कमाने के लिए जाऊंगा। लेकिन इस गांव में सब मुझे आलसी समझते है, इसलिए यहाँ मुझे कोई काम नहीं देगा। कल सुबह तुम मेरे लिए चार रोटियां बना देना, मैं दूसरे गांव में काम करने के लिये जाऊंगा”। ऐसा कहकर वह सो जाता है।
मैं तो चला पैसे कमाने
दुसरे दिन सुबह उसकी माँ उसके लिए चार रोटियां बना देती है। भोला रोटियां लेकर घर से निकल पड़ता है।
चलते-चलते भोला गांव से बाहर निकल आता है। अब भोला को भूख लगने लगती है। उसे थोड़ी दूर एक पेड़ के नीचे एक कुआं दिखाई देता है। वह कुएं के पास जाकर उसकी मुंडेर पर बैठ जाता है और अपनी रोटियों की पोटली खोलता है।
एक खाऊं-दो खाऊं या चारों को गटका जाऊं
वह सोचता है कि यदि मैंने अभी सारी रोटियां खा ली तो शाम को क्या खाऊंगा। सोचते-सोचते वह बोलने लग जाता है :
👦 भोला : एक खाऊं-दो खाऊं-तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
👦 भोला : एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
उस कुएं के अन्दर चार भूत गोलू, मोलू, कालू और चालू रहते थे। उन्होंने भोला को ये कहते हुए सुना तो वे आपस मैं बात करने लगे।
👻 गोलू भूत : ये कौन है जो हम चारो को खाने की बात कर रहा है?
👻 मोलू भूत : हाँ-हाँ हमसे तो सारे लोग डरते है, ये ऐसा कौन आ गया जो हमें खाने की बात कर रहा है!
👻 कालू भूत : अरे ये तो एक लड़का है ये क्या हमे खाएगा।
👦 भोला : एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
👻 चालू भूत : लेकिन ये तो बार-बार हमें खाने की बात कर रहा है।
👻 गोलू भूत : कोई जाकर देखो कौन है।
👻 मोलू भूत : नहीं-नहीं मैं तो अकेला नहीं जाऊंगा।
👻 कालू भूत : अरे तुम भूत होते हुए भी डरते हो?
👻 मोलू भूत : तो तुम्हीं चले जाओ।
👻 कालू भूत : हाँ-हाँ मैं एक भूत हूँ, मैं किसी से डरता थोड़े ही हूँ। (वह जाने लगता है तभी)
👦 भोला : एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
👻 कालू भूत : (डरकर कहता है) ऐसा करते है अपन चारों ही साथ में चलते है।
👻 चालू भूत : हाँ-हाँ चलो चलकर देखते है।
चारो भूत बाहर निकलते है। उधर भोला ने उनकी बाते सुन ली थी। वह यह जानकर डर गया कि इस कुँए में भूत रहते है। लेकिन उसे यह सुनकर थोड़ी हिम्मत आई कि भूत भी उससे डर रहे है। इसलिए उसने अपना डर छुपा लिया और कुएं के अन्दर देख कर बोला,
👦 भोला : एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
तभी चारों भूत कुँए से बाहर आ जाते है।
👻 चारो भूत एक साथ : ऐ लड़के कौन हो तुम ? तुम्हे पता नहीं हम भूत है। हम तुम्हे खा जायेंगे।
भूतों को अपने सामने देख कर भोला की घिग्घी बंध जाती है। लेकिन फिर वो हिम्मत करके बोलता है।
जादू की मटकी
👦 भोला : अच्छा हुआ तुम चारों बाहर आ गए नहीं तो मैं तो तुम्हें खाने के लिए कुँए में ही आने वाला था। बड़ी भूख लगी है ऐसा करता हूँ कि चारो को ही गटका जाता हूँ। (यह सुनकर भूत डरकर कांपने लग जाते है|)
👻 चारो भूत एक साथ : नहीं-नहीं तुम हमें मत खाओ।
👦 भोला : लेकिन मुझे तो बहुत भूख लगी हे मैं तुम्हें खाऊंगा। (गिनते हुए) एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
👻 गोलू भूत : नहीं-नहीं तुम हमें मत खाओ। हम तुम्हे एक मटकी देंगे।
👦 भोला : मटकी ! मटकी का मैं क्या करूंगा।
👻 मोलू भूत : अरे ये मटकी ऐसी वैसी मटकी नहीं है ये एक जादू की मटकी है, इससे तुम जो भी खाने को मांगोगे वो ये तुम्हे खाने के लिए दे देगी।
👦 भोला : अच्छा, मैं नहीं मानता।
👻 कालू भूत : तुम मांग कर देख लो।
👦 भोला : अच्छा, ऐ जादू की मटकी मेरे लिए जलेबी लाओ।
यह कहकर वह मटकी में हाथ डालता है तो जादू की मटकी में से जलेबी निकलती है। वह मजे से जलेबियाँ खाता है।
👦 भोला : अच्छा, ऐ जादू की मटकी अब मेरे लिए गुलाब जामुन लाओ।
यह कहकर वह मटकी में हाथ डालता है तो जादू की मटकी में से गुलाब जामुन निकलते है। वह मजे से गुलाब जामुन खाता है। उसके बाद भोला मटकी से कई सारी चीजे खाने के लिए मांगता है और मटकी उसे दे देती है। भोला बहुत खुश होता है व भूतो से कहता है :
👦 भोला : अच्छा, तुम लोगो ने मुझे ये जादू की मटकी दी है इसलिए मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ।
👻 चारो भूत एक साथ : धन्यवाद।
कंजूस लोभीराम
भोला मटकी लेकर अपने घर की तरफ रवाना हो जाता है। चलते-चलते रात हो जाती है। भोला सोचता है कि रात हो गई है रात मैं सफ़र करना ठीक नहीं है। यहाँ पास ही में मेरे चाचा रहते है क्यों न मैं आज रात उन्ही के यहाँ रूक जाऊं।
यह सोच कर भोला अपने चाचा लोभीराम के घर पर पहुंच जाता और दरवाजा खटखटाता है। भोला के चाचा बहुत ही कंजूस, लोभी और चालाक होते हैं।
उसके चाचा दरवाजा खोलते है और भोला को सामने देख कर मन ही मन सोचते है कि इतनी रात को यह कहा से आ गया? अब इसकी खातिरदारी करनी पड़ेगी। बेकार ही खर्चा हो जायेगा।
दरवाजा खुलते ही –
👦 भोला : चाचा प्रणाम !
👨💼 चाचा लोभीराम : खुश रहो बेटा। इतनी रात गए तुम यहाँ ?
👦 भोला : हाँ चाचा, घर जा रहा था लेकिन रात हो गयी तो सोचा रात मैं सफ़र करना ठीक नहीं है इसलिए आपके यहाँ रूक जाता हूँ। सुबह चला जाऊंगा।
👨💼 चाचा लोभीराम : (नकली हंसी हँसते हुए) हे-हे-हे, ये तो तुमने बहुत ही अच्छा सोचा बेटा, लेकिन इतनी रात हो गई है, तुम्हारी चाची भी यहाँ नहीं है और घर मैं खाना बनाने वाला कोई नहीं है। तुम्हारे आने का पहले पता होता तो मैं तुम्हारे लिए खाना बनवा कर रखता। लेकिन अब ………..
👦 भोला : अरे नहीं नहीं चाचाजी आपको मेरे खाने की चिंता करने की जरूरत नहीं है। मेरे पास बहुत सारा खाना है। आप और मैं दोनों पेट भर कर खायेंगे।
👨💼 चाचा लोभीराम : अच्छा ! फिर ठीक है। आओ आओ अन्दर आओ।
भोला भोला
भोला घर के अन्दर जाता है और हाथ मुंह धोकर अपनी पोटली में से जादू की मटकी निकलता है। मटकी खाली होती है।
👨💼 चाचा लोभीराम : (खाली मटकी देखकर) तुम तो कह रहे थे कि तुम्हारे पास बहुत सारा खाना है, लेकिन ये मटकी तो खाली है।
👦 भोला : अरे चाचा ! घबराइए मत, ये मटकी कोई साधारण मटकी नहीं है। ये तो एक जादू की मटकी है। इससे हम जो भी खाने के लिए मांगेंगे इसमें आ जायेगा।
इतना कहकर भोला मटकी से खाने के लिए बहुत सारी चीजे मंगवाता है। दोनी चाचा भतीजा खूब छक कर खाना खाते है।
भोला का चाचा सोचता है, “अरे यह ये मटकी तो बहुत ही चमत्कारी है। यदि ये मेरे पास आ जाये तो कितना अच्छा हो जाये। ऐसा करता हूँ जब भोला सो जायेगा तो मैं इसकी मटकी को चुरा लूँगा। ”
👨💼 चाचा लोभीराम : धन्यवाद भोला, बहुत दिनों बाद इतना अच्छा भोजन मिला है। मजा आ गया। तुम इतना लम्बा सफर करके आ रहे हो, थक गए होंगे। अब तुम सो जाओ।
भोला सो जाता है।
लोभी लोभीराम
भोला को गहरी नींद आने के बाद लोभीराम उसकी मटकी को उठा लेता है और उसकी जगह दूसरी मटकी रख देता है। सुबह उठ कर भोला उस बदली हुई मटकी को लेकर घर चला जाता है।
दोपहर को भोला अपने घर पंहुच जाता है। भोला को घर पर आया देख कर उसकी माँ बहुत गुस्सा होती है।
🧕 माँ : क्यूँ रे भोला ! तू तो दुसरे शहर में कमाने के लिए गया था, इतनी जल्दी कैसे आ गया?
👦 भोला : अरे माँ, तुम कमाई की बात छोड़ो, देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ।
🧕 माँ : क्या?
भोला अपनी पोटली में से मटकी निकल कर अपनी माँ के सामने रखता है। माँ अपना सर पीट लेती है।
🧕 माँ : मटकी ! इस मटकी का क्या करूँ? ऐसी मटकियाँ तो अपने गाँव में ही कौड़ियों के दाम मिलती है।
👦 भोला : अरे माँ, ये मटकी कोई ऐसी वैसी साधारण मटकी नहीं है। ये तो एक जादू की मटकी है। इससे हम जो भी खाने के लिए मांगेंगे इसमें आ जायेगा।
🧕 माँ : भोला अब तू अपनी माँ से भी मजाक करने लग गया है|
👦 भोला : नहीं नहीं माँ, सचमुच ये एक जादू की मटकी है। अभी तुम्हे दिखता हूँ।
इतना कहकर भोला उस मटकी से खाने के लिये मांगता है, लेकिन वो तो एक साधारण मटकी होती है उसमे से कुछ नहीं निकलता। भोला की माँ बहुत गुस्सा होती है और मटकी को उठा कर भोला के सर पर फोड़ देती है।
👦 भोला : (अपना सर सहलाते हुए) सच माँ यह जादू की मटकी ही थी, आप विश्वास करों, मैंने खुद इससे खाना मंगवाकर खाया है। लेकिन पता नहीं अब इसमें से खाना क्यों नहीं निकला। कोई बात नहीं माँ, कल सुबह तुम फिर मेरे लिए चार रोटियां बना देना, मैं दुबारा काम करने के लिये जाऊंगा”।
मैं तो चला भूतों को खाने
ऐसा कहकर वह सो जाता है। दुसरे दिन सुबह उसकी माँ उसके लिए चार रोटियां बना देती है। भोला रोटियां लेकर घर से निकल जाता है और फिर उस वह कुएं पर जाता है और उसकी मुंडेर पर बैठ कर अपनी रोटियों की पोटली खोल कर बोलता है।
👦 भोला : एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
👦 भोला : एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
कुएं के अन्दर के चारों भूत भोला की आवाज सुनते है और बाहर निकलते है।
👻 चारो भूत एक साथ : क्या हुआ भोला, तुम अब क्यों हमें खाना चाहते हो ? हमने तो तुम्हे जादू की मटकी दे दी थी ?
👦 भोला : तुम लोगो ने मेरे साथ धोखा किया है। वो कोई जादू की मटकी नहीं थी। जैसे ही मैं घर पंहुचा उस मटकी का जादू समाप्त हो गया और उसने कुछ भी खाने के लिए नहीं निकला। मुझे तुम लोगों पर बहुत गुस्सा आ रहा है। अब तो मैं तुम चारों को कच्चा हो चबा जाऊंगा।
👻 कालू भूत : नहीं नहीं हमने तुम्हारे साथ कोई धोखा नहीं किया है। वो सचमुच जादू की मटकी ही थी। लेकिन पता नहीं उसका जादू कैसे खत्म हो गया?
👻 गोलू भूत : लेकिन कोई बात नहीं हम तुम्हे एक दूसरी जादू की चीज देते है।
जादुई बकरी
इतना कहकर गोलू भूत हवा में हाथ उठाता है और मन ही मन कुछ बोलता है। इतने मैं वहा पर एक बकरी प्रकट हो जाती है।
👻 गोलू भूत : ये लो भोला।
👦 भोला : बकरी ! बकरी का मैं क्या करूंगा।
👻 गोलू भूत : ये एक जादू की बकरी है। इससे दिन मैं एक बार जब भी कहोगे कि, “ ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” तो ये पांच सोने की मींगनी देगी जिसे बेच कर तुम अपनी जरूरत की चीजे खरीद सकते हो।
👦 भोला : “ ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” (तो बकरी पांच सोने की मींगनी दे देती है। ) ठीक है। अभी तो मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ।
भोला बकरी लेकर अपने घर की तरफ रवाना हो जाता है। चलते-चलते फिर रात हो जाती है। भोला दुकान से बहुत सारा खाने का सामान खरीदता है और फिर अपने चाचा लोभीराम के घर पर पहुंच जाता और दरवाजा खटखटाता है।
लोभीराम दरवाजा खोलता है और भोला को सामने देख घबरा जाता है और मन ही मन सोचते है, “लगता है कि इसको पता चल गया है कि इसकी मटकी मैंने चुरा ली है इसलिए ये वापस यहाँ आया है”।
👨💼 चाचा लोभीराम : (अपनी घबराहट को छुपाकर खुश होते हुए) अरे भोला तुम! तुम आज फिर इधर ?
👦 भोला : हाँ चाचा जी, आज फिर किसी काम से घर से निकला था लेकिन घर पंहुचने से पहले रात हो गई तो सोचा रात को आपके यहाँ ठहर कर सुबह ही घर जाऊ।
👨💼 चाचा लोभीराम : (चैन की साँस लेते हुए सोचते है कि चलो अच्छा है इसे पता नहीं चला और बहुत ही मीठे स्वर मैं बोलते है) हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा, ये तुम्हारा ही घर है। आओ अन्दर आ जाओ।
👦 भोला : चाचा जी, मैंने सोचा कि चाची जी तो घर पर नहीं होंगी इसलिए मैं अपने साथ बहुत सारी खाने की चीजे लाया हूँ। आज भी आप और मैं साथ साथ भोजन करेंगे।
तेरी बकरी मेरी
लोभीराम इतनी सारी खाने की चीजे देखकर हैरान होता है और सोचता है कि इसकी जादू की मटकी तो मेरे पास है तो इसके पास इतना सारा खाना कैसे आया।
लोभीराम बातों ही बातों मैं भोला से बकरी का राज जान लेता है और उसके सोने के बाद उसकी जादू की बकरी को भी दूसरी बकरी से बदल देते है। दूसरे दिन सुबह भोला बदली हुई बकरी लेकर घर पहुँचता है।
👦 भोला : माँ माँ देखो मैं क्या लाया हूँ।
माँ बाहर आती है और भोला के साथ मैं बकरी को देखकर बहुत गुस्सा होती है।
🧕 माँ : बकरी ! अब इस बकरी को कहा से उठा लाया। मैं हम दोनों के लिए ही खाना बहुत मुश्किल से ला पाती हूँ इस बकरी को कहा से खिलाउंगी।
👦 भोला : अरे माँ। ये जादू की बकरी है हमें इसे नहीं खिलाना पड़ेगा बल्कि ये हमारे लिए खाना, कपडे तथा अन्य वस्तुओं का इंतजाम करेगी।
🧕 माँ : ये बकरी हमारे लिए ये सब कहा से लाएगी?
👦 भोला : माँ, जब मैं इस बकरी से बोलूँगा कि “ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” तो ये हमें पांच सोने की मींगनी देगी जिन्हें बेच कर हम अपने जरूरत की सभी चीजे खरीद लेंगे।
🧕 माँ : कल तो मटकी उठा कर लाया था और आज ये बकरी ! अपनी माँ को बेवकूफ बना रहा है।
👦 भोला : नहीं माँ, ये सचमुच जादू की बकरी है। आज तो तुम मुझे मान ही जाओगी।
👦 भोला : (बकरी से) “ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” (पर बकरी कोई सोने की मींगनी नहीं देती)
👦 भोला : (दुबारा बकरी से) “ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” (पर बकरी इस बार भी कोई सोने की मींगनी नहीं देती)
भोला बार बार बकरी से बोलता है “ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” पर बकरी सोने की मींगनी नहीं देती।
अब नहीं छोड़ूँगा
यह देखकर उसकी माँ बहुत गुस्सा होती है और भोला की बहुत पिटाई करती है और बकरी और भोला दोनों को घर से निकल देती है। भोला बकरी को लेकर फिर भूतो के कुँए के पास जाता है।
👦 भोला : (गुस्से से) ऐ भूतों कहाँ हो तुम सब ? बाहर निकलों आज तो मैं तुम सब को खा कर ही दम लूँगा।
👦 भोला : एक-खाऊं दो-खाऊं तीन-खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
👦 भोला : एक-खाऊं दो-खाऊं तीन-खाऊं या चारों को गटका जाऊं।
भोला की आवाज सुनकर चारों भूत कुँए से बाहर निकलते है।
👻 चारो भूत एक साथ : क्या हुआ भोला, अब भी तुम हमें खाना क्यों चाहते हो? अब तो हमने तुम्हे जादू की बकरी भी दे दी है?
👦 भोला : तुम लोगो ने फिर से मेरे साथ धोखा किया है। ये बकरी भी जादू की नहीं है। इसने बस तुम्हार सामने ही सोने की मींगनी दी थी। मुझे तुम लोगों पर बहुत गुस्सा आ रहा है। अब तो मैं तुम चारों को कच्चा हो चबा जाऊंगा।
👻 कालू भूत : नहीं नहीं हमने तुम्हारे साथ कोई धोखा नहीं किया है। ये सचमुच जादू की बकरी है।
👦 भोला : नहीं ये जादू की बकरी नहीं है।
👻 गोलू भूत : अच्छा तो तुम हमारे सामने इससे मांगो।
👦 भोला : “ऐ म्हारी बकरी दे सोना की मींगनी। ” बकरी सोने की मींगनी नहीं देती।
👻 मोलू भूत : ये कैसे हो सकता है ? हमने तुम्हे जादू की मटकी और जादू की बकरी ही दी थी। क्या तुमने घर पँहुचने से पहले जादू की मटकी और जादू की बकरी के बारे में किसी को बताया था।
👦 भोला : हाँ, मेरे चाचा को। उनका घर रास्ते में ही पड़ता है। रात होने की वजह से दोनों बार मैं चाचाजी के यहाँ ही रूका था।
अब तो तेरी खैर नहीं
भोला की बात सुनकर चारों भूत सारी बात समझ जाते है।
👻 मोलू भूत : अब हमें सारी बात समझ में आ गई है। तुम्हारे चाचाजी ने ही तुम्हारी जादू की मटकी और जादू की बकरी को बदल दिया है।
👦 भोला : नहीं नहीं, मेरे चाचाजी मुझे बहुत प्यार करते है वो ऐसा नहीं कर सकते।
👻 गोलू भूत : चलो कोई बात नहीं, हम तुम्हे एक ऐसी चीज देंगे जिससे तुम्हे तुम्हारी जादू की मटकी और जादू की बकरी वापस मिल जाएगी।
इतना कहकर गोलू भूत हवा में हाथ उठाता है और मन ही मन कुछ बोलता है। इतने मैं वहा पर एक लकड़ी का सोटा (डंडा) प्रकट हो जाती है।
👻 गोलू भूत : ये लो।
👦 भोला : ये क्या है।
👻 गोलू भूत : ये लो एक लकड़ी का सोटा है, तुम जब इसे बोलोगे “ऐ मेरे जादू के सोटे, दे दनादन”। जो कोई भी चोर होगा ये उसे मारने लग जायेगा। जब तुम इसे बोलोगे “ऐ मेरे जादू के सोटे, रूक जा” तभी ये रूकेगा। लेकिन तुम हमारी एक बात ध्यान रखना अपने चाचाजी को पूरी बात मत बताना।
👦 भोला : ठीक है।
आज कौन सा जादू है?
भोला लकड़ी का सोटा लेकर चाचा लोभीराम के घर की तरफ रवाना हो जाता है। भोला दुकान से बहुत सारा खाने का सामान खरीदता है और चाचा लोभीराम के घर पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाता है।
लोभीराम दरवाजा खोलते है और भोला को सामने देखकर बहुत खुश होते है उसके हाथ में लकड़ी का सोटा देखकर मन ही मन सोचते है कि वाह आज एक और जादू की चीज मिलेगी।
👨💼 चाचा लोभीराम : अरे भोला तुम! आओ आओ अन्दर आओ।
भोला घर के अन्दर आता है और दोनों मिलकर खाना खाते है।
👨💼 चाचा लोभीराम : अरे भोला, ये तुम्हारे हाथ में क्या है, ये भी कोई जादू की चीज है क्या? मुझे इसके बारे में नहीं बताओगे?
👦 भोला : ये, ये तो एक जादू का सोटा है।
👨💼 चाचा लोभीराम : जादू का सोटा? इससे क्या जादू होता है ?
👦 भोला : जब इससे बोलते है “ऐ मेरे जादू के सोटे, दे दनादन”, तो ये दनादन देने लग जाता है।
👨💼 चाचा लोभीराम : क्या?
👦 भोला : चाचाजी अभी मुझे नींद आ रही है। मैं सुबह आपको इसका जादू दिखाऊंगा। अभी मुझे सोना है।
इतना कहकर भोला सो जाता है।
दे दनादन
लोभीराम को उस सोटे के बारे मैं जानने की बहुत उत्सुकता होती है, लेकिन भोला उसके बारे मैं कोई बात नहीं करता।
अब तो लोभीराम की आँखों से नींद उड़ जाती है वो उस सोटे के बारे मैं ही सोचते रहते है, पता नहीं सोटा क्या दे दनादन देता है ? हो सकता है सोने-चाँदी की बरसात करता हो या हो सकता है हीरे-मोती दे दनादन देता हो ? सोचते सोचते काफी रात बीत जाती है।
वो सोचते है सुबह तो भोला अपने घर चला जायेगा और मुझे सोटे को चुराने का मौका ही नहीं मिलेगा, क्यों न मैं खुद ही उसके जादू के बारे मैं पता लगा लूँ, यह सोच कर लोभीराम उठकर चुपके से भोला के पास जाते है और उस सोटे को उठा लेते है।
👨💼 चाचा लोभीराम : “ऐ मेरे जादू के सोटे, दे दनादन”, (और सोटा चाचाजी को दे दनादन पीटने लग जाता है)। आह-आह, अरे अरे ये मुझे क्यों मार रहा है?
लोभीराम की चीख पुकार सुन कर भोला जाग जाता है। लोभीराम को पीटते देखकर वो सारी बात समझ जाता है।
👨💼 चाचा लोभीराम : अरे अरे भोला ये मुझे क्यों मार रहा है? रोको इसे।
👦 भोला : क्या पता चाचाजी, ये तो केवल चोरों को ही मारता है। क्या आपने कोई चोरी की है ?
👨💼 चाचा लोभीराम : आह-आह, नहीं नहीं मैंने कोई चोरी नहीं की। रोको इसे। (सोटा और तेजी से मारने लगता है)। आह-आह, भोला, रोको इसे।
👦 भोला : चाचाजी, जब तक आप अपनी चोरी स्वीकार नहीं करोगे तब तक ये नहीं रूकेगा।
👨💼 चाचा लोभीराम : आह-आह, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। हाँ- हाँ मैं स्वीकार करता हूँ मैंने ही तुम्हारी जादू की मटकी और जादू की बकरी चुराई है, मैं तुम्हारी दोनों चीजे वापस दे दूंगा। लेकिन इसे रोको नहीं तो ये मुझे मार डालेगा।
👦 भोला : “ऐ मेरे जादू के सोटे, रूक जा”।
खुशियाँ ही खुशियाँ
सोटा रूक जाता है। लोभीराम भोला को जादू की मटकी और जादू की बकरी वापस दे देता है और दुसरे दिन भोला अपनी तीनों जादू की चीजे लेकर अपने घर पहुँच जाता है और अपनी माँ को सारी चीजे बताता है। उसकी माँ बहुत खुश होती है।
🧕 माँ : अरे वाह भोला, ये तो बहुत अच्छी चीजे है इनसे हम बहुत ही अमीर हो जायेंगे।
👦 भोला : हाँ माँ, लेकिन हम इनसे अपने लिए ही कुछ नहीं मांगेंगे बल्कि इनसे मिली चीजो से लोगो की मदद करेंगे।
🧕 माँ : अरे वाह भोला, तुम तो बहुत ही समझदार हो गए हो।
वे दोनों जादू की मटकी, बकरी और सोटे से लोगों की मदद करते है जिससे चारों ओर भोला की प्रसिद्धि फैल जाती है। उसके बाद भोला और उसकी माँ ख़ुशी-ख़ुशी रहने लग जाते है।
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तो दोस्तों, कैसी लगी कहानी ? अच्छी ही लगी होगी, मेरी लिखी कहानी किसी को बुरी लग ही नहीं सकती। अरेरे कहीं मैं अपने मुँह मिया मिट्ठू तो नहीं बन रही ...... हा-हा-हा! फिर मिलेंगे कुछ सुनी और कुछ अनसुनी कहानियों के साथ। तब तक के लिए इजाजत दीजिए।
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